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पीएम मोदी की गिफ्ट डिप्लोमेसी से देश की कला को मिली विश्व में पहचान, जी-20 मेहमानों को भेंट किए अनोखे उपहार

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विदेशी मेहमानों को उपहार देने की परंपरा भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से रही है। लेकिन साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपहार देने की परंपरा के स्वरूप को बदल कर रख दिया। पिछले नौ साल में उन्होंने इसे गिफ्ट डिप्लोमेसी के रूप में स्थापित कर दिया है। चाहे वे विदेश दौरे पर जाएं या विदेशी मेहमान भारत आएं उन्होंने हमेशा ऐसी चीजें दी जो भारतीय संस्कृति और विरासत की पहचान रही है। पीएम मोदी गिफ्ट डिप्लोमेसी के जरिये देश के विभिन्न प्रांतों के उत्पादों को विश्व स्तर पर पहुंचा रहे हैं और इस तरह उन उत्पादों की ब्रांडिंग हो रही है। जी-20 सम्मलेन के दौरान आए विदेशी मेहमानों को भी पीएम मोदी की ओर से देश के विभिन्न हिस्सों की संस्कृति और विविधता दिखाने वाली चीजें बतौर गिफ्ट दी गईं। इससे देश की कला के साथ ही उत्पादों को दुनिया में पहचान मिली है।

जी-20 सम्मेलन में आए मेहमानों को दिए गए खास गिफ्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 में शामिल हुए राष्ट्राध्यक्षों और अपने देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को स्पेशल गिफ्ट्स भेंट किए। इन गिफ्ट में कश्मीर के केसर, दार्जिलिंग चाय, अराकू कॉफी, सुंदरवन शहद, डाक टिकट, सिक्के, हस्तनिर्मित कलाकृतियों, इत्र (परफ्यूम) के साथ-साथ खादी का दुपट्टा और रेशम के स्टोल शामिल हैं। ये सभी चीजें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं से दर्शाती है। इन्हें कुशल कारीगरों के हाथों से सावधानीपूर्वक बनाया गया था। कुछ उत्पाद हमारे देश की अनूठी जैव-विविधता का परिणाम हैं।

जी-20 सम्मेलन में आए मेहमानों को दिए गए गिफ्ट पर एक नजर-

रेड गोल्डः कश्मीरी केसर
वैश्विक नेताओं को जो विशेष उपहार हैंपर भेंट किए गए, उनमें रेड गोल्ड: कश्मीरी केसर भी शामिल है। केसर (फारसी में ‘ज़फ़रान’, हिंदी में ‘केसर’) दुनिया का सबसे विदेशी और महंगा मसाला है। संस्कृतियों और सभ्यताओं में, केसर को इसके अद्वितीय पाक और औषधीय मूल्य के लिए महत्व दिया गया है। एक शानदार और मांग वाला पाक मसाला होने के अलावा, केसर में एंटीऑक्सिडेंट भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

दार्जिलिंग और नीलगिरी चाय
जी-20 सम्मलेन में आए राष्ट्र प्रमुखों और अपने देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को विशेष उपहार के रूप में पेको दार्जिलिंग और नीलगिरी चाय भी दिया गया। पेको दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय भरत की चाय की विरासत के दो शानदार रत्न हैं, जो चाय की खेती और जलसेक की नाजुक कला के प्रतीक हैं। सोने से दोगुनी कीमत पर मिलती है 1 किलो ग्राम दार्जिलिंग चाय। यहां चाय बागान से तैयार सिल्वर टिप्स इंपिरियल की कीमत प्रति किलो 1850 डॉलर यानी 1.12 लाख रुपए है। इसी तरह से नीलगिरि चाय दक्षिण भारत की सबसे शानदार पर्वत श्रृंखला से आती है। 1000-3000 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ों के हरे-भरे इलाके के बीच इसकी खेती की जाती है।

कश्मीरी पश्मीना शॉल
विश्व नेताओं वैश्विक नेताओं को दिए गए उपहारों में कश्मीरी पश्मीना शॉल भी शामिल है। फारसी में ‘पश्म’ का अर्थ ऊन होता है। लेकिन कश्मीरी में, यह चांगथांगी बकरी (दुनिया की सबसे अनूठी कश्मीरी बकरी) के कच्चे अनस्पन ऊन को संदर्भित करता है। यह शॉल बेहद ख़ूबसूरत, मुलायम और बहुत गर्म भी होती है जिसकी वजह से इसे दुनियाभर में ख़ूब पसंद किया जाता है। पश्मीना शॉल की कीमत पंद्रह सौ रुपए से शुरू हो कर डेढ़ लाख रुपये तक होती है। पश्मीना शॉल की कीमत इस बात से तय होती है कि वो किस जानवर के बालों से बनायी गयी है, याक के बालों से बनी शॉल की कीमत काफी ज्यादा होती है।

