प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज भारत का विदेशी का मुद्रा भंडार नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार 10 जनवरी को खत्म हफ्ते में 5.8 अरब डॉलर बढ़कर 461.21 अरब डॉलर के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान स्वर्ण भंडार 43.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 28.492 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।
एक नजर डालते हैं उन संकेतों पर, जिनसे साफ जाहिर होता कि मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से बढ़ रही है।
पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा सर्विसेज पीएमआई
दिसंबर 2019 में देश के सेवा उद्योग की गतिविधि में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई और यह पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। दिसंबर में सेवा क्षेत्र की मांग तीन साल में सबसे अधिक तेजी से बढ़ती देखी गई। आईएचएस मार्किट इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर, 2019 में सेवा सूचकांक 53.3 पर पहुंच गया। आईएचएस मार्किट इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री पॉलियाना डे लीमा के अनुसार सूचकांक के 50 से नीचे रहने पर गिरावट और इससे ऊपर रहने पर अच्छा माना जाता है। यह जुलाई के बाद अभी तक का शीर्ष स्तर है। रिपोर्ट के मुताबिक, न्यू बिजनस ग्रोथ अक्टूबर 2016 के बाद सबसे तेज उछाल के साथ 38 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई जबकि उनकी कुल बिक्री दिसंबर में लगातार तीसरे महीने में बढ़ी है।
मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई सात महीने के उच्चतम स्तर पर
कारखानों के नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार हुआ है। रोजगार के मोर्चे पर भी तेजी से सुधार हुआ है। नए ऑर्डर मिलने से उत्पादन में आए उछाल के चलते दिसंबर में पीएमआई 7 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग का पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक दिसंबर में बढ़ कर 52.7 रहा। मई के बाद यह सबसे ऊपर है। सूचकांक का 50 से ऊपर होना उत्पादन में विस्तार का सूचक है। विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई लगातार 29वें महीने 50 अंक से ऊपर है। जीएसटी कलेक्शन और कोर सेक्टर इंडस्ट्रीज के बेहतर आंकड़ों से दिसंबर में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार देखने को मिला।
एफपीआई ने 2019 में किए 1.3 लाख करोड़ रुपए निवेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। देश में कारोबारी माहौल भी बेहतर हुआ है। यही वजह है कि देश में रिकॉर्डतोड़ विदेशी निवेश हो रहा है। मोदी सरकार की नीतियों की वजह से प्रभावित होकर अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों और पर्याप्त तरलता के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2019 में भारतीय पूंजी बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2019 में भारतीय पूंजी बाजार में 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 2019 में घरेलू पूंजी बाजार में अब तक 1,33,074 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया है। एफपीआई ने इक्विटी में 2019 में 97,251 करोड़ रुपए का निवेश किया, जबकि 26,828 करोड़ रुपए के ऋणपत्रों की शुद्ध खरीदारी की। एफपीआई ने हाइब्रिड प्रतिभूतियों में 999 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की।
नवंबर में हुआ 22,872 करोड़ का एफपीआई निवेश
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर महीने में घरेलू पूंजी बाजार में 22,872 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। यह लगातार तीसरा महीना है जब एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक नवंबर से 29 नवंबर के दौरान ऋणपत्रों से 2,358.2 करोड़ रुपये निकाले, जबकि इक्विटी में उन्होंने 25,230 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस तरह वे 22,871.8 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे। इससे पहले एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार में अक्टूबर में 16,037.6 करोड़ रुपये और सितंबर में 6,557.8 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।
अक्टूबर, 2019 में 3.31 अरब डॉलर रहा पीई-वीसी निवेश
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से देश का कारोबारी माहौल लगातार मजबूत होता जा रहा है। यही वजह है कि पीई-वीसी निवेश यानी प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेश में स्थिरता बनी हुई है। मूल्य और मात्रा के हिसाब से अक्टूबर में उद्यम-पूंजी निवेश 91 सौदों में 3.31 अरब डॉलर रहा है। सौदों पर परामर्श देने वाली कंपनी ईवाई के अनुसार सितंबर में 98 सौदों में निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी कोषों का निवेश 3.74 अरब डॉलर रहा था। अक्टूबर, 2018 में यह आंकड़ा 64 सौदों में 3.33 अरब डॉलर का रहा था। ईवाई के मुताबिक मोदी सरकार की नीतियों की वजह से ही पीई-वीसी गतिविधियों ने लगातार तीन अरब डॉलर के मासिक ‘रन रेट’ को कायम रखा है। यह चालू चाल के पहले दस महीनो में 16.5 अरब डॉलर बढ़कर 43.7 अरब डॉलर पर पहुंच गई हैं।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन वृद्धि भारत में होगी
