प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी की पहली लहर का मुकाबला किया उससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सराहना हुई। कोरोना के खिलाफ जंग में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू करके और वैक्सीन डिप्लोमेसी के जरिए मोदी सरकार ने विकसित देशों के मुकाबले बढ़त हासिल कर ली। इससे परेशान मोदी विरोधियों ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सरकार और देश की छवि धुमिल करने की कोशिश की। इसका खुलासा भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) द्वारा किए गए एक सर्वे से हुआ है। सर्वे के मुताबिक 82 प्रतिशत भारतीय मीडियाकर्मियों की राय में पश्चिमी मीडिया ने भारत में कोरोना महामारी की कवरेज में पक्षपात किया।
According to a survey conducted by the Indian Institute of Mass Communication (#IIMC), 82% media persons believe that the coverage of #COVID19 pandemic in India by a section of the #WesternMedia is ‘biased’.#IIMC_News #SurveyReport #Covid19NewsCoverage @ProfSanjay_IIMC pic.twitter.com/ZqxmnU1IAL
— Indian Institute of Mass Communication (@IIMC_India) July 17, 2021
IIMC के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी के मुताबिक संस्थान के आउटरीच विभाग ने जून 2021 में यह सर्वेक्षण किया, जिसमें में देश भर से कुल 529 पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों और मीडिया स्कॉलर्स ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत मीडियाकर्मियों का मानना है कि पश्चिमी मीडिया द्वारा की गई कवरेज एक पूर्व निर्धारित एजेंडे के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को खराब करने के लिए की गई। अध्ययन के तहत जब भारत में कोविड महामारी के दौरान पश्चिमी मीडिया की कवरेज पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो 71 प्रतिशत लोगों का मानना था कि पश्चिमी मीडिया की कवरेज में संतुलन का अभाव था।
सर्वेक्षण में यह भी जानने की कोशिश की गई कि महामारी के दौरान पश्चिमी मीडिया में भारत के विरुद्ध यह नकारात्मक अभियान वास्तव में कब शुरू हुआ। इसके जवाब में 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह अभियान कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उस समय शुरू हुआ, जब भारत महामारी से लड़ने में व्यस्त था। वहीं 25 प्रतिशत मीडियाकर्मियों का मानना है कि यह पहली लहर के साथ ही शुरू हो गया था। 21 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भारत के खिलाफ नकारात्मक अभियान तब शुरू हुआ, जब भारत ने कोविड-19 रोधी वैक्सीन के टेस्टिंग की घोषणा की। 17 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह नकारात्मकता तब शुरू हुई, जब भारत ने ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’ शुरू की।
सर्वे से एक दिलचस्प और राहत देने वाली बात यह सामने आयी कि पश्चिमी मीडिया को भारत के लोगों का पूरा समर्थन नहीं मिला। करीब 63 प्रतिशत लोगों ने पश्चिमी मीडिया की नकारात्मक मुहिम से दूरी बनायी रखी और उनकी नकारात्मक खबरों को सोशल मीडिया पर साझा नहीं किया। जिस तरह पश्चिम मीडिया ने श्मशान घाटों की जलती चिताओं और ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ लोगों की तस्वीरें पेश की उनसे माहौल और भी खराब हो सकता था।
सर्वेक्षण में पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में महामारी की पक्षपातपूर्ण कवरेज के संभावित कारणों को जानने का भी प्रयास किया गया। 51 प्रतिशत लोगों ने इसका कारण अंतरराष्ट्रीय राजनीति को बताया, तो 47 प्रतिशत लोगों ने भारत की आंतरिक राजनीति को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। 34 प्रतिशत लोगों ने फार्मा कंपनियों के निजी स्वार्थ और 21 प्रतिशत लोगों ने एशिया की क्षेत्रीय राजनीति को इसका कारण बताया।