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EXPOSED: गौवंश की मौत में बड़ा फर्जीवाड़ा, गहलोत सरकार का दावा 58 हजार मरे…हकीकत में सात लाख गौवंश की मौत, लंपी बीमारी पर सरकार को जगाने विधानसभा में गाय लेकर पहुंचे बीजेपी विधायक

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प्रदेश में लंपी स्किन डिजीज से सात लाख से ज्यादा गौवंश की असमय मौत के बावजूद सोती सरकार को जगाने के लिए बीजेपी विधायक ने गजब प्रयोग किया। पुष्कर से बीजेपी विधायक सुरेश सिंह रावत लंपी बीमारी और गायों की मौतों के विरोधस्वरूप एक गाय लेकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि सरकार को फर्जीवाड़ा और लापरवाही छोड़कर तत्काल गौवंश को बचाने के सार्थक उपाय करने चाहिए। बीजेपी विधायकों का आरोप है कि सरकार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में इतनी बिजी है कि गौवंश की सुध ही नहीं ले रही है। सदन में आरएलपी के तीन विधायकों ने वेल में आकर लंपी से गायों को बचाने के स्लोगन लिखी तख्तियां भी लहराईं। दूसरी ओर गहलोत सरकार के पशुपालन विभाग के फर्जीवाड़े की पोल बीडीओ और सरपंच संघों ने खोलकर रख दी है।

लंपी बीमारी पर विधानसभा में हंगामा, अब मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस का फैसला
सरकार के पशुपालन विभाग ने दावा किया था कि लंपी से सिर्फ 58 हजार गौवंश की मौत हुई है, जबकि संघों द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक सात लाख से ज्यादा गौवंश काल-कवलित हो चुके हैं। इसके बावजूद गहलोत सरकार लंपी बीमारी के बचाव के लेकर गंभीर नहीं है और असली आंकड़े छिपाने में लगी है। इस बीच विधानसभा में लंपी पर कल बहस करवाने फैसला हुआ है। बीएसी की बैठक में कल लंपी पर बहस और सरकार की तरफ से जवाब देने का वक्त तय किया है। लंपी को लेकर हो रही दिक्कतों और ग्राउंड लेवल पर सरकार की विफलताओं को लेकर बीजेपी के विधायक सरकार को घेरेंगे।

सरकार की बेरुखी और लापरवाही से नाराज पुष्कर से बीजेपी विधायक गाय लेकर पहुंचे
विधानसभा की सोमवार सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी विधायकों ने लंपी बीमारी समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरा। पुष्कर से बीजेपी विधायक सुरेश सिंह रावत लंपी बीमारी और गायों की लगातार हो रही मौतों के प्रति सरकार को चेताने और विरोध जताने के लिए एक गाय लेकर विधानसभा पहुंचे। गाय की भागदौड़ से एक बारगी तो विधानसभा के बाहर सुरक्षाकर्मियों में भी अफरा-तफरी का माहौल हो गया। इसके बाद विधायक रावत ने कहा कि सरकार और पुलिस से नाराज होकर यह गाय भागदौड़ कर रही है। गाय की नाराजगी लंपी बीमारी से लाखों गायों की मौत के कारण जायज है।

