आजादी के बाद से ही कांग्रेस देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती आई हैं। कांग्रेस ने अपने 60 साल के शासनकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण का ऐसा बीज बोया जो आज देश की एकता और सामाजिक संतुलन के लिए चुनौती बन चुका है। देश के पहले प्रधानमंत्री ने जहां अल्पसंख्यकों की विशेष देखभाल की बात कही, वहीं आगे चलकर कांग्रेस नेताओं ने इसे वोट बैंक की राजनीति में बदल दिया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है। इतना ही नहीं इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ एक ‘सीक्रेट मीटिंग’ में कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। उसी सोच की ताजा झलक अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के बयान में दिख रही है।

कांग्रेस है तो मुसलमानों की इज्जत है- रेवंत रेड्डी
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पार्टी की उसी लाइन पर चलते हुए जुबली हिल्स उपचुनाव में कहा कि कांग्रेस है तो मुसलमानों की इज्जत है, कांग्रेस नहीं तो आप कुछ नहीं हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस की कथित ‘मुस्लिम वोट बैंक’ नीति पर फिर से सवाल उठने लगे हैं।
‘Congress hai toh Musalman hai, Congress nahi toh aap Kuch nahi’ 🚨
So the Congress CM now believes the worth & ijjat of Muslims exists only through Congress? How insulting is that!
A community’s dignity, faith & existence don’t depend on any political party. This isn’t… pic.twitter.com/l9i06qZDPP
— Nayini Anurag Reddy (@NAR_Handle) November 4, 2025
कांग्रेस मतलब मुसलमान- रेवंत रेड्डी
कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाते हुए सीएम रेड्डी ने यह भी कहा कि कांग्रेस मतलब मुसलमान और मुसलमान मतलब कांग्रेस।
Very big admission by Telangana CM, He says – “Muslims means Congress, Congress means Muslims”.
When we say the same thing, Congress ecosystem abuses us but now their own leader accepts it.
So it’s clear for all now? pic.twitter.com/SXHTNVgZWp
— Mr Sinha (@MrSinha_) November 6, 2025
राहुल गांधी से लेकर अब रेवंत रेड्डी तक कांग्रेस नेताओं का मुस्लिम प्रेम बार-बार उजागर होता रहा है। जब-जब चुनाव आता है, कांग्रेस को केवल मुस्लिम वोट बैंक की याद आती है, जबकि हिंदू समाज की भावनाओं को नजरअंदाज किया जाता है। इससे यह भी साफ है कि मंच पर संविधान का कॉपी लहराने वाली कांग्रेस खुलकर धर्म की राजनीति खेलती रही है। आइए एक नजर डालते हैं कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पर…
कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है- राहुल गांधी
जम्मू कश्मीर में छपने वाले उर्दू दैनिक अखबार “इंकलाब” ने 12 जुलाई, 2018 को बहुत बड़ा खुलासा किया। फ्रंट पेज पर खबर छापी कि 11 जुलाई को राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ ‘सीक्रेट मीटिंग’ में कहा कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। इसके साथ यह खबर भी छपी है कि राहुल ने कहा कि उनका और उनकी मां का कमिटमेंट है कि मुसलमानों को उनका हक मिलना चाहिए और इससे वो कोई समझौता नहीं कर सकते।
गुजरात में मंदिर दर्शन के लिए राहुल ने मांगी माफी
12 तुगलक लेन स्थित अपने निवास पर राहुल गांधी ने लगभग 2 घंटे तक मुस्लिमों से बातचीत की। इस दौरान मुस्लिम नेताओं ने राहुल से आपत्त्ति दर्ज कराई और कहा कि आप तो सिर्फ मंदिर जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने तो मुसलमानों को भुला ही दिया है। मुस्लिम नेताओं की बात सुनकर राहुल गांधी ने कहा कि मैं कर्नाटक में कई मस्जिदों में भी गया हूं। अब मस्जिदों में लगातार जा रहा हूं। खबर ये भी है कि उन्होंने कहा कि गुजरात में मंदिरों में गया था उसके लिए माफी मांगता हूं।

शरिया अदालत लागू करने का राहुल ने किया वादा
सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मांगें भी मान ली थी। बताया गया कि उस समय राहुल गांधी ने ये वादा किया था कि अगर वे 2019 में देश के प्रधानमंत्री बने तो देश के हर जिले में शरिया अदालत बनाने की मांग पूरी कर देंगे।

देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का- मनमोहन सिंह
कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश का संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह यह कहते सुनाई देते हैं कि ‘हमें यह सुनिश्चित करने के लिए इनोवेटिव योजनाएं बनानी होंगी जिससे अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास का समान लाभ मिले। संसाधनों पर पहला हक उनके पास होना चाहिए।’
“We will have to devise innovative plans to ensure that minorities, particularly the Muslim minority, are empowered to share equitably in the fruits of development. They must have the first claim on resources.”
– Dr Manmohan Singh, 9th Dec, 2006
The Congress doesn’t trust their… https://t.co/MWAf8uP23N pic.twitter.com/EDAKfasXT8
— BJP (@BJP4India) April 21, 2024
कांग्रेस ने इस बयान से कन्नी काटने की पूरी कोशिश की लेकिन सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज एक और वीडियो वायरल हो गया। अप्रैल 2009 के इस वीडियो में मनमोहन सिंह अपने पुराने बयान पर कायम रहने की बात कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। इस वीडियो में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह अपने 2006 के बयान के बारे में कह रहे हैं कि मैंने कहा कि अल्पसंख्यक और विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यक, अगर वह गरीब हैं तो उनका देश के संसाधनों पर पहला दावा बनता है, मैंने कहा कि सब तरह के अल्पसंख्यक और साथ में जोड़ा कि विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यक का हक है, मैं अपने इस बयान पर कायम हूं।
एक और सबूत – पूर्व प्रधानमंत्री ने 2009 के लोकसभा चुनावों के समय फिर से दोहराया था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, ये बात उन्होंने मुंबई में प्रेस कान्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में दोबारा कही थी. https://t.co/Nc6WP9Vfky
— Vikas Bhadauria (@vikasbha) April 26, 2024
मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर दिए गए इस बयान पर सीनियर जर्नलिस्ट दिलीप मंडल ने कहा था कि ‘मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला हक वाला मनमोहन सिंह का बयान अचानक नहीं आया था। ठीक इसी दौरान कोशिश हो रही थी कि शिड्यूल्ड कास्ट की लिस्ट में मुसलमानों को भी घुसाया जाए। मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में अलग से 15 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। ओबीसी आरक्षण को धर्म के आधार पर बांट कर मुसलमानों को 6 प्रतिशत अलग दिया जाए। धर्म परिवर्तन करने पर भी एससी का दर्जा सुरक्षित रहे।’ उन्होंने एक्स पर लिखा है कि कांग्रेस सरकार रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट के हवाले से दलितों का हक छीन कर मुस्लिमों को देना चाहती थी। उन्होंने यह भी लिखा है कि रंगनाथ मिश्रा धर्मांतरण का रास्ता साफ करने की कोशिश कर रहे थे और सरकार की शह उनको हासिल थी।
मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला हक वाला मनमोहन सिंह का बयान अचानक नहीं आया था. ठीक इसी दौरान कोशिश हो रही थी कि:
1. शिड्यूल्ड कास्ट की लिस्ट में मुसलमानों को भी घुसाया जाए
2. मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में अलग से 15% आरक्षण दिया जाए
3. ओबीसी आरक्षण को धर्म के आधार पर बांट… pic.twitter.com/zrxfSAe6xC— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 22, 2024
हिंदू विरोधी कांग्रेसी सरकार में कर्नाटक में मंदिरों से जजिया कर
कांग्रेस पार्टी कितनी हिंदू विरोधी है इसे देश ने कांग्रेस के 60 साल से अधिक के शासनकाल में झेला है। पिछले दिनों कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने एक और हिंदू विरोधी काम किया। कर्नाटक सरकार ने 21 फरवरी, 2024 को विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक (Karnataka Hindu Religious Institutions and Charitable Endowments Bill 2024) पारित किया। इसके मुताबिक, जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज्यादा है, सरकार उनकी आय का 10 प्रतिशत टैक्स लेगी और मंदिर ट्रस्ट में गैर हिंदू भी शामिल हो सकेंगे। यानि जिस तरह मुगल काल में मुगल आक्रमणकारी हिंदुओं से जजिया वसूलते थे कांग्रेस भी उसी तरह हिंदुओं से जजिया टैक्स वसूल रही है।
मंदिरों से मिले 450 करोड़, मुस्लिम और ईसाई को दिए 330 करोड़
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार कितनी हिंदू विरोधी है उसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 16 फरवरी, 2024 को राज्य का बजट पेश किया। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राजस्व घाटे का बजट पेश करने के बावजूद सीएम सिद्धारमैया ने खुलकर अल्पसंख्यकों के धार्मिक कार्यों के लिए पैसा लुटाया। 3.71 लाख रुपये के इस बजट में वक्फ संपत्तियों के लिए 100 करोड़ रुपये और भव्य हज हाउस के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इसी तरह ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। यानि कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लिए 330 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। जबकि कर्नाटक के करीब 400 मंदिरों से हिंदू भक्तों द्वारा दिया जाने वाला सालाना औसतन दान 450 करोड़ रुपये सरकार के खजाने में जाता है। यानि हिंदुओं के 450 करोड़ में से 330 करोड़ रुपये मुस्लिम और ईसाई समुदाय को दे दिए गए।

इंदिरा ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए बनाया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB)
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बनाया था। जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी भारत को अपनी जागीर समझती थी, घटती लोकप्रियता और विपक्ष की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर, उन्होंने सेक्युलर भारत में मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की 1973 में स्थापना की। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लिए इंदिरा गांधी ने विशेष नियम भी बनाया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसमानों के पक्ष में अपनी आवाज उठाता रहा। लेकिन यह भी आश्चर्य की बात है कि 95 प्रतिशत मुसलमानों को तो ये भी नहीं पता कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड असल में है क्या? ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश में मुसलमानों की इबादतगाहों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर अपना विरोध दर्ज करता ही रहता है। लेकिन वह इतिहास पढ़ने और मुसलमानों को यह बताने को तैयार नहीं है कि जिन विवादित धार्मिक स्थलों को वह मुसलमानों के पवित्र इबादतगाह बता रहे हैं, दरअसल उसे मुगल शासकों ने हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों को तोड़कर इबादतगाह में बदला था, जो पूरी तरह से गैर इस्लामी कदम था। कायदे से बोर्ड को मुसलमानों को इस बात को लेकर शिक्षित करना चाहिए। बोर्ड अपनी स्थापना के बाद से हिंदू हित के कार्य में बाधा खड़ी करता रहा है। वर्ष 2019 में जब राममंदिर मामले में निर्णय आया तो सभी ने एक स्वर में इसे स्वीकार किया, लेकिन निर्णय के विरुद्ध AIMPLB कोर्ट पहुंच गया और हिंदू हित में बाधा खड़ी करने की कोशिश की।
आइए देखते हैं मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस किस तरह अपराधियों, आतंकियों और आतंकी संगठनों का पक्ष लेती रही है…
आतंकवादियों के लिए सोनिया गांधी के निकले आंसू
सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में मुठभेड़ हुई। इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकवादी मारे गए। दो अन्य भाग गए, जबकि जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। कांग्रेस ने इसे फर्जी बताने की पूरी कोशिश की। 2012 में यूपी चुनाव के दौरान सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों से कहा, “आपके दर्द से वाकिफ हूं। जब बाटला हाउस कांड की तस्वीर सोनिया गांधी को दिखाई थी। तस्वीरें देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।”

बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल, पाकिस्तान का बचाव
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा कि पुलवामा हमले के लिए पूरे पाकिस्तान को दोषी ठहराना ठीक नहीं है। बालाकोट एयर स्ट्राइल पर सवाल उठाते हुए इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने कहा कि हमले के लिए पूरा पाकिस्तान जिम्मेदार नहीं है। सैम पित्रोदा ने पुलवामा हमले के बारे में कहा, “हमले के बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं जानता। यह हर तरह के हमले की तरह है। मुंबई में भी ऐसा हुआ था। हमने इस बार रिएक्ट किया और कुछ जहाज भेज दिए, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। मुंबई में (26/11 आतंकी हमला) 8 लोग आते हैं और हमला कर देते हैं। इसके लिए पूरे देश (पाकिस्तान) पर आरोप नहीं लगा सकते है।”
Sam Pitroda,Indian Overseas Congress Chief on #PulwamaAttack:Don’t know much about attacks,it happens all the time,attack happened in Mumbai also,we could have then reacted and just sent our planes but that is not right approach.According to me that’s not how you deal with world. pic.twitter.com/QZ6yXSZXb2
— ANI (@ANI) March 22, 2019
राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर खड़े किए सवाल
28-29 सितंबर, 2016 की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक देश के लिए गौरव का विषय था, लेकिन देशद्रोह पर उतर आई कांग्रेसी नेताओं ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सवाल खड़े करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर ‘खून की दलाली’ करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि हमारे जिन जवानों ने जम्मू-कश्मीर में अपनी जान दी, सर्जिकल स्ट्राइक की। आप उनके खून की दलाली कर रहे हो, ये बिल्कुल गलत है।

बेरोजगारी के कारण ISIS जैसे संगठन का जन्म- राहुल
जर्मनी के हैम्बर्ग में 22 अगस्त को राहुल गांधी ने यह बयान दिया था कि बेरोजगारी के कारण ISIS जैसे संगठन का जन्म होता है। यानि वे एक तरह से ISIS जैसे संगठन के अस्तित्व को भी जायज ठहरा रहे थे। सवाल उठता है नफरत की बुनियाद और नस्लों के नरसंहार की नीति पर खड़ी होने वाले ISIS को लेकर राहुल गांधी इतने सॉफ्ट क्यों हैं? सवाल यह भी कि क्या कांग्रेस का ISIS जैसे संगठनों से कोई रिश्ता है? दरअसल मुस्लिम वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने हमेशा ही ऐसी ही अराजकता को हमेशा बढ़ावा दिया है। आजादी के बाद से ULFA, UNLF, सिमी और JKLF जैसे आतंकवादी और अलगाववादी संगठनों के आगे बढ़ने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका रही है।
लश्कर-ए-तैयबा का कांग्रेस कनेक्शन
लश्कर के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी के उस बयान का समर्थन किया था, जिसमें पार्टी ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने प्रेस रीलीज कर कहा था, ”भारतीय सेना कश्मीर में मासूम लोगों को मार रही है और गुलाम नबी आजाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है, हम कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं कि भारतीय सेना अपने ऑपरेशन कश्मीर में बंद करे।”

पत्थरबाजों का समर्थन करती है कांग्रेस
जब सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती रही है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।

अफजल-याकूब का समर्थन करती है कांग्रेस
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने अफजल गुरु को अफजल गुरुजी कहकर पुकारा था। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। काग्रेस नेताओं के समर्थन पर ही प्रशांत भूषण ने रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुलवा दिया था।

कश्मीर के अलगावादियों से कांग्रेस के हैं रिश्ते
कश्मीर में लगातार बिगड़ते माहौल के पीछे काफी हद तक अलगाववादी नेताओं का ही हाथ है। अलगाववादी नेताओं को लगातार उनके पाकिस्तानी आकाओं से मदद मिलती है और वह यहां कश्मीरी लड़कों को भड़काते रहे हैं। NIA की की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच अलगाववादियों को ISI की ओर से लगातार मदद मिल रही थी। 2011 में NIA की दायर चार्जशीट के अनुसार हिज्बुल के फंड मैनेजर इस्लाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित लगातार अलगाववादियों को पैसा पहुंचा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई कठोर निर्णय नहीं लिया था।

PFI से रहे हैं कांग्रेस के गहरे संबंध
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसकों लेकर कांग्रेस नेताओं की परेशानी बढ़ गई थी। उन्होंने पीएफआई के साथ ही बजरंग दल पर पाबंदी लगाने की मांग की। इसके बाद पीएफआई समर्थकों को खुश करने के लिए कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के दौरान बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इससे पता चलता है कि कांग्रेस पीएफआई से कितनी सहानुभूति रखती है। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 23-24 सितंबर, 2017 को केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यक्रम में ये जानते हुए भी शिरकत की थी। एक शीर्ष संवैधानिक पद पर रहे व्यक्ति का PFI जैसे संगठन के कार्यक्रम में शामिल होना ही एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है क्योंकि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है
कांग्रेस पर PFI के कृत्यों को बचाने का आरोप
गौरतलब है कि 2010 में केरल पुलिस ने PFI की गतिविधियों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को जानकारियां मुहैया करवाई थी, लेकिन तब कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने इस पर कार्रवाई की जरूरत तक नहीं समझी थी। 2010 में केरल के कन्नूर जिले में एक दलित युवक की तालिबानी अंदाज में हुई हत्या के मामले की जांच में इसी ग्रुप का हाथ सामने आया था। ऐसे में कार्रवाई की उदासीनता कांग्रेस को सीधा कटघरे में खड़ा करती है। बताया जा रहा है कि PFI के नेताओं को बचाने के लिए तब की मनमोहन सरकार ने आतंक में इस संगठन की भूमिका को नजरअंदाज कर दिया था। postcard.news की एक रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 2009 में लव जिहाद के एक मामले की सुनवाई करते हुए कैसे केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी से PFI की खतरनाक गतिविधियों का संदेह पुख्ता हो रहा था। तब केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने भी इसको लेकर अपनी चिंता को उजागर किया था।
जाकिर नाइक से कांग्रेस को है ‘मोहब्बत’
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए, लेकिन कांग्रेसी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रही। एक बार दिग्विजय सिंह ने जाकिर नाइक को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ बताया था। वाकया साल 2012 का है, जब एक इवेंट के दौरान उन्होंने नाइक के साथ मंच साझा किया था। जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन ने 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबुल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये चंदे के रूप में दिया था।