प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों से देश की इकोनॉमी और कारोबारी माहौल लगातार बेहतर हो रहा है। यही वजह है कि जहां कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं, वहीं कर्मचारियों की सैलरी भी निरंतर बढ़ रही है। प्रमुख वैश्विक एडवाइजरी, ब्रोकिंग और सोल्यूशंस कंपनी विलिस टॉवर्स वॉटसन की ताजा तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020 में कर्मचारियों के वेतन में रिकॉर्ड 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ये वेतन वृद्धि पूरे एशिया-पैसिफिक में सबसे अधिक होगी। विलिस टॉवर्स वॉटसन ने अपनी यह रिपोर्ट विभन्न औद्योगिक क्षेत्रों और कंपनियों की प्रगति का अध्ययन और सर्वे करने के बाद तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया में वेतन वृद्धि 8 प्रतिशत, चीन में 6.5 प्रतिशत, फिलीपींस में 6 प्रतिशत और हांगकांग व सिंगापुर में 4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जाहिर है कि मोदी सरकार की सफल आर्थिक नीतियों की वजह से ही इस वर्ष भारत में औसत वेतन वृद्धि 9 प्रतिशत से अधिक रही।
आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।
अगले साल 7 प्रतिशत हो जाएगी विकास दर- आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने पिछले दिनों देश की अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताते हुए कहा कि अगले साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 7 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है। आईएमएफ के एशिया प्रशांत विभाग के उप-निदेशक जोनाथन ओस्ट्री ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष (2020-21) में सात प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है। चालू वित्त वर्ष में इसके 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। मौद्रिक नीति प्रोत्साहन जैसे उपायों से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि हाल में कर कटौती, सरकार के वित्तीय क्षेत्र में समस्याओं को दूर करने के लिये उठाये गये कदमों तथा विभिन्न क्षेत्रों को समर्थन देने के उपायों से निकट भविष्य में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में सुधार की उम्मीद है।
सबसे तेजी से बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था- आईएमएफ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में कहा कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ रही है। आईएमएफ ने कहा कि 2019 में भी भारत और चीन दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बने रहेंगे। आईएमएफ के एमडी क्रिस्टालिना जियोर्गिवा ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले साल काफी मजबूत वृद्धि दर्ज की गई थी। आईएमएफ ने कहा है कि भारत ने अर्थव्यवस्था को लेकर बुनियादी मुद्दों पर काम किया है, लेकिन लंबे समय तक विकास को लेकर कुछ परेशानियां हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। भारतीय महिलाएं काफी प्रतिभाशाली हैं और श्रम शक्ति में उन्हें शामिल किया जाए। आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
औद्योगिक उत्पादन जुलाई में 4.3 प्रतिशत बढ़ा
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में वृद्धि दर जुलाई माह में 4.3 प्रतिशत दर्ज की गई। जुलाई में मासिक आधार पर उद्योगों ने रफ्तार पकड़ी है। आईआईपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ जुलाई महीने में 4.2 प्रतिशत रही, बिजली उत्पादन में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि रही, जबकि खनन क्षेत्र की वृद्धि दर इस साल जुलाई में बढ़कर 4.9 प्रतिशत रही। उद्योगों की दृष्टि से विनिर्माण क्षेत्र के 13 समूहों ने जुलाई, 2018 की तुलना में जुलाई, 2019 के दौरान धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इस दौरान ‘खाद्य उत्पादों के विनिर्माण’ ने 23.4 प्रतिशत की सर्वाधिक धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसके बाद ‘बुनियादी धातुओं के विनिर्माण’ का नम्बर आता है जिसने 17.3 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। इसी तरह ‘पहनने वाले परिधानों के विनिर्माण’ ने 15.0 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि दर दर्ज की है।
5 साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश करेगी फेयरफैक्स
