प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 फरवरी 2023 को बेंगलुरू में इंडिया एनर्जी वीक 2023 के दौरान ही देश के 11 राज्यों में ई-20 पेट्रोल की बिक्री की शुरुआत की। इस पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मौजूद रहेगा। देश के 11 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के चुनिंदा पेट्रोल पंप पर 6 फरवरी 2023 से 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल (E20 Petrol) की खुदरा बिक्री शुरू हो गई। पीएम मोदी के विजन से उत्सर्जन में कमी के लिए जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने तथा आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने के काम को तेजी से आगे बढ़ा रही है। आयातित तेल पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार गन्ने और अन्य कृषि जिंसों से बने इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने पर जोर दे रही है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। देश में E20 पेट्रोल की बिक्री से एक लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी जो कि अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
अगले दो साल में पूरे देश में मिलेगा E20 पेट्रोल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत ऊर्जा सप्ताह-2023 में 20 फीसदी इथेनॉल मिला पेट्रोल समय से दो महीने पहले पेश किया। पहले 20 फीसदी एथनॉल वाला पेट्रोल अप्रैल में लाने की योजना थी। अभी पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिलाया जाता है और सरकार का इरादा 2025 तक इस मात्रा को दोगुना करने का है। पीएम मोदी ने कहा, ‘हमने पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण को 2014 के डेढ़ फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है। अब हम 20 फीसदी के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।’ पहले चरण में 15 शहरों में 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण वाला पेट्रोल उतारा जाएगा। अगले दो साल में इसे पूरे देश में पेश किया जाएगा।
एक लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी
अगर भारत 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लेता है तो इससे करीब एक लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। जून 2021 में, नरेंद्र मोदी सरकार ने नवंबर 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग (सम्मिश्रण) हासिल करने का लक्ष्य रखा था, जिसे पांच महीने पहले हासिल किया गया था। इस लक्ष्य को जल्दी हासिल करने से सरकार ने 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य पांच साल पहले हासिल करने के लिए इसे 2025 तक तय कर दिया।
पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल मिलाने से 53,894 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत
पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल मिलाने से देश को 53,894 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होती है। किसानों को भी इसका लाभ मिलता है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत ने जून, 2022 के दौरान पांच महीने पहले ही पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा हमने E20 पेट्रोल उपलब्ध कराने की समयसीमा को पहले (वर्ष 2025) कर दिया है। पहले यह समयसीमा 2030 थी।’ उन्होंने बताया कि अब E20 को पायलट आधार पर भी समय से पहले पेश कर दिया गया है।
पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण पूरी अर्थव्यवस्था को बदलने वाला
इथेनॉल का उत्पादन आने वाले दिनों में पेट्रोलियम क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था को बदलने वाला है। 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने से 2025 तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा की बचत होगी। कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए जैव ईंधन एक अच्छा विकल्प है, जो 2011-12 में 172 एमएमटी से बढ़कर 2021-22 में 212 एमएमटी हो गया है।
10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण से 27 लाख टन कार्बन उत्पादन कम हो गया
बायोइथेनॉल अनाज, गुड़, पौधों से बनाया जाता है और 10 प्रतिशत मिश्रण से 27 लाख टन कार्बन उत्पादन कम हो गया है, और 27 लाख टन CO2 का अवशोषण हो गया है, जिससे हमारे पर्यावरण को दोनों तरह से शुद्ध करने में मदद मिली है। मोदी सरकार ने 20 फीसदी ब्लेंडिंग के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतिगत फैसले लिए।
भारत अपनी जरूरत 85 फीसदी कच्चा तेल करता है आयात
भारत अपनी जरूरत का करीब 85 फीसदी कच्चा तेल (Crude Oil) आयात करता है। इसके आयात में देश का बहुत पैसा चला जाता है। इस बोझ को कम करने के लिए सरकार नए-नए तरीके खोज रही है। देश में एक्सप्रेसवे (Expressway) बनाए जा रहे हैं जिनसे समय बचेगा, ईंधन की खपत कम होगी और साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा होगी। साथ ही सरकार ने पेट्रोल में इथेनॉल मिक्स करने के लिए भी महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिक्सिंग का लक्ष्य पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया गया था। अब 20 फीसदी इथनॉल मिक्सिंग से देश बड़ा फायदा होने वाला है।
पिछले वर्ष देश ने तेल आयात पर खर्च किए 119 अरब डॉलर
पिछले वित्त वर्ष में देश का तेल आयात बिल लगभग 119 अरब डॉलर पहुंच गया था। तेल आयात बिल को कम करने के लिए सरकार कई योजनाएं बना रही है। साल 2013-14 से लेकर अभी तक इथेनॉल का उत्पादन छह गुना तक बढ़ा है। इससे लगभग 54 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बची है। सरकार ने साल 2025 तक देश में पूरी तरह E-20 ईंधन की बिक्री का लक्ष्य रखा है। पेट्रोल कंपनी भी 2G और 3G एथनॉल प्लांट्स बना रही है।
साल 2014 में पेट्रोल में 1.4 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग की हुई थी शुरुआत
साल 2014 में पेट्रोल में 1.4 फीसदी एथनॉल ब्लेंडिंग की शुरुआत की गई थी। 10 फीसदी ब्लेंडिंग का लक्ष्य नवंबर 2022 रखा गया था लेकिन इसे पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया गया। 20 फीसदी ब्लेंडिंग का ओरिजनल टारगेट 2030 था लेकिन इसे पहले 2025 किया गया और अब 2023 कर दिया गया। सरकार ने इसे कई महीने पहले ही मार्केट में उतार दिया है।
क्या है E-20 पेट्रोल?
