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कांग्रेस ने कदम-कदम पर किया बाबासाहेब का अपमान, तथ्यों के आईने में प्रधानमंत्री के छह आरोपों की पड़ताल

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देश में दलितों के नाम पर राजनीति चरम पर है। तमाम राजनीतिक दल अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं और बासाहेब भीमराव अम्बेडकर के नाम का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेषकर कांग्रेस पार्टी खुद को दलितों का हितैषी बताने की पुरजोर कोशिश कर रही। हालांकि कांग्रेस पार्टी का इतिहास और उसकी कार्यशैली बताती है कि उनका दलित प्रेम और बाबासाहेब के प्रति सम्मान तो महज दिखावा भर है। गौरतलब है कि 13 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी आरोप लगाए कि कांग्रेस पार्टी ने हर मोड़ पर बाबासाहेब का अपमान किया है। इस बात को पुष्ट करने के लिए उन्होंने कई तथ्य भी सामने रखे।

बहरहाल उन तथ्यों में कितनी सच्चाई है, ये हमने भी जानने की कोशिश की। तो आइये क्रमवार जानते हैं कि आरोप क्या हैं और तथ्य क्या हैं –

पहला आरोप- कांग्रेस पार्टी ने बाबासाहेब को अपनी सरकार से इस्तीफा देने पर मजबूर किया?
मामले की सच्चाई- बाबासाहेब बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और स्वतंत्रता के पश्चात बनी पहली सरकार में वे कानून मंत्री थे। हालांकि सरकार में रहते हुए भी जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने उनका लगातार तिरस्कार किया। गौरतलब है कि बाबासाहेब अर्थव्यवस्था के बहुत बड़े जानकार थे और उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण के लिए मजबूत अर्थव्यवस्था की वकालत भी की थी। लेकिन बाबासाहेब को सरकार द्वारा बनाई गई किसी भी कमेटी में कभी जगह ही नहीं दी गई। जाहिर है कांग्रेस पार्टी ने उन्हें नीचा दिखाने की भरपूर कोशिश की। अपने तिरस्कार और अपमान से आहत होकर बाबासाहेब ने 27 सितंबर 1951 को इस्तीफा दे दिया।

दूसरा आरोप- कांग्रेस सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार के समय बाबासाहेब को कोई जिम्मेदारी नहीं दी?
मामले की सच्चाई- बाबासाहेब कानून के बड़े जानकार थे, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने कई मामलों में उनके हाथ बांध रखे थे। धारा 370 जैसे अहम विषय पर भी उनकी राय नहीं मानी गई। पंडित नेहरू ने बाबासाहेब की एक नहीं चलने दी और देश पर धारा 370 जबरन थोप दिया। इसके बाद जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो उन्हें लगा कि किसी और मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। परन्तु पंडित नेहरू ने ऐसा भी नहीं किया।

तीसरा आरोप- पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन नहीं होने से भी बहुत आहत थे बाबासाहेब?
मामले की सच्चाई- कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद पिछड़ा वर्ग के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने वादाखिलाफी की और यह भी बाबासाहेब के इस्तीफे का एक बड़ा कारण बनी। दरअसल 70 वर्षों बाद भी कांग्रेस ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने से रोकने का काम कर रही है। इससे जुड़े बिल को संसद में पास नहीं होने दिया जा रहा है।

चौथा आरोप- कांग्रेस पार्टी ने बाबासाहेब को लोकसभा में आने से रोकने के लिए दो-दो बार उन्हें चुनाव हरवाने की साजिश रची थी?
मामले की सच्चाई- 1951 में इस्तीफा देने के बाद बाबासाहेब ने जब 1952 का आम चुनाव लड़ा तो कांग्रेस ने उन्हें जानबूझ कर हरवाने का काम किया। यहां तक कि पंडित नेहरू खुद बाबासाहेब के खिलाफ प्रचार किया था। दरअसल कांग्रेस नहीं चाहती थी कि वे दलितों के नेतृत्वकर्ता के तौर पर प्रचारित हों। गौरतलब है कि बाबासाहेब ने आजादी के बाद 1952 में हुए पहले आम चुनाव में अनुसूचित जाति संघ के टिकट पर उत्तरी मुंबई से चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी हार हुई। 1954 में भंडारा में हुए लोकसभा उप चुनाव में भी कांग्रेसी की साजिशों के कारण डॉ. अम्बेडकर की हार हुई। हालांकि बाद में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उनका साथ दिया और जंनसंघ के सहयोग से बाबासाहेब राज्यसभा पहुंचे थे।

पांचवां आरोप- बाबा साहेब के निधन के बाद भी कांग्रेस ने राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को मिटाने की कोशिश की?
मामले की सच्चाई- जिस महापुरुष ने आधुनिक भारत की नींव रखी, देश को संविधान दिया, गरीबों, वंचितों, पिछड़ों के उत्थान के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया, उसे कांग्रेस पार्टी की सरकारों ने भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया। 1989 में बीजेपी के समर्थन से बनी वीपी सिंह सरकार ने अटल जी और आडवाणी जी के अनुरोध पर 1990 में बाबासाहेब को मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

छठा आरोप- कांग्रेस की सरकारों ने संसद के सेंट्रल हॉल में बाबासाहेब का चित्र नहीं लगाया?
मामले की सच्चाई- देश की आजादी और निर्माण में योगदान देने वाले हर महान शख्स का तैल चित्र (Oil painting) सेंट्रल हाल में लगा है। लेकिन कांग्रेस ने सेंट्रल हॉल की दीवार पर जगह नहीं होने का हवाला देकर बाबासाहेब की तस्वीर लगाने की मांग को हमेशा खारिज किया। हालांकि 1989 में जब भारतीय जनता पार्टी की समर्थित राष्ट्रीय मोर्चा सरकार बनी तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की पहल कर संसद के केंद्रीय कक्ष में बाबासाहेब का चित्र शामिल कराया।

यह तथ्य बिल्कुल सत्य है कि जब किसी भी कार्य के प्रति आपकी ईमानदारी नहीं रहती है, तो हकीकत भी सामने आ ही जाती है। 9 अप्रैल को जब कांग्रेस पार्टी ने दलित आंदोलन के समर्थन के लिए उपवास का कार्यक्रम रखा तो कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उपवास पर बैठने से पहले ही चोरी छिपे भोजन करते पकड़े गए। तस्वीरें कैमरे में कैद हो गईं और कांग्रेस पार्टी के दोहरे चरित्र की पोल-पट्टी खुल गई। स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी दलितों के लिए उपवास नहीं कर रही थी, बल्कि इस पूरे मुद्दे का उपहास कर रही थी। जाहिर है कांग्रेस की सोच में ही खोट है ऐसे में उनके दलित प्रेम का ढोंग हर बार उजागर भी हो जाता है। 

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