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का ही असर है कि आज भारत में विदेशी कंपनियां खूब निवेश कर रही हैं। कनाडा की कंपनी फेयरफैक्स अगले पांच साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश करने जा रही है। कंपनी पिछले पांच साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है और इतनी ही रकम वह अगले पांच साल में लगाने जा रही है। कंपनी के प्रमुख और अरबपति निवेशक प्रेम वत्स ने इकनॉमिक टाइम्स के साथ इंटरव्यू में भारत में आर्थिक सुस्ती की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यहां ‘शानदार मौके’ हैं। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से भारत दुनिया का नंबर वन देश है। प्रेम वत्स ने कहा, ‘दुनिया की जीडीपी में भारत का योगदान 3 प्रतिशत है, लेकिन कुल वैश्विक निवेश में इसकी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत ही है। अगर इसे बढ़ाकर 2 प्रतिशत भी कर दिया जाए तो भारत में 3 लाख करोड़ डॉलर का निवेश बढ़ेगा।’ उन्होंने कहा कि आज चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर कुछ मतभेद चल रहे हैं। ऐसे में लोग भारत में पैसा नहीं लगाएंगे तो कहां लगाएंगे? वे किसी बड़े बाजार में निवेश करना चाहते हैं, जहां लोकतंत्र हो। जहां कानून का राज हो। प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भारत खुशकिस्मत है कि उसे मोदीजी जैसे बिजनस-फ्रेंडली नेता मिला है। उनका पूरा ध्यान देश के लिए अच्छा करने पर है। वत्स ने कहा कि इस तरह का तजुर्बा ग्लोबल लीडर में कम ही होता है।
इसी साल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की इकोनॉमी दिन दूनी- रात चौगुनी तरक्की कर रही है। आज पूरी दुनिया में इंडियन इकोनॉमी का बोलबाला है। अर्थव्यवस्था के मामले में भारत आज विश्व की चोटी के देशों को चुनौती दे रहा है। आईएचएस मार्किट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इस साल ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 तक भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश हो जाएगा। इस रिपोर्ट में भारतीय उपभोक्ता बाजार के भी 2019 में 1.9 खरब डॉलर से लगभग दोगुना बढ़कर 2025 तक 3.6 खरब डॉलर हो जाने की भविष्यवाणी भी की गई है।
2018-19 में मिला अब तक का सर्वाधिक 64.37 अरब डॉलर का एफडीआई
पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में अब तक का सर्वाधिक 64.37 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भारत में किया गया है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले पांच साल के दौरान 286 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। 2018-19 में देश में अब तक का सर्वाधिक 64.37 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। डीपीआईआईटी ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान उठाए गए सुधार उपायों से भारत 2016-17 में हासिल एफडीआई के आंकड़े को पार करने में सफल रहा और 2017-18 में 60.98 अरब डॉलर का एफडीआई आया। यह उस समय तक एफडीआई का सबसे ऊंचा आंकड़ा था।
सर्विस सेक्टर में 37 प्रतिशत बढ़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
मोदी सरकार ने निवेश आकर्षित करने के लिये कई कदम उठाए हैं, इसमें मंजूरी के लिए नियत समयसीमा और कारोबार सुगमता बढ़ाने के लिये प्रक्रियाओं को दुरूस्त करना शामिल हैं। वर्ष 2018-19 में सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 36.5 प्रतिशत बढ़कर 9.15 अरब डॉलर रहा। उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के अनुसार इस क्षेत्र में वर्ष 2017-18 में 6.7 अरब डॉलर का एफडीआई आया था। सेवा क्षेत्र में यह वृद्धि इसलिए अहम है क्योंकि यह जीडीपी में इसका योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है।
FDI के मोर्चे पर 20 वर्ष में पहली बार भारत ने चीन को पछाड़ा
भारत 20 साल में पहली बार एफडीआई हासिल करने के मामले में चीन से आगे निकल गया। वर्ष 2018 में वालमार्ट, Schneider Electric और यूनीलीवर जैसी कंपनियों से भारत में आए निवेश के चलते ये संभव हो सका। इस दौरान भारत में 38 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जबकि चीन सिर्फ 32 अरब डॉलर ही जुटा सका। पीएम मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार और नए क्षेत्रों में भारी अवसरों के कारण भारत विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पिछले साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 235 सौदे हुए। पिछले 20 वर्षों से चीन विदेशी निवेशकों की पसंदीदा जगह बना हुआ था। पिछले साल चीन के बाजारों में आंशिक मंदी और अमेरिका के साथ ट्रेड वार के चलते विदेशी निवेशकों का रुख भारत की ओर बढ़ा है।
मोदी राज में अर्थव्यवस्था मजबूत: कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट मई में रही 5.1 प्रतिशत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के लिए हर तरफ से अच्छी खबर आ रही है। अर्थव्यस्था की रफ्तार जोर पकड़ती जा रही है। स्टील और बिजली उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी से आठ बुनियादी उद्योगों (कोर सेक्टर्स) की वृद्धि दर इस साल मई में 5.1 प्रतिशत रही। कोर सेक्टर में आने वाले 8 उद्योग कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, फटिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और बिजली हैं। स्टील उत्पादन में 19.9 प्रतिशत जबकि बिजली उत्पादन में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। कोयले का उत्पादन 1.8 प्रतिशत और सीमेंट का उत्पादन 2.8 प्रतिशथ ज्यादा रहा। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में इन कोर सेक्टर की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही।
