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12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में दिखा हिन्दी और हिन्दुस्तान का जलवा, फिजी के उपप्रधानमंत्री ने की पीएम मोदी और जयशंकर की जमकर तारीफ

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरे विश्व में हिन्दी और हिन्दुस्तान का जलवा दिखाई दे रहा है। पिछले नौ सालों में हिन्दी भाषा के प्रति पूरी दुनिया में लोगों का आकर्षण बढ़ा है। हिन्दी तेजी से वैश्विक भाषा के रूप में उभरती हुई नजर आ रही है। आज अमेरिका और फ्रांस जैसे ताकतवर देशों के नेता भी हिन्दी में ट्वीट कर रहे हैं। इसे देखकर हर हिन्दी भाषी व्यक्ति का गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। इस तरह की एक झलक फिजी में आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में देखने को मिली, जहां हिन्दी भाषा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति लोगों में जबरदस्त लगाव दिखा। इसके साथ ही हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के माध्यम से हिन्दुस्तान की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया।

दरअसल, फ़िजी के नांदी शहर में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन समारोह में भारतीय मूल के उप-प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था और राजनीति के मामले में विश्व में सबसे ऊपर जा रहा है। जैसे ही बिमान प्रसाद ने भारत की तारीफ की सम्मेलन में भारत माता की जय के नारे गूंज उठे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस सम्मेलन को फिजी के लिए ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सितवेनी रबूका के नेतृत्व वाली सरकार देश में हिंदी को मज़बूत करने के लिए सभी संभव कदम उठा रही है। आज जब मैं अपने पूर्वजों को याद करता हूं तो वह अपने साथ रामायण, गीता तो नहीं लाए थे, लेकिन अपने साथ वह अपनी संस्कृति साथ में लाए थे।

तीन दिन तक चले इस सम्मेलन का शुक्रवार (17 फरवरी, 2023) को समापन हुआ। समापन समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुलकर हिंदी और इसके प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है कि सभी हिंदी प्रेमी मिलजुल कर काम करें। एस जयशंकर ने उम्मीद जताई है कि विश्व हिंदी सम्मेलन आने वाले समय में हिंदी का महाकुंभ बनेगा और हिंदी को विश्व भाषा बनाने में लगे हिंदी प्रेमियों को महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध कराएगा।

विदेश मंत्री ने फिजी के राष्ट्रपति विलियम कैटोनिवरे का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से उनपर हिंदी फिल्मों का असर पड़ा। जयशंकर ने कहा, ‘फिजी के राष्ट्रपति कैटोनिवरे ने बताया कि हिंदी फिल्मों ने उनपर गहरा प्रभाव छोड़ा है। उनकी पसंदीदा फिल्म शोले है।’ एस. जयशंकर ने आगे कहा, ‘फिजी के राष्ट्रपति हमेशा इस गाने को याद रखते हैं कि ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…।” एस.जयशंकर ने फिजी में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों को भी संबोधित करते हुए कहा कि मैं पहली बार फिजी की यात्रा पर आया हूं। मुझे आश्चर्य है कि मैंने यहां आने के लिए इतना समय क्यों ले लिया। 

गौरतलब है कि फिजी के प्रमुख शहर नांदी में 15 से 17 फरवरी तक तीन दिन चले सम्मेलन में तीस से अधिक देशों के एक हज़ार से अधिक हिंदी विद्वानों व लेखकों ने भाग लिया। विदेश में हिंदी के प्रचार, प्रसार व विकास के लिए काम कर रहे 25 विद्वानों व संस्थाओं को सम्मानित भी किया गया। कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी आधुनिक सूचना, ज्ञान एवं अनुसंधान तकनीक का हिंदी माध्यम में प्रयोग कर भारतीय ज्ञान परंपरा और अन्य पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को विश्व की बहुत बड़ी जनसंख्या तक पहुंचाने पर जोर दिया गया। इस दौरान विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि सम्मेलन के 10 सत्रों में विभिन्न मामलों पर गंभीर चर्चा हुई और यह निष्कर्ष निकल कर आया कि हिंदी काफ़ी सशक्त भाषा है और तकनीक के साथ सामंजस्य बैठाने में सक्षम है।

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