पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार को कोसने और बदनाम करने का कोई-न-कोई बहाना खोजते रहते हैं। उनके एप्रोच में पूरी तरह से पक्षपात और नफरत की भावना दिखाई दे रही है। यह मुख्य रूप से प्रधानमंत्री मोदी को लेकर उनके मन में भरे जहर का नतीजा है, जो समय-समय पर छलक कर बाहर आते रहता है। गुरुवार को कुरैशी ने एक ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसमें उनके अंदर छिपा कट्टरपंथ फिर सामने आ गया। कुरैशी ने रिट्वीट के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री मोदी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की कामना की। जब इसके लिए आलोचना शुरू हुई तो उन्होंने ट्वीट डिलीट कर माफी मांग ली।
दरअसल कुरैशी ने एक कट्टरपंथी के ट्वीट को रिट्वीट किया। इस ट्वीट में यूजर ने ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलोनसरो के कोरोना से संक्रमित होने की खबर को शेयर किया था। साथ ही उनकी दूसरी फोटो प्रधानमंत्री मोदी के साथ लगाई थी, जिसमें वे ब्राजील के राष्ट्रपति से हाथ मिलाते नजर आ रहे थे। दोनों नेताओं की यह तस्वीर गणतंत्र दिवस समारोह के आसपास की है। मगर, कोरोना वायरस की खबर के साथ इस तस्वीर को लगाना यूजर की मंशा को साफ दर्शाता है। यह मंशा और भी स्पष्ट उसके कैप्शन से होती है। इसमें वो लिखता है, “दुआ की दरख्वास्त है।”
Dua ki darkhwast hai. pic.twitter.com/Dy8WfGOOaI
— Zedsdead (@DeadZedb) March 12, 2020
कुरैशी के रिट्वीट करते ही उन्हें ट्वीटर पर ट्रोल किया जाने लगा। जब उन्हें शेफाली वैद्य जैसी वरिष्ठ पत्रकारों की लताड़ लगी, तो तुरंत उन्होंने इस रिट्वीट को डिलीट कर दिया और सफाई देते हुए लिखा, “मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। मैं केवल इस ट्वीट की रिपोर्ट करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझसे गलत बटन दब गया।”
My extreme and sincere apology. I was trying to report this offensive and unacceptable tweet when perhaps I pressed a wrong button. https://t.co/E3wiDgcywh
— Dr. S.Y. Quraishi (@DrSYQuraishi) March 13, 2020
जब विवाद बढ़ा तो जिस व्यक्ति ने ट्वीट किया था, उसने भी अपनी सफाई में फिर ट्वीट किया। उसने लिखा कि वह प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा के लिए दुआ मांग रहा था।
यह पहला मौक़ा नहीं है, जब पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने अपने अंदर की कुंठा को बाहर निकाला हो। इससे पहले भी बीजेपी के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कुरैशी ने 8 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने लिखा था कि दिल्ली चुनाव प्रचार के दैरान हेट स्पीच देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ चुनाव आयोग ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई। जबकि वे ऐसी गलती के लिए दोषी पाए गए थे, जिसमें सजा की जरूरत थी।
एसवाई कुरैशी को आइना दिखाते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि कुरैशी अपनी पसंद के मुताबिक कुछ चीजें याद कर रहे हैं और कुछ भूल रहे हैं। उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने 13 फरवरी को एक लेटर लिखा। इस लेटर के साथ ही कुरैशी का आर्टिकल भी अटैच किया। इसमें उन्होंने उन सभी चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों का जिक्र किया, जो कुरैशी के कार्यकाल में सामने आए थे। इसमें 9 नोटिस का हवाला दिया गया। जिन्हें उनके कार्यकाल के दौरान जारी किया गया था। सक्सेना ने लिखा कि इस सूची से देखा जा सकता है कि तब आयोग की तरफ से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 और 125 या आईपीसी के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
चुनाव आयोग ने 30 जुलाई 2010 से 10 जून 2012 के बीच हुए चुनावों के 9 कारण बताओ नोटिस का हवाला दिया, जो कुरैशी के कार्यकाल के दौरान के थे। जबकि पांच 2012 में यूपी चुनाव के दौरान जारी किए गए थे। तीन 2011 पश्चिम बंगाल चुनाव, दो 2011 तमिलनाडु चुनाव और एक 2010 के बिहार चुनाव के दौरान जारी किए गए थे। इन मामलों में पांच में अडवाइजरी जारी की गई थी। दो मामलों में चेतावनी दी गई थी। और अन्य दो मामले बंद कर दिए गए थे। किसी भी केस में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश नहीं दिया गया था। इस दैरान असम, केरल, पुडुचेरी, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में हुए चुनावों में आचार संहिता उल्लंघन का कोई नोटिस जारी नहीं हुआ था।
बता दें कि एसवाई कुरैशी ने 2010 से 2012 तक चुनाव आयोग का नेतृत्व किया। इस दौरान केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी। कुरैशी ने अपनी सेक्युलर छवि बनाने की कोशिश की है, लेकिन बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनकी मंशा ने उनकी इस छवि को नुकसान पहुंचाया है।