NPA के मामलों में सरकार को मिली बड़ी कामयाबी
रिजर्व बैंक आफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों का ग्रॉस एनपीए घटकर 9.1 फीसदी पर आ गया है। यह एक साल पहले 11.2 फीसदी पर था। रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से एनपीए को नियंत्रित करने में मदद मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरूआती कठिनाइयों के बाद इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) बैंकिंग सिस्टम का पूरा माहौल बदलने वाला कदम साबित हो रहा है। पुराने फंसे कर्ज की रिकवरी में सुधार आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप, संभावित निवेश चक्र में जो स्थिरता बनी हुई थी, उसमें सुगमता आने लगी है।
बेहतर हुआ कारोबारी माहौल
पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए हैं। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।
पारदर्शी नीतियां, परिवर्तनकारी परिणाम
कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों के पारदर्शी आवंटन के तहत 3.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई।
जीएसटी ने बदली दुनिया की सोच
जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है। खास तौर पर ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया है। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।
देश की अर्थव्यवस्था पर आर्थिक विशेषज्ञों व रेटिंग एजेंसियों की टिप्पणियां –
वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान- विश्व बैंक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आने वाले समय में भी सबसे तेज वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। विश्व बैंक ने कहा है कि आने वाले वर्षों में ग्लोबल ग्रोथ रेट में कमी आएगी, लेकिन भारत की रफ्तार अच्छी रहेगी। विश्वबैंक के अनुसार, अगले तीन साल तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रह सकती है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर निवेश और निजी खपत के दम पर भारत 7.5 प्रतिशत की गति से विकास करेगा। विश्व बैंक ने कहा कि 2018 में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही। इस दर के गिरकर 2019 में 6.2, 2020 में 6.1 और 2021 में 6 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है। इसके साथ ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। वर्ष 2021 तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन के छह प्रतिशत की तुलना में डेढ़ प्रतिशत अधिक होगी।
सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत-विश्व बैंक
विश्व बैंक ने इसके पहले कहा था कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। विश्व बैंक की ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स’ रिपोर्ट के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अगले कुछ वर्षों में 7.5 प्रतिशत पर बने रहने का पूवार्नुमान है। रिपोर्ट में सरकार द्वारा किये गये ढांचागत सुधारों की सराहना करते हुए कहा गया कि उनके परिणाम अब सामने आने लगे हैं।
वृद्धि दर 7.1% रहने का अनुमान- फिक्की
उद्योग संगठन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की ) ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष 2020-21 में इसके बढ़कर 7.2 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान जताया है। उद्योग मंडल फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वे में यह अनुमान लगाया गया है। इसमें उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्रों के अर्थशास्त्रियों के विचार लिए है। हालांकि चुनावी वित्त वर्ष 2018-19 में देश का जीडीपी सरकार के अग्रिम अनुमान से कम 6.8 प्रतिशत रहा है।
7.3 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ से बढ़ेगा भारत- मूडीज
देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2019-20 में 7.3 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि वर्ष 2019 और 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अन्य प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाओं और उभरते बाजारों की तुलना में वैश्विक विनिर्माण व्यापार विकास में आई मंदी से भारत थोड़ा कम प्रभावित हुआ है। भारत के समक्ष अपेक्षाकृत कम जोखिम है। यह अगले दो वर्षों में स्थिर गति से बढ़ने की ओर अग्रसर है।
चीन से ज्यादा रहेगी भारत की ग्रोथ रेट- आईएमएफ
