नोबेल पुरस्कार पर अमेरिका ही नहीं, अब भारत में भी राजनीति शुरू हो गई है। दोनों ही देशों में दो बड़बोले नेताओं ने ‘अपने मुंह मियां मिठ्ठू’ बनते हुए खुद के लिए ही नोबेल पुरस्कार की वकालत कर डाली है। एक ओर जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने इतने युद्ध रुकवाए हैं कि उन्हें एक नहीं, 4-5 बार नोबेल पीस प्राइज मिलना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली में करारी हार झेलने और जनता द्वारा नकारने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि दिल्ली के कामों के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। केजरीवाल के इस बयान पर सोशल मीडिया पर तो उनको खूब ट्रोल किया ही जा रहा है, भाजपा ने भी पूर्व मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया है। दिल्ली भाजपा ने कहा है कि केजरीवाल को नोबेल पुरस्कार मिल सकता है, अगर उस लिस्ट में भ्रष्टाचार, अकर्मण्यता, कुशासन और अराजकता हो तो केजरीवाल इन सभी दावों के लिए नोबेल पुरस्कार ले सकते हैं। दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सचदेवा ने कहा कि दरअसल, दिल्ली में करारी हार के बाद केजरीवाल मानसिक संतुलन खो बैठे हैं।
अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में नोबेल पुरस्कार पर ठोंका दावा
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल दिल्ली में बुरी तरह से हार के बाद कोपभवन में जाकर बैठ गए थे। लेकिन अब उप चुनाव में केवल दो विधानसभा सीटों जीतने के बाद हवा में उड़ने लगे हैं। उनके मीडिया के बातचीत में बेसिरपैर के दावे और ऊलजलूल बयानबाजी फिर से सामने आने लगी है। एक बार फिर केजरीवाल का एक बयान काफी चर्चा में है। दरअसल, मोहाली मे एक किताब के विमोचन के मौके पर दिल्ली में अपनी सरकार के कामकाज पर बोलते हुए अरविंद केजरीवाल ने यहां तक कह दिया कि एलजी के द्वारा काम में बाधा डालने के बावजूद, जिस तरह उन्होंने दिल्ली सरकार को चलाया है. इसके लिए गवर्नेंस और एडमिनिस्ट्रेशन लिए उनको नोबेल प्राइज मिलना चाहिए।
मनीष और सत्येंद्र जैन को भारत रत्न देने के लिए बोले अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा था कि सुशासन के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। केजरीवाल बोले कि एलजी के रोकने के बावजूद उन्होंने जितना काम किया, उसके बाद शासन और प्रशासन के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। इसके अलावा केजरीवाल ने अपने दो करीबी मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के लिए भारत रत्न दिए जाने की मांग भी की थी। काबिले गौर है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया करोड़ों के शराब घोटाले के मामले में जेल जा चुके हैं और अब जमानत पर हैं। ऐसे ही सत्येंद्र जैन भी जेल की हवा खा रहे हैं।
घोटालेबाज सरकार और मुखिया को नोबेल प्राइज मिलना चाहिए!
