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अरब जगत ने भारत के कन्वर्टेड मुस्लिमों को दिखाया आईना, कहा- फिलिस्तीन की चिंता तो गाजा का टिकट कटाएं, वहां लोगों को बचाएं

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इजराइल-हमास जंग के बीच भारतीय मुसलमानों की निष्ठा की भी परीक्षा हो रही है। उनके लिए देश सबसे पहले है या मजहब इसे भी लोग देख रहे हैं। हमास ने इजरायल पर आतंकवादी हमला किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए इजरायल के प्रति संवेदना जाहिर की और समर्थन जताया। भारत के इस फैसले के समर्थन में पूरा देश एकजुट हुआ। लेकिन मुसलमान समुदाय के कुछ संगठनों एवं समूहों ने आतंकवादी संगठन हमास का साथ देते हुए फिलिस्तीन के समर्थन में रैलियां निकाली, प्रदर्शन किए और मजहबी नारेबाजी की। मुसलमानों ने मजहबी जुनून में हमास का साथ देने का फैसला तो कर लिया लेकिन अरब के मुसलमानों को उनके समर्थन की दरकार ही नहीं है। अरब जगत ने भारत के कन्वर्टेड मुस्लिम से कहा कि अरब मुद्दों में हस्तक्षेप बंद कर दें। अगर उनको गाजा पट्टी के लोगों की चिंता है तो गाजा का टिकट कटाएं और वहां जाकर लोगों को बचाएं।

अरब देश ने भारतीय मुसलमानों को दिखाया आईना
दिलचस्प बात यह है कि अरब देश न तो फ़िलिस्तीन का समर्थन कर रहे और ना उनके यहां कोई प्रदर्शन हो रहा है पर भारत में लोग फ़िलिस्तीन के समर्थन में है। अरब जगत ने एक नहीं कई बार साफ किया है कि जो कन्वर्टेड होते हैं वो रियल से ज़्यादा ख़ुद को मुस्लिम दिखाना चाहते हैं, यही भारत के मुस्लिमों का हाल है। इसी वजह से अरब देश कतर के अमीर ने बुरी तरह लताड़ लगाई है। कतर के अमीर ने कहा- भारतीय मुसलमानों को अरब मुद्दों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए। हमें कन्वर्टेड मुसलमानों से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। यदि वे गाजा के लोगों के बारे में इतने चिंतित हैं, तो उन्हें अपनी उड़ानें बुक करनी चाहिए और गाजा के लोगों को बचाना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों ने अरब दुनिया पर गाजा के लिए बहुत कुछ नहीं करने का आरोप लगाया।

हमास ने जब हमला किया तब भारतीय मुसलमान चुप थे
फिलिस्तीन के एक हिस्से गाजा पट्टी पर नियंत्रण रखने वाले आतंकवादी संगठन हमास ने इजरायल पर 7 अक्टूबर 2023 को हमला कर दिया था। हमास और इजरायल के बीच चल रही जंग को 9 दिन का समय बीत चुका है, लेकिन अब भी ये जंग रुकने का नाम नहीं ले रही है। इजरायल ने 40 किलोमीटर लंबे और 10 किलोमीटर चौड़े गाजा पट्टी से आतंक का सफाया करने का प्रण लिया है। हमास ने इजरायल पर हमला कर 1300 से ज्यादा यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया। महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, उन्हें निर्वस्त्र कर उनकी परेड निकाली गई और इस दौरान अल्लाहू अकबर के नारे लगाए गए। मासूम बच्चों की गला काटकर बर्बरता से हत्या कर दी गई। उस वक्त भारत के मुसलमान मौन थे। उन्होंने इस कृत्य की निंदा तक नहीं की।

इजराइल ने जवाबी कार्रवाई की तो बताया उत्पीड़क देश
अब इजराइल ने जब जवाबी कार्रवाई की है तो हमास के समर्थन में भारत के कुछ कट्टरपंथी मुसलमान और लेफ्ट लिबरल खड़े हो गए। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के कुछ ग्रुप लगातार फिलिस्तीन का समर्थन कर रहे हैं। फिलिस्तीन समर्थक ये लोग इजराइल को एक ‘उत्पीड़क’ देश बता रहे और फिलिस्तीन के पक्ष में उतर आए। तमाम बर्बरता के बाद भी उन्हें हमास आतंकवादी संगठन नहीं लगता। अब फिलिस्तीन का समर्थन देश के कई शहरों तक फैल गया है। ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे के बीच आतंक का समर्थन करने वाले इन लोगों की पहचान की जानी चाहिए।

