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कांग्रेस का ‘अडानी’ अच्छा, भाजपा का ‘अडानी’ खराब! अडानी के प्लेन से उनका SEZ देखने गए थे राबर्ट वाड्रा!! यूपीए सरकार में अडानी ग्रुप को 21 हजार करोड़ रुपये के 10 अहम प्रोजक्ट मिले

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा की विफलता से निराश और हताश हैं। बीबीसी डॉक्यूमेंट्री आई, हिंडनबर्ग रिपोर्ट भी आई लेकिन भारत की जनता कांग्रेस के पक्ष में माहौल ही नहीं बनने दे रही है। अब राहुल गांधी ने एक नया दांव आजमाया हिंडनबर्ग रिपोर्ट की बात को आगे बढ़ाते हुए अडानी को पीएम नरेंद्र मोदी से जोड़ते हुए लोकसभा में अपना भाषण दिया। इसमें उन्होंने अडानी को लेकर पीएम मोदी पर झूठे आरोप लगाते हुए व्यक्तिगत आक्षेप भी किए। लेकिन वे यहां भी फेल हो गए, उल्टे अपनी ही जाल में फंस गए। क्योंकि गौतम अडानी ने खुद कहा है कि उनकी कामयाबी की शुरुआत तब हुई जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, नरसिंहा राव के समय में उनका कारोबार बढ़ा और मनमोहन सिंह के दौरान उन्हें कई प्रोजेक्ट मिले।

दरअसल, पीएम मोदी के बढ़ते कद और रुतबे को देखते हुए विपक्ष और राहुल गांधी को यह अहसास हो गया है कि 2024 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी के लिए आशा की कोई किरण नहीं है। ऐसे में उन्होंने पीएम मोदी पर व्यक्तिगत आक्षेप करना शुरू कर दिया है। इसमें विदेशी ताकतें भी उनकी मदद कर रही हैं। यह संयोग नहीं है कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के जरिये समाज को बांटने का काम करते हैं तो दूसरी तरफ अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आ जाती है और फिर राहुल गांधी अडानी को लेकर पीएम मोदी पर व्यक्तिगत आक्षेप कर डालते हैं। यह उनकी हताशा और निराशा को ही जाहिर करता है।

कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागरः सरकार में हों तो खुले हाथ से ठेके, सरकार में नहीं तो गाली दो

एक तरफ जब कांग्रेस सत्ता में होती है तो अंबानी और अडानी को खुले हाथ ठेके देती है, यहां तक कि कंपनियों के दबाव में अपने मंत्री तक को हटा देती है। वहीं जब विपक्ष में होती है तो उन्हीं अंबानी और अडानी पर सवाल उठाती है और गाली-गलौज करती है। तमाम कंपनियों और कारोबारियों को बैंकों से भारी कर्ज दिलाती है और जब वे पैसा लेकर विदेश भाग जाते हैं, या एनपीए हो जाता है तो दोष दूसरी सरकार के सिर मढ़ दिया जाता है। कांग्रेस का यह दोहरा चरित्र शुरू से रहा है। आज भी वो इसी दोगलेपन के साथ अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।

कांग्रेस का ‘अडानी’ अच्छा, भाजपा का ‘अडानी’ खराब!

सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस एमडीओ के तौर पर कोयला खनन का विरोध करती रही है और इसे बड़ा भ्रष्टाचार बताती रही है, यहां तक कि राहुल खुद कोयला खनन वाले इलाकों में जाकर राज्य की रमन सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार को घेरने का काम करते रहे हैं, ऐसे में अब उनकी सरकार आने के बाद उन्हीं अडानी को कोयला खनन के लिए क्यों चुना जाता है? क्या कांग्रेस के ‘अडानी’ अच्छे हैं, और भाजपा के ‘अडानी’ खराब?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट बहाना, असल मसकद पीएम मोदी निशाना

हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर जहां एक तरफ सियासत गरम है वहीं पीएम मोदी के साथ गौतम अडानी के रिश्‍तों का हवाला दिया जा रहा है। यह और बात है कि अडानी ग्रुप के मुखिया गौतम अडानी के संबंध तमाम और राजनीतिक शख्‍सियतों के साथ रहे हैं। राजस्‍थान के सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी भी इनमें शामिल हैं। इनके राज्यों में न केवल अडानी को प्रोजेक्ट दिए गए हैं बल्कि सार्वजनिक रूप से इन्हें एक-दूसरे के साथ देखा गया है। और तो और गौतम अडानी एक इंटरव्‍यू में खुद यह कह चुके हैं कि उनकी शुरुआती सफलता का श्रेय राजीव गांधी की सरकार को जाता है। जब इन तमाम राजनीतिक हस्तियों के साथ उनके अच्‍छे ताल्‍लुकात हैं या थे तो आखिर प्रधानमंत्री मोदी को ही निशाना क्‍यों बनाया जा रहा है।

अडानी को गाली देने वाली कांग्रेस का छद्म चेहरा बेनकाब

जिन गौतम अडानी को राहुल गांधी और कांग्रेस पानी पी-पीकर गाली देती है, उन्हीं अडानी को राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने कोयला खनन के लिए चुना है। यह फैसला कांग्रेस के छद्म चेहरे को बेनकाब करता है, क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र की मोदी सरकार पर आरंभ से ही उद्योगपति गौतम अडानी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते आ रहे हैं। अकसर वह मोदी सरकार पर आरोप लगाते देखे जाते हैं कि वो अडानी और अंबानी के लिए काम कर रही है। यह भी कि मोदी सरकार पूंजीपतियों की सरकार है। फिर ऐसे में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार और राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अडानी का अपने यहां पलक पांवड़े बिछाकर स्वागत क्यों करती हैं।

आखिर कांग्रेस और अडानी का क्या रिश्ता है?

सवाल यह भी उठता है कि आखिर कांग्रेस और अडानी का क्या रिश्ता है? कांग्रेस क्या जनता को भ्रमित करने के लिए अडानी और मोदी सरकार को निशाने पर लेती है, जबकि खुद उनको ठेके देती है? अगर ऐसा है तो क्या राहुल गांधी को देश की जनता से इसके लिए माफी नहीं मांगनी चाहिए? देखा जाए तो उद्योगपतियों को, खासतौर पर अडानी और अंबानी को, सरकारी ठेके दिलाने के काम कांग्रेस सरकार ने बड़ी शिद्दत से किए थे। इसके साथ ही दोनों हाथों से अकूत कर्ज बांटने का काम भी कांग्रेस ने अपने शासनकाल में खूब किया, जो बाद में एनपीए (गैर निष्पादित संपत्ति) में तब्दील हो गए।

अडानी के प्लेन से उनका SEZ देखने गए थे वाड्रा

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद और राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा अडानी ग्रुप के एयरक्राफ्ट पर सवार होकर अडानी के प्रॉजेक्ट देखने गए गुजरात के कच्छ गए थे। रॉबर्ट वाड्रा और गौतम अडानी की यह तस्वीर साल 2009 की है। उस वक्त वाड्रा तब गुजरात के मूंदड़ा में अडाणी पोर्ट और अडाणी पावर प्लांट को देखने आए थे। वाड्रा और गौतम अडाणी एकसाथ अडाणी के प्राइवेट एयरक्राफ्ट में ही वहां पहुंचे थे। यह तस्वीर तब सामने आई थी जब कांग्रेस की सरकार थी। इस तस्वीर के सामने आने के बाद उस वक्त कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी। अब ऐसे में राहुल गांधी को पीएम मोदी के साथ अडानी के फोटो होने पर सवाल उठाने से पहले अपने जीजा के अडानी के साथ फोटो पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। प्रधानमंत्री का पद तो ऐसा है कि उनके फोटो कई लोगों के साथ मिल जाएंगे लेकिन रॉबर्ट वाड्रा बिना किसी पद पर होते हुए कैसे अडानी के हवाई जहाज में उनके साथ थे।

रॉबर्ट वाड्रा ने अडानी से मुलाकात की तो इसमें कुछ भी गलत नहींः कांग्रेस

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, गौतम अडानी और रॉबर्ट वाड्रा के बीच मुलाकात की तस्वीरें सामने आने के बाद इन तस्वीरों पर कांग्रेस को सफाई देना मुश्किल हो रहा था। कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि उन्हें इस मुलाकात की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर रॉबर्ट वाड्रा ने अडानी से मुलाकात की भी है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं। उन्होंने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा एक बिजनेसमेन हैं और एक बिजनेसमेन दूसरे बिजनेसमेन से अपने कारोबार के सिलसिले में मिलता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। रेणुका चौधरी ने कहा कि रॉबर्ट वाड्रा गांधी परिवार के दामाद हैं और उनका कांग्रेस की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।