हालांकि सच्चाई ये है कि दिल्ली में बदतर हालातों के चलते ही दिल्ली की जनता ने ना सिर्फ आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर किया, बल्कि खुद केजरीवाल को भी हार का स्वाद चखाया। केजरीवाल के नोबेल पुरस्कार संबंधी दावे के मामले को लेकर जब दिल्ली के कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से मीडिया ने सवाल पूछा गया तो उन्होंने भी कटाक्ष करते हुए कहा कि हम भी दिल्ली विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित करेंगे। इस प्रस्ताव में कहेंगे कि जिस तरह अरविंद केजरीवाल सरकार ने कई घोटालों के साथ करोड़ों का शराब घोटाला किया और एक बोतल के साथ एक फ्री दिया है। ऐसे घोटालेबाज सरकार और उसके मुखिया को नोबेल प्राइज मिलना चाहिए।
केजरीवाल पूरी तरह मानसिक संतुलन खो बैठे हैं-भाजपा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी नेता ने अपने 10-11 साल के शासन में दिल्ली को केवल घोटालों का उपहार दिया था। यही कारण है कि जनता ने उन्हें दंड दिया और 2025 में उनसे सत्ता छीन ली। लेकिन अपनी इस नाकामी को छिपाने की कोशिश करते हुए केजरीवाल अब अपने लिए ही नोबेल पुरस्कार की मांग कर रहे हैं, यह शर्मनाक है। सचदेवा बोले, मुझे लगता है कि केजरीवाल को एक बार अपना मानसिक संतुलन भी दिखाना चाहिए। जिस व्यक्ति के ऊपर दर्जनों घोटाले दर्ज हों, जिसने दिल्ली को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी हो, जिस व्यक्ति के कारनामों की वजह से जनता की अदालत में उसे सत्ता से बेदखल करके सजा सुनाई गई हो- वो आदमी अगर नोबेल पुरस्कार की बात करता हो उसे आप मुस्कराकर सुन ही सकते हैं।
सचदेवा ने उंगलियों पर गिनाए केजरीवाल के घोटाले
केजरीवाल के घोटालों की लंबी लिस्ट है। केजरीवाल कहते हैं कि उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए, इस लिहाज से जरूर मिलना चाहिए। अपने साथियों के साथ मारपीट करने के लिए, गणतंत्र दिवस पर धरना देने के लिए या उपराज्यपाल के घर में बदतमीजी करने के लिए, अपने महिला सांसद के साथ बदतमीजी करने के लिए… अगर ऐसे कामों के लिए नोबेल पुरस्कार मिलता है तो अरविंद केजरीवाल को नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। इसके बाद सचदेवा ने उंगलियों पर गिनाना शुरू किया, जो आदमी शीश महल घोटाला करता हो, जो आदमी एक्साइज घोटाला करता हो, जो आदमी अपने साढू के साथ मिलकर पीडब्ल्यूडी का घोटाला करता हो, स्कूल का घोटाला करता हो, महिला सुरक्षा को लेकर पैनिक बटन का घोटाला करता हो, बेसहारा बहनों की पेंशन खाता हो, राशन का घोटाला करता हो।
केजरीवाल को मिला मैग्सेसे पुरस्कार भी संदेह के दायरे में है
भाजपा ने केजरीवाल की इस बात पर करारा हमला किया है। पार्टी ने कहा है कि यदि भ्रष्टाचार की श्रेणी में नोबेल पुरस्कार दिए जाते होते तो केजरीवाल को अवसर मिल सकता था, लेकिन नोबेल कमेटी इस श्रेणी में कोई पुरस्कार नहीं देती। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल विदेशी फंडिंग लेकर देश के विरोध में काम करते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल को मिले मैग्सेसे पुरस्कार को भी लोग संदेह की दृष्टि से देखते हैं। इससे पता चलता है कि उनकी काम करने की स्टाइल कैसी थी। लेकिन आज उनकी असली छवि लोगों के सामने आ चुकी है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बुधवार को कहा कि यदि अकर्मण्यता, अराजकता और भ्रष्टाचार के लिए नोबेल पुरस्कार होता, तो आप संयोजक अरविंद केजरीवाल मजबूत दावेदार होते। केजरीवाल ने नोबेल पुरस्कार की इच्छा जताकर भद्दा मजाक किया है।
घोटाले दर घोटाले के लिए नोबेल नहीं बल्कि जेल मिलती है