अराकू कॉफी
जी-20 नेताओं को विशेष उपहार हैंपर के रूप में अराकू कॉफी भी प्रदान किया। अराकू कॉफी दुनिया की पहली टेरोइर-मैप्ड कॉफी है, जो आंध्र प्रदेश की अराकू घाटी में स्थित जैविक बागानों में उगाई जाती है। ये कॉफी बीन्स घाटी की समृद्ध मिट्टी और समशीतोष्ण जलवायु का सार धारण करते हैं। एक दुर्लभ सुगंधित प्रोफ़ाइल के साथ शुद्ध अरेबिका, अराकू कॉफी अपनी अनूठी बनावट और स्वादों की एक सिम्फनी के लिए जाना जाता है।

जिगराना इत्र
विदेशी मेहमानों को जिगराना इत्र भी भेंट किया गया। जिगराना इत्र उत्तर प्रदेश के कन्नौज शहर से आने वाली खुशबू की एक उत्कृष्ट कृति है। इत्र एक परफ्यूम है जो वानस्पतिक स्रोतों से प्राप्त होता है। यह उत्तम इत्र शिल्प की सदियों पुरानी परंपरा को दर्शाता है। इसे तैयार करने के लिए मास्टर कारीगर सुबह-सुबह चमेली और गुलाब जैसे दुर्लभ फूलों को इकट्ठा करते हैं, इस समय में उनकी सुगंध सबसे ज्यादा होती है। इसी से तैयार होती है जिगराना इत्र।

सुंदरवन मैंग्रोव शहद
जी-20 समिट के दौरान वैश्विक नेताओं को सुंदरवन मल्टीफ्लोरा मैंग्रोव शहद भी उपहार के तौर पर दिया गया। सुंदरवन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है, जो बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के संगम से बने डेल्टा पर स्थित है। यह मधुमक्खियों की जंगली कॉलोनियों का घर है। मधुमक्खी के छत्ते की खेती की संस्कृति से पहले, लोग जंगल से मधुकोश का शिकार करते थे। मधुमक्खी के छत्ते के शिकार की यह परंपरा अभी भी सुंदरवन के लोगों के बीच प्रचलित है।

शीशम की लकड़ी का संदूक
विदेशी मेहमानों को छोटे-छोटे ‘संदूक’ उपहार में दिए गए। परंपरागत रूप से यह ठोस पुरानी लकड़ी या धातु से बना एक मजबूत बक्सा होता है, जिसके शीर्ष पर एक ढक्कन होता है और हर तरफ अलंकरण होता है। उत्कृष्ट कारीगरी का प्रतीक होने के साथ-साथ यह भारतीय सांस्कृतिक और लोक कथाओं में एक विशेष स्थान रखता है। शीशम की लकड़ी से बने बक्से को पीतल की पट्टी से सजाया गया था। पीतल की पट्टी (पट्टी) को नाजुक ढंग से उकेरा और लकड़ी पर जड़ा जाता है, जिससे यह टुकड़ा दृश्य आनंद और स्पर्श संबंधी भव्यता की उत्कृष्ट कृति में बदल जाता है।

खादी दुपट्टा
जी-20 मेहमानों को खादी दुपट्टा भेंट किया गया। खादी एक पर्यावरण अनुकूल कपड़ा है जो हर मौसम में पसंद किया जाता है। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है। भारत के कारीगर जटिल धागों को हाथ से बुनते हैं और दुनियाभर में फैशन स्टेटमेंट बनाते हैं। खादी दशकों से टिकाऊ फैशन का प्रतीक रही है।

सिक्के और डाक टिकट
जी-20 मेहमानों को स्मारक डाक टिकट और सिक्के भी भेंट किए गए। भारत की जी-20 की अध्यक्षता के उपलक्ष्य में पीएम मोदी ने 26 जुलाई 2023 को डाक टिकट और सिक्के जारी किए थे जो कि भारत के जी-20 लोगो और थीम से प्रेरित थे। पहला जी-20 स्मारक डाक टिकट भारत की अध्यक्षता के तहत समावेशी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख परिणाम प्राप्त करने के लिए जी-20 सदस्यों की एकजुटता और सामूहिक इच्छा को प्रदर्शित करता है। गोल्डन कलर में जारी दूसरा स्मारक डाक टिकट भारत की विविधता, समावेशिता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। यह भारत के राष्ट्रीय पुष्प कमल से प्रेरणा लेता है। जैसा कि भारत के जी-20 प्रेसिडेंसी लोगो में दर्शाया गया है। इसके साथ ही भारत की जी-20 अध्यक्षता को चिन्हित करते हुए प्रधानमंत्री द्वारा 75 और 100 रुपये मूल्यवर्ग के दो जी-20 सिक्के जारी किए गए।

