Home समाचार राजमाता के कदमों में दरबारी मीडिया, युवराज को बनाया श्रवण कुमार

राजमाता के कदमों में दरबारी मीडिया, युवराज को बनाया श्रवण कुमार

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राजमाता के प्रति निष्ठा साबित करने के लिए दरबारी मीडिया किसी भी हद तक जाने को तैयार है। उन्हें शब्दों की बाजीगरी दिखाने में महारत हासिल है। राजमाता और युवराज की शौर्य गाथा बताने और सुनाने के लिए नए-नए शब्दों का सृजन करते रहते हैं, वहीं राजमाता के विरोधियों और विपरीत विचार रखने वालों के खिलाफ भी एक एजेंडे के तहत ‘गोदी मीडिया’ जैसे नए-नए शब्द गढ़ते रहते हैं। उनका मकसद उन पत्रकारों को टार्गेट करना, जो उनकी तरह राजमाता और युवराज का गुणगान नहीं करते, उनके सुर में सुर नहीं मिलाते, और स्वतंत्र विचार रखते हैं। राजमाता और युवराज द्वारा उपकृत (एहसानमंद) ऐसे दरबारी पत्रकार नमक का हक अदा करने का कोई मौका नहीं चुकते हैं। कभी ‘वर्षा शौर्य’ सुनाते हुए नजर आते हैं, तो कभी युवराज को श्रवण कुमार बनाते नजर आते हैं।

दरसअल कांग्रेसियों की राजमाता सोनिया गांधी कर्नाटक के मांड्या जिले में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होकर करीब एक किलोमीटर तक चलीं। वह पहली बार इस यात्रा में शामिल हुईं। सोनिया गांधी जब राहुल गांधी के साथ पदयात्रा कर रही थीं, तभी बीच सड़क पर उनके जूतों के फीते खुल गए। इस दौरान राहुल गांधी बीच सड़कर पर अपनी मां सोनिया के जूतों के फीते बांधते नजर आए। इसके बाद फीते बांधते हुई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस तस्वीर को वायरल करने में पूरी दरबारी मीडिया लग गई। दरबारी पत्रकारों में निष्ठा साबित करने के लिए होड़ लग गई। आइए देखते हैं किस तरह दरबारी मीडिया राजमाता के कदमों में नतमस्तक नजर आईं। 

आइए देखते हैं इससे पहले किस तरह दरबारी पत्रकार युवराज के ‘वर्षा शौर्य’ का गुणगान करते नजर आए थे…

भारत ने 1947 में आजादी हासिल करने के बाद राजशाही को त्यागकर लोकशाही को अपनाया। लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके वारिसों ने लोकतंत्र को ढाल बनाकर राजशाही की स्थापना की। उनके राज में पत्रकारों को अनेक तरह की सुविधाएं दी गईं, ताकि वे राजा और उनके कार्यों का खूब बखान करें और उनकी गलतियों पर जनता को गुमराह करें। कुछ पत्रकारों ने कांग्रेस सरकार से मिली सुविधाओं की कीमत पर अपनी निष्ठा बेच दी और दरबारी पत्रकार बन गए। दरबारी पत्रकारोंं ने नेहरू-गांधी परिवार को इस तरह से पेश किया मानो वो ही इस देश का पालनहार है। नेहरू-गांधी परिवार का वारिस ही इस देश पर राज करने के लिए पैदा हुए हैं। लेकिन 2014 में केंद्र सरकार में बदलाव के साथ पत्रकारिता जगत में भी बदलाव आया। दरबारी पत्रकारों को सरकारी संरक्षण और सुविधाएं मिलाना बंद हो गया। इससे नाराज दरबारी पत्रकारों ने मोदी सरकार के खिलाफ एजेंडा चलाना शुरू किया। उन्होंने एक नया शब्द दिया ‘गोदी मीडिया’। जो मीडिया उनकी हां में हां नहीं मिलाती या उनका अनुसरण नहीं करती, उनसे विरोधी विचार रखती है तो उसे ‘गोदी मीडिया’ कहना शुरू किया। आज वहीं दरबारी पत्रकार युवराज की शान में कसीदें पढ़कर नमक का हक अदा कर रहे हैं। 

दरअसल रविवार (2 अक्टूबर, 2022) को कर्नाटक के मैसूर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बारिश के बीच जनसभा को संबोधित किया। युवराज ने बारिश में भीगकर भाषण क्या दिया, मानो उसने 2024 की बड़ी जंग जीत ली हो। युवराज का शौर्य देखकर वे काफी खुश नजर आ रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि युवराज के साथ ही उनके भी सुनहरे और अच्छे दिन फिर लौटने वाले हैं। दरबारी पत्रकारों ने अपनी खुशी को जाहिर करने और अपनी निष्ठा जताने के लिए ट्विटर पर चोंच मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनमें चोंच मारने की होड़ लग गई। देखते ही देखते चोंच मारने वाले दरबारी पत्रकारों की तादाद बढ़ती गई। बड़े और छोटे के साथ-साथ वरिष्ठ और कनिष्ठ ने अपनी-अपनी समझ के मुताबिक युवराज का माहौल बनाने के लिए अपने पत्रकारिता अनुभव का पूरा लाभ उठाया। आलम ये था कि कोई पत्रकार शायर बन गया, तो कोई मौसम वैज्ञानिक। यहां तक कि मनोवैज्ञानिक बनकर जनता की मनोदशा को भी अभिव्यक्त करने लगा। कोई-कोई दरबारी पत्रकार तो गुणगान करने में कांग्रेस के प्रवक्ताओं को भी पीछे छोड़ दिया।   

‘वर्षा शौर्य’ के बखान में शायर बने दरबारी पत्रकार  

मौसम वैज्ञानिक बने दरबारी पत्रकार

मनोवैज्ञानिक बने दरबारी पत्रकार

दरबारी पत्रकारों ने कांग्रेस प्रवक्ताओं को पीछे छोड़ा 

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