सचदेवा ने कहा कि शीशमहल घोटाले सहित दर्जनों भ्रष्टाचार के मामलों में केजरीवाल का नाम सामने आ चुका है। दुर्भाग्यवश इसके लिए नोबेल नहीं बल्कि जेल मिलती है। दिल्लीवासी केजरीवाल की महिला विरोधी कार्यशैली को भी नहीं भूले हैं जिसमें असहाय महिला पेंशन घोटाला, पैनिक बटन घोटाला और महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार शामिल है। वर्ष 2014 के गणतंत्र दिवस और 2024 के स्वतंत्रता दिवस से पहले केजरीवाल की अराजक हरकतों के लिए उन्हें कोई सम्मान नहीं मिलेगा, बल्कि सिर्फ सजा मिलेगी। दिल्ली की जनता ने फरवरी में केजरीवाल को इसका राजनीतिक जवाब दे दिया है और आने वाले समय में कानूनी जवाब भी मिलेगा।
चुनाव में करारी हार के बाद मिली दो सीटों से ही केजरीवाल उड़ने लगे
आपको बता दें कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में चारों खाने चित्त होने के बाद आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल मानो अज्ञातवास में चले गए थे। ना किसी के खिलाफ कोई आरोप और ना ही मनगढ़ंत बयानबाजी। दिल्ली की जनता ने उनको इतना करारा झटका दिया कि उनकी बोलती ही बंद हो गई थी। अब उपचुनाव में केवल दो सीट मिलने से ही केजरीवाल ‘अंधे के हाथ बटेर लगने’ की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। वे इस छोटी से जीत के बाद फिर से मीडिया की चौखट पर दस्तक देने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा का मुकाबला करने के मकसद से कई विपक्षी दलों ने इंडी अलायंस (INDI Alliance) बनाया था। लोकसभा के बाद विधानसभा चुनावों में भी मिली हार के बाद अब इंडी गठबंधन अंतिम सांसें गिन रहा है। हवा में उड़ रहे आम आदमी पार्टी संयोजक केजरीवाल ने ऐलान किया है कि आप बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी। इंडी गठबंधन के अन्य नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए केजरीवाल ने कहा कि I.N.D.I.A. सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। अब हमारा किसी से कोई गठबंधन नहीं है।परिवारवादी और भ्रष्टाचार में लिप्त दलों ने बनाया इंडी अलायंस
दरअसल, पीएम मोदी अपार लोकप्रियता से घबराए परिवारवादी और भ्रष्टाचार में लिप्त दलों ने अपनी स्वार्थों की पूर्ति के लिए इंडी अलायंस बनाया था। लेकिन अब इंडी अलायंस एक-एक बिखरने लगा है। अलायंस के सभी दल अपनी बची-खुची सीटें बचाने की जुगत में लगे हैं। नीतीश कुमार और जयंत चौधरी एनडीए में आ चुके हैं तो ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, उमर अब्दुल्ला इंडी अलायंस से अलग सियासत कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने तो इंडी अलायंस के नेतृत्व राहुल गांधी से छीनकर उन्हें देने तक की मांग कर डाली है। हालांकि जनवरी में तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि इंडी अलायंस सिर्फ लोकसभा के लिए था, लेकिन मजबूरी में अब बिहार में कांग्रेस-राजद एक-दूसरे को सपोर्ट करने में लगे हैं। अब केजरीवाल ने भी बिहार विधानसभा चुनाव में इंडी अलायंस से अलग होकर चुनाव लड़ना तय किया है।
इंडी अलायंस लोकसभा के लिए था, अब हम आजाद- केजरीवाल
पंजाब और गुजरात के उपचुनाव में दो सीटें जीतने के बाद केजरीवाल गुजरात के दो दिन के दौरे पर अहमदाबाद पहुंचे थे। यहां उन्होंने पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत की। केजरीवाल ने कहा कि गुजरात के विसावदर उपचुनाव में हमने कांग्रेस से अलग लड़कर तीन गुना ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। यह जनता का सीधा संदेश है कि कांग्रेस की हालत खस्ता हो चुकी और अब विकल्प आम आदमी पार्टी है। आम आदमी पार्टी आगे भी गुजरात में चुनाव लड़ेगी। दिल्ली में हार पर केजरीवाल ने कहा कि ऊपर-नीचे होता रहेगा। उन्होंने आरोप मढ़ा कि कांग्रेस पार्टी को बीजेपी को जीत दिलाने के लिए ठेका दिया जाता है। अब आम आदमी पार्टी आ गई है। लोग इसे एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। विसावदर में इसी तरह से लोगों ने वोट दिया। बीजेपी ने कांग्रेस को भेजा था कि इनके वोट काटो। कांग्रेस ने ठीक से काम नहीं किया। बीजेपी से कांग्रेस वालों को खूब डांट पड़ी। इंडी गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में केजरीवाल ने कहा- वह अलायंस लोकसभा के लिए था। अब हमारी तरफ से कुछ नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी अकेले ही लड़ेगी
