राहुल गांधी को उम्मीद थी कि भारत जोड़ो यात्रा से देश में क्रांति आ जाएगी और मोदी सरकार के खिलाफ एक लहर चल पड़ेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। राहुल गांधी मोदी सरकार से तंग आ चुके हैं, सरकार के निर्णयों से खुश नहीं हैं, उन्हें देश में डर लगता है, उन्हें देश में अपना भविष्य नहीं दिख रहा है। जब दुनियाभर के नेता भारत के लोकतंत्र को, भारत की अर्थव्यवस्था को, प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता की सराहना करते हैं तब राहुल गांधी को देश में लोकतंत्र खतरे में लगता है। उन्होंने ब्रिटेन में सांसदों को संबोधित करते हुए भारत में लोकतंत्र को ‘बचाने’ की अपील की है। सत्ता के लालच में विदेशी ताकतों के हाथों में खेल रहे राहुल गांधी विचार के स्तर पर इस कदर दरिद्र हो गए हैं कि अब वे अपने देश को ही नीचा दिखाने लगे हैं। क्या देश की जनता देश की संप्रभुता पर सवाल उठाने वाले को कभी माफ करेगी।
अंग्रेजों से सत्ता के लिए भीख मांगते राहुल गांधी
अंग्रेज चले गये इटालियन को छोड़ गये pic.twitter.com/c2LwYapTBM
— Arun Yadav 🇮🇳 (@beingarun28) March 9, 2023
मोदी-विरोध से भारत विरोध पर उतरे राहुल
राहुल गांधी को जब भारत जोड़ो यात्रा में सफलता नहीं मिली तो अब वह विदेश की धरती पर जाकर मोदी-विरोधी प्रचार कर रहे हैं। मोदी-विरोध करते-करते वे भारत विरोध भी उतर आए हैं जो कि काफी गंभीर बात है। राहुल गांधी को देश की सरकार या पीएम मोदी से चाहे कितनी भी घृणा, तथा नफरत क्यों ना हो, लेकिन उन्हें देश के बाहर जाकर देश की बुराई नहीं करनी चाहिए। राहुल को यह समझना चाहिए कि विदेश वाले उन्हें वोट देने नहीं आयेंगे। वोट तो उन्हें भारतवासी ही देंगे।
राहुल गांधी को ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ से है दिक्कत
राहुल गांधी की पार्टी 10 सालों से सत्ता से वनवास झेल रही है। कांग्रेस की 60 सालों से कमीशन खाने की आदत रही है। अब 10 सालों से इस पर ब्रेक लगा हुआ है। एनजीओ और अन्य माध्यमों (बैकडोर) से जो कमाई हो रही थी वो भी अब बंद हो चुकी है। पीएम मोदी ने साफ कहा है- न खाऊंगा न खाने दूंगा। यानी देश का पैसा विकास में लगेगा, कोई कमीशनबाजी नहीं। कांग्रेस सरकार 60 सालों से देश के विकास कार्यों में लगने वाले पैसे को तो लूट ही रही थी साथ ही रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी, चीन और अमेरिका के कई संगठनों से दबे-छिपे रूप में एनजीओ के लिए या किसी और माध्यम से पैसे लेती रही है। दिलचस्प यह है कि कांग्रेस वर्षों से विदेशी संगठनों से मिलने वाले फंड सीधा स्विस बैंकों में लेती रही। जिसकी वजह से देश में उसकी जांच भी नहीं हो सकती।
घर का भेदी लंका ढाए, राहुल गांधी बन गए जयचंद
राहुल गांधी जयचंद बन गए हैं, जो अपने देश के विरुद्ध दूसरे देश में बयान दे रहे हैं। उनके इस बयान की वजह से पाकिस्तान और अन्य भारत विरोधी देश को भारत के विरुद्ध बोलने का मौका मिल जाएगा। देश के लोग राहुल गांधी और उसके भारत विरोधी विचारों की हकीकत जानते हैं, विदेशियों को तो सिर्फ भारत के खिलाफ ही सुनना होता है। राहुल गांधी विदेशी धरती पर जाकर जिस तरह देश विरोधी अमर्यादित भाषा बोल रहे हैं इसे अगर देशद्रोह की संज्ञा दी जाए तो अनुचित नहीं होगा। राहुल गांधी ने कैंब्रिज में देश विरोधी भाषण देकर सिद्ध कर दिया है कि कांग्रेस को चीन से पैसा मिलता है और पकिस्तान से मुस्लिम वोट का भरोसा है।
राहुल विदेश जाते ही भूल जाते हैं सारी मर्यादा