देश की अर्थव्यवस्था 2019 में 7.5 प्रतिशत और 2020 में 7.7 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने सोमवार को यह अनुमान लगाते हुए कहा कि इन दो साल के दौरान चीन की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट एक प्रतिशत अंक ज्यादा रहेगी। 2019 और 2020 में चीन की ग्रोथ रेट 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।आईएमएफ ने जनवरी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट में कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी।
ब्रिटेन को पछाड़ कर भारत इसी वर्ष बन जाएगा विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था
वैश्विक सलाहकार कंपनी पीडब्ल्यूसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और इसकी विकास दर को लेकर बेहद उत्साहजनक अनुमान लगाया है। अपनी रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा कि भारत इसी वर्ष दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में ब्रिटेन को पीछे छोड़ पांचवें स्थान पर आ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक लगभग समान विकास दर और आबादी के कारण ब्रिटेन और फ्रांस दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में आगे-पीछे होते रहते हैं। लेकिन यदि भारत इस सूची में आगे निकलता है तो उसका स्थान स्थायी रहेगा। पीडब्ल्यूसी की वैश्विक अर्थव्यवस्था निगरानी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस वर्ष ब्रिटेन की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 1.6 फीसदी, फ्रांस की 1.7 फीसदी तथा भारत की 7.6 फीसदी रहेगी। 2017 में भारत 2,590 अरब डॉलर के बराबर जीडीपी के साथ फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था।
अगले 5 वर्षों में चीन को पीछे छोड़ देगा भारतः फिच
फिच के अनुसार भारत अगले 5 वर्षों में चीन को पीछे छोड़ देगा। इसके साथ ही भारत सबसे तेजी से विकास करने वाला देश भी बन जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक भारत फिच रेटिंग ग्लोबल इकॉनोमिक आउटलुक में शामिल 10 सबसे बड़े उभरते बाजारों की सूची में शीर्ष पर है। फिच ने बताया कि अगले 5 सालों में चीन की जीडीपी जहां 5.5 प्रतिशत रहेगी वहीं भारत की जीडीपी विकास दर 6.7 रहेगी। फिच ने बताया कि पूरी दुनिया में इस समय सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या भारत में है। युवा आबादी के ही चलते भारत अगले 5 सालों में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
7 प्रतिशत से ज्यादा रहेगी ग्रोथ: सीआईआई
भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज सीईओ को लेकर किए गए सीआईआई के सर्वे के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में इकनॉमिक ग्रोथ 7 प्रतिशत से ज्यादा रह सकती है। सर्वेक्षण में शामिल इन सीईओ का कहना है कि इससे घरेलू बाजार में निवेश को खासा बढ़ावा मिल सकता है। सीआईआई के अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने कहा कि उद्योग जगत को अगले दो साल जीडीपी ग्रोथ 8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उनका कहना है कि सरकारी खजाने से होनेवाले खर्च के मोर्चे पर समझदारी दिखाने, मैक्रो इकनॉमिक मैनेजमेंट और स्ट्रॉन्ग रिफॉर्म्स प्रोसेस से ग्रोथ की ठोस बुनियाद बनी है। पुणे में सीआईआई की हालिया बैठक में 80 से ज्यादा सीनियर कॉरपोरेट लीडर्स की मौजूदगी में यह सर्वे हुआ।
सुधार सही दिशा में- सीआईआई
इसके पहले हाल ही में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल पूरा होने पर सीआईआई ने कहा कि पिछले चार साल में सरकार ने चरणबद्ध तरीके से कारोबार सुगमता, बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियम, ढांचागत निर्माण और असफल उद्यमों का निस्तारण जैसी अर्थव्यवस्था की मुख्य दिक्कतों को दूर किया है। जीएसटी के सुचारू होने और सुधारों के मजबूती से सही दिशा में रहने से अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।
7.5 प्रतिशत की दर के बढ़ेगी जीडीपी- क्रिसिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। जीएसटी प्रणाली के सुचारू हो जाने तथा सुधारों के सही दिशा में होने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है और चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.5 प्रतिशत तक रह सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार विकास की गति जारी रहेगी और वित्त वर्ष 2019 में ग्रोथ को 7.5 प्रतिशत तक ले जाएगी। इसमें कहा गया कि ग्रोथ को निवेश के सहारे के साथ खपत में बढ़ोतरी का साथ मिलेगा।
भारत अगले दशक की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था- हार्वर्ड