कांग्रेस सरकार के दौरान किस तरह तमाम प्रक्रियाओं को दरकिनार कर प्रोजेक्ट बांटे गए बैंकों से लोन दिलवाए गए और किस तरह मोदी उन चीजों को ठीक कर रही है, उस पर एक नजर-

कांग्रेस सरकार में अंबानी की रिलायंस कंपनी को एक लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं दी गई

राहुल अकसर यह आरोप लगाते हैं कि मोदी सरकार शुरू से अनिल अंबानी पर मेहरबान रही है, लेकिन हैरानी का बात तो यह है कि अनिल अंबानी पर मोदी सरकार नहीं बल्कि सोनिया-राहुल गांधी की यूपीए सरकार मेहरबान थी। यूपीए सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान अंबानी की रिलायंस कंपनी को एक लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं दी थीं।

कांग्रेस उद्योगपतियों से साठ-गांठ देश को लाखों करोड़ रुपये का चूना लगाया

अंग्रेजी अखबार ‘इकोनॉमिक्स टाइम्स’ ने अक्टूबर 2018 में खुलासा किया था कि कांग्रेस ने किस तरह उद्योगपतियों से साठ-गांठ कर देश को लाखों करोड़ रुपये का चूना लगाया। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार ने ऐसी कंपनियों को ठेके दिए, जिन्होंने जरूरी प्रक्रियाओं का पालन ही नहीं किया था। सरकार ने सरकारी कंपनियों से कई प्रोजेक्ट छीनकर अनिल अंबानी की कंपनियों को दे दिए थे। एक लाख करोड़ की परियोजनाएं यूपीए सरकार के आखिरी 7 वर्षों में ही दी गईं।

कांग्रेस ने सरकारी इकाइयों से प्रोजेक्ट छीने, उद्योगपतियों को दिए

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पॉवर, टेलीकॉम, रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी और डीएमआरसी जैसी सरकारी इकाइयों से ये प्रोजेक्ट छीने गए थे। इसी का नतीजा था कि कांग्रेस के पांच साल में ही अनिल अंबानी की इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बन गई थी।

प्रोजेक्ट देने में कांग्रेस सरकार ने तमाम प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया

सरकार ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए रेगुलेटरी अप्रूवल्स और तमाम प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया था। अनिल अंबानी ग्रुप की 6 कंपनियों- रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पॉवर, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड और रिलायंस मीडियावर्क्स भी इसमें शामिल थी। प्रोजेक्ट हासिल करने से पहले इनमें से कई कंपनियों को उस क्षेत्र का अनुभव भी नहीं था। और ये सब इसलिए मुमकिन हो पाया कि अनिल अंबानी के ‘सोनिया गांधी एंड फैमिली’ से करीबी रिश्ते थे।

रिलायंस के दबाव में सोनिया गांधी ने जयपाल रेड्डी को पेट्रोलियम मंत्री के पद से हटाया

इस संबंध में एक प्रसंग का जिक्र समीचीन है। बात 28 अक्टूबर, 2012 की है, जब तत्कालीन यूपीए सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल किया गया। ये फेरबदल विवादों में घिर गया। इसकी वजह यह थी कि सरकार ने जयपाल रेड्डी को पेट्रोलियम मंत्री के पद से हटा दिया था। दरअसल पेट्रोलियम मंत्री रहने के दौरान रेड्डी ने कई ऐसे फैसले लिए थे, जो रिलायंस इंड्रस्ट्रीज ग्रुप के हित में नहीं थे। कहा जाता है कि रेड्डी के फैसलों से नाराज रिलायंस के दबाव में सोनिया गांधी ने उन्हें पद से हटा दिया था।

यूपीए सरकार में अडानी ग्रुप को 21 हजार करोड़ रुपये के 10 अहम प्रोजक्ट मिले

रेडिफडॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, उद्योगपति गौतम अडानी का उदय भले 80 के दशक में हुआ हो, लेकिन इनकी कंपनी का पूरे देश में प्रसार और पॉवर व बंदरगाहों से जुड़े तमाम प्रोजेक्ट पर कब्जा यूपीए की 2004 से 2014 तक की सरकार में ही हुआ। यूपीए सरकार में अडानी ग्रुप को 21 हजार करोड़ रुपये के 10 अहम प्रोजक्ट मिले।

यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल (2004-2009) में अडानी ग्रुप को दो प्रोजेक्ट 10,503 करोड़ रुपये लागत मूल्य के दिए गए। जबकि यूपीए के दूसरे कार्यकाल (2009-2014) के बीच अडानी ग्रुप को 8 प्रोजेक्ट दिए गए, जिनका लागत मूल्य 10,730 करोड़ रुपये था। ये आंकड़े बताते हैं कि यूपीए सरकार में अंबानी और अडानी को रेवड़ियों की तरह प्रोजेक्ट बांटे गए।

कांग्रेस सरकार में जनता के पैसे की लूटः 2008 से 2014 के बीच 52 लाख करोड़ रुपये कर्ज बांटे

कर्ज की बात करें तो कांग्रेस की सरकार में आजादी से लेकर 2008 तक विभिन्न कंपनियों को बैंकों ने 18 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए, जबकि 2008 से लेकर 2014 के बीच बैंकों ने 52 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए। यानी 60 साल में 18 लाख करोड़ और 6 साल में 52 लाख करोड़ के लोन बांटे गए। जनता के पैसे की लूट की इससे घटिया तस्वीर और क्या हो सकती है! इनमें काफी रकम एनपीए हो गई।

रघुराम राजन ने एनपीए पर कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश किया

इंडियाटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एनपीए पर कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश किया था। एनपीए को लेकर संसदीय समिति को भेजे जवाब में उन्होंने मनमोहन सिंह की सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि घोटालों की जांच के कारण सरकार ने निर्णय लेने में देरी की, जिससे एनपीए बढ़ता गया। उन्होंने अपने जवाब में इसके लिए ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ को जिम्मेदार बताया। राजन के अनुसार, 2006 से 2008 के बीच यूपीए के कामकाज ने भारत की बैंकिंग संरचना में एनपीए में वृद्धि की।

मोदी सरकार के आने के बाद लूट की रकम वापस भी वसूली जा रही

वर्ष 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से उद्योगपतियों और कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू हुआ, उनसे लूट की रकम वापस भी वसूली जा रही है। विशेष कर उन कंपनियों को, जो एनपीए का बहाना ढूंढ रही हैं, मोदी सरकार ने निशाने पर लिया है। मोदी सरकार की सख्ती के बाद कंपनियों को अपनी संपत्ति बेचकर अपना कर्ज चुकाना पड़ रहा है। 2014 से पहले जिन 12 बड़े डिफॉल्टरों को लोन दिया गया था, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। अन्य बड़े बकायेदारों से भी एनपीए की वापसी की व्यवस्था हो रही है।

मोदी सरकार की सख्ती से एनपीए का सही आंकड़ा सामने आया

देश की सत्ता में जब मोदी सरकार आई तो एनपीए का आंकड़ा लगभग 2 लाख करोड़ बताया जा रहा था। 2017 के मध्य तक यह 10.5 लाख करोड़ रुपये हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस बात का खुलासा किया था कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों में एनपीए 36 प्रतिशत की जगह 82 प्रतिशत है। हमने बैंकों पर जब सख्ती की तो सही आंकड़े सामने आने लगे। जो आंकड़ा कागजों पर 2 लाख करोड़ बताया गया था, वो वास्तव में 9 लाख करोड़ रुपये था।

मोदी सरकार ने डूबे हुए कर्ज में आधी रकम वापस लेने में सफल रही

मोदी सरकार ने डूबे हुए कर्ज को लेकर दो तरह की रणनीति अपनाई है- आईबीसी और पुनर्पूंजीकरण। कंपनी मामलों के मंत्रालय के अनुसार ऋणशोधन और दिवालिया संहिता (IBC)-2016 बनाए जाने के बाद से बैंकों के फंसे हुए 9 लाख करोड़ रुपये की लगभग आधी रकम प्रणाली में वापस भी आ चुकी है। दूसरी तरफ सरकार ने सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी भी दी।