राहुल गांधी जब विदेश जाते है तो पता नहीं उन्हें क्या हो जाता है? वे सारी मर्यादा, सारी शालीनता, लोकतांत्रिक शर्म… सब भूल जाते हैं। अब जब देश की जनता न उनको सुनती है… न समझती है तो विदेश में जाकर विलाप करते हैं कि भारत का लोकतंत्र खतरे में हैं। राहुल गांधी ने लंदन में अपने भाषणों में भारत के लोकतंत्र, संसद, राजनीतिक व्यवस्था और भारत की जनता समेत न्याय व्यवस्था और सामरिक सुरक्षा सभी का अपमान किया है। राहुल गांधी ने कहा कि यूरोप और अमेरिका को भारत में लोकतंत्र बचाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। सरकार किसी की भी हो क्या भारतवासी किसी विदेशी ताकत के भारत में आंतरिक हस्तक्षेप को स्वीकार कर सकते हैं? कोई देशवासी इसे स्वीकार नहीं करेगा। यहीं राहुल गांधी मात खा जाते हैं वे ऐसा बयान दे रहे हैं जो देसवासियों को पसंद नहीं।
ब्रिटिश सांसदों से भारत में लोकतंत्र ‘बचाने’ की अपील, देश की संप्रभुता को कमजोर करने का षडयंत्र
इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेता राहुल गांधी ब्रिटिश धरती पर जाकर भारत के आंतरिक मुद्दों पर बात करते हुए विदेशी दखल की बात करते हैं। वह ऐसा पहली बार नहीं कर रहे हैं- इससे पहले उन्होंने निकोलस बर्न और अमेरिका के हस्तक्षेप की मांग की थी। और हम सभी को याद है कि कैसे कांग्रेस ने हाल ही में जॉर्ज सोरोस के बयान को लेकर हाय-तौबा मचाया था जबकि सोरोस राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ डालर देने का ऐलान कर चुका है। यह एक बार नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता को कमजोर करने का एक सुनियोजित पैटर्न है। इससे यह भी साबित होता है कि राहुल विदेशी ताकतों के इशारों पर खेल रहे हैं।
राहुल गांधी को जेलेंस्की बनाना चाहता है डीप स्टेट!
राहुल गांधी हाल के समय में चीन का जिक्र बार-बार करते हैं। चीन भारत में घुसपैठ कर रहा है। चीनी सैनिक भारतीय जवानों को पीटते हैं। चीन में काफी सद्भावना है। इस तरह के न जाने कितने ही बयान हैं। लेकिन हाल में ब्रिटेन के दौरे के दौरान उनके जुबान से वह बात भी निकल गई जिसका उन्हें सब्जबाग दिखाया गया था। उन्होंने कहा- जैसा रूस ने यूक्रेन में किया, वही भारत के खिलाफ दोहरा सकता है चीन। पश्चिमी देशों के डीप स्टेट (दुनिया को अपने हिसाब से चलाने वाले) ने मई 2022 में राहुल गांधी के मेकओवर और पीएम उम्मीदवार बनाने की पटकथा तैयार की थी। उस वक्त राहुल भी ब्रिटेन के दौरे पर थे। उसी वक्त यह तय हुआ था कि जिस तरह यूक्रेन में आंदोलन खड़ा कर जेलेंस्की को प्रधानमंत्री बनाया गया उसी तरह 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ आंदोलन खड़ा कर राहुल की ताजपोशी करवाई जाएगी।
डीप स्टेट के प्लान के मुताबिक बयान दे रहे हैं राहुल गांधी
राहुल के मेकओवर की पटकथा की कहानी भारत जोड़ो यात्रा से शुरू होती है। इसके बाद पटकथा के मुताबिक पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, अडानी समूह को बदनाम करने के लिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट और ANI, RSS जैसी संस्थाओं पर हमले किए जा रहे हैं। फिर रामचरितमानस विवाद के जरिये हिंदू धर्म को बदनाम करना और खालिस्तान मुद्दे को हवा देकर देश को आंदोलन की आग में झोंकने की साजिश रची जा रही है। यह कोई संयोग नहीं है कि खालिस्तान के नए झंडाबरदार अमृतपाल सिंह जो बात कहता है वही राहुल गांधी भी कहते हैं। RSS के खिलाफ एक तरफ कनाडा में रिपोर्ट तैयार होती है उसे आतंकवादी संगठन करार दिया जाता है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी लंदन में RSS के खिलाफ जहर उगलते हैं। RSS को लेकर उनसे प्लांटेड सवाल किए जाते हैं।
It is the duty of every Indian, everywhere in the world, to speak up for India’s core values and protect our beloved democracy. pic.twitter.com/MQQweHkch4
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 7, 2023
RSS को लेकर मालिनी ने राहुल से पूछे पहले तय सवाल
