प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के कंस्ट्रक्शन वर्क को देखने के लिए 30 मार्च 2023 को यहां औचक दौरा किया। उन्होंने आगामी संसद परिसर में एक घंटे से अधिक समय बिताया और विभिन्न कार्यों को समझा। इस दौरान उन्होंने नए संसद भवन का बारीकी से निरीक्षण किया। पीएम मोदी ने नए संसद भवन में डिजिटल वर्क को भी परखा और वहां काम कर रहे श्रमिकों से भी बातचीत की। प्रधानमंत्री के इस औचक दौरे की तस्वीरें मीडिया में आने और इसकी भव्यता देखने के बाद 60 साल तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस की आंखें चौंधिया गई, मलाल भी हुआ कि काश! अभी हम सत्ता में होते तो इतने बड़े प्रोजेक्ट से कितने ही करोड़ रुपये की कमाई करने का मौका मिलता! भ्रष्टाचार से अलग कमाई होती वह भी छूट गया। अब ऐसे में कांग्रेस के पास पीएम मोदी पर हमला करने के सिवाय कोई चारा नहीं रहा। गांधी परिवार के करीबी कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए इसे अहंकार परियोजना करार दिया है। प्रधानमंत्री पर कांग्रेस का हमला वाजिब ही है। आखिर पीएम मोदी ही तो कांग्रेस की राह के बाधा बने हुए हैं, वह कहते हैं- ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’। और भारत की जनता ने उन्हें दिल में बिठा लिया है।
The first of the personal vanity projects. Every dictator wants to leave behind his architectural legacy. Collosal waste of money. https://t.co/56Zhvtp1fG
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 30, 2023
जयराम रमेश ने नए संसद भवन के निर्माण को बताया पैसे की बर्बादी
सत्ता से बेदखल होने के बाद हर काम को नकारात्मक नजरिये से देखने वाली कांग्रेस को नए संसद भवन के निर्माण में भी पीएम मोदी का अहंकार नजर आ गया। निराशा के अंधेरे में डूबे जयराम रमेश यहीं नहीं रुके उन्होंने पीएम मोदी को तानाशाह बताते हुए कहा कि हर तानाशाह चाहता है कि वह अपने पीछे वास्तु विरासत छोड़कर जाए। उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण को पैसे की भारी बर्बादी करार दिया। नई संसद के निर्माण पर लगातार सवाल उठाने वाली कांग्रेस यह क्यों भूल जाती है कि 2012 में यूपीए सरकार के दौरान ही नए संसद भवन को मंजूरी दी गई थी।
वर्तमान संसद भवन में पर्याप्त जगह नहीं, जरूरी है नए संसद भवन का निर्माण
नए संसद भवन के निर्माण की वजह पुराने हो चुके संसद भवन में पर्याप्त जगह न होना है। सेंट्रल विस्टा की वेबसाइट के अनुसार, 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन के आधार पर लोकसभा सीटों की संख्या 545 पर बनी हुई है। 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि सीटों की कुल संख्या पर रोक केवल 2026 तक है। बैठने की तंग व्यवस्था और आवाजाही के लिए सीमित जगह होने के कारण सुरक्षा जोखिम बना रहता है।
कांग्रेस सरकार ने की थी नए संसद भवन की सिफारिश
तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार के हवाले से OSD ने 13 जुलाई 2012 को शहरी विकास मंत्रालय के तत्कालीन सचिव को ये पत्र दिया था, जिसमें कहा गया था कि संसद भवन का निर्माण 1920 के दशक में किया गया था और 1927 में चालू किया गया था। इसे हेरिटेज ग्रेड 1 भवन घोषित किया गया है। उम्र बढ़ने और संसद भवन के उपयोग के कारण दशकों से विभिन्न स्थानों पर संकट के संकेत दिखाई देने लगे हैं। लोक सभा और राज्य सभा की वर्तमान बैठने की क्षमता 2026 के बाद बढ़ने की संभावना है। लोकसभा में सीट 2026 से पहले भी बढ़ सकती है, अगर महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी जाती है तो ऐसे में बैठने की क्षमता के साथ एक नया लोक सभा कक्ष होना आवश्यक है। पत्र में आगे कहा गया है कि सीपीडब्ल्यूडी को पीआर में एक क्षेत्र खोजने के लिए निर्देश दिए जाने चाहिए।
पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को रखी थी आधारशिला
पीएम मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी। नए संसद परिसर में 888 लोकसभा सदस्यों के लिए बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा में 384 सांसद बैठ सकेंगे। लोअर हाउस चैम्बर में संयुक्त सत्र के दौरान 1,224 सदस्यों को बैठने की क्षमता बढ़ाने का विकल्प होगा। सरकार के अनुसार, नई इमारत ‘आत्मानिभर भारत’ की दृष्टि का एक आंतरिक हिस्सा है और आजादी के बाद पहली बार लोगों की संसद बनाने का एक शानदार अवसर होगा, जो ‘न्यू इंडिया’ की जरूरतों और आकांक्षाओं से मेल खाएगा।
जयराम रमेश के ट्वीट करने के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रमुख लोगों ने अपनी बात रखी है। उस पर एक नजर-
The deliberate ignorance of Cong is shameful. With delimitation due in 2026, resultant increase in MPs wd've made new Parliament inevitable. Besides approval 4 same was given in 2012 under UPA. The @narendramodi govt ofcourse completed it before time unlike the laggard UPA era https://t.co/cC4ToiMAUU
— Tuhin A. Sinha तुहिन सिन्हा (@tuhins) March 31, 2023
सांसदों की संख्या में वृद्धि के मद्देनजर नई संसद का बनना जरूरी था
14 किताबों के लेखक तुहिन सिन्हा ने कहा- कांग्रेस जानबूझकर अज्ञान बना हुआ है जो कि शर्मनाक है। 2026 में परिसीमन के कारण, सांसदों की संख्या में वृद्धि हो जाएगी इसीलिए नई संसद का बनना जरूरी था। इसकी मंजूरी यूपीए सरकार ने ही 2012 में दी थी। यह अलग बात है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने निश्चित रूप से इसे समय से पहले पूरा किया। यूपीए सरकार के दौरान तो प्रोजेक्ट लटकाने, भटकाने की ही नीति रही है।
Beggars belief that 20th century architecture and infrastructure should continue unchanged in the 21st century – a new parliament would be something useful for all future prime ministers of India.
Plenty of vanity projects to find, but this isn’t one of them. https://t.co/jR9dCfFtEh
— Gokul Sahni (@Gokul_Sahni) March 31, 2023
वे 21वीं सदी में भी 20वीं सदी की वास्तुकला रखना चाहते
राजनीतिक विश्लेषक गोकुल साहनी ने लिखा है- भिखारियों का मानना है कि 20वीं सदी की वास्तुकला और बुनियादी ढांचे को 21वीं सदी में अपरिवर्तित रहना चाहिए। एक नई संसद भारत के सभी भावी प्रधानमंत्रियों के लिए कुछ उपयोगी होगी। खोजेंगे तो कई सारी अहंकार परियोजनाएं मिल जाएंगी, लेकिन यह उनमें से एक नहीं है।
Typical slave mentality, not willing to come out of Britisher's shadows.
Btw do you feel the same about Shahjahan-Tajmahal? I dare you to accept it publicly. https://t.co/4GycRDs9iX
— Vishnu Vardhan Reddy (@SVishnuReddy) March 31, 2023
क्या कांग्रेस ताजमहल को अहंकार परियोजना कहने का साहस दिखाएगी?
विष्णु वर्धन रेड्डी ने कहा- यह एक विशिष्ट गुलाम मानसिकता है, वे अंग्रेजों की छाया से बाहर आने को तैयार नहीं हैं। क्या आप शाहजहां-ताजमहल के बारे में ऐसा ही महसूस करते हैं? (क्या आप कहेंगे कि ताजमहल अहंकार परियोजना है) मैं चैलेंज करता हूं कि आप इसे सार्वजनिक रूप से अहंकार परियोजना स्वीकार करने का साहस दिखाएं।
So congress MPs will boycott the new parliament forever ? https://t.co/FDCPmTm8Ie
— Vijay (@centerofright) March 31, 2023
क्या कांग्रेसी सांसद नई संसद का हमेशा के लिए बहिष्कार कर देंगे?
राजनीतिक विश्लेषक विजय ने लिखा- तो कांग्रेसी सांसद नई संसद का हमेशा के लिए बहिष्कार कर देंगे?
Don’t worry very few of the Congress party will make it to the new Parliament in 2024. The rest can go & weep at the Samadhis- the Family’s very own vanity project on acres of prime real estate.
