भारत के गांवों में अब गरीबी की जगह आत्मनिर्भरता ने ले ली है। गांवों में आज आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखी जा रही है और यह बदलाव लेकर आई है भारत सरकार की प्रमुख गरीबी उन्मूलन योजना- दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)। यह ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी पहल है। यह कार्यक्रम गरीब परिवारों को लाभकारी स्व-रोजगार और कुशल वेतन आधारित रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। इसका मकसद है कि गांवों के गरीब परिवारों, विशेषकर महिलाओं को, स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से सशक्त बनाया जाए ताकि वे गरीबी की रेखा से ऊपर उठकर सम्मानजनक जीवन जी सकें।
केंद्र और राज्य सरकारों के साझा सहयोग से चलने वाली यह योजना आज दुनिया के सबसे बड़े गरीबी उन्मूलन अभियानों में से एक है। मिशन चार स्तंभों पर आधारित है- महिलाओं की सामुदायिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण, वित्तीय समावेशन, स्थायी आजीविका और सामाजिक विकास व अधिकारों तक पहुंच।
डीएवाई-एनआरएलएम ने 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में 10.05 करोड़ ग्रामीण महिला परिवारों को 90.90 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित किया है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को इस मिशन के अंतर्गत अब तक 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कोलेटेरल-फ्री ऋण प्रदान किया जा चुका है। इसमें बैंक सखियों और बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखियों ने अहम भूमिका निभाई है, जिन्होंने SHG और बैंकिंग संस्थानों के बीच सेतु का काम किया। इस ऋण का पुनर्भुगतान दर 98 प्रतिशत से अधिक है, जो इन कार्यक्रमों की सफलता और महिलाओं की जिम्मेदारी दोनों को दर्शाता है।
आजीविका के मोर्चे पर भी DAY-NRLM ने क्रांति ला दी है। मिशन के अंतर्गत 4.62 करोड़ महिलाएं किसान के रूप में सक्रिय हैं और 3.5 लाख कृषि सखियां व पशु सखियां गांव-गांव में तकनीकी सलाह और सहयोग दे रही हैं। 6,000 एकीकृत कृषि क्लस्टर और 1.95 लाख उत्पादक समूह तैयार किए जा चुके हैं जिनसे 50 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं को लाभ हुआ है। गैर-कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP) के तहत 3.74 लाख सूक्ष्म उद्यमों को सहायता दी गई है, जिनमें हस्तशिल्प और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्र प्रमुख हैं।
राज्यों के प्रदर्शन की बात करें तो बिहार, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश सबसे आगे हैं, जहां स्वयं सहायता समूहों की संख्या सबसे अधिक है। वित्तीय सहायता के मामले में उत्तर प्रदेश ने 1,23,326 लाख रुपये और बिहार 1,05,132 लाख रुपये की पूंजीकरण सहायता देकर अपने लक्ष्य से बेहतर प्रदर्शन किया है। बैंक ऋण वितरण में आंध्र प्रदेश 34,83,725 लाख रुपये के साथ अग्रणी राज्य है। कृषि गतिविधियों में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश महिला किसानों की भागीदारी में शीर्ष पर हैं, जबकि गैर-कृषि उद्यमों को बढ़ावा देने में असम, केरल और पश्चिम बंगाल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
ग्रामीण युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के उद्देश्य से DAY-NRLM के तहत दो विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं — दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI)। DDU-GKY के तहत 15–35 वर्ष के ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके अंतर्गत अब तक 17.50 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया और 11.48 लाख को नौकरी मिली है। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, ओडिशा और आंध्र प्रदेश शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। वहीं RSETI कार्यक्रम के अंतर्गत 18–50 वर्ष के युवाओं को उद्यमिता का प्रशिक्षण दिया जाता है। अब तक 56.69 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है और 40.99 लाख युवाओं को बसाया गया है। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक प्रमुख राज्य हैं।
महिलाओं को विपणन और उत्पाद बिक्री के कौशल सिखाने के लिए हर साल राष्ट्रीय सरस आजीविका मेला आयोजित किया जाता है। नवीनतम मेला 5 से 22 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जिसमें देशभर से हजारों महिला उद्यमियों ने भाग लिया। इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (NIRD&PR) द्वारा मार्केटिंग और ब्रांडिंग स्किल्स पर विशेष प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में इसने 44 प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
कुल मिलाकर, दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) ने ग्रामीण भारत में एक गहरी सामाजिक और आर्थिक क्रांति को जन्म दिया है। इसने न केवल गरीबी उन्मूलन को नई दिशा दी है बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाया है। आज लाखों महिलाएं बैंक सखी, कृषि सखी, उद्यमी और “लखपति दीदी” बनकर अपने गांव की पहचान बन चुकी हैं। यह मिशन वास्तव में “अंत्योदय” के उस विचार को साकार कर रहा है जिसमें विकास का हर लाभ समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे — यही है नया, सशक्त और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत का चेहरा।