राहुल गांधी का लंदन में पाकिस्तानी कमल मुनीर का साथ, RSS को लेकर पहले तय सवाल पूछे जाने का मतलब क्या है। हाल में लंदन के चैथम हाउस में हुई राहुल गांधी की बातचीत के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। वायरल होने के कारण अलग अलग है। लेकिन एक वीडियो की सबसे अधिक चर्चा है। इसे राहुल गांधी ने भी शेयर किया है। एक महिला मालिनी मेहरा राहुल गांधी से पूछ रही हैं, “मैं अपने देश की स्थिति के बारे में बहुत दुखी महसूस कर रही हूं। मेरे पिता RSS में थे और उन्हें इस पर गर्व था लेकिन अब वह इस देश को नहीं पहचान पाते हैं। हम अपने देश को कैसे सशक्त बना सकते हैं?“
मालिनी मेहरा के NGO को यूरोपियन यूनियन करती है फंडिंग
मालिनी कोई आम भारतीय नहीं हैं, उनकी बायोग्राफी के अनुसार उन्होंने दुनिया भर के अनेक संस्थानों और NGO में बतौर सलाहकार एवं विभिन्न भूमिकाओं में काम किया है। वर्ष 2017 के बाद से मालिनी ने लंदन के मेयर सादिक खान के आयुक्त के रूप में काम किया है। वे कई वर्षों से लंदन में ही रहती हैं। मालिनी मेहरा ने भारत से जुड़ाव दिखाने हेतु सेंटर फॉर सोशल मार्केट्स नामक संस्था का गठन किया। सेंटर फॉर सोशल मार्केट्स की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यह एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी संगठन है जो पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक रूप से और टिकाऊ समाज बनाने के लिए काम करता है। इस संगठन का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इसको यूरोपियन यूनियन फंडिंग करती है।
मालिनी के NGO को फेयरट्रेड से पैसे मिले, फेयरट्रेड जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन का साझेदार
मालिनी मेहरा के एनजीओ सीएसएम को यूरोपियन यूनियन से संचालित होने वाले संगठन फेयरट्रेड से भी करोड़ों रुपये मिले। यह वही फेयरट्रेड संगठन है जो जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के साथ भी साझेदार हैं।
सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ डॉलर देने का किया ऐलान
सोरोस ने साल 2020 में वैश्विक विश्वविद्यालय की शुरूआत करने के लिए 100 करोड़ डॉलर देने की बात कही थी। उसने कहा था कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना ‘राष्ट्रवादियों से लड़ने’ के लिए की जाएगी। सोरोस ने ‘अधिनायकवादी सरकारों’ और जलवायु परिवर्तन को अस्तित्व के लिए खतरा बताया था। सोरोस ने कहा था कि राष्ट्रवाद अब बहुत आगे निकल गया है। सबसे बड़ा और सबसे भयावह झटका भारत को लगा है, क्योंकि वहां लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नरेंद्र मोदी भारत को एक हिन्दू राष्ट्रवादी देश बना रहे हैं।
मालिनी मेहरा के पिता की मृत्यु 2011 में हो चुकी
मालिनी मेहरा कहती हैं कि “उनके पिता RSS में थे और उन्हें देश पर गर्व था लेकिन अब वह इस देश को नहीं पहचान पाते हैं”। सच्चाई यह है कि उनके पिता अब जीवित ही नहीं हैं। मालिनी मेहरा बनाम दिल्ली सरकार केस में जानकारी मिलती है कि मालिनी मेहरा के पिता की 2 मार्च 2011 को ही मृत्यु हो गई थी। उनका RSS से जुड़े होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का एक सबसे बड़ा संगठन है इसलिए इतने बड़े संगठन में किसी विशेष व्यक्ति का जुड़ना या ना जुड़ना उल्लेखित रहता भी नहीं है।
मालिनी 20 साल पहले पिता से हो चुकी अलग
जो मालिनी मेहरा अपने पिताजी को आगे रखकर राहुल गांधी के एजेंडा को साधने में उनकी मदद कर रही हैं वह वर्ष 2003 से ही अपने पिता के खिलाफ ही रही हैं। ‘द गार्जियन’ के अनुसार एक विवाद के बाद वह अपने पिता माधव मेहरा की निंदा करती हैं और कहती हैं कि उनका तो इतिहास ही गुमराह करने वाला एवं भ्रामक रहा है और वह ऐसी स्थिति में नहीं है कि किसी को ईमानदारी या शासन के बारे में व्याख्यान दे सकें। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो बेटी वर्ष 2003 में ही अपने पिता को स्वयं से अलग कर चुकी हो। आज 20 वर्ष बाद उन्हें याद करने की जरूरत क्यों पड़ गई?