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने कहा है कि भारत अगले 10 साल दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर बना रहेगा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय विकास केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर सालाना 7.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस लिहाज से भारत की वृद्धि दर चीन और अमेरिका से अधिक रहेगी। हार्वर्ड की रिपोर्ट ने 2026 में चीन की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत और अमेरिका की वृद्धि दर तीन प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ सालों में जो सुधार हुए उससे अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने की संभावना पैदा हो रही है।
दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ा- हार्वर्ड
इसके पहले की भारत की अर्थव्यवस्था की गति और इसकी मजबूती पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में माना गया है कि भारत चीन से आगे बढ़कर वैश्विक विकास के आर्थिक स्तंभ के रूप में उभरा है और आने वाले दशक में वो नेतृत्व जारी रखेगा। सेंटर फॉर इंटरनेशल डेवलपमेंट (CID) ने 2025 तक सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में भारत को सबसे ऊपर रखा है। CID के अनुमान के अनुसार भारत 2025 तक सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में सबसे ऊपर है। CID के रिसर्च से ये निकलकर आया है कि वैश्विक आर्थिक विकास की धुरी अब भारत है। चीन की तुलना में दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ा है, जो आने वाले एक दशक से अधिक समय तक कायम रह सकता है।
इस साल 7.6 प्रतिशत की रफ्तार से दौड़ेगी अर्थव्यवस्था: एडीबी
एशियाई विकास बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। बैंक का अनुमान है कि जीएसटी के कारण उत्पादन में वृद्धि और बैंकिंग के क्षेत्र में सुधार के कारण निवेश से आर्थिक विकास दर को गति मिलेगी। रेटिंग एजेंसी फिच का भी यही अनुमान है। वैसे भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार माजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक विकास की दर 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है।
सबसे तेज अर्थव्यवस्था वाला देश होगा भारत: मॉर्गन स्टेनली
भारत अगले 10 वर्षों में दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो जाएगा। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने दावा किया है कि डिजिटलीकरण, वैश्वीकरण और सुधारों के चलते आने वाले दशक में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगी। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि डिजिटलीकरण से जीडीपी वृद्धि को 0.5 से 0.75 प्रतिशत की बढ़त मिलेगी और अनुमान है कि 2026-27 तक भारत की अर्थव्यवस्था 6,000 अरब डॉलर की हो जाएगी। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार आने वाले दशक में भारत की सालाना जीडीपी वृद्धि दर 7.1 से 11.2 के बीच रहेगी।
अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ रहा भारत- अलीसा एयर्स
एक अमेरिकी टॉप थिंक-टैंक काउंसिल में भारत, पाकिस्तान और साउथ एशिया मामलों की वरिष्ठ सदस्य अलीसा एयर्स ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उसे व्यापक वैश्विक महत्व और देश की सैन्य क्षमताओं के विस्तार तथा आधुनिकीकरण के लिये ऊर्जा दे रही है। अलीसा के अनुसार, ‘भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर वैश्विक उछाल दिया है। इसकी मदद से भारत अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार और आधुनिकीकरण कर रहा है।’ फोर्ब्स में छपे आर्टिकल में अलीसा कहती हैं, ‘पिछले वर्षों में भारत दुनिया भर में विदेशी और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों के संदर्भ में एक बड़ा कारक बनकर उभरा है और अब वैश्विक मंच पर अब भारत ज्यादा मुखर दिखाई दे रहा है। दरअसल भारत खुद को एक ‘प्रमुख शक्ति’ के रूप में देख रहा है।’
‘सपनों’ के साथ आगे बढ़ रहा भारत
मध्य पूर्व और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विश्लेषक फ्रिट्ज लॉज ने ‘द सिफर ब्रीफ’ में एक लेख में भी भारत की प्रशंसा की है और पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की है। फ्रिट्ज लॉज ने लिखा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी भारत को आर्थिक, सैन्य, भू-राजनीतिक शक्ति से योग्य बनाने के अपने सपने के साथ आगे बढ़ रहे हैं।’
भारत बना विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा जगह- चीन
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत विदेशी कंपनियों के लिए खूब आकर्षण बन रहा है। अखबार ने एक लेख में कहा है कि कम लागत में उत्पादन धीरे-धीरे चीन से हट रहा है। अखबार ने लिखा है कि भारत सरकार ने देश के बाजार के एकीकरण के लिए जीएसटी लागू किया है। यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने वाला है। इस नई टैक्स व्यवस्था से मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि इसमें राज्य और केंद्र के विभिन्न करों को मिला दिया गया है। लेख में कहा गया है कि आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक सुधार जीएसटी से फॉक्सकॉन जैसी बड़ी कंपनी भारत में निवेश करने के अपने वादे के साथ आगे बढ़ेंगी।