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कर्नाटक में भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए कांग्रेस बोल रही झूठ, पहले कहा फ्री देंगे अब हो रही बिजली कटौती

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की राजनीति को एक नई दिशा दे रहे हैं जिसमें लोक लुभावन, भ्रष्टाचार, लोभ-लालच, फ्री की गारंटी के लिए कोई स्थान नहीं है। पीएम मोदी के नेतृत्व में आज केंद्र सरकार की योजनाएं समूचे देश के लिए होती है। वहीं कांग्रेस के लिए भ्रष्टाचार ही सबकुछ है। आजादी के बाद अब तक उन्होंने यही काम किया है और यही वजह है कि गांधी परिवार के परिवार के पास बिना किसी बिजनेस के अकूत संपत्ति है। आज जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं वहां भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है। कर्नाटक में मई 2023 में कांग्रेस की सरकार बनी। रेवड़ी कल्चर यानि फ्री की पांच गारंटी के झांसे में आकर लोगों ने कांग्रेस को तो जिता दिया लेकिन अब जनता पछता रही है। कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार बनते ही हाथ खड़े कर दिए और कहा कि कांग्रेस की पांच गारंटी को पूरा करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये अलग रखने पड़े हैं, इसीलिए अब विकास के लिए पैसा नहीं है। कांग्रेस ने चुनाव के समय फ्री बिजली का वादा किया था लेकिन अब उसने लोगों को बिजली कटौती झेलने के लिए तैयार रहने को कहा है। कुछ इलाकों में तो चार-चार घंटे बिजली कटौती हो रही है जिससे उद्योग-धंधे प्रभावित हो रहे हैं।

मई 2023 में कांग्रेस सरकार ने कहा- 200 यूनिट तक फ्री बिजली
कांग्रेस ने मई 2023 में सरकार बनाते ही जनता से कहा था कि 200 यूनिट से कम खपत होने पर 1 जून 2023 से बिजली बिल न भरें। हालांकि सरकार ने इसके लिए ‘गृह ज्योति मुफ्त बिजली योजना’ अगस्त 2023 में शुरू की। इस पर सालाना करीब साढ़े 14 हजार करोड़ का खर्च आने का अनुमान है।

अक्टूबर 2023 में कांग्रेस ने कहा- बिजली कटौती होगी
कांग्रेस ने पहले कहा कि 200 यूनिट बिजली फ्री देंगे और अब कह रही है बिजली में कटौती होगी। अब बताइए जब बिजली रहेगी ही नहीं तब कितनी बिजली फ्री मिलेगी। कर्नाटक में भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए कांग्रेस ने कहा है कि बिजली कटौती होगी और इसका ठीकरा बिजली उत्पादन कम होने पर फोड़ दिया है। कांग्रेस ने कहा कि बारिश कम होने और जलापूर्ति प्रभावित होने से बिजली कटौती होगी। कांग्रेस सरासर झूठ कह रही है कि इस साल बारिश कम हुई है, इसलिए बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है।

कांग्रेस सरकार के दावे के उलट सच्चाई कुछ और
कुल ऊर्जा मांग – 8,682 मेगावाट
कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार नवीकरणीय स्रोत ऊर्जा उत्पादन – 4,126 मेगावाट (47.25 प्रतिशत)
बिजली उत्पादन के लिए कुल तापीय संयंत्र – 3

तीन थर्मल पावर की छह इकाइयों में उत्पादन 
वर्तमान में तीनों थर्मल पावर स्टेशनों की कुल 13 इकाइयों में से छह बिजली उत्पादन कर रही हैं। रायचूर थर्मल पावर स्टेशन की आठ इकाइयों में से दो, बल्लारी की तीन इकाइयों में से दो और यरमरस थर्मल पावर स्टेशन की एक इकाई ने बिजली उत्पादन बंद कर दिया है। तीनों थर्मल पावर स्टेशनों में औसत दैनिक कोयले की खपत 25,000 मिलियन टन है।