आतंकी इशरत जहां पर कांग्रेस ने की राजनीति
15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में आतंकी इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली और जीशान जौहर मारे गए थे। गुजरात पुलिस के मुताबिक उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे, लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण में केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इसमें भी सियासत दिखी। सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने कांग्रेस की साजिशों की परतें खोल दीं। उन्होंने साफ कहा कि इशरत और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था।
इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और कुछ दिनों के लिए इशरत जहां एनकाउंटर पर बनी एसआइटी की टीम मुखिया सत्यपाल सिंह ने भी कहा था कि उन्हें इशरत जहां के एनकाउंटर झूठा साबित करने के लिए ही एसआइटी की कमान सौंपी गई थी। इतना ही नहीं उन्हें इस एनकाउंटर के तार नरेन्द्र मोदी तक पहुंचने को कहा गया था।

ब्लास्ट के आरोपी को आतंकवादी कहने पर भड़क गए कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष
कांग्रेस अपने राजनीति लाभ के लिए अपराध और आतंकवाद को भी धर्म के चश्मे से देखती रही है। इस क्रम में वह कभी आतंकियों की फांसी का विरोध करती है तो कभी अपराधियों और पत्थरबाजों का समर्थन करती है। अलगाववादियों और सिमी जैसे संगठनों से रिश्ते में गुरेज नहीं करती है। कांग्रेस को ISIS जैसा खूंखार आतंकवादी संगठन भी भाने लगता है। यहां तक कि कांग्रेस आतंकियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने और पाकिस्तान का बचाव करने से पीछे नहीं रहती है। कांग्रेस के नेता आतंकियों का हमदर्द बनकर उनके आतंकी करतूतों पर पर्दा डालने और उनका बचाव करने में लगे रहते हैं। कर्नाटक कांग्रेस के सीनियर लीडर डीके शिवकुमार ब्लास्ट के आरोपी को आतंकवादी कहे जाने पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि मोहम्मद शरीक को बिना जांच के ही आतंकी करार दिया गया। सरकार बिना जांच के ऐसा कैसे कह सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने मंगलुरु में ऑटोरिक्शा में हुआ कुकर बम विस्फोट एक ‘गलती’ भी हो सकती है।

आतंकी का बचाव, सरकार और पुलिस पर सवाल
डीके शिवकुमार ने विस्फोट के आरोपी के बचाव करते हुए कर्नाटक पुलिस और सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि बोम्मई सरकार इतनी छोटी सी घटना को आतंकी साजिश करार दिया। सवाल करते हुए डीके शिवकुमार ने कहा कि ‘कौन आतंकवादी है? DGP को कैसे पता चला कि वो आतंकवादी है? बिना जांच के उन्होंने कैसे फैसला कर लिया? उन्होंने क्या जांच की, उन्होंने इतनी जल्दबाजी क्यों की?’ उन्होंने पूछा कि क्या ये मुंबई जैसा अटैक था, पुलवामा जैसा था? वहां ऐसा कुछ नहीं था। अगर यह एक आतंकी हमला था, तो उन्होंने मामले को तुरंत राष्ट्रीय जांच एजेंसी को क्यों नहीं भेजा। बीजेपी सरकार को जनता में दहशत पैदा कर मुख्य मुद्दों से भटकाने की आदत हो गई है।

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए बेतुका दलील
कांग्रेस नेता ने तर्क दिया कि बम विस्फोट को एक अलग रोशनी में पेश किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि हो सकता है किसी साथी ने गलती की हो। लेकिन इसे अलग तरह से पेश किया जा रहा है। डीके शिवकुमार ने विस्फोट को अलग दिशा देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पुलिस और सरकार द्वारा बनाई गई घबराहट के कारण कोई भी निवेशक मंगलुरु और उडुपी क्षेत्र में निवेश करने में रुचि नहीं रखता है। यह राज्य के विकास के लिए खतरे का संकेत है। इस दलील से पता चलता है कि कांग्रेस नेता को राज्य में जड़े जमा रहे आतंकियों और भविष्य में विस्फोट से जान-माल के होने वाले नुकसान की चिंता नहीं है। दरअसल डीके शिवकुमार को राज्य की छवि की आड़ में मुस्लिम वोटबैंक की चिंता सता रही है।

कांग्रेस पार्टी और इसके नेता मुस्लिम तुष्टिकरण में किस हद तक हिंदू धर्म के विरोधी हैं, एक नजर डालते हैं-
कांग्रेस के डीएनए में है हिंदू विरोध
मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं की हिंदू धर्म, हिंदू देवी-देवताओं में कोई आस्था नहीं है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी के समय में यह चरम पर है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी किसी ना किसी बहाने हिंदू धर्म के प्रति अपनी नफरत जाहिर करते रहते हैं। हिंदू विरोध की भावना कांग्रेस के डीएनए में है। 17 दिसंबर, 2010… विकीलीक्स ने राहुल गांधी की अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से 20 जुलाई, 2009 को हुई बातचीत का एक ब्योरा दिया। राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, ‘भारत विरोधी मुस्लिम आतंकवादियों और वामपंथी आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू हैं।’ अमेरिकी राजदूत के सामने दिया गया उनका ये बयान कांग्रेस की बुनियादी सोच को ही दर्शाता है। ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस हमेशा ही देश की 20 करोड़ की आबादी को खुश करने के लिए 100 करोड़ हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करती रही है।