मोदी सरकार में बैंकों का पैसा हड़पने वालों की रातों की नींद उड़ी

इसके साथ ही सरकार ने तमाम ऐसे कदम उठाए, जिनके बाद बैंकों का पैसा हड़पने वालों की रातों की नींद उड़ी हुई है। अब कोई भी कारोबारी घोटाला करने की सोच भी नहीं सकता। केंद्र सरकार के सख्त निर्देशों के चलते आरबीआई ने सभी बैंकों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी करने से रोक दिया है। यही नहीं, मोदी सरकार ने सभी सरकारी बैंकों को 50 करोड़ से अधिक के एनपीए की जांच करने और कुछ भी गड़बड़ी मिलने पर मामला सीबीआई को सौंपने के निर्देश भी दिए हैं।

गौतम अडानी ने एक इंटरव्यू के दौरान अपनी कामयाबी को चार चरणों में बांटा था। अडानी कैसे कामयाबी की सीढ़ी चढ़े, आप भी देखिए-

नरेंद्र मोदी नहीं, राजीव गांधी के कारण गौतम अडानी के कारोबार में हुई तरक्की

आज गौतम अडानी वह नाम है जो न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के हर हर हिस्से में गूंजता है। वह दुनिया के तीसरे अमीर शख्स बन चुके हैं। लेकिन राहुल गांधी ने गौतम अडानी पर आरोप लगाया है कि यह तरक्की उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण मिली है। न्यूजनेशन की रिपोर्ट के अनुसार, गौतम अडानी ने एक मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में अपनी कामयाबी का बड़ा क्रेडिट भारत के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी को दिया।

अडानी ने कहा- राजीव गांधी न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती

गौतम अडानी ने राहुल गांधी के पिता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तारीफ की है। उनके प्रति आभार जताया है। अडानी ने कहा कि अगर वह (राजीव गांधी) न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती। अडानी ने बताया कि उनका सफर तब शुरू हुआ था जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा, ‘कई लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि मेरा सफर तब शुरू हुआ था, जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। जब उन्होंने एग्जिम पॉलिसी को बढ़ावा दिया और पहली बार कई चीजें OGL (ओपन जनरल लाइसेंस) लिस्ट में आईं, इससे मुझे एक्सपोर्ट हाउस शुरू करने में मदद मिली। अगर वो न होते तो मेरी शुरुआत ऐसी न होती।’

अडानी ने कहा- दूसरी कामयाबी प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय मिली

गौतम अडानी ने अपनी सफलता को चार चरणों में बांटा है। इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि अपनी ऐन्टरप्रेन्योर जर्नी को देखता हूं तो मैं इसे चार चरणों में बांट सकता हूं। इसी दौरान उन्होंने राजीव गांधी के कार्यकाल का जिक्र किया। उसी समय उनकी शुरुआत हुई थी। उन्होंने कहा कि दूसरा बढ़ावा 1991 में मिला। जब देश के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे और वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे। उस समय आर्थिक सुधार हुए थे। कई दूसरे एंटरप्रेन्योर की तरह मुझे भी फायदा हुआ।

अडानी ने कहा- तीसरी कामयाबी तब मिली जब केशुभाई पटेल गुजरात के सीएम बने

तीसरा टर्निंग पॉइंट 1995 में आया। जब केशुभाई पटेल गुजरात के सीएम बने। उस समय तक गुजरात के सभी औद्योगिक विकास केवल मुंबई से दिल्ली के इर्द-गिर्द तक सीमित रहते थे। केशुभाई पटेल ने गुजरात में तटीय विकास पर ध्यान केंद्रित किया और इसके कारण मुंद्रा में मैंने अपना पहला बंदरगाह बनाया।

अडानी ने कहा- चौथी कामयाबी मोदी की आर्थिक नीतियों से मिली

अडानी ने चौथे नंबर पर 2001 में नरेंद्र मोदी के सीएम बनने के बाद के कालखंड को रखा। उन्होंने कहा कि मोदी की नीतियों से गुजरात का आर्थिक विकास तेजी से हुआ है। अडानी ने आगे कहा कि जो भी कहा जाता है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारी प्रगति के खिलाफ पक्षपात है। अडानी ने कहा कि देखिए प्रधानमंत्री मोदी और मैं दोनों गुजरात राज्य से आते हैं और ऐसे में मुझ पर इस तरह के आरोप लगाना आसान हो जाता है। अडानी ने कहा कि मोदी हर नागरिक के जीवन में बदलाव लाए हैं।

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