कर्नाटक में 1,500-2,000 मेगावाट की भारी कमी
कर्नाटक सरकार उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे उत्तरी राज्यों के साथ बिजली अदला-बदली व्यवस्था पर बातचीत करेगी, साथ ही संकट से निपटने के लिए अन्य स्रोतों से अल्पकालिक बिजली खरीद पर भी विचार कर रही है। राज्य के ऊर्जा विभाग के अनुसार, 6 अक्टूबर को बिजली की मांग बढ़कर 15,012 मेगावाट हो गई, जबकि पिछले साल इसी दिन यह 9,032 मेगावाट थी। विभाग ने कहा कि कर्नाटक 1,500-2,000 मेगावाट की भारी कमी का सामना कर रहा है।

कर्नाटक में भाजपा सरकार के दौरान 30 प्रतिशत से ज्यादा बिजली सरप्लस  
कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में, कर्नाटक ने 32,503 एमयू बिजली पैदा की। मार्च 2022 में कर्नाटक ने 285 मिलियन यूनिट (एमयू) की उच्चतम खपत के साथ 14,818 मेगावाट का सर्वकालिक पीक लोड हासिल किया, जो वर्ष 2022 में वर्ष 2021 की तुलना में 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत अधिक था। क्या कर्नाटक में बिजली की कमी और बिजली कटौती हुई? नहीं!! क्या जल आपूर्ति में कोई कमी थी? नहीं!!

कर्नाटक में हर वादे से पीछे हट रही है कांग्रेस
कांग्रेस के अलोकतांत्रिक झूठ का कोई अंत नहीं है। कांग्रेस सरकार में “झूठ” और “भ्रष्टाचार” का ही बोलबाला है। कर्नाटक के लोगों के पास एक ऐसी सरकार है जो चुनाव के दौरान कर्नाटक के लोगों से किए गए हर वादे से पीछे हट रही है।

पीएम मोदी ने रेवड़ी संस्कृति के प्रति किया था आगाह
पीएम मोदी ने रेवड़ी संस्कृति के प्रति चेताते हुए कई बार कहा है कि यदि देश को विकसित बनाना है तो इससे छुटकारा पाना ही होगा। लेकिन विडंबना है कि कई राजनीतिक दल फ्री की गारंटी देकर न केवल जनता को ठगने का काम कर रहे हैं बल्कि देश और प्रदेश के विकास की राह में रोड़ा भी बन रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने इसी तरह फ्री की गारंटी का लोक लुभावन नारा देकर कर्नाटक में सरकार गठन कर लिया लेकिन अब उसकी झूठ की पोल खुलने लगी है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही दूध के दाम बढ़ा दिए गए और बस किराया बढ़ा दिया गया। इससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। फ्री की गारंटी का वादा करके सत्ता में आई कर्नाटक की कांग्रेस सरकार जनता के पैसे की बर्बादी के नए आयाम बना रही है। लोगों के लिए बिजली नहीं है लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तांबे की प्रतिमा पर एक करोड़ रुपये खर्च करने के लिए पैसे हैं।

कर्नाटक में कांग्रेस की गारंटी की सच्चाई अब लोगों से सामने आ रही है। कांग्रेस सरकार के पास विकास के लिए पैसा नहीं है, दूध-बिजली की कीमतें बढ़ा दी गई। राजीव गांधी की मूर्ति पर 1 करोड़ खर्च किए जा रहे। इन पर एक नजर-

विकास के लिए पैसा नहीं, राजीव गांधी की प्रतिम पर खर्च होंगे 1 करोड़
रेवड़ियों का वादा करके सत्ता में आई कर्नाटक की कांग्रेस सरकार जनता के पैसे की बर्बादी के नए आयाम बना रही है। कर्नाटक सरकार अब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तांबे की प्रतिमा पर एक करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। यह स्थिति तब है जब पहले से ही वहां पर राजीव गांधी की पत्थर की प्रतिमा लगी हुई है। इस कदम को लेकर अब पार्टी के भीतर से भी प्रश्न उठ रहे हैं।

एससी-एसटी फंड का उपयोग अब फ्री की गारंटी के लिए
विकास के कामों को बंद करने के बाद अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की दृष्टि अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी-एसटी) के कल्याण के लिए उपयोग किए जाने वाले फंड पर पड़ गई है। कांग्रेस सरकार ने अपनी चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए अब इस फंड से 11,000 करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है।