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की भी इंट्री हो गई है। ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने साफ कहा कि अब न कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन है, न ही INDIA गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाएगा। INDIA गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक था। अब कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है। अगर गठबंधन होता, तो कांग्रेस ने विसावदर उपचुनाव में हमारे खिलाफ उम्मीदवार क्यों उतारा? वो हमें हराने आए थे। ध्यान रहे कि AAP और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन राज्यों में दोनों पार्टियां अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ती रही हैं। दिल्ली और हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी दोनों ने अलग-अलग लड़ाई लड़ी थी। कांग्रेस पार्टी को उस वक्त और बड़ा झटका लगा था, जब इंडिया अलायंस के सहयोगी दलों शिवसेना यूबीटी, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में आप को समर्थन दे दिया। बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दिल्ली में गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि, कांग्रेस एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थी।
इंडिया गठबंधन के ज्यादातर खिलाड़ी कैप्टन राहुल के खिलाफ
दरअसल, विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा होने के दम भरने वाले राहुल गांधी के दिन क्या अब लदने वाले हैं? क्या इंडिया गठबंधन का चेहरा राहुल गांधी के बजाए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बनने जा रही हैं? इन सवालों का जवाब चाहे जो हो, लेकिन ये अब शीशे की तरह साफ हो गया है कि इंडी ब्लॉक के अंदर राहुल गांधी को लेकर खटपट का समंदर लहरा रहा है। इंडिया गठबंधन के ज्यादातर खिलाड़ी कैप्टन बदलने के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की मांग है कि ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का कैप्टन बनाया जाए। ममता बनर्जी की दावेदारी के बाद इंडिया गठबंधन पूरी तरह खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। वैसे यदि दिमाग पर थोड़ा-सा जोर डालें तो याद आएगा कि पीएम मोदी ने तो लोकसभा चुनाव से पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि इंडी गठबंधन के दल सिर्फ चुनावी स्वार्थ के लिए जुड़े हैं। चुनाव होने के बाद गठबंधन के दल आपस में टकराने लग जाएंगे। वही अब हो रहा है। केजरीवाल ने दिल्ली के बाद बिहार में कांग्रेस से अलग राह पकड़ ली है।
अब इंडिया गठबंधन का ‘कप्तान’ बदलने का वक्त आ गया
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चौतरफा मुसीबतों में घिरे नजर आ रहे हैं। एक ओर राहुल गांधी पर अमेरिकी उद्योगपति जॊर्ज सोरोस के साथ कनेक्शन का बड़ा खुलासा हुआ है, तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॊक के अंदर से ही राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर बगावत जैसे हालात पैदा हो गए हैं। राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता को लेकर जांच पहले से ही चल रही है। इंडिया ब्लॊक की पांच प्रमुख पार्टियों ने गठबंधन की कमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपने का समर्थन कर कांग्रेस खासकर, राहुल गांधी के लिए ऐसी मुसीबत खड़ी कर दी है, जिससे पार पाना मुश्किल होगा। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने राहुल गांधी के खिलाफ खुल्लम-खुल्ला मोर्चा खोल दिया है। दावा यही है कि अब इंडिया गठबंधन का कप्तान बदलने का वक्त आ गया है। राहुल गांधी की कैप्टेंसी में इंडिया गठबंधन के लिए लगातार मजबूत हो रही भाजपा को हराना असंभव होगा।