हिन्दू धर्म बहुत पुराना, भारत में अधिकतर मुसलमान पहले हिंदू थे: गुलाम नबी आजाद
अरब जगत भारतीय मुसलमानों को कन्वर्टेड और दोयम दर्जे का मुसलमान ही मानता रहा है। कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने 17 अगस्त 2023 को कहा कि अधिकतर भारतीय मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए हैं, जिसका एक उदाहरण कश्मीर घाटी में देखा जा सकता है जहां अधिकांश कश्मीरी पंडितों ने इस्लाम धर्म अपना लिया। आजाद ने कहा कि धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ लेने के लिए नहीं किया जाना चाहिए और जो कोई भी राजनीति में धर्म की शरण लेता है वह कमजोर है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में एक सभा में कहा, ” भाजपा के कुछ नेताओं ने कहा कि कुछ मुसलमान बाहर से आए हैं और कुछ नहीं। कोई भी बाहर या अंदर से नहीं आया है। इस्लाम धर्म केवल 1,500 साल पहले अस्तित्व में आया। हिन्दू धर्म बहुत पुराना है। उनमें से लगभग 10-20 मुसलमान बाहर से आए होंगे, जिनमें से कुछ मुगल सेना में भी थे।”

कश्मीर में 600 साल पहले सभी कश्मीरी पंडित थे
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भारत में अन्य सभी मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हो गए। इसका उदाहरण कश्मीर में देखने को मिलता है। 600 साल पहले कश्मीर में मुसलमान कौन थे? सभी कश्मीरी पंडित थे। वे इस्लाम में परिवर्तित हो गये. सभी हिंदू धर्म में पैदा हुए हैं।

हमास के समर्थन में एएमयू, जेएनयू, जामिया विश्वविद्यालय के साथ ही देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन किए गए। इस पर एक नजर-

एएमयू, जेएनयू, जामिया सहित कई शहरों में हमास आतंकी का समर्थन
हमास ने इजरायल पर क्रूरतापूर्वक हमला किया इसके बावजूद भारत के कुछ कट्टरपंथी मुसलमान और लेफ्ट लिबरल इनके समर्थन खड़े हो गए। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के कुछ ग्रुप ने फिलिस्तीन का समर्थन किया। इसके साथ ही देश के कई शहरों में फिलिस्तीन समर्थक ये लोग इजराइल को एक ‘उत्पीड़क’ देश बता रहे और फिलिस्तीन के पक्ष में उतर आए। तमाम बर्बरता के बाद भी उन्हें हमास आतंकवादी संगठन नहीं लगता। ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे के बीच आतंक का समर्थन करने वाले इन लोगों की पहचान की जानी चाहिए।

हमास समर्थक देश के साथ या मजहब के साथ
केंद्र सरकार ने इजराइल पर हुए हमास के हमले की कड़ी निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान जारी कर आतंकी हमले की निंदा की थी और इजराइल के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया था। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि ये देश के साथ हैं या मजहब के साथ हैं। इतिहास पर नजर डालें तो फिलिस्तीन ने कश्मीर मुद्दे पर कभी भी भारत का साथ नहीं दिया। वहीं इजराइल ने भारत को 1971 के साथ ही कई युद्ध में साथ दिया है। यहां तक कि कोरोना महामारी के समय आक्सीजन भी दिया था। आज जो इजराइल के विरोध में खड़े हैं उनकी या उनके कुछ रिश्तेदारों की जान इजराइल के आक्सीजन से भी बची होगी। लेकिन आज वे जान बचाने के वाले के खिलाफ ही खड़े हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि ये देशविरोधी कृत्य क्यों कर रहे हैं।

जामिया यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीन का झंडा लेकर हमास का समर्थन
जामिया यूनिवर्सिटी में 13 अक्टूबर को छात्रों ने फिलिस्तीन का झंडा लेकर इजरायल के खिलाफ जमकर नारेबारी की इसी क्रम में आज जामिया के छात्रों ने प्रदर्शन किया है। बुर्का और हिजाब पहनी हुईं छात्राएं फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगा रही थी। इसमें उन्होंने एक बैज लगा रखा था, जिसमें लिखा था- ‘हम हमास के साथ हैं’। इस दौरान ‘इंतिफादा इंकलाब’ के नारे भी लगाए गए। इंतिफादा अरबी शब्द है, जिसका अर्थ जड़ से उखाड़ने से है। हमास ने युद्ध के नियमों की अनदेखी कर इजरायल पर अचानक हमला करके ना सिर्फ सैनिकों की हत्या की, बल्कि छोटे-छोटे शिशुओं की भी गला काटकर और जलाकर मार डाला। महिलाओं का अपहरण कर उनके साथ बलात्कार किया गया। कुछ महिलाओं की हत्या करके उनका जुलूस निकाला गया। हमास एक कुख्यात आतंकी संगठन है। इसके बावजूद जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं इस इस्लामी आतंकी संगठन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।