कर्नाटक सरकार पर हर साल लगभग 52,000 करोड़ का बोझ
अनुमान है कि कांग्रेस द्वारा दी गई पांच गारंटियों का बोझ हर साल लगभग 52,000 करोड़ रुपए का होगा। इन गारंटियों का फंड जुटाने के लिए सरकार अब विकास के कामों सहित बाकी कल्याणकारी कामों को भी बंद करने पर तुली हुई है।

मुफ्त चावल योजना पर ग्रहण, अब पैसे देगी सरकार
कर्नाटक सरकार अपना चावल देने का वादा नहीं पूरा कर पाई क्योंकि देश भर में चावल की कीमतें बढ़ गई थी और वह चावल खरीद नहीं पाई थी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वे अन्न भाग्य योजना के तहत मुफ्त चावल के बदले पैसे देंगे। अन्न भाग्य योजना योजना के तहत बीपीएल परिवारों को अतिरिक्त पांच किलो चावल देने का वादा किया गया था, लेकिन अभी पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध नहीं होने के कारण अनाज के बदले लाभार्थियों को पैसे देने की बात कही गई।

कर्नाटक में 60,000 करोड़ का खर्चा मात्र पेंशन और कर्जों के ब्याज के भुगतान पर
कर्नाटक सरकार का वर्ष 2023-24 का बजट कुल 3.24 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें से सरकार का लगभग 60,000 करोड़ का खर्चा मात्र पेंशन और कर्जों के ब्याज के भुगतान में होगा। इसके अतिरिक्त भी सरकार को तनख्वाह समेत शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य खर्चे करने हैं।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार 66,000 करोड़ उधार लेगी
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा पेश किए गए बजट के अनुसार, वह इस वर्ष लगभग 66,000 करोड़ रुपए बाहर से उधार लेगी जिससे राज्य के खर्चे पूरे किए जा सकें। इन सभी परिस्थितियों में भी कांग्रेस लगातार ऐसे खर्चे कर रही है जिनकी आवश्यकता नहीं जबकि विकास के कामों के लिए दिया जाने वाला बजट घटा रही है।

नंदिन दूध के दाम में 3 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार विकास के काम रोकने के बाद आम आदमी को महंगाई का झटकाक देने से भी गुरेज नहीं कर रही। कर्नाटक सरकार ने नंदिन दूध के दाम में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने का फैसला किया। यह बढ़े हुए नए दाम 1 अगस्त 2023 से लागू हो गए। अगर यह बढ़े हुए दाम दही, दूध पाउडर जैसे अन्य डेयरी प्रोडक्ट पर भी लागू होते हैं तो आम लोगों की परेशानी और भी बढ़ने वाली है।

कर्नाटक में बसों में सफर हुआ महंगा, बढ़ गया किराया
कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसों ने अब किराया बढ़ा दिया है। बस किराए में 2 से 5 रुपये तक वृद्धि करने का निर्णय लिया गया। दरअसल, ‘शक्ति योजना’ के कारण इन बसों में यात्रियों की संख्या बढ़ गई थी। इसके बाद महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा का भी ऐलान कर दिया था। लेकिन अब सरकार ने केएसआरटीसी बसों का किराया बढ़ा दिया है। इस नए आदेश के मुताबिक, मैसूर में घंटे के हिसाब से वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था रद्द कर दी गई है। कर्नाटक परिवहन के साथ ही राजहम्सा एक्जीक्यूटिव और राजहम्सा सहित सात विभिन्न प्रकार की अनुबंध बसों का संशोधित किराया 1 अगस्त से लागू हो गया।

कर्नाटक में मुफ्त बिजली वादा कर काट रहे जेब, बिजली दरें बढ़ीं
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुफ्त बिजली का वादा कर आम आदमी की जेब काटने का काम कर रही है। सरकार ने नागरिकों को 200 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया है। वहीं बिजली की दरें 2.89 रुपये प्रति यूनिट बढ़ा दी गई। अगर कर्नाटक के लोग 200 यूनिट स्लैब से ज्यादा बिजली खर्च करते हैं तो उन्हें अब 2.89 रुपये प्रति यूनिट की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। यह अतिरिक्त लागत ईंधन और बिजली खरीद लागत समायोजन (एफपीपीसीए) है और इसमें अप्रैल से बकाया शामिल है।

