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कर्नाटक में कांग्रेस सरकार कर रही हिन्दुओं से भेदभाव, कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में मंगलसूत्र बैन, हिजाब की अनुमति

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आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया। पिछले 75 सालों में कांग्रेस की केंद्र और राज्यों की सरकारोंं ने हिन्दू विरोधी नियमों और कानूनों का निर्माण किया और जबरन थोप दिया। वहीं नियम और कानून हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं। कांग्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्षता ने हमेशा से हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में कांग्रेस ने जहां हिन्दुओं को नियम और कानून पालन करने के लिए मजबूर किया, वहीं अल्पसंख्यक समुदायों खासकर मुस्लिमों को सहूलियतें और छूट दीं। आज कर्नाटक की कांग्रेस सरकार इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नजर आ रही है। कर्नाटक सिविल सेवा परीक्षा में जहां हिन्दू महिलाओं को मंगलसूत्र हटाने के लिए कहा गया, वहीं मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति दी गई। 

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का भेदभाव देखकर लगता है कि राज्य में दो संविधान लागू है। हिन्दुओं के लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का संविधान और मुस्लिमों के लिए शरियत का संविधान लागू है। हिन्दू धार्मिक रीति,रिवाज, परंपरा और मान्यता के अनुसार एक विवाहित महिला के लिए मंगलसूत्र काफी महत्वपूर्ण होता है। महिला हर वक्त मंगलसूत्र पहनी रहती है। लेकिन कर्नाटक सिविल सेवा परीक्षा में कांग्रेस की भेदभावकारी नीति ने महिलाओं को गले से मंगलसूत्र उतारने के लिए मजबूर कर दिया। यहां तक कि कान के झुमके, चेन और बिछिया समेत अन्य गहने भी उतारने को कहा गया। महिलाओं को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि परीक्षा हॉल में गहना पहनकर परीक्षा देने अनुमति नहीं है। 

परीक्षा केंद्र पर हुए भेदभाव से हिन्दू लड़कियां और महिलाएं आहत नजर आ रहा ही हैं। जिन परीक्षार्थियों से मंगलसूत्र और तमाम गहने उतारने के लिए कहा गया था, उनका कहना है कि परीक्षा केंद्र पर मुस्लिम लड़कियां और महिलाएं भी परीक्षा देने आईं थी, जो हिजाब पहने हुए थीं। अधिकारियों ने उन सभी की भी जांच की और उन्हें परीक्षा हॉल में जाने की अनुमति दे दी। हिन्दू परीक्षार्थियों के मुताबिक मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं में से किसी से भी कुछ उतारने के लिए नहीं कहा गया। जिस तरह मुस्लिम महिलाओं को चेकिंग के बाद हिजाब पहनकर जाने की अनुमति दी गई थी उसी तरह उन्हें भी अंदर जाने दिया जाना चाहिए था।

गौरतलब है कि 4 नवंबर, 2023 को कर्नाटक में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट हुआ था। प्रशासन ने परीक्षा में नकल रोकने के लिए कई कदम उठाया था। लेकिन हिन्दू लड़कियों और महिलाओं से भेदभाव ने तूल पकड़ लिया है। लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं। कर्नाटक में हिजाब को लेकर पहले भी काफी बवाल हो चुका है। 2022 में उडुपी जिले के पीयू सरकारी कॉलेज में प्रशासन ने हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं पर रोक लगा दी थी। इसके बाद पूरे देश में हिजाब के पक्ष और विपक्ष में लोग खड़े हो गए थे। कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए इसे मुद्दा बनाया था और पूरे देश में अभियान चलाया था। कांग्रेस के अघोषित अध्यक्ष राहुल गांधी कर्नाटक के इस मॉडल को पूरे देश में लागू करना चाहते हैं। अपनी भारत जोड़ो यात्रा में भी कर्नाटक मॉडल का समर्थन करते हुए दिखाई दिए थे।

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