जेएनयू फिलिस्तीन के समर्थन में उतरा: कैंपस में आइसा ने लगाए पोस्टर
जेएनयू कैंपस में आइसा ने फलस्तीन के समर्थन में पोस्टर लगाए। इजरायल और हमास की जंग के बीच आइसा ने फिलिस्तीन को आजाद करने की मांग उठाई। साथ ही निर्दोषों की हत्या रोकने का आह्वान किया। इससे पहले जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने इजराइल के खिलाफ और फिलिस्तीन के समर्थन में ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि उत्पीड़क देश (इजराइल) और कब्जा करने वाले को ‘रक्षा के अधिकार’ के बारे में भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है। आइसा ने एक ट्वीट में कहा कि फिलिस्तीनी जनता पर थोपे जा रहे युद्ध के खिलाफ़ अमन और न्याय के लिए जामिया और DU में आइसा ने समर्थन सभा का अयोजन किया। आइसा ने फिलिस्तीन के समर्थन में अब कई ट्वीट किए हैं। अब आइसा 16 अक्टूबर को जंतर-मंतर पर फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने जा रही है। युद्ध हमास ने इजरायल पर थोपा है जबकि आइसा जैसे वामपंथी संगठन मुस्लिम तुष्टिकरण में आतंकी संगठन के साथ खड़े होने से भी बाज नहीं आते।


फिलिस्तीन के समर्थन में AMU के छात्र, नारेबाजी के साथ किया पैदल मार्च
उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 8 अक्टूबर को फिलिस्तीन के समर्थन में सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों ने नारे लगाए और पैदल मार्च निकाला। छात्रों ने अपने हाथों में वी स्टैंड विद फिलिस्तीन, एएमयू स्टैंड विद फिलिस्तीन जैसे पोस्टर-बैनरों को हाथों में लेकर प्रदर्शन किया। एएमयू के छात्रों ने इस दौरान जमकर नारेबाजी की। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और एएमयू के छात्रों का कहना था कि वे फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं और उनके लिए दुआ कर रहे हैं। फिलिस्तीन के लोग आजादी मांग रहे हैं, उन्हें आजादी नहीं दी जा रही है। फिलिस्तीन में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।


मुंबई में फिलिस्तीन जिंदाबाद-इजरायल मुर्दाबाद के लगे नारे
मुंबई में जुमे की नमाज के बाद 13 अक्टूबर को कई स्थानों पर मुसलमानों द्वारा फिलिस्तीन का समर्थन किया गया। इस बाबत किसी ने विवादित बयान देते हुए प्रधानमंत्री को लपेटा तो किसी ने फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्टर्स लेकर नारे लगाए। मुंबई के बिलाल मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद मस्जिद के इमाम हजरत मोइन मिया के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया। इस दौरान लोगों ने हाथ में पोस्टर ले रखा था। इस पोस्टर में लिखा था, ‘फिलिस्तीन का समर्थन करने के लिए आपका मुसलमान होना जरूरी नहीं है, सिर्फ इंसान बनना है।’ इस दौरान फिलिस्तीन जिंदाबाद और इजरायल मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। मुंबई में इससे पहले 11 अगस्त 2012 को फिलिस्तीन के समर्थन में उत्पात मचाया गया था। उसकी तस्वीर नीचे है। 

जम्मू-कश्मीर में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन, पोस्टरों पर लिखा- गाजा में हमारे भाइयों-बहनों को बचाओ
इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के बीच 13 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हुआ। जुमे की नमाज के बाद बड़गाम में लोगों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान अमेरिका और इजराइल के विरोध में नारेबाजी भी हुई। प्रदर्शनकारियों ने इजराइल मुर्दाबाद, नारा-ए-तकबीर… अल्लाह हू अकबर और एक से बढ़कर एक जलील… अमेरिका-इजराइल जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारी अपने हाथों में पोस्टर लिए थे, जिसमें फिलिस्तीन के समर्थन और इजराइल, अमेरिका के विरोध में स्लोगन लिखे थे। एक पोस्टर में लिखा था- फिलिस्तीन और गाजा में हमारे बहन और भाइयों की रक्षा करें।


