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Modi Government की शानदार नीतियों के अच्छे परिणाम, 2024-25 वित्त वर्ष में इन सात कारणों से घटेगी महंगाई दर, आम आदमी के लिए रोटी, कपड़ा और मकान होगा सस्ता

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विराट ‘परिवार’ के लिए बहुत राहत की खबर है। मोदी सरकार की जन कल्याणकारी नीतियों और अंतरिम बजट के दूरगामी विजन से अगले वित्तीय वर्ष में यूक्रेन-रूस के संघर्ष के बाद से ही जारी महंगाई पर ब्रेक लग सकता है। साल 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर 6 सालों में सबसे कम रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही होम और ऑटो लोन के अलावा पेट्रो उत्पाद भी सस्ते हो सकते हैं। इससे आम आदमी के जीवन के लिए जरूरी रोटी, कपड़ा और मकान की कीमतों में कमी आएगी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने अगले वित्त वर्ष यानी मोदी सरकार के तीसरे टर्म के शुरुआती साल के लिए महंगाई दर 4.30% रहने का अनुमान लगाया है। इससे पहले 2018- 19 में महंगाई दर 3.4% थी।आरबीआई के आंकलन से भी अगले वित्तीय वर्ष में कम होगी महंगाई दर- सीएमआईई
पीएम मोदी सरकार महंगाई रोकने के कारकों पर निरंतर काम कर रही है। इसी को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी अगले वित्तीय वर्ष के लिए 4.5% महंगाई दर का लक्ष्य तय किया है। लेकिन सीएमआईई का मानना है कि महंगाई इससे भी कम रहेगी। सीएमआईई के अनुसार, तीन जरूरी सब्जियों का रकबा अच्छा होने के चलते आलू, प्याज और टमाटर के दाम पूरे साल सामान्य बने रहेंगे। जो आम आदमी के लिए राहत भरी खबर है। जहां तक अलग-अलग अनाजों की बात है तो इनकी कीमतों में भी आने वाले वित्तीय वर्ष में राहत मिल सकती है। क्योंकि लंबे समय से थमे पेट्रोल-डीजल के दाम घट सकते हैं। खास बात यह है कि डॉलर के दाम भी 83 रुपये के आसपास ही बने रहेंगे।

घरेलू बचत को बढ़ावा मिलेगा, होम-ऑटो ब्याज दरों में कटौती का दौर शुरू होगा
अगले वित्त वर्ष यानी 2024-25 में घरों की कीमतें भी कम बढ़ेगी। इस साल अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कमी भी कर सकता है। इससे भारत में भी ब्याज दरें घटनी शुरू हो सकती हैं। गौरतलब है कि लगातार 52 महीनों से महंगाई दर 4% से ऊपर चल रही है, जबकि आरबीआई मानती है कि यह 4% से नीचे रहनी चाहिए। इस साल जनवरी में महंगाई दर 5.1% रिकॉर्ड की गई। विशेषज्ञों के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में घरेलू बचत को बढ़ावा मिलेगा और हमारी इकोनॉमी और बेहतर होगी। क्योंकि महंगाई दर 5% से कम रहने पर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। मीडिया रिपोर्ट्स में एक्सपर्ट मानते हैं कि ब्याज दरों में कटौती का दौर शुरू हो सकता है। हाउसिंग सेक्टर को इससे खास लाभ होगा। पेट्रोल-डीजल और खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें घटने से घरेलू बचत को बढ़ावा मिलेगा। आम आदमी यह पैसा उपभोक्ता वस्तुओं में लगाएगा। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों जगह मांग को मजबूती मिलेगी।ये रहे 7 बड़े कारक… जो महंगाई दर कम रहने का दे रहे हैं संकेत
1. रकबा ज्यादा होने के चलते घर-घर के लिए जरूरी टमाटर, प्याज और आलू की सप्लाई सामान्य रहेगी। इसलिए दाम घटेंगे। नतीजतन सब्जी का खर्च कम होगा।
2. पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटे हैं। यूक्रेन-रूस के संघर्ष के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों कुछ कमी आएगी और ये सीमित दायरे में ही रहेंगे।
3. अमेरिका की ढीली अर्थव्यवस्था के चलते डॉलर के रुपये के मुकाबले ज्यादा बढ़त लेने की उम्मीद न के बराबर है। इससे कीमतें में कमी संभव है।
4. अनाज और चावल के दाम अब जल्द ही घटना शुरू हों जाएंगे। फसल की उम्मीद के मुताबिक इस बार गेहूं का उत्पादन ज्यादा होगा। इसलिए आटा महंगा नहीं होगा, बल्कि कीमतों में कुछ कमी आ सकती है।
5. तुअर का उत्पादन बढ़ने से सभी दालों के दाम काबू में रहेंगे। अगले वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में अधिकांश वस्तुओं की सप्लाई को सामान्य रहने की उम्मीद है।
6. घरेलू ईधन के दाम अगले वर्ष ज्यादा बढ़ने के आसार नहीं है। एलपीजी के दाम अगस्त-23 के बाद से लगातार घटे हैं। इस साल भी ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं दिखती।
7. वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में मानसून बेहतर रहने और सप्लाई बढ़ने से दाम गिरेंगे।