जो खुद को हिंदू कहते हैं, वे हिंसा करते हैं- राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 01 जुलाई 2024 को हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए लोकसभा में कहा कि हिंदू हिंसा करते हैं। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लीक से हटकर राहुल गांधी ने अपने भाषण में हिंदुओं को निशाना बनाते हुए कहा कि हमारे सारे महापुरुषों ने अहिंसा और भय खत्म करने की बात कही है। शिवजी कहते हैं कि डरो मत, डराओ मत। अभय मुद्रा दिखाते हैं। मगर, जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं, वे चौबीसों घंटे हिंसा, हिंसा, हिंसा करते हैं।’ राहुल गांधी के इस बयान पर टोकते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भी कि विषय बहुत गंभीर है। पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना एक गंभीर विषय है।
पूरे हिन्दू समाज को हिंसक कहना गंभीर विषय है। pic.twitter.com/NnRctaSFs2
— Dr Akshay sharma 🇮🇳 (@draksharma1967) July 1, 2024
राहुल के आदेश से हिंदुओं को ‘गाली’ देते कांग्रेसी!
पिछले दिनों कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हिंदुओं को कट्टरपंथी बताते हुए ‘हिंदू पाकिस्तान’ की बात कही। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने हिंदुओं को कट्टरपंथी कहा और भारत के पाकिस्तान बन जाने की बात कही। खबर है कि यह सब राहुल गाधी के आदेश से किया जा रहा है। गौरतलब है कि 11 जुलाई, 2018 को ही राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और मुलाकात से पहले और बाद वह यही संदेश देना चाहते हैं कि मुस्लिमों की असल हितैषी कांग्रेस है।
राहुल गांधी ने भगवान राम को बताया पौराणिक पात्र
इस्लामी आतंकवाद के बचाव के लिए देश में हिंदू आतंकवाद का शब्द गढ़ने वाली कांग्रेस के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दिनों एक बार फिर हिंदू विरोधी बयान दिया। राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने भगवान राम को काल्पनिक और पौराणिक व्यक्ति बताया। राहुल गांधी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में संवाद के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए भगवान राम सहित भारतीय देवताओं को पौराणिक बताया। राहुल ने जोर देकर कहा कि सभी पौराणिक पात्र हैं। भगवान राम उस समय के थे, जिसमें वह क्षमाशील थे, दयालु थे।
Rashtra Drohi Congress
Ab Ram Drohi CongressRahul Gandhi says Prabhu Ram is mythological or kalpanik
This is how and why they opposed Ram Mandir and even doubted existence of Prabhu Ram… pic.twitter.com/doyXugs8Jm
— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) May 3, 2025
मणिशंकर अय्यर ने भगवान राम के अस्तित्व पर उठाए सवाल
हिंदू धर्म में आस्था और जनेऊधारी हिंदू बनने का ढोंग करने वाले राहुल गांधी के खासमखास वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने हाल ही में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था। दिल्ली में राष्ट्र विरोधी संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित ‘एक शाम बाबरी मस्जिद के नाम’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने भगवान राम, अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि स्थल सभी को कठघरे में खड़ा कर दिया। मस्जिद और मुसलमानों के प्रेम में डूबे अय्यर ने कहा कि राजा दशरथ एक बहुत बड़े राजा थे, उनके महल में 10 हजार कमरे थे, लेकिन भगवान राम किस कमरे में पैदा हुए ये बताना बड़ा ही मुश्किल है। इसलिए ये दावा करना कि राम वहीं पैदा हुए थे, यह ठीक नहीं है।
#WATCH Mani Shankar Aiyar, Congress, speaks on #RamMandir at ‘Ek Shaam Babri Masjid Ke Naam’ programme organised by Social Democratic Party of India in Delhi pic.twitter.com/QtckaUdW70
— ANI (@ANI) 7 January 2019
कांग्रेसी सांसद केतकर ने राम को बताया काल्पनिक
कांग्रेसा सांसद कुमार केतकर ने 2 अगस्त,2020 को जी न्यूज पर एक चर्चा के दौरान भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताया। केतकर ने कहा कि रामायण की वजह से राम का अस्तित्व है। हालांकि, इस निष्कर्ष पर पहुंचना अभी बाकी है कि राम इतिहास या साहित्य की रचना है या नहीं। वाल्मीकि ने एक महान महाकाव्य लिखा था और इसका प्रभाव भारत और विदेशों दोनों में महसूस किया गया था। लेकिन, मुझे नहीं पता कि वह इतिहास में मौजूद है या नहीं।
दिग्विजय ने राम मंदिर भूमिपूजन के मुहूर्त पर उठाए सवाल
अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमिपूजन के समय राहुल गांधी के करीबी कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने मुहूर्त पर सवाल उठाए। दिग्विजिय ने ट्वीट किया कि अयोध्या में भगवान राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के अशुभ मुहूर्त में कराये जाने पर हमारे हिंदू (सनातन) धर्म के द्वारका व जोशीमठ के सबसे वरिष्ठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का संदेश व शास्त्रों के आधार पर प्रमाणित तथ्यों पर वक्तव्य अवश्य देखें। उन्होंने यह भी कहा कि इस देश में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा हिन्दू ऐसे होंगे जो मुहूर्त, ग्रह दशा, ज्योतिष, चौघड़िया आदि धार्मिक विज्ञान को मानते हैं। मैं तटस्थ हूं इस बात पर कि 5 अगस्त को शिलान्यास का कोई मुहूर्त नही है ये सीधे-सीधे धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं से खिलवाड़ है।

जनेऊधारी पंडित राहुल गांधी ने साधी चुप्पी
राम मंदिर निर्माण पर सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा ने कुछ नहीं कहा। खुद को जनेऊधारी हिंदू बताने वाले और चुनाव के समय मंदिरों में चक्कर लगाने वाले राहुल गांधी ने भी चुप्पी साध ली। जब राम मंदिर मामला सुप्रीम कोर्ट में था तो कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता ही राम मंदिर के विरोध में दलीलें देते रहते थे। यहां तक कि यूपीए शासन के दौरान इसी कांग्रेस पार्टी ने भगवान राम के अस्तिव पर भी सवाल उठा दिए थे।

भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका के अस्तित्व को नकारा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में भगवान श्रीकृष्ण की पौराणिक नगरी द्वारका के अस्तित्व को नकारने का काम किया। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के फरवरी 2024 में भगवान श्रीकृष्ण के जलमग्न शहर द्वारका के अवशेषों की पूजा करने पर मजाक उड़ाते हुए कहा कि ‘कभी वो आपको समुद्र के नीचे दिखेंगे पूजा करते हुए। वहां पर… मतलब मजाक बना रखा है। पूजा हो रही है, पंडित भी नहीं है। अकेले बैठे हैं समुद्र के नीचे आर्मी वालों के साथ।’
From denying Lord Ram to now questioning the existence of Dwarka, @RahulGandhi‘s disregard for Hindu sentiments is blatant.
Shame on #CONgress for consistently disrespecting our beliefs! pic.twitter.com/ayzH08aTNb
— Vishnu Vardhan Reddy (Modi ka Parivar) (@SVishnuReddy) April 14, 2024
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी 2024 को गुजरात के द्वारका में समुद्र में गहरे पानी के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के दर्शन किए थे। श्री कृष्ण की द्वारका नगरी जहां जलमग्न हुई थी वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने गोता लगा समुद्र में जाकर द्वारका जी के दर्शन-पूजा किए। प्रधानमंत्री पानी के नीचे श्रीकृष्ण को अर्पित करने के लिए अपने साथ मोर पंख ले गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा था, ‘पानी में डूबी द्वारिका नगरी में प्रार्थना करना बहुत ही दिव्य अनुभव था। मुझे आध्यात्मिक वैभव और शाश्वत भक्ति के एक प्राचीन युग से जुड़ाव महसूस हुआ। भगवान श्री कृष्ण हम सभी को आशीर्वाद दें।’
To pray in the city of Dwarka, which is immersed in the waters, was a very divine experience. I felt connected to an ancient era of spiritual grandeur and timeless devotion. May Bhagwan Shri Krishna bless us all. pic.twitter.com/yUO9DJnYWo
— Narendra Modi (@narendramodi) February 25, 2024
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ये भी कहा कि समुद्र के अंदर कोई मंदिर भी नहीं है। ऐसे में सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने राम मंदिर के बाद द्वारका के अस्तित्व को भी नकारने का काम किया है।
Rahul Gandhi thinks doing Pooja in Shri Krishnaji’s Dwarka is a joke
Why so much hate for Hindus ? pic.twitter.com/DAHg3NXl9X
— Hardik (@Humor_Silly) April 13, 2024
राहुल के सामने पादरी पोन्नैया ने हिंदू देवी-देवताओं का किया अपमान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान 9 सितंबर 2022 को हिंदू विरोधी टिप्पणियों के लिए कुख्यात पादरी जॉर्ज पोन्नैया से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान हुई एक चर्चा की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इसमें देखा जा सकता है कि जीसस के बारे में पूरी चर्चा हो रही है। पादरी राहुल गांधी को समझा रहे हैं कि यीशु ही असल में ईश्वर हैं। पोन्नैया ने हिंदू धर्म में पूजा की जाने वाली निराकार शक्ति को ईश्वर मानने से इनकार करते हुए कहा- भगवान खुद को असली इंसान के रूप में पेश करते हैं… शक्ति के रूप में नहीं… इसलिए हम व्यक्ति के तौर पर भगवान को देख पाते हैं। खुद को जनेऊधारी बताने वाले राहुल गांधी को हिंदू देवताओं के ऐसे अपमान पर वीडियो में चुपचाप बैठे पादरी की बातों को सुनते देखा जा सकता है। पादरी ये दर्शाते रहते हैं कि जीसस ही असली भगवान हैं जबकि हिंदू देवता काल्पनिक हैं। लेकिन राहुल इस पर कुछ नहीं बोलते।
भारत जोड़ो यात्रा में हिंदुत्व को उग्र और कुरूप कहकर बदनाम किया
मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हिंदुत्व के खिलाफ बयान दिया गया। भारत जोड़ो यात्रा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में यात्रा में अंशुल त्रिवेदी ने हिन्दुत्व को कुरूप की संज्ञा दी। अंशुल ने बुरहानपुर में हुई प्रेस कांफ्रेस में कहा कि मेरा छात्र आंदोलन में पहले से योगदान रहा है। निर्भया आंदोलन के समय हम सड़कों पर थे। निर्भया के संघर्ष से बिलकिस बानो के जजमेंट तक सत्ता का कुरूप चरित्र सबके सामने है। जब सत्ता कुरूप हो जाती है, बहरी हो जाती है तब नागरिकों को सड़क पर उतरना पड़ता है। वही उसका धर्म होता है। यही धर्म निभाने के लिए हमलोग सामने हैं। उग्र और कुरूप के हिंदुत्व के सामने राहुल गांधी बंधुत्व की राजनीति खड़ी कर रहे हैं। उस बंधुत्व की राजनीति का सोल्जर बनकर मैं भारत यात्री बना हूं।
कांवड़ यात्रा के खिलाफ कांग्रेस
साल 2022 के श्रावण मास में कांग्रेस कांवड़ यात्रा के विरोध में उतर आई। राहुल गांधी की करीबी कांग्रेस नेता और पार्टी की नेशनल कोऑर्डिनेटर रितु चौधरी ने ट्वीट किया, “किताबे उठाइए, कांवड़ उठाने की जरूरत नही पड़ेगी।” हिंदू धर्म के श्रद्धालु उत्तराखंड के हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने घर के पास शिवालय में जल चढ़ाते हैं। इसी तरह बिहार में सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर श्रद्धालु कांवड़ लेकर झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं। इसी तरह काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल और अन्य शिवालयों में पवित्र नदी का जल चढ़ाते हैं। ऐसे में कांग्रेस की नेशनल कोऑर्डिनेटर रितु चौधरी के ट्वीट पर यूजर्स कह रहे हैं कि पत्थर उठाने से अच्छा है कांवड़ उठाना।
ये ज्ञान पत्थरबाजी करने वालो को क्यों नहीं देती, आस्था और श्रद्धा पर ज्ञान देना कॉंग्रेस हमेशा करते आई है। @RituChoudhryINC #ArrestRituChoudhary pic.twitter.com/iWS8G7jLsk
— Ashu Dwivedi (@AshuDwi00544070) July 18, 2022
हिंदू आस्था से खिलवाड़
राहुल गांधी सिर्फ जनेऊधारी हिंदू होने का नाटक करते हैं, असल में उनकी हिंदू धर्म में कोई आस्था नहीं है। मध्य प्रदेश में चुनाव अभियान के दौरान जबलपुर में कांग्रेस पार्टी ने राहुल के शिव भक्त की तरह है नर्मदा भक्त होने का जमकर प्रचार किया। राहुल गांधी के लिए मां नर्मदा की आरती का भी आयोजन किया गया। पर यहां अपनी राजनीतिक चमकाने के लिए राहुल गांधी ने हिंदू आस्था का अपमान किया और मां नर्मदा की शाम को होने वाली आरती दोपहर में ही कर दी। दरअसल, राहुल गांधी को सिर्फ हिंदुओं को प्रभावित करने के लिए आरती का नाटक करना था, असर में तो उन्हें रोड शो करना था।
दोपहर में संध्या आरती ! हाँ, बिल्कुल. पार्टी अगर काँग्रेस हो और हिन्दू राहुल गाँधी हो, तो यह भी हो सकता है.
दरअसल इसी मेथड पर इस परिवार ने देश को लगातार ठगा है लेकिन आज सूचना क्रांति के इस एडवांस दौर में इनकी तरकीबें मिनटों में नाकामयाब हो जाती हैं. @BJP4India @naqvimukhtar pic.twitter.com/LN54vjXQDh
— VikashPreetamSinha (@VikashPreetam) 7 October 2018