E-20 में ई का अर्थ है इथेनॉल। E-20 का मतलब है पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 20 फीसदी। पेट्रोल में 20 फीसदी हिस्सा इथेनॉल का रहेगा। वर्तमान में देश में मिलने वाले पेट्रोल में 10 फीसदी तक इथेनॉल होता है। अब देश के 11 शहरों में 20 फीसदी इथेनॉल वाला पेट्रोल उपलब्ध होगा।
बायोमास से बनाया जाता है इथेनॉल
इथेनॉल क्या है। इसे बायोमास से बनाया जाता है। ज्यादातर इथेनॉल कॉर्न और गन्ने की फसल से तैयार किया जाता है। भारत में पहले से ही ऐसी चीजों की खेती बड़े स्तर पर हो रही है। ये फ्यूल मकई,गन्ना, जूट,आलू जैसे कृषि उत्पादों के जैवभार से तैयार होता है और इस कारण ये एक जैव ईंधन। इसे पेट्रोल में मिलाने से आक्टेन वैल्यू 2.5 फीसदी तक बढ़ जाती है। वहीं, ऑक्सीजन की क्षमता तीन फीसदी तक बढ़ जाती है। इससे पेट्रोल न केवल 100 फीसदी जलता है, साथ ही धुआं भी कम निकलता है। ऐसे में ऑटोमोबाइल के लिए बड़े स्तर पर इथेनॉल को देश में तैयार किया जा सकेगा।
E20 से फायदा क्या होगा:
फसलों से तैयार किया जा सकता है: इथेनॉल इको-फ्रेंडली ईधन है जो अल्कोहल बेस्ड है। इससे पर्यावरण को कई तरह के नुकसान से बचाया जा सकता है। अमेरिकी सरकार की वेबसाइट के अनुसार, इथेनॉल को गन्ना, कॉर्न और चुकंदर जैसी फसलों से तैयार किया जाता है।
35 फीसदी CO2 घटेगी: एथेनॉल का ऑक्टेन नम्बर अधिक होता है। इसलिए इसे गाड़ियों और पर्यावरण के लिए बेहतर माना जाता है। जब पेट्रोल को इथेनॉल के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है तो 35 फीसदी तक कार्बन-मोनो-ऑक्साइड कम पैदा होती है। इसके साथ सल्फर-डाई-ऑक्साइड भी कम निकलती है।
कार्बन उत्सर्जन घटेगा: पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर इस्तेमाल करने की और भी कई वजह हैं। इसकी मदद से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के साथ जलवायु परिवर्तन के खतरों से रोकने का काम भी किया जा रहा है। एथेनॉल को देश में तैयार किया जा रहा है, इसका आयात घटने से सरकार की आय में बढ़ोतरी हो रही है।
किसानों को फायदा: किसान एथेनॉल बनाएं, इसके लिए केंद्र सरकार बढ़ावा दे रही है। गन्ने की खेती करने वाले किसानों को खासतौर पर इसका फायदा मिल रहा है. इससे इथेनॉल तैयार किया जा रहा है।
खर्च में कटौती होगी: इथेनॉल को यूं ही बढ़ावा मिलता है तो सरकार के खर्च में कटौती होगी। तेल के आयात में कमी आएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोल में एथेनॉल को मिलाने से केंद्र सरकार को जहां करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत हुई वहीं, 27 लाख टन कार्बन का उत्सर्जन भी घटा है।
देश में चीनी की जगह इथेनाल बनाने पर जोर
भविष्य में इथेनाल बनाने पर चीनी मिलें ज्यादा जोर देंगी। इसके पीछे कारण है कि केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर सब्सिडी बंद करने जा रही है। इसकी प्रमुख वजह देश में चीनी का अधिक उत्पादन और खपत कम है। इसलिए सरप्लस चीनी की जगह इथेनाल का उत्पादन कर फ्यूल में इस्तेमाल किया जाएगा। इथेनॉल के पेट्रोलियम पदार्थों में मिश्रण करने से कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी और विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने से विदेशों से आने वाले कच्चे तेल की मांग कम हो जाएगी। पिछले कुछ वर्षों में देश में चीनी का उत्पादन खपत से बहुत ज्यादा हुआ है। इस कारण चीनी की कीमतों में इजाफा नहीं हो पा रहा है और चीनी मिलें लागत से कम भाव पर चीनी को बाजार में बेचने पर मजबूर हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चीनी का उत्पादन जरूरत से ज्यादा होने की वजह से इसके विक्रय मूल्य में कमी आती है।