बीजेपी ने बनाई सरकार को घेरने की रणनीति, आरएलपी विधायकों ने लहराईं तख्तियां
आरएलपी के तीन विधायकों ने विधानसभा के वेल में आकर लंपी से गायों को बचाने के स्लोगन लिखी तख्तियां लहराईं। तीनों बीजेपी विधायकों के साथ वेल में थे। आरएलपी विधायक दल के नेता पुखराज गर्ग, विधायक नारायण बेनीवाल और इंद्रा बावरी ने सदन में तख्तियां लहराकर विरोध जताया। बीजेपी विधायकों ने लंपी को लेकर हो रही दिक्कतों और ग्राउंड लेवल पर सरकार की विफलताओं पर सरकार को घेरा। लंपी पर प्रश्नकाल और शून्यकाल में सरकार को घेरने की पहले से ही बीजेपी ने रणनीति तय कर ली। अब विधानसभा में लंपी पर कल (20 सितंबर) को बहस करवाने फैसला हुआ है। बीएसी की बैठक में कल लंपी पर बहस और सरकार की तरफ से जवाब देने का वक्त तय किया है।नेता प्रतिपक्ष कटारिया बोले- छह माह में लंपी बीमारी जैसे कई मुद्दे आए, सवाल तो बनते हैं
विधानसभा में एक अन्य मुद्दे को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और बीजेपी विधायकों ने जोर-शोर से उठाया। कटारिया ने कहा कि विधानसभा के बजट सत्र का सत्रावसान नहीं करके सीधे बैठक बुलाई गई। इन छह महीने के पीरियड में खूब उठापटक हुई, लंपी जैसी बीमारी फैल गई, जिसके बारे में सवाल बनते हैं। पहली बार हुआ है कि विधायक सवाल नहीं पूछ पा रहे हैं। जिन विधायकों का 100 सवालों का कोटा पूरा हो गया उसे सवाल पूछने से बैन कर दिया। यह विधायकों के अधिकारों का हनन किया गया है। बीजेपी विधायकों ने वेल में आकर सवालों का कोटा खत्म करने सहित कई मुद्दों पर हंगामा और नारेबाजी की।लंपी से गौवंश की मौत के आंकड़ों पर सरकार के ही विभागों के बीच खड़ा हुआ विवाद
दूसरी ओर लंपी स्किन डिजीज से पशुधन की मौत के आंकड़ों पर सरकार के ही विभागों के बीच बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पशुपालन विभाग द्वारा लंपी बीमारी से पशुधन की मौत के आंकड़ों को सरपंचों एवं ग्राम विकास अधिकारियों ने पूरी तरह से फर्जी बताया है। इन दो संघों ने प्रदेशभर में सात लाख से ज्यादा पशुधन की मौत का दावा किया है। जबकि पशुपालन विभाग ने पूरे प्रदेश में सिर्फ 58 गौवंश की मौत की बात कही थी। दरअसल, राजस्थान सरकार लंपी स्किन डिजीज के कारण संक्रमण से गायों की मौत को रोकने में ज्यादा प्रभावी कदम नहीं उठा रही है, जिससे प्रदेश के कई जिलों में संक्रमण फैल रहा है।दो संघों की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ ग्रामीणांचल में ही 6 लाख पशुधन की मौत
अब लंपी से गायों की मौत के आंकड़ों पर भी बड़ा विवाद सामने आया है। पशुपालन विभाग द्वारा लम्पी स्किन डिजीज से ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरों में सिर्फ 58 हजार पशुओं की मौत की बात कही गई है। ग्राम विकास अधिकारी संघ व सरपंच संघ ने सरकार के पशुपालन विभाग के 58 हजार पशुधन की मौत के आंकड़ों पर गंभीर आपत्ति जताई है। वीडिओ संघ ने सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही 6 लाख से ज्यादा पशुधन की मौत का दावा किया है। वहीं राजस्थान में पशुधन की मौत के मामले में सरपंचों ने 7.5 लाख गायों की मौत का दावा किया है।सरकार की रिपोर्ट कागजी, पशुपालन विभाग गौवंश की मौत के सही आंकड़े तलाशेगा
राजस्थान ग्राम विकास अधिकारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष महावीर शर्मा और राष्ट्रीय सरपंच संघ के प्रदेश प्रवक्ता हनुमान प्रसाद झाझड़ ने कहा है कि लंपी से सात लाख से ज्यादा पशुओं की मौत हुई है। सरपंच संघ के मुताबिक पशुपालन ने रिपोर्ट कागजों में ही बना ली है। दूसरी ओर ग्राम विकास अधिकारी एवं सरपंच संघ के आरोपों पर पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. नरेन्द्र मोहन सिंह का कहना है कि पशुधन सहायक महामारी में पशुओं का उपचार करने, वैक्सीनेशन में व्यस्त रहने के कारण लंपी स्किन डिजीज संक्रमण से पशुधन के मौत के आंकड़ों में कुछ अंतर हो सकता है। इसकी जांच कराई जाएगी।राजस्थान में लंपी बीमारी से गौवंश की मौत के सरकारी आंकड़ों में इतना अंतर क्यों?

जिला          पशुपालन   बीडियो संघ 

जोधपुर        4046      1,26,748
बीकानेर       2846      1,16,678
बाड़मेर        2816         68564
हनुमानगढ    3156          47940
नागौर          8404         43616
जालौर         3015          42432
अजमेर        3994          16241
जयपुर         3567         14239
चूरू           3663          31468
गंगानगर      4867          28246
सीकर         3478          13419
पाली          1982          18692
झुंझुनूं         1808            9332
उदयपुर       1395           1687
भीलवाड़ा      1508           4332
टोंक           1238           1392
जैसलमेर        982          12567
अलवर        1104             717
सिरोही          799            1392
राजसमंद       795             857
दौसा            640             823
सवाई माधोपुर  3742         8246
चित्तौड़गढ        367         1438
भरतपुर           357           798
बांसवाड़ा          196          676
डूंगरपुर           172          147
प्रतापगढ          158          857

 

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