कर्नाटक सरकार ने मोटर वाहन सहित अन्य की कीमतें बढ़ाईं
मोटर वाहन कर : सरकार ने टैक्सियों, स्कूल वैन और बसों सहित वाणिज्यिक वाहनों पर कर बढ़ा दिया है। 15 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले वाहनों के लिए कर में 15 प्रतिशत की वृद्धि और 10-15 लाख रुपये की कीमत सीमा वाले वाहनों के लिए 9 प्रतिशत कर की वृद्धि की गई है। सरकार को इस टैक्स बढ़ोतरी से 472 करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान है।

होटल स्नैक्सः दूध की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद होटल एसोसिएशन ने भोजन और नाश्ते की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का फैसला किया है। इससे उपभोक्ताओं के बजट पर और दबाव पड़ने की आशंका है।

पंजीकरण और टिकटः सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री, जमीन खरीदने और घर बनाने की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। इससे इन प्रक्रियाओं के और अधिक महंगे होने की संभावना है, और लोग इन क्षेत्रों में निवेश करने से हतोत्साहित भी हो सकते हैं।

कांग्रेसी विधायकों ने कहा- लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे
डीके शिवकुमार का यह बयान 11 कांग्रेसी विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे एक पत्र के वायरल होने के ठीक एक दिन बाद आया है। दरअसल, 25 जुलाई 2023 को एक पत्र में इन विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्य करने के लिए धन का आवंटन न होने की बात पर नाराजगी व्यक्त की थी। कांग्रेस विधायकों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर उन्हें काम में आ रही समस्याओं से अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि वे कोई काम नहीं कर पा रहे हैं। लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि मंत्री सहयोग नहीं कर रहे हैं। विधायकों ने कहा कि हम लोगों की अपेक्षाओं के अनुसार काम करने में असमर्थ हैं।

5 गारंटी कैसे बढ़ा सकती है कर्ज का बोझ?
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जनता के बीच पांच गारंटियों के वादे के साथ वोट मांगने गई। कांग्रेस को बहुमत मिला और सरकार बन गई। अब पांच गारंटियों को पूरा करने में ही पूरी सरकार जुटी है।

पहली गारंटीः मुफ्त बिजली पर सालाना साढ़े 14 हजार करोड़ खर्च होगा
पांच गारंटियों में पहला वादा है कि हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली मुहैया कराई जाएगी। इस पर सालाना करीब साढ़े 14 हजार करोड़ का खर्च आने का अनुमान है।

दूसरी गारंटीः ग्रैजुएट बेरोजगार को भत्ता पर तीन हजार करोड़ खर्च होगा
दूसरी गारंटी है कि ग्रैजुएट बेरोजगार को तीन हजार मासिक और डिप्लोमा धारक को डेढ़ हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। इस पर तकरीबन तीन हजार करोड़ खर्च हो सकते हैं।

तीसरी गारंटीः बीपीएल परिवार को भत्ता पर 30 हजार करोड़ खर्च होगा
तीसरा वादा है कि हर बीपीएल परिवार (गरीबी रेखा से नीचे) की महिला मुखिया को दो हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। इस पर अमल करने में 30 हजार करोड़ से ज्यादा का सालाना खर्च आ सकता है।

चौथी गारंटीः 10 किलो अनाज पर पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे
चौथी गारंटी है कि हर बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को 10 किलो अनाज। इस पर तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।

पांच गारंटी पर करीब 53 हजार करोड़ खर्च होंगे
कांग्रेस की पांच गारंटियों का पांचवां वादा है- हर महिला को सरकारी बसों में मुफ्त सफर। इस पर कितना खर्च आ सकता है, इसका आकलन नहीं हो पाया है लेकिन इससे भी कुल बजट में इजाफा होना तय है। मोटे तौर पर सिद्धारमैया सरकार को इन गारंटियों के लिए तकरीबन 53 हजार करोड़ रुपये सालाना अतिरिक्त जुटाने होंगे।

