नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर कांग्रेस को जोरदार झटका लगा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को सीएए पर सभी विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई है, लेकिन इस बैठक से पहले ही विपक्ष में बिखराव देखने को मिल रहा है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। शिवसेना के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के नेतृत्व में बुलाई गई इस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने अपना कोई प्रतिनिधि इस बैठक में भेजने से इनकार कर दिया है। AAP ने कहा है कि उन्हें इस बैठक के लिए नहीं बुलाया गया है। इसलिए बैठक में जाने का कोई मतलब ही नहीं।
Delhi: Aam Aadmi Party (AAP) will not attend today’s opposition meeting called by Congress to discuss the current political situation in the country. pic.twitter.com/QlGsS6S9aG
— ANI (@ANI) January 13, 2020
बीएसपी प्रमुख मायावती ने सोमवार को कांग्रेस पर राजस्थान में पार्टी विधायक तोड़ने का आरोप भी लगाया। मायावती ने ट्वीट किया, ‘जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है। ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।’
1. जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है। 1/3
— Mayawati (@Mayawati) January 13, 2020
2. ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी। 2/3
— Mayawati (@Mayawati) January 13, 2020
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पहले ही बैठक में आने से इनकार कर चुकी हैं। ममता ने आरोप लगाया कि लेफ्ट और कांग्रेस इस मामले पर ‘गंदी राजनीति’ कर रही हैं।
Chief Minister Mamata Banerjee to boycott the January 13 opposition meeting in Delhi, alleging that Congress and Left are ‘playing dirty politics in West Bengal’ and that she will fight against #CAA and #NRC alone. (file pic) pic.twitter.com/u3L3cKqI1j
— ANI (@ANI) January 9, 2020
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) से जुड़ीं अफवाहें और हकीकत, जानिए सब कुछ
आज देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर काफी चर्चा हो रही है। इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित किए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देना है। इस संबंध में भ्रम फैलाने और भीड़ को उकसाने के लिए गलत प्रचार किये जा रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून के बारे में फैलाई जा रही अफवाह के बारे में सच्च जानना आज समय की मांग है।
सवाल : नागरिकता संशोधन कानून मुस्लिम विरोधी है और यह उनके साथ भेदभाव करता है?
जवाब : नागरिकता संशोधन कानून का असर भारतीय मुसलमानों पर किसी तरह नहीं पड़ेगा। वे भारत के नागरिक हैं और बने रहेंगे। वे हर प्रकार के लाभों के हकदार बने रहेंगे। यह बिल सिर्फ पड़ोस की तीन देशों के प्रताड़िता शरणार्थियों से संबंधित है। यहां ध्यान रखने योग्य खास बात यह है कि फॉरेनर्स एक्ट (Foreigners Act, 1946) जैसे अन्य एक्ट के तहत भारत उन शरणार्थियों को भी स्वीकार करता है जो मुस्लिम हैं।
प्रश्न- इससे आर्टिकल 14 के समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है?
जवाब : आर्टिकल 14 लोगों को समानता और कानून के समक्ष समान संरक्षण प्रदान करता है और इससे मुस्लिमों के समानता के अधिकार का कोई उल्लंघन नहीं होता। उनके सारे अधिकार बने रहेंगे।
प्रश्न : अहमदिया और शिया को अनुमति क्यों नहीं?
जवाब:–अहमदिया और शिया, सांप्रदायिक और जातीय हिंसा के शिकार हैं, उनका धार्मिक उत्पीड़न से कोई लेना-देना नहीं है। इस तरह, उनकी तुलना हिंदुओं, बौद्धों, सिखों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों जैसे उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों से नहीं की जा सकती।
प्रश्न- इस कानून से पूर्वोत्तर की स्थिति खराब होगी?
जवाब- छठे शेड्यूल के तहत आने वाले पूर्वोत्तर के राज्यों को इससे अलग रखा गया है। इस कारण असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम इसके अंदर नहीं आते। इसके साथ ही, इनर लाइन परमिट वाले राज्यों को बाहर रखा गया है। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम राज्यों के लिए इनर लाइन परमिट आवश्यक है। इस प्रकार यहां शरणार्थियों को नहीं बसाया जाएगा।
प्रश्न : श्रीलंकाई तमिलों और तिब्बतियों जैसे अन्य शरणार्थियों का क्या होगा?
जवाब : अन्य सभी शरणार्थियों की समस्याओं का समाधान Foreigners Act 1946 जैसे मौजूदा कानूनों के तहत किया जाएगा और पहले से स्थापित प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा।
प्रश्न- रोहिंग्या के लिए यही कानून क्यों नहीं लागू है?
जवाब- यह कानून सिर्फ तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के लिए है, जहां के अल्पसंख्यकों ने विभाजन का दंश झेला है और उन्हें सताया गया है। रोहिंग्या इस श्रेणी में नहीं आते हैं।
आइए आपको 8 बिंदुओं के माध्यम से बताते हैं कि इस कानून में क्या है और इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना के शिकार हो रहे गैर मुस्लिमों को किस प्रकार फायदा मिलने वाला है।
1. नागरकिता संशोधन कानून के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों) को भारत की नागरिकता आसानी से दी जा सकेगी।
2. नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत सिटिजनशिप एक्ट 1955 में बदलाव किया गया है। इस बदलाव के बाद अब उन गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी जो बीते एक साल से लेकर छह साल तक भारत में रह रहे हैं।
3. वे राज्य जहां इनर लाइन परमिट (आइएलपी) लागू है और नॉर्थ ईस्ट के चार राज्यों में छह अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों को नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) से छूट दी गई है।
4. सिटिजनशिप एक्ट 1955 के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने की अवधि 11 साल थी। अब इस नियम में ढील देकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से छह साल तक किया गया है।
5. नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 के जरिए अब पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को 11 साल के बजाए एक से छह वर्षों में ही भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
6. सिटिजनशिप एक्ट 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती थी। इसमें उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हैं या उल्लेखित अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए थे। इन अवैध प्रवासियों को जेल हो सकती है या उन्हें उनके देश वापस भेजा जा सकता है।
7. नागरिकता संशोधन कानून 2019 के जरिए केंद्र सरकार ने पुराने कानूनों में बदलाव करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई को इससे छूट दे दी है।
8. नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत गैर मुस्लिम शरणार्थी यदि भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी पाए जाते हैं तो उन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा ना ही उन्हें निर्वासित किया जाएगा।