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गहलोत सरकार रोजगार का वादा पूरा करने में फेल, देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी राजस्थान में, गहलोत-राज में हर दूसरे ग्रेजुएट के पास काम नहीं है

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ऐसा लगता है कि कांग्रेस की सरकारों में चुनावी वादों को याद रखने की परिपाटी ही नहीं है। कांग्रेस के जिन वादों पर भरोसा करके राजस्थान की जनता ने 2018 में कांग्रेस को सत्ता की चाबी सौंपी थी, वह उससे बेरोजगारों कि किस्मत का ताला खोलना ही भूल गई है। अपनी अंदरूनी लड़ाई में मस्त गहलोत सरकार का बेरोजगारों की ओर तनिक भी ध्यान नहीं है। हालात यह हैं कि राजस्थान में दिसंबर-17 में स्नातक बेरोजगारों की दर 11.9 प्रतिशत थी, जो कांग्रेस के राज में चार साल बाद दिसंबर-21 में बढ़कर 53.4 प्रतिशत हो गई है। यानि चार गुना से ज्यादा बेरोजगारी दर हो चुकी है, वह भी पढ़े-लिखों की।

आबादी के लिहाज से सातवां और बेरोजगारी में नंबर वन है मरुधरा
कोरोना का दंश तो देशभर के सभी राज्यों में है, इसका रोजगार पर असर भी हुआ है। अन्य सरकारों ने ग्रेजुएट बेरोजगारों को नौकरी या स्व रोजगार देने के तरीके निकाले हैं। लेकिन राजस्थान में हालात तो दयनीय हो गए हैँ। गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के ताजा आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में हर दूसरे ग्रेजुएट युवा के पास काम नहीं है। आबादी के लिहाज से देश के सातवें सबसे बड़े राज्य राजस्थान में बेरोजगारी देश में सबसे ज्यादा हो गई है। बेरोजगारी की यह दर गहलोत सरकार में ही ज्यादा बढ़ी है।

देश में सर्वाधिक 65 लाख बेरोजगारों में से 20.67 लाख राजस्थान में
आंकड़ों में बात करें तो वर्तमान में राजस्थान में कुल 65 लाख से अधिक बेरोजगार हैं, इनमें से 20.67 लाख बेरोजगार ग्रेजुएट हैं, जो देशभर में सबसे ज्यादा हैं। बिहार में 38.84 लाख और हरियाणा में 24.80 लाख बेरोजगार हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हरियाणा में बेरोजगारी दर राजस्थान से ज्यादा थी, लेकिन इस बीच खट्टर सरकार द्वारा किए गए उपायों से ग्रेजुएट बेरोजगारी दर 33.6 प्रतिशत रह गई है. जो राजस्थान में 53.4 प्रतिशत है।देश के बड़े राज्यों में गुजरात, मध्यप्रदेश में रोजगार की स्थिति बेहतर
यदि तीन बड़े राज्यों गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की बात करें तो यहां पर बेरोजगारी की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। गुजरात में 13 ग्रेजुएट में से सिर्फ एक बेरोजगार है। मप्र-महाराष्ट्र में 9 में से एक ग्रेजुएट का पास काम नहीं है। कुल बेरोजगारी में भी मप्र- और गुजरात की स्थिति बेहतर है। गुजरात ही ऐसा राज्य है जहां पर चार साल में बेरोजगारी दर बढ़ने के बजाए घटी है।

राजस्थान में हर दूसरे ग्रेजुएट युवक के पास काम ही नहीं है
भारत में आबादी के लिहाज से सातवां सबसे बड़ा राज्य राजस्थान बेरोजगारी में टॉप पर है। राजस्थान में बेरोजगारी का आलम यह है कि प्रदेश में ग्रेजुएट किए हुए हर दूसरे शख्स के पास काम नहीं है। राजस्थान में 65 लाख, हिमाचल में 2.55 लाख, बिहार में 38.84 लाख, झारखंड में 18.19 लाख, हरियाणा में 24.80 लाख, पंजाब में 8.10 लाख, यूपी में 28.41 लाख, छत्तीसगढ़ में 2.85 लाख, दिल्ली में 7.26 लाख, महाराष्ट्र में 19.12 लाख, मध्य प्रदेश में 6.27 लाख व गुजरात में 4.92 लाख बेरोजगार हैं।

65.30 प्रतिशत महिलाएं बेरोजगार, शहरी आबादी के पास रोजगार कम
सीएमआईई की मई-अगस्त-2021 की बेरोजगारी दर रिपोर्ट में राज्य में 55.75% ग्रेजुएट व हायर एजुकेशन वाले युवा बेरोजगार थे। जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 20.21% है। वहीं ओवरऑल बेरोजगारी के मामले में राजस्थान, हरियाणा के बाद सबसे अधिक बेरोजगारी वाला राज्य है। बेरोजगारी के मामले में महिलाओं की संख्या सबसे अधिक चिंताजनक है। 65.3% महिलाओं के पास नौकरी नहीं है। वहीं 20 से 24 वर्ष की आयु सीमा की 98.06% महिलाओं के पास नौकरी नहीं है। साथ ही शहरी आबादी, ग्रामीणों की तुलना में अधिक बेरोजगार है।

 

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