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EXPOSED : ‘नमो भारत’ शब्द से ही नहीं कांग्रेस को तो भारतीय सनातन संस्कृति और गौरवशाली विरासत से भी नफरत है, जानिए कब-कब कर चुकी है बेतुका विरोध

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कांग्रेस की राजनीति भारतीय सनातन संस्कृति की सोच से नितांत परे है। इस पार्टी को न देश की ऐतिहासिक विरासत से और न ही उस गौरवशाली भारतीयता से कोई लेना-देना है, जिसका डंका आज दुनियाभर में गूंज रहा है। कांग्रेस को तो सिर्फ और सिर्फ विरोध की राजनीति करनी है। यही वजह है कि कांग्रेस और उसके नेता भारतीय सनातन संस्कृति और हिन्दू धर्म से जुड़े नामों और प्रतीकों का भी विरोध करते आए हैं। ‘नमो भारत’ नाम का ताजा विरोध इस बात का पुष्टि करता है कि कांग्रेस को भारतीय परंपरा और विरासत से कितनी नफरत है। नमो शब्द तो भारतीय संस्कृति में कितना ज्यादा रचा-बसा है। ओम नम: शिवाय या फिर ओम नमो शिवाय, हमारी अराधना का एक अहम मंत्र है। आखिरकार सनातन संस्कृति के प्रतिबिंब ‘नमो’ शब्द का विरोध कर कांग्रेस क्या हासिल करना चाहती है।

नमो शब्द सनातन धर्म के श्लोक और मंत्रोच्चारण में सदियों से समाहित
अब सोचिए नमो शब्द तो भारतीय संस्कृति में रचा-बसा शब्द है। ओम नम: शिवाय या फिर ओम नमो शिवाय या ओम नमो भगवते वासुदेवाय, हमारी आराधना का एक महत्वपूर्ण मंत्र है। यह भी कह सकते हैं कि नमो शब्द वास्तव में सनातन धर्म के मंत्रों से संबंधित है। अक्सर श्लोक और मंत्रोच्चारण के समय हम इस शब्द को कहते-सुनते आ रहे हैं। अब ‘नमो’ शब्द का विरोध कर कांग्रेस क्या हासिल करना चाहती है। यहां आपको यह भी याद दिला दें कि गोवा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने 2014 में ही नमो शब्द पर विपक्ष को करारा जवाब दे दिया था। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में नमो का मतलब होता है भगवान को नमन। ईश्वर को नमस्कार। मुख्यमंत्री कांग्रेस विधायक एलेक्सो रेगिनाल्डो लारेंसो का जवाब दे रहे थे, जिन्होंने दावा किया था कि पार्रिकर ‘नमो’ जपने में व्यस्त हैं।

‘शिवशक्ति’ से दुनियाभर में भारत का डंका बजा, पर कांग्रेस ने किया विरोध
इसी प्रकार कांग्रेस ने हाल ही में उस ‘शिवशक्ति प्वॉइंट’ के नामकरण का विरोध किया गया, जहां चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग ने भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि की एक नई कहानी लिखी। भारत चांद के उस दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचा था, जहां पर दुनिया का कोई भी देश अब तक नहीं जा पाया है। एक परिपाटी है कि अंतरिक्ष में इंसान जहां जाता है, उस जगह को कोई नाम दे देता है। प्रधानमंत्री मोदी ने बेंगलुरु में चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को ‘शिवशक्ति’ नाम दिया। रुंधे गले से पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को सैल्यूट करते हुए कहा क‍ि चंद्रयान महाअभियान सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सफलता है। पीएम ने चंद्रयान-2 के इम्पैक्ट पॉइंट को भी ‘तिरंगा’ नाम दिया। लेकिन सनातन की विरोधी कांग्रेस ने शिवशक्ति नाम पर भी आपत्ति जता दी। जबकि शिव और शक्ति दोनों ही सनातन संस्कृति में पूजनीय हैं।

गीता प्रेस गोरखपुर को शांति पुरस्कार मिलना कांग्रेस को उपहास लगा
इतना ही नहीं जब गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, तब भी कांग्रेस समेत विपक्ष के नेताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया। गीता प्रेस के लिए गांधी शांति पुरस्कार की घोषणा से कांग्रेस नेताओं और तथाकथित ‘धर्मनिरपेक्ष, उदारवादियों’ में अचानक आक्रोश फैल गया है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्विटर पर चयन की निंदा की और कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना उपहास है और यह गोडसे या सावरकर को सम्मान देने जैसा है। कांग्रेस की आलोचना के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस फैसले पर कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जाना गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान है। साल 1923 में गीता प्रेस की शुरुआत हुई और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। कांग्रेस और विपक्ष से लिए यह जानना भी जरूरी है कि गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित ‘कल्याण’ पत्रिका ने 1926 में अपने पहले अंक में स्वयं महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर के लेख प्रकाशित किए थे।

संसद में सेंगोल की स्थापना का भी कांग्रेस ने किया था जमकर विरोध
इससे पहले संसद में पवित्र सेंगोल की स्थापना को लेकर भी कांग्रेस ने जमकर विरोध किया। इस प्रकार के विरोध से यही जाहिर होता है कि इनका विरोध सिर्फ भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म से जुड़े प्रतीकों को लेकर ही होता है, जो किसी भी प्रकार से जायज नहीं ठहराया जा सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर दावा किया था कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित नेहरू ने सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक कहा था। इसके जवाब में केंद्रीय गृहमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक काम किया है। थिरुवदुथुरई अधीनम, जो शैव मत का एक पवित्र मठ है, उन्होंने खुद देश की स्वतंत्रता के वक्त सेंगोल की अहमियत के बारे में बताया था। कांग्रेस अब अधीनम मठ के इतिहास को ही फर्जी करार दे रही है! कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस, भारतीय संस्कृति और परंपराओं से इतनी नफरत क्यों करती है? एक पवित्र सेंगोल को जो तमिलनाडु के प्रतिष्ठित शैव मठ ने पंडित नेहरू को भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में दिया था, उसे म्यूजियम में ‘चलने वाली छड़ी’ की तरह रख दिया गया था।

विजयादशमी पर राफेल की पूजा को बताया तमाशा और नौटंकी
कांग्रेस सनातन संस्कृति के अपमान का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती। कांग्रेस के नेताओं ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा राफेल की पूजा किए जाने को मल्लिकार्जुन खरगे ने तमाशा करार दिया था और भारतीय रीति-रिवाज और परंपरा का मजाक बनाया था। मोदी सरकार वायु सेना का आधुनिकीकरण कर रही थी और कांग्रेस नेता राशिद अल्वी इसे नौटंकी बताकर इसके विरोध पर उतारू दिखे। इस पर भाजपा ने ट्वीट कर कहा, “जो पार्टी क्वात्रोची की पूजा करती है उसके लिए शस्त्र पूजा स्वाभाविक रूप से समस्या लगेगी। धन्यवाद खड़गेजी आपने बोफोर्स घोटाले की याद दिला दी।” भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा- कांग्रेस को सोचना चाहिए कि उन्हें किसका समर्थन करना चाहिए और किसका नहीं? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल फ्रांस में राफेल का शस्त्र पूजा की थी, लेकिन कांग्रेस नेता इसका विरोध कर रहे हैं। क्या शस्त्र पूजा विजयादशमी पर नहीं की जानी चाहिए? विजयादशमी पर शस्त्र पूजन बुराई पर सच्चाई की जीत का प्रतीक है।

 

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