अजमेर के विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में मुस्लिमों के साथ ही बड़ी संख्या में हिंदुओं की भी आस्था है। देशभर के हिंदू बड़ी संख्या में अजमेर शरीफ दरगाह में जाकर चादर चढ़ाते हैं और खुले हाथों से भारी-भरकम रकम दान करते हैं। लेकिन अजमेर के खादिमों के भड़काऊ बयानों के बाद हालात काफी बदल गए हैं। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दरगाह पर आने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी देखी गई है। यहां तक की बकरीद के मौके पर भी दरगाह की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। इसकी वजह से दरगाह के आसपास होटल व्यवसाय और अन्य कारोबार लगभग ठप होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
होटल पड़े खाली, एडवांस बुकिंग्स भी कैंसिल
खादिमों के भड़काऊ बयानबाजी और बढ़ते तनाव की वजह से अजमेर के होटल भी अब खाली पड़े हैं। कुछ होटल मालिकों के मुताबिक, लोग यहां आने से डरने लगे हैं। पहले की तुलना में यहां आने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 10 प्रतिशत रह गई है। यहां होटलों के 90 प्रतिशत कमरे बुक रहते थे, लेकिन अब महज 30 प्रतिशत कमरे ही बुक हैं। इतना ही नहीं, होटलों के लिए की गई एडवांस बुकिंग्स भी लोग कैंसिल कर रहे हैं। इससे होटलों की कमाई 90 प्रतिशत घट गई है।
Ajmer: Hate speeches by clerics hit devotee footfall to Sufi shrine https://t.co/MWpmi48hb5 pic.twitter.com/9DQYSgEeQV
— The Times Of India (@timesofindia) July 9, 2022
फूल और मिठाइयों की मांग में 70 प्रतिशत गिरावट
इसी तरह दरगाह के पास गुलाब के फूलों का बिजनेस करने वाले लोगों की कमाई भी चौपट हो गई है। जायरीनों यानि तीर्थयात्रियों के नहीं आने से दरगाह बाजार में गुलाब के फूलों की दुकानें भी वीरान हो चली हैं। यहां फूलों का व्यापार पहले की तुलना में 70 प्रतिशत तक कम हो गया है। वहीं खादिमों के नफरत के पैगाम के बाद मिठाई की मांग में कमी भी आई है। ‘सोहन हलवा’ के लिए जाने जाने वाले ‘ख्वाजा गरीब नवाज स्वीट्स’ के मालिक शदभ सिद्दीकी ने कहा कि कमाई 90 प्रतिशत घट गई है।
व्यापारियों को 50 करोड़ रुपए का नुकसान
दरगाह बाजार व्यापारिक एसोसिएशन के अध्यक्ष होतचंद श्रीनानी ने कहा कि नफरत भरे बयानों के बाद से लोग दरगाह आने से डरने लगे हैं। जिसकी वजह से यहां आने वाली बसों समेत दूसरे वाहन खाली आ रहे हैं। दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में खाली बैठे हुए हैं। एसोसिएशन ने इस बार बकरीद पर व्यापारियों को कम से कम 50 करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका जताई है।
दरगाह पर चादर चढ़ाने वालों में 60 प्रतिशत हिंदू
अजमेर शरीफ की दरगाह हर धर्म के लिए खुली हुई है। यहां पर हर धर्म के लोग आते हैं। लेकिन यहां दर्शन करने के लिए आने वाले लोगों में सबसे अधिक गैर मुस्लिम होते हैं। यहां हिंदू, मुस्लिम, जैन आदि धर्म के लोग अपने दिल से मुराद मांगने आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक अजमेर शरीफ की दरगाह पर रोजाना 20 से 22 हजार लोग चादर चढ़ाने आते हैं। इनमें लगभग 60 प्रतिशत लोग हिंदू होते हैं। मान्यता है कि यहां सब की मुरादे पूरी भी होती है।
अजमेर: खादिम के बयान का असर, बकरीद के मौके पर दरगाह में सन्नाटा, होटल खाली
धंधा हुआ 80% कममतलब हिंदू सबसे ज्यादा व्यवसाय देते थे , अब हिंदू जाग रहा है
ऐसे हीं चलता रहा तो सबकी औकात सामने आ जाएगी
— हिंदू भारतीय #KRT (@AmitGargashRSS) July 10, 2022
क्या हिन्दुओं के दान का हो रहा गलत इस्तेमाल ?
अजमेर शरीफ दरगाह पर आने वाले लोग दिल खोलकर दान देते हैं। इससे दरगाह की सालाना कमाई करीब 200 करोड़ रुपए की है। लेकिन, इन खादिमों की करतूतों को देखकर अब सवाला उठाये जा रहे हैं कि क्या हिन्दुओं द्वारा जो चढ़ावा दिया जाता है, वो उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल होता है ? क्या अधिकांश पैसा गलत उद्देश्यों को लेकर इस्तेमाल किया जा रहा है? देश के खिलाफ भड़काऊ बयान देने से लेकर हिंदू धर्म को कोसने तक में ये खादिम पीछे नहीं रहते हैं।
दरगाह के 3 खादिमों के भड़काऊ बयान आये सामने
गौरतलब है कि नूपुर शर्मा को लेकर दरगाह के 3 खादिम अब तक भड़काऊ बयान दे चुके हैं। खादिम गौहर चिश्ती से कन्हैया लाल के हत्यारों मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस के कनेक्शन सामने आए हैं। दोनों भाग कर अजमेर ही जा रहे थे। दरगाह कमिटी के सचिव सरवर चिश्ती ने हिन्दुओं की कमाई खत्म करने और भारत को हिला देने की धमकी दी थी। खादिम सलमान चिश्ती ने नूपुर शर्मा की गर्दन लाने वाले को अपना मकान देने का वादा किया था, जिसका वीडियो वायरल हुआ था।