सिद्धारमैया जब-जब आते हैं कर्ज बढ़ जाता है… लिखने पर टीचर सस्पेंड
जब-जब सिद्धारमैया की सरकार आती है, तब-तब राज्य पर कर्ज बढ़ जाता है। कर्नाटक में एक सरकारी टीचर की टिप्पणी चर्चा में है। इस फेसबुक कॉमेंट के बाद चित्रदुर्ग जिले के शिक्षक शांतामूर्ति एमजी को सस्पेंड कर दिया गया है। टीचर ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि मुफ्त वादों पर अमल करने की वजह से राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ता चला जाता है। इस पोस्ट में शांतामूर्ति ने यह भी कहा कि सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल में (2013-18) के बीच कर्नाटक का कर्ज बढ़कर 2 लाख 42 हजार करोड़ तक पहुंच गया।

सिद्धारमैया ने 22 महीने में लिया था सबसे ज्यादा कर्ज
सिद्धारमैया सबसे पहले 2013 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। पूरे पांच साल तक उन्होंने कांग्रेस की सरकार चलाई। शिक्षक शांतामूर्ति ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि एसएम कृष्णा से लेकर जगदीश शेट्टार के कार्यकाल में लोन का आंकड़ा 71,331 करोड़ रुपये था। वहीं सिद्धारमैया के सीएम रहते यह आंकड़ा 2.42 लाख करोड़ रुपये तक चला गया।

सिद्धारमैया सरकार ने पहले कार्यकाल में सबसे अधिक 39161 करोड़ कर्ज लिया
दिसंबर 2015 में सिद्धारमैया सरकार के कर्ज के आंकड़ों के बारे में एक आरटीआई से जानकारी सामने आई थी। आरटीआई ऐक्टिविस्ट भीमप्पा गदड़ की आरटीआई के जवाब में पता चला कि सिद्धारमैया सरकार ने अपने 22 महीने के कार्यकाल (उस वक्त) में 39161.44 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। यह तमाम पिछले रेकॉर्ड्स से ज्यादा था। वित्त विभाग ने आरटीआई का जवाब देते हुए बताया कि राज्य पर 1 लाख 5 हजार 584 करोड़ का कर्ज है।

पीएम मोदी ने कहा था- जिसकी ‘वारंटी’ समाप्त, उसकी ‘गारंटी’ क्या मतलब?
कर्नाटक चुनाव से पहले पीएम मोदी ने कांग्रेस की फ्री की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा भी था कि जिस पार्टी की ‘वारंटी’ ही समाप्त हो चुकी है तो उसकी ‘गारंटी’ (चुनावी वादों) का क्या मतलब है? पीएम मोदी ने मुफ्त की योजनाओं को गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि ऐसी योजनाओं से राज्यों को श्रीलंका जैसे संकट का सामना करना पड़ सकता है। फिर भी दिल्ली, पंजाब, हिमाचल और कर्नाटक में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस की तरफ से मुफ्त की योजनाएं लागू की गईं। जिनका खामियाजा अब देखने को मिल रहा है।

केजरीवाल के पास विकास के लिए पैसे नहीं, विज्ञापन पर खर्च किए 1100 करोड़
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई 2023 को दिल्ली सरकार को दो महीने के अंदर ‘रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम’ (आरआरटीएस) के लिए 415 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है। दिल्ली सरकार के विज्ञापन का खर्च देखकर सुप्रीम कोर्ट भी हैरत में पड़ गया। आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर करीब 1100 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। लेकिन जब बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पैसे देने की बात आई तो उन्होंने कह दिया कि पैसे नहीं हैं। इससे साफ पता चलता है कि विकास उनके एजेंडे में ही नहीं है।

रेवड़ी कल्चर से कई राज्य आर्थिक संकट के मुहाने पर
आरबीआई ने राजस्थान सहित 10 राज्यों के वित्तीय हालत पर चिंता जताई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के अलावा बिहार, केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कर्ज के भारी बोझ तले दबे हैं। पंजाब को एक्ट्रा बजटरी बोरोइंग देने के लिए आरबीआई ने बैंकों को ही मना कर दिया है। अब राजस्थान भी इसी राह पर चल पड़ा है। प्रदेश का कर्ज बढ़कर 4.77 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है। इसमें 82 हजार करोड़ रुपये का गारंटेड लोन भी शामिल कर दें तो प्रदेश पर कुल कर्ज 5.59 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। साल 2019 तक बजट में शामिल कर्ज 3.39 लाख करोड़ रुपये था। इसके अलावा 61 हजार करोड़ से ज्यादा का गारंटेड लोन था।