कोलकाता में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इजरायल के खिलाफ निकाला मोर्चा
इजरायल और हमास में छिड़े जंग के बीच भारत में कुछ लोगों के साथ कुछ संगठनों ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इजराइल का विरोध करते हुए फिलिस्तीन का समर्थन किया है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फिलिस्तीन के समर्थन में और इजरायल के खिलाफ मोर्चा निकाला।


लखनऊ की मस्जिद में फिलिस्तिनियों के लिए जुमे की नमाज
लखनऊ की जामा मस्जिद ईदगाह में जुमे की नमाज के बाद फिलिस्तीन में अमन के लिए खास दुआ की गई। शहर काजी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जामा मस्जिद ईदगाह में जुमे की नमाज से पहले नमाजियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह फिलिस्तीन पर यहूदियों ने वर्ष 1948 से कब्जा कर रखा है।


बिहार के किशनगंज में फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी
बिहार के किशनगंज में जुमे की नमाज के बाद युवा सड़कों पर निकल आए और फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी की। इस प्रोटेस्ट में कुछ नाबालिगों ने भी हिस्सा लिया। यह पोटेस्ट किशनगंज की मेन मार्केट में हुआ, जिसमें फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी की गई।


बेंगलुरु की जामिया मस्जिद के इमाम ने कहा- इजरायली सेना फिलिस्तीन पर जुल्म ढा रही
बेंगलुरु की जामिया मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद इमरान ने कहा-इजरायली सेना फिलिस्तीन पर जुल्म ढा रही है। यहूदी जबरन मुस्लिमों को उनके क्षेत्र से बाहर निकाल रहे हैं। गाजा में बड़ी संख्या में मुस्लिम सताए जा रहे हैं। साथ ही इजरायली सेना ने अल अक्सा मस्जिद में नमाज पढ़ने से भी रोका है।

झारखंड के जमशेदपुर में फिलिस्तीनियों के समर्थन में नारेबाजी
झारखंड के जमशेदपुर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने फिलिस्तीनियों के समर्थन में नारेबाजी की। जुमे की नमाज के बाद लोग हाथों में पोस्टर-बैनर लिए नजर आए। इन्होंने इजराइल के खिलाफ विरोध जताया।


तिरुवनंतपुरम में SDPI ने फिलिस्तीन के समर्थन में रैली निकाली
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में प्रतिबंधित संगठ PFI से जुड़े सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने फिलिस्तीन के समर्थन में रैली निकाली। रैली में शामिल लोगों ने इजरायल मुर्दाबाद के नारे लगाए। SDPI ने अपने ट्विटर हैंडल से लगातार फिलिस्तीन के समर्थन वाले ट्वीट किए हैं।


इजरायल, हमास और हम! आस्तीन का सांप कौन!
आज इजरायल तो एक गाजा पट्टी से निपट रहा है। लेकिन भारत में सैकड़ों गाजा पट्टी बन गए हैं। हमास के आतंकी हमले पर जश्न मनाने वाले अब इजरायल की जबरदस्त जवाबी कार्रवाई पर एकदम से बौखला गए हैं। हमास ने इजरायल में जो बर्बरता और पशुता की और जिस तरह से भारत में उसके समर्थन में लोग और संगठन उतर आए हैं वह आने वाले भविष्य की सुखद आहट नहीं है। इजरायल को तो एक गाज़ा से निबटना है लेकिन यहां तो हजारों गाज़ा से निबटना होगा। हमास कोई लोकतांत्रिक सरकार नहीं बल्कि ISIS, लश्कर, हिजबुल, तालिबान की तरह ही एक आतंकी संगठन है जिसकी नजर में इस्लाम छोड़कर किसी और मजहब या धर्म का होना ही एक गुनाह है। इसलिए हमास का समर्थन तालिबान और ISIS का समर्थन है, आतंकवाद का समर्थन है। जिनके लिए लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी हैं। वे किसी भी क्षण इस देश से गद्दारी कर सकते हैं। आज देशभक्तों को ऐसे देशविरोधी तत्वों की पहचान करने की जरूरत है। चुनाव में वोट डालते समय भी देशहित का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है

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