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कांग्रेस में नहीं सुनी जाती किसी की आवाज: सचिन को सीएम बनाने का सुझाव देने पर संजय झा को किया संस्पेंड

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कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र का घोर अभाव है। पार्टी में गांधी परिवार के अलावा किसी की कोई बात नहीं सुनी जाती। राजस्थान संकट पर पार्टी नेता और पूर्व प्रवक्ता को अपनी राय देना भारी पड़ गया। कांग्रेस पार्टी ने संजय झा को पार्टी से सस्पेंड कर दिया। पार्टी की ओर से कहा गया है कि ऐसा उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों और पार्टी अनुशासन तोड़ने के कारण किया गया है।

संजय झा ने ट्वीट करके पार्टी को सुझाव दिया था कि राजस्थान में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। पार्टी को तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए ऐसे राज्‍यों की जिम्‍मेदारी सौंपनी चाहिए जहां कांग्रेस कमजोर है। इसी तरह एक अन्य ट्वीट संदेश में उन्‍होंने कहा था कि पहले ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, फिर सचिन पायलट, अब किसकी बारी है?

कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने पर प्रवक्ता पद से हटाया
संजय झा ने कुछ समय पहले एक लेख में पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है। जिसके बाद संजय झा को कांग्रेस ने राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से हटा दिया। संजय झा ने हाल ही में एक न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू और लेख के जरिए कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के अपने लेख और द प्रिंट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है। संजय झा ने दावा किया कि पार्टी के पास एक आंतरिक मजबूत तंत्र नहीं है। उन्होंने लिखा है कि पार्टी के अंदर सदस्यों की बात नहीं सुनी जाती है। अपने लेख में झा ने यह भी कहा कि पार्टी सरकार के विफल होने पर लोगों को शासन का कोई वैकल्पिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर सकती।

Congress fossilised, can’t beat BJP with such laid-back approach: Party spokesperson Sanjay Jha

इस लेख और इंटरव्यू के बाद संजय ने एक ट्वीट किया, जिससे पार्टी को तगड़ी चोट पहुंची।

फिर क्या था कांग्रेस ने तत्काल पार्टी प्रवक्ता पद से हटा दिया।

प्रवक्ता पद से हटाए जाने के बाद पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘निरंकुश बनने के खिलाफ चेतावनी के तौर पर पंडित नेहरू ने एक बार एक समाचार पत्र में एक खुद की आलचोना करते हुए लेख लिखा था। यही लोकतांत्रिक, उदारवादी, सहिष्णु, समावेशी सच्ची कांग्रेस है। हम उन मूल्यों से बहुत दूर चले गए हैं। क्यों? मैं कांग्रेस का एक निर्भय वैचारिक सिपाही बना रहूंगा।’

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