राहुल गांधी क्यों हैं ‘फर्जी’ हिंदू , जानिये हकीकत
पिछले दिनों सोशल मीडिया पर राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें भोपाल में कार्यकर्ता संवाद के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा सवाल करती हैं कि कार्यकर्ता आपके कैलास मानसरोवर यात्रा के संस्मरण जानना चाहते हैं। ये सुनते ही राहुल गांधी कुछ बोल ही नहीं पाए। ऐसा लगा जैसे वे कैलास यात्रा के बारे में कुछ जानते ही न हों। थोड़ी देर तो बगल में खड़े मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ भी अवाक रह गए और राहुल को चुप देख कर उन्होंने कुछ समझाने की भी कोशिश की, लेकिन इसी बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मोदी जिंदाबाद के नारे लगाने भी शुरू कर दिए।
काफी सोचने के बाद राहुल ने जो जवाब दिया वह भी काफी चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा, ‘’जो एक बार कैलास पर्वत और मानसरोवर चला जाता है वापस आने पर सब-कुछ बदल जाता है। सोच बदल जाती है और गहराई आ जाती है।‘’ जाहिर है राहुल के जवाब में उनका ‘झूठ’ छिपा हुआ है क्योंकि यात्रा वे यात्रा के संस्मरण बता ही नहीं पाए।
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने दावा किया था कि वे 31 अगस्त से 9 सितंबर के बीच कैलास मानसरोवर यात्रा पर गए थे। यात्रा शुरू करने से पहले नेपाल में सूअर और चिकेन कुरकुरे खाने को लेकर भी काफी विवाद हो चुका है। इतना ही नहीं लोग यह भी जानना चाहते हैं कि जिस कैलास मानसरोवर की यात्रा में कम से कम 21 दिन लगते हैं, कांग्रेस अध्यक्ष ने 9 दिनों में ही अपनी यात्रा कैसे पूरी कर ली?

अब तक राहुल गांधी के खानदान का इतिहास हिंदुओं के खिलाफ ही रहा है। चलिए गिनते हैं राहुल गांधी के खानदान की ‘हिंदुओं विरोधी’ साजिशों के सबूत।
गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 1
आज़ादी के बाद से ही नेहरू गांधी ख़ानदान ने हिंदुओं को नीचा दिखाने और उनका मनोबल तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसकी शुरुआत आज़ादी के बाद से ही हो गई थी। लेकिन जब नेहरू के हिंदू विरोधी काम पर अंकुश लगाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल नहीं रहे तो नेहरू पूरी बेशर्मी से इस काम में जुट गए।

इंग्लिश अखबार ‘द हिंदू’ के मौजूदा संपादक एन. राम के पिता कस्तूरी ने तब ‘द हिंदू’ का संपादक रहते हुए लेख छापा था। मौजूदा तेलंगाना के सिकंदराबाद के के. सुब्रह्मण्यम के इस लेख में आजाद भारत में हिंदू और उनकी आस्था से हो रहे खिलवाड़ और सरकार की अल्पसंख्यकपरस्त नीतियों का खुलासा किया गया था।