पांच साल में महंगाई दर और आम आदमी की जरूरतों का लेखा-जोखा

वित्त वर्ष    महंगाई दर  खाद्य-वस्तु मकान   बिजली-गैस  पेट्रोल-डीजल

2024-25  4.30%    3.44%    4.52%   3.25%    4.59%

2023-24  5.17%    7.07%    4.08%    3.54%   6.26%

2022-23  6.65%    6.69%    4.31%   10.35%  6.70%

2021-22  5.51%    4.23%    3.66%   11.25%  6.56%

2020-21  6.16%    7.31%    3.33%    2.69%    4.60%

*2024-25 में अलग-अलग चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान।अर्थव्यवस्था और महंगाई दोनों ही मोर्च पर मिल रही है गुड न्यूज
पीएम नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन से जहां एक ओर भारतीय अर्थव्यवस्था छलांगे मारती हुई विश्व के प्रमुख देशों से होड़ कर रही है, वहीं आम आदमी की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर दोहरी राहत की गुड न्यूज आई है। पिछले साल भी सितंबर में एक ओर फल-सब्जियों के दाम घटने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति घटकर 5.02 प्रतिशत ही रह गई थी, जो इससे पिछले महीने अगस्त में 6.83 प्रतिशत थी। दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन भी अगस्त में 14 महीने के उच्च स्तर 10.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। महंगाई दर में यह गिरावट खाने का सामान, पेय पदार्थ, ईंधन आदि की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आने से आई है। इस दौरान मुख्य मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रही जो फरवरी-2020 के बाद सबसे कम है।

नीतिगत दर को यथावत रख महंगाई को 4% पर लाने का लक्ष्य
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से सितंबर में खाने के सामान की कीमतें घटने से खाद्य मुद्रास्फीति 6.56 प्रतिशत पर आ गई, जबकि अगस्त में यह 9.94 प्रतिशत थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब आधी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह लगातार चौथी बार नीतिगत दर को यथावत रखा और साफ किया कि उसका लक्ष्य महंगाई को चार प्रतिशत पर लाना है। सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक शहरी इलाकों में महंगाई दर अगस्त महीने में 6.59% थी, जो सितम्बर में घटकर 4.65% रह गई। ग्रामीण इलाकों में भी खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज हुई है। अगस्त महीने में ग्रामीण भारत में महंगाई दर 7.02% के ऊंचे स्तर पर थी, जो पिछले महीने घटकर 5.33% हो गई। सांख्यिकी मंत्रालय सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चुने हुए 1114 शहरी बाजारों और 1181 गांवों से महंगाई से जुड़े आंकड़े इकठ्ठा करता है, जिसके आधार पर देश में महंगाई दर का आंकलन किया जाता है।उत्पादन में बूम, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में दिखी वृद्धि
फल-सब्जियों के मामले में महंगाई दर पिछले साल सितंबर में घटकर 3.39 प्रतिशत पर आ गई, जो अगस्त में 26.14 प्रतिशत थी। दूसरी तरफ, विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि अगस्त में 14 महीने के उच्चतम स्तर 10.3 प्रतिशत पर रही। उपयोग आधारित वर्गीकरण के तहत छह में से तीन क्षेत्रों में दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की गयी है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के जरिये आंकी जाने वाली औद्योगिक उत्पादन वृद्धि जुलाई में छह प्रतिशत रही थी, जबकि पिछले साल अगस्त में इसमें 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इससे पहले, जून, 2022 में औद्योगिक उत्पादन में सबसे ज्यादा 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