राष्ट्राध्यक्षों की जीवनसाथियों को अनोखे उपहार
भारत सरकार ने जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों की जीवनसाथियों को भी अनोखी उपहार दिए। इनमें बनारसी स्टोल, कश्मीरी पश्मीना शॉल, असम स्टोल, कांजीवरम स्टोल आदि शामिल रहे। अलग-अलग जगह के उत्पाद भेंट किए जाने से न केवल भारत की सांस्कृतिक समृद्धि दुनिया के सामने रखी गई बल्कि और इसकी बुनाई विरासत को दर्शाया गया है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की पत्नी को बनारसी स्टोल
जी-20 मेहमानों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की पत्नी को कदम लकड़ी के बक्से में बनारसी स्टोल भेंट किया गया। बनारसी रेशम के स्टोल भारत के सुरुचिपूर्ण खजाने हैं। इन्हें वाराणसी में हाथों से तैयार किया जाता है। इन्हें शानदार रेशम के धागों का जटिल पैटर्न बनाकर तैयार किया जाता है। ये शहर की सांस्कृतिक समृद्धि और इसकी बुनाई विरासत को दर्शाते हैं।

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति की पत्नी को बनारसी रेशम के स्टोल
जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए अर्जेंटीना के राष्ट्रपति की पत्नी को पीएम मोदी की ओर से उपहार के रूप में बनारसी रेशम के स्टोल दिए गए। वाराणसी में हस्त निर्मित शानदार रेशम के धागे से बने स्टोल वहां की सांस्कृतिक समृद्धि और इस की बुनाई विरासत को दर्शाते हैं। इसे चाहे कंधों पर लपेटा जाए या हेडस्कार्फ के रूप में पहना जाए यह स्टोल कालातीत आकर्षण दर्शाते हैं। स्टोल को आबनूस की लकड़ी के जाली बॉक्स में रख कर दिया गया जिसे केरल के कारीगरों द्वारा बेहद घने और महीन बनावट वाली भारतीय वनों की लकड़ी पर नाजुक जाली का उपयोग करके हस्त निर्मित किया गया।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की पत्नी को कश्मीरी पश्मीना स्टोल
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की पत्नी को कश्मीरी पश्मीना स्टोल भेंट की गई। कुशल कारीगर सदियों पुरानी प्रक्रियाओं का उपयोग करके इसे हाथ से बनाते हैं। बेहद हल्की पश्मीना स्टोल कड़ाके की ठंड में गर्मी का एहसास कराती है। सदियों से पशमीना राजशाही का प्रतीक रही है। इसे इंस्टॉल पेपर माचे बॉक्स में रख कर दिया गया। शिल्प कौशल की उत्कृष्ट कृति वाला यह बॉक्स कागज की लुगदी, चावल के भूसे, कॉपर सल्फेट के मिश्रण से बना है।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की पत्नी को असम स्टोल
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की पत्नी को असम स्टोल भेंट किए गए। असम स्टोल पूर्वोत्तर राज्य असम में बनाए जाने वाले पारंपरिक कपड़े हैं। इस स्टोल को मुगा रेशम का उपयोग करके कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है। यह स्टोल अपने जटिल डिजाइन के लिए जाने जाते हैं जो अक्सर क्षेत्र के प्राकृतिक परिवेश से प्रेरणा लेते हैं। यह स्टोल कदम लकड़ी के बक्से में भेंट किया गया। कदम की लकड़ी को भारतीय संस्कृति में शुभ माना जाता है। भारतीय धर्म और पौराणिक कथाओं में इसकी विशेषता है। इस बॉक्स को कर्नाटक के कारीगरों द्वारा हस्तनिर्मित किया गया।

जापान के प्रधानमंत्री की पत्नी को कांजीवरम स्टोल
जापान के प्रधानमंत्री की पत्नी को कदम लकड़ी के जाली बॉक्स में कांजीवरम स्टोल भेंट किया गया। कांजीवरम समृद्ध और जीवंत रंगो, जटिल डिजाइनों और अद्वितीय शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध है। कांजीवरम का नाम दक्षिण भारत के एक छोटे से गांव तमिलनाडु के कांचीपुरम से लिया गया है, जहां से इस शिल्प की उत्पत्ति हुई थी। कांजीवरम में स्टोल शुद्ध शहतूत रेशम के धागों से कुशल बुनकरों द्वारा हस्तनिर्मित किया जाता है, जिन्हें यह परंपरा और तकनीक अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है। यह बहुत टिकाऊ और मजबूत कपड़ा है। यह स्टोल कदम लकड़ी के जाली बॉक्स में दिया गया। इस बॉक्स को केरल के कारीगरों ने हस्तनिर्मित किया।

ब्राजील के राष्ट्रपति की पत्नी को कश्मीरी पश्मीना स्टोल
पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा की पत्नी को कश्मीरी पश्मीना स्टोल गिफ्ट के तौर पर दिया। इस स्टोल को पेपर माचे बॉक्स में रखा गया था।

मॉरिशस के प्रधानमंत्री की पत्नी को इक्कत स्टोल
पीएम मोदी ने मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ की पत्नी को ओडिशा की पारंपरिक शहतूत रेशम से बने इक्कत स्टोल भेंट किया गया। इक्कत स्टॉल को ओडिशा के कारीगरों द्वारा रेशम से बनाया जाता है। स्टोल को सागौन की लकड़ी के बक्से में रखा गया था। इसे गुजरात के कारीगरों ने हाथ से तैयार किया था।

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