के. सुब्रह्मण्यम हिंदू आस्थाओं का मजाक उड़ते देखकर ही परेशान नहीं हुए। उन्होंने ये भी देखा की नेहरू सरकार बेशर्मी से दूसरे धर्मों को हिंदू धर्म से श्रेष्ठ बताने की कोशिश कर रही है। के. सुब्रह्मण्यम ने अंबेडकर की तुलना में अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, बीएन राव जैसे दूसरे हिंदू संविधान निर्माताओं को कम महत्व देने के लिए नेहरू को जिम्मेदार माना था। के. सुब्रह्मण्यम इस बात से भी दुखी थे कि वेद और हिंदू धर्मग्रन्थों का अनुवाद करने वाले अग्रेज मैक्सम्यूलर का भी सरकार गुणगान करती है। जबकि वो इनके जरिए हिंदुओं को पिछड़ा और ईसाई धर्म की सर्वोच्चता स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सरकार हिंदुओं का अहित और अल्पसंख्यकों को बढ़ावा दे रही है। अंग्रेज तो चले गए लेकिन हमारी सरकार अब भी उनकी नीतियों पर ही चल रही है।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 2
7 फरवरी, 1916 को मोतीलाल नेहरू ने अपने बेटे जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की शादी के तीन कार्ड छपवाए गए थे। तीनों कार्ड अंग्रेजी के अलावा सिर्फ अरबी लिपि और फारसी भाषा में छपे थे। तीनों ही कार्ड में किसी भी हिन्दू देवी देवता का नाम नहीं लिखा गया था। न ही उन कार्ड पर हिन्दू धर्म से जुड़ा कोई श्लोक लिखा था। हिन्दू संस्कृति या फिर संस्कृत भाषा का कार्ड में कोई नामोनिशान तक नहीं था।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 3
आजादी के बाद जब बल्लभ भाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर के दोबारा निर्माण की कोशिश शुरू की तो महात्मा गांधी ने इसका स्वागत किया, लेकिन जवाहर लाल नेहरू इसका लगातार विरोध करते रहे। जब तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर गए तो नेहरू ने न केवल उन्हें जाने से मना किया और विरोध भी दर्ज कराया।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 4
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दू शब्द रखने पर जवाहर लाल नेहरू को घोर आपत्ति थी, उन्होंने इस शब्द को हटाने के लिए कहा था। पंडित मदन मोहन मालवीय पर भी नेहरू ने यूनिवर्सिटी से हिंदू शब्द हटाने के लिये दबाव डाला था। हालांकि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुस्लिम शब्द रखने पर कभी आपत्ति नहीं जताई।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 5
वंदे मातरम को राष्ट्रगीत बनाने पर जवाहर लाल नेहरू ने आपत्ति जताई थी। उन्हीं की आपत्ति के बाद मुस्लिमों का मनोबल बढ़ा, जिससे आज तक मुस्लिम वंदे मातरम गाने का विरोध करते हैं।
गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 6
7 नवंबर, 1966 को दिल्ली में हजारों नागा साधु इकट्ठा होकर ये मांग कर रहे थे कि – गाय की हत्या बंद होनी चाहिए, इंदिरा गांधी किसी भी कीमत पर गौ हत्या बंद करने के मूड में नहीं थी। फिर क्या था, दिल्ली में ही इंदिरा गांधी ने जालियांवाला कांड दोहराया और जनरल डायर की तरह हजारों नागा साधुओं के ऊपर गोलियां चलवा दीं। इस गोलीबारी में 6 साधु की मौत हो गई, यही नहीं उस समय गौभक्त माने जाने वाले गुलजारी लाल नंदा को इंदिरा ने गृहमंत्री पद से हटा दिया। इस घटना के बाद इंदिरा गांधी कई राज्यों में चुनाव हार गई थीं।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 7
साधु- संतो पर गोली चलाने से चुनाव हार चुकी इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी की शादी में हिन्दी में कार्ड तो छपवाया… लेकिन कार्ड में कहीं भी हिन्दू देवी देवता के नाम से परहेज किया गया। इसमें भगवान गणेश का भी नाम नहीं था ।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 8
नेहरू-गांधी परिवार ने कभी कोई हिन्दू त्योहार पारंपरिक रूप से नहीं मनाया। रमजान में गांधी परिवार हर साल इफ्तार पार्टी का आयोजन करता है, वैसा आयोजन आज तक कभी नवरात्रि में उनके घर पर नहीं हुआ। कभी कन्याओं को भोजन नहीं कराया गया। कभी किसी ने इनको दीपावली में दीये जलाते नहीं देखा।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 9
राहुल गांधी की उम्र 50 साल है, जबकि प्रियंका वाड्रा की 48 साल। कभी राहुल को प्रियंका वाड्रा से किसी ने राखी बंधवाते नहीं देखा। हिन्दुओं में भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही पवित्र माना जाता है। कोई भी हिन्दू परिवार रक्षा बंधन से परहेज नहीं करता।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 10
राहुल गांधी सिर्फ मोदी को हराने के लिए हिन्दू बने हैं… वर्ना पूरे नेहरू परिवार का कभी भी हिन्दू धर्म से नाता नहीं रहा है। यहां तक कि हिन्दू पर्व- त्योहारों में बधाई देना भी अपमान माना जाता है। उदाहरण के लिए 2017 में साल पहली बार कांग्रेस दफ्तर में होली मनाई गई, इससे पहले अघोषित बैन था। राहुल गांधी ने पहली बार लोगों को 2017 में दिवाली की शुभकामनाएं दी।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 11
नेहरू गांधी परिवार कभी भी राम मंदिर निर्माण का समर्थन नहीं करता। बल्कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में भी कांग्रेसियों ने रोड़े अटकाने का काम किया। कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राम मंदिर की सुनवाई जुलाई 2019 तक टाल दी जाए, ताकि लोकसभा चुनाव हो सके। कांग्रेस चाहती थी कि 2019 तक वो हिन्दुओं को बरगला कर सत्ता में आ जाए और राम मंदिर का निर्माण हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाए।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 12
2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम, सीता, हनुमान और वाल्मिकी काल्पनिक किरदार हैं, इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 13
कांग्रेस ने ही पहली बार मुस्लिमों को हज में सब्सिडी देने और अमरनाथ यात्रा पर टैक्स लगाने का पाप किया। दुनिया के किसी भी देश में हज में सब्सिडी नहीं दी जाती है, सिर्फ कांग्रेस सरकारों ने भारत में मुसलमानों के वोट के लिए ये खैरात बांटना शुरू किया। लेकिन मोदी सरकार ने इसे खत्म कर दिया।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 14
कांग्रेस ने ही सबसे पहले दुनिया भर में हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए हिन्दू आतंकवाद नाम का शब्द गढ़ा। एक ऐसा शब्द ताकि मुस्लिम आतंकवाद की तरफ से दुनिया का ध्यान भटकाकर हिन्दुओं को आतंकवादी सिद्ध किया जा सके।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 15
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बयान के जरिए देश की बहुसंख्यक आबादी को चौंका दिया, जब उन्होंने कहा कि मंदिर जाने वाले लोग लड़कियों को छेड़ते हैं। हिन्दू धर्म में मंदिर जाने वाले लोग लफंगे होते हैं।
गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 16
तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के करीबी कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस्लामी कुरीति की तुलना राम से कर दी। जाहिर ये कांग्रेस आलाकमान के इशारे के बिना कपिल सिब्बल ये जुर्रत नहीं कर सकते थे।

गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 17
राहुल गांधी ने विदेश जाकर ये फैलाने की कोशिश की कि लश्कर से भी ज्यादा कट्टर आतंकी हिन्दू होते हैं। जबकि आज तक कभी ये सामने नहीं आया कि कोई हिन्दू आतंकी बना हो।
गांधी परिवार की हिंदू विरोधी साजिश- सबूत नंबर 18
राहुल गांधी ने जर्मनी जाकर फिर से हिन्दू धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया। राहुल ने जर्मनी में कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ जो अत्याचार होते हैं, उसकी वजह भारतीय संस्कृति है।