— Nandini 🇮🇳 (@NAN_DINI_) March 31, 2023
चिंता न करें, 2024 में कांग्रेस पार्टी के बहुत कम लोग नई संसद में पहुंचेंगे
नंदिनी ने लिखा- चिंता न करें, 2024 में कांग्रेस पार्टी के बहुत कम लोग नई संसद में पहुंचेंगे। बाकी लोग समाधि पर जाकर रो सकते हैं- प्रमुख अचल संपत्ति की सैकड़ों एकड़ जमीन पर परिवार की अपनी स्वयं की वैनिटी परियोजना।
प्राइम दिल्ली की 120 एकड़ जमीन पर कांग्रेस नेताओं की समाधि
▪︎शांति वैन 52 एकड़
▪︎शक्ति स्थल 45 एकड़
▪︎वीर भूमि 15 एकर्स
▪︎संजय गांधी की ‘समाधि’ के साथ प्राइम दिल्ली की 120 एकड़ जमीन, और हजारों करोड़ की संपत्ति बर्बाद
इस 120 एकड़ जमीन में कॉलेज या गरीबों के लिए आवास होनी चाहिए।
Feel bad for Mr Gandhi and his party members. Not appealing against Mr Gandhi's verdict could have been a masterstroke, but with Trump likely to get arrested, not appealing may mean Mr Gandhi thrown into jail and no western media paying any attention to it. Sad. https://t.co/zmvVzVvAoF
— Sreemoy Talukdar (@sreemoytalukdar) March 31, 2023
ट्रम्प के गिरफ्तार होने की संभावना और राहुल के अपील न करने के बीच क्या है संबंध
@firstpost के सीनियर एडिटर श्रीमय तालुकदार ने लिखा- गांधी और उनकी पार्टी के सदस्यों के लिए बुरा लग रहा है। गांधी के फैसले के खिलाफ अपील न करना एक मास्टरस्ट्रोक हो सकता था, लेकिन ट्रम्प के गिरफ्तार होने की संभावना के बीच, अपील न करने का मतलब यह हो सकता है कि गांधी को जेल में डाल दिया जाए और कोई पश्चिमी मीडिया इस पर ध्यान न दे। दुखद।
According to Slaves of the "Fake Gandhis", the World's most popular leader happens to be a Dictator.
These Slaves are accustomed to worship Dictators all their lives. Bharatiyas can hardly expect them to respect "The KarmaYogi" who has transformed the lives of crores of people. https://t.co/rNRhhQchYw
— C T Ravi 🇮🇳 ಸಿ ಟಿ ರವಿ (@CTRavi_BJP) March 31, 2023
गुलामों को हुआ मोतियाबिंद- करोड़ों लोगों का जीवन बदलने वाला उनको दिखता तानाशाह
भाजपा महासचिव सीटी रवि ने कहा- “नकली गांधी” के गुलामों के अनुसार, दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता एक तानाशाह होता है। ये गुलाम जीवन भर तानाशाहों की पूजा करने के आदी हैं। भारतीय लोग शायद ही उनसे “कर्मयोगी” का सम्मान करने की उम्मीद कर सकते हैं जिन्होंने करोड़ों लोगों के जीवन को बदल दिया है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से हर साल बचेगा 1000 करोड़ रुपये
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट हर साल ₹1000 करोड़ के किराये के खर्च को बचाएगी। केंद्र सरकार मध्य दिल्ली में विभिन्न सरकारी कार्यालयों के लिए भवन किराए पर लेने पर ₹1000 करोड़ खर्च करता है। सेंट्रल विस्टा परियोजना ऐसे सभी कार्यालयों को नवनिर्मित भवनों में समायोजित करेगी। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार के कई कार्यालय अलग-अलग जगहों पर बिखरे हुए हैं और कई किराए के भवनों में हैं जिनके लिए बड़ी राशि की आवश्यकता होती है। एक बार संपूर्ण सेंट्रल विस्टा परियोजना पूरी हो जाने के बाद, सभी कार्यालय एक ही स्थान पर आ जाएंगे। इससे न केवल किराया बचेगा, बल्कि बेहतर समन्वित कार्यस्थल भी होंगे।
क्यों बनाई जा रही नई बिल्डिंग?
मौजूदा संसद भवन को 95 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगी, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।
नई संसद की खासियत
अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने के इंतजाम होंगे।
अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।
लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।
संसद के हरेक अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस होंगे। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए हाईटेक ऑफिस की सुविधा होगी।
कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक होगा। कमिटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों को हाईटेक इक्विपमेंट से बनाया जाएगा।
कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था होगी।