ISI, Soros & Congress
Rahul Gandhi sharing stage with Kamal Munir (Pakistani professor) while attacking Indian democracy & institutions.
Cambridge Lecture= ISI job. Shameless @INCIndia @RDXThinksThat @majorgauravarya @arifaajakia @UnSubtleDesi @thebritishhindu @Shehzad_Ind pic.twitter.com/vv2oKnXWrq
— REACH 🇮🇳 (UK) Chapter (@reachind_uk) March 6, 2023
राहुल ने लंदन में पाकिस्तानी प्रोफेसर कमल मुनीर के साथ मंच साझा किया
लंदन में भारतीय लोकतंत्र और संस्थानों पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने पाकिस्तानी प्रोफेसर कमल मुनीर के साथ मंच साझा किया। राहुल गांधी का परिचय पाकिस्तान में जन्मे कमल मुनीर ने एमबीए दर्शकों से कराया। कमाल मुनीर को पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले राजकीय सम्मान तमगा-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया गया है। मुनीर का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संपर्क है। इससे आप समझ सकते हैं कि डीप स्टेट भारत को तबाह करने के लिए किस स्तर पर काम कर रहा है। एक तरफ राहुल गांधी को खड़ा किया गया, लेफ्ट लिबरल गैंग प्रोपेगेंडा फैलाने में जुट जाती है। आईएसआई नेटवर्क के जरिये खालिस्तान मुद्दे को जिंदा किया गया जिससे देश में उथल-पुथल मचे।
अब तक 17 बार इस वीडियो को देख चुका हूँ। सवाल विदेश नीति पर था पर राहुल गांधी ने जवाब में Rural/Urban/Violence/Prosperity आदि की बातें छेड़ दीं।
आख़िर राहुल गांधी कहना क्या चाह रहे थे?
क्या पता कोई ऐसी गंभीर और गूढ़ बात वे बताना चाह रहे हों, जिस पर अब तक किसी का ध्यान न गया हो!! pic.twitter.com/AfuaS2dJgP— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) March 10, 2023
सवाल विदेश नीति पर, राहुल का जवाब- रूरल, अर्बन, हिंसा!