रेवड़ी कल्चर पर आगाह कर चुका है RBI
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी ‘रेवड़ी कल्चर’ से देश को होने वाले नुकसान को लेकर आगाह कर चुका है। ‘स्टेट फाइनेंसेस: अ रिस्क एनालिसिस’ नाम से आई आरबीआई की रिपोर्ट की मानें तो पंजाब, राजस्थान, केरल, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की हालत डांवाडोल है। कैग (CAG) के डेटा के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी पर राज्य सरकारों के खर्च में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिससे कर्ज बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में सब्सिडी पर राज्यों ने कुल खर्च का 11.2 प्रतिशत खर्च किया था। जो 2021-22 में बढ़कर 12.9 प्रतिशत हो गया। सब्सिडी पर सबसे ज्यादा खर्च ओडिशा, झारखंड, केरल और तेलंगाना ने किया। वहीं पंजाब, गुजरात और छत्तीसगढ़ सरकार ने सब्सिडी पर अपने रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का 10 प्रतिशत से ज्यादा खर्च किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकारें सब्सिडी की बजाय मुफ्त दे रहीं हैं। जिससे फ्री पानी, फ्री बिजली, बिल माफी और कर्ज माफी से सरकारों को कोई कमाई नहीं हो रही है। उल्टे सरकार को इस पर खर्च करना पड़ रहा है। RBI के मुताबिक कुछ ऐसे राज्य हैं जिनका कर्ज 2026-27 तक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 30 प्रतिशत से ज्यादा हो सकता है। ऐसे राज्यों में पंजाब की हालत ज्यादा खराब होगी। पंजाब सरकार पर GSDP का 45 प्रतिशत से ज्यादा कर्ज होने का अनुमान है। तो वहीं राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल का कर्ज भी 35 प्रतिशत तक होने की संभावना है।

आम जनता को भी सावधान रहना होगा
चुनाव जीतने के इरादे से राजनीतिक दलों की ओर से की जाने वाली लोकलुभावन घोषणाओं को लेकर आम जनता को भी चेतना चाहिए, क्योंकि ऐसी योजनाएं अंतत: उसके लिए मुसीबत बनती हैं और अर्थव्यवस्था का बेड़ा भी गर्क करती हैं। उन्हें यह तय करना होगा कि उन्हें 200 यूनिट फ्री बिजली चाहिए, एक हजार रुपये चाहिए या फिर अच्छे अस्पताल चाहिए, अच्छे स्कूल चाहिए, अच्छी सड़कें और अच्छी कनेक्टिविटी चाहिए।

रेवड़ी कल्चर से कभी एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट नहीं बनेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2022 में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के समय कहा था कि हमें रेवड़ी कल्चर से सावधान रहना होगा। रेवड़ी कल्चर वाले कभी आपके लिए नए एक्सप्रेसवे नहीं बनाएंगे, नए एयरपोर्ट या डिफेंस कॉरिडोर नहीं बनाएंगे। ऐसे लोगों को लगता है कि मुफ्त की रेवड़ी के बदले उन्होंने जनता जनार्दन को खरीद लिया है। उन्होंने कहा, ‘हमें देश की रेवड़ी कल्चर को हटाना है। रेवड़ी बांटने वाले कभी विकास के कार्यों जैसे रोड नेटवर्क, रेल नेटवर्क का निर्माण नहीं करा सकते। ये अस्पताल, स्कूल और गरीबों को घर नहीं बनवा सकते।’ यानी रेवड़ी कल्चर से देश तरक्की नहीं कर सकता, उल्टा देश बर्बादी की ओर बढ़ेगा। पीएम मोदी ने तो चिंता जताते हुए यहां तक कहा कि रेवड़ी कल्चर देश को कहीं का नहीं छोड़ेगा।

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