त्योहारों में मांग अधिक होने से औद्योगिक उत्पादन और बढ़ने की उम्मीद
शिवरात्रि और होली का त्योहार नजदीक ही है। त्योहरों के दौरान मांग अधिक रहने की उम्मीद में भंडारण बढ़ने का असर उपभोक्ता वस्तुओं पर देखा जा रहा है। गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में नौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, वहीं टिकाऊ उपभोक्ता सामान के मामले में वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत रही। विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में  9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 14 महीने का उच्च स्तर है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आलोच्य महीने में खनन उत्पादन 12.3 प्रतिशत बढ़ा। वहीं बिजली उत्पादन में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

दाम 35% घटने से सॉलिटेयर डायमंड की बिक्री 20% बढ़ी
दुनिया में उथल-पुथल के बीच दो साल में कीमतें 35% घटने के बीच देश में सॉलिटेयर डायमंड की बिक्री 20% तक बढ़ी है। किसी ज्वेलरी के पीस में जड़ा हीरे को सॉलिटेयर डायमंड कहते हैं। फिलहाल 25-30 साल की उम्र के कई लोग शादी के लिए सॉलिटेयर हीरे की ज्वेलरी खरीद रहे हैं। जबकि 40- 45 साल की उम्र के अमीरों के लिए यह सालगिरह पर गिफ्ट देने का पसंदीदा विकल्प बन गया है। सेनको गोल्ड एंड डायमंड्स और मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स रिटेल चेन का अनुमान है कि देश में सॉलिटेयर, या वन-पीस डायमंड की मांग में कोविड-पूर्व के मुकाबले 20% तक की वृद्धि होगी।

5 लाख का हीरा 1.5 लाख के डिस्काउंट में बिक रहा
इंडस्ट्री सोर्सेज के अनुसार एक कैरेट डायमंड की कीमत 2004 में लगभग 7,000 डॉलर थी, वर्तमान में लगभग यही कीमत है। यह निवेश और खरीदारी के लिहाज से एक अच्छा मौका कहा जा सकता है। 5 लाख रु. का सॉलिटेयर डायमंड 1.5 लाख रु. के डिस्काउंट पर मिल रहा है। मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के चेयरमैन एमपी अहमद ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझान के अनुरूप सॉलिटेयर डायमंड की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कंपनी की बिक्री वर्ष 2021 और 2023 के बीच बढ़कर दोगुनी से अधिक हो गई है।’

हर सेक्टर में असर, एफडी पर ब्याज पांच साल में सबसे बेहतर
मोदी सरकार की नीतियों के चलते बाजार के अनुकूल माहौल का असर हर सेक्टर में नजर आ रहा है। बैंकों की बात करें तो एफडी पर ब्याज की दरें पांच साल में सबसे ज्यादा मिल रही हैं। त्योहारी सीजन से पहले बैंक डिपॉजिट जुटाने के लिए जमकर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इसके चलते एफडी की ब्याज दरें बीते 5 वर्षों में सबसे अच्छे स्तर पर पहुंच गई हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने दो दिन पहले ब्याज दरों में 1.25% तक की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक जैसे बैंकों ने एक महीने के भीतर टर्म डिपॉजिट की ब्याज दरों में 0.15% से लेकर 0.50% तक बढ़ोतरी कर दी है। रेटिंग एजेंसी केयर एज की ताजा रिपोर्ट में आरबीआई के हवाले से बताया गया है कि 8 सितंबर 2023 तक बैंकों द्वारा बांटा गया कर्ज एक साल पहले की तुलना में 19.8% बढ़कर 150.4 लाख करोड़ रुपए हो गया। इसी अवधि में डिपॉजिट में 13.6% की ही बढ़ोतरी हुई। स्टेबल मनी के संस्थापक सौरभ के मुताबिक बैंक रेपो रेट इस समय पिछले सात सालों में सबसे ज्यादा है। साथ ही बैंकों की एफडी रेट पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा हैं।

 

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