राहुल गांधी पीएम उम्मीदवार बनने के लिए ताल ठोक रहे हैं और विदेशी ताकतें भी उन्हें ही पीएम बनना चाहती है। लेकिन विदेश नीति पर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने रूरल, अर्बन, हिंसा, खुशहाली और न जानें कौन-कौन सी बातें छेड़ दी। आख़िर राहुल गांधी कहना क्या चाह रहे थे? ये साफ ही नहीं हो पाया। क्या पता कोई ऐसी गंभीर और गूढ़ बात वे बताना चाह रहे हों, जिस पर अब तक किसी का ध्यान न गया हो!! आखिर ऐसे शख्स को भारत पीएम कैसे बना सकता है जिसके पास विदेश नीति का कोई विजन ही नहीं है।
राहुल ने कहा- भारत के साथ भी रूस-यूक्रेन जैसा हो रहा
लंदन में ब्रिटिश सांसदों को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि रूस ने यूक्रेन से कहा कि हम यूरोप और अमेरिका के साथ आपके जो संबंध हैं उन्हें स्वीकार नहीं करते। यदि आप इन संबंधों को नहीं बदलेंगे तो हम आपकी क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देंगे। राहुल ने कहा कि हमारे भारत की सीमाओं पर भी यही हो रहा है। चीन यह बिल्कुल नहीं चाहता कि हम अमेरिका से संबंध बनाएं। वह हमें धमकी दे रहा है कि अगर आपने अमेरिका से संबंध जारी रखे तो हम कार्रवाई करेंगे। गांधी ने आगे कहा कि यही कारण है कि आज चीन ने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के पास अपनी सेना तैनात कर रखी है। राहुल गांधी ने कहा कि चीन हमारे 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करके बैठा है। पीएम मोदी ने विपक्ष के हमारे नेताओं से कहा कि चीन भारत की एक इंच जमीन भी नहीं ले सकता।
डीप स्टेट भारत की तरक्की से खुश नहीं
डीप स्टेट भारत की तरक्की से खुश नहीं है और वह चाहता कि किसी तरह से भारत को कमजोर किया जाए। इसीलिए उसने प्यादे के रूप में राहुल गांधी को चुना है। राहुल गांधी इसके लिए योग्य उम्मीदवार हैं। उनके पास अपना कोई विजन नहीं है। डीप स्टेट जैसा कहेगा वो वैसा ही करते जाएंगे। जैसा कि यूक्रेन में हो रहा है। कुल मिलाकर डीप स्टेट चाहता है कि पश्चिमी देशों को चुनौती देने वाली दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भारत और चीन के बीच रूस-यूक्रेन की तरह युद्ध छिड़ जाए जिससे ये दोनों देश कमजोर हो जाएं। और राहुल गांधी लालचवश में उनके एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्हें इस बात से तनिक भी दुख नहीं है कि इससे देश का क्या होगा।
पीएम मोदी के सामने बेवश पश्चिमी देश और अमेरिका बौखलाया
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और पश्चिमी देश अपना हित साधने के लिए सरकार भी खरीद लेती थी और तमाम तरह की साजिश रचने में सफल हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 90 के दशक में हुए इसरो जासूसी कांड है। उस वक्त भारतीय वैज्ञानिक नंबी नारायण के नेतृत्व में भारत लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन बनाने में सफल होने के करीब पहुंच गया था लेकिन CIA ने कांग्रेस सरकार और नेताओं को खरीद कर नंबी नारायण को जेल में डलवा दिया और भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 20-30 साल पीछे चला गया। इसरो जासूसी कांड में जब नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था तो उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि नंबी नारायण की अवैध गिरफ्तारी में केरल सरकार के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी शामिल थे। हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा कि नंबी नारायण की गिरफ्तारी संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी।
विदेशी ताकतें भारत में चाहती है कमजोर और गठबंधन सरकार
विदेशी ताकतें और जार्ज सोरोस जैसे लोग भारत में एक कमजोर और गठबंधन सरकार को पसंद करते हैं, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उसे चला सकें। एक स्थिर, पूर्ण बहुमत वाली सरकार से वे डरते हैं और इसीलिए उसे हटाना चाहते हैं। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि राहुल गांधी 2022 में जब ब्रिटेन में थे उसी समय सोरोस भी ब्रिटेन में था। यह डीपस्टेट का षड़यंत्र है जिसमें कांग्रेस सहित लेफ्ट लिबरल मिले हुए हैं।
देश ने मोदी को दिल में बसाया, 2024 में विदेशी ताकतों का सपना होगा चकनाचूर
जिस तरह 2014 के बाद से भारत विकास के पथ पर अग्रसर है उसे देखते हुए देशवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल में बसाया है। इसकी झांकी पीएम मोदी के रोड शो में साफ देखने को मिलती है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं भारतीय मतदाताओं को प्रभावित करने वाले ये विदेशी ताकतें और जार्ज सोरोस कौन होता है। भारतीय मतदाता निश्चित रूप से 2024 में मोदी जी को फिर से वापस लाएगा! 2024 में सोरोस और विदेशी ताकतों का सपना चकनाचूर होगा। देशों में शासन परिवर्तन के उसके मंसूबे का अंत भारत में होगा। भारत में ऐसा कुछ करने की कोशिश करना मुश्किल है। अब देश ने मोदी को दिल में बसा लिया है।