तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट मामले में कांग्रेस का दोगलापन सामने आया है। तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे की बोली प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से अंजाम दिया गयाऔर केरल सरकार प्रक्रिया की अर्हता को पूरी नहीं कर पाने पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाने लगी। एक तरफ केरल सरकार और कांग्रेस नेता जयराम रमेश सरकार पर एयरपोर्ट को बेचने का आरोप लगा रही है जबकि तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट मुद्दे पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि निष्पक्ष प्रक्रिया में हारने के बाद केरल सरकार अब सवाल खड़े कर रही है।
Pic 1- Congress in Kerala supports privatisation of Trivandrum Airport
Pic 2: Congress in opposition at Centre attacks Modi Govt on privatisation.
Why doesn’t @ShashiTharoor explain why private entity running the operations is better to @Jairam_Ramesh? pic.twitter.com/pTwCWYrrja
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) August 20, 2020
शशि थरूर ने साफ कहा कि केरल सरकार ने नियमों के तहत नीलामी में शामिल होने का फैसला किया था। निष्पक्ष प्रक्रिया में हारने के बाद अब वह सवाल कर रहे हैं। वास्तव में ये तिरुवनंतपुरम के यात्रियों के हित में मायने रखता है, सरकार के हित में नहीं।
This thread is quite accurate. GoK chose to participate in the bidding,under rules they agreed,&after losing in the fair process,started questioning the very game they had chosen to play. What really matters is the interests of the travellers of Thiruvananthapuram,not the govt’s. https://t.co/gm5Y0N5Zka
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 20, 2020
जहां शशि थरूर यात्री सुविधा के नाम पर बोली प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं वहीं पार्टी नेता जयराम विरोध कर रहे हैं। इसे पार्टी का दोगलापन नहीं तो और क्या कहा जाए।
First, the airports in Ahmedabad, Lucknow and Mangalore were sold off. Now, it is the turn of Jaipur, Guwahati and Thiruvananthapuram. All six sold to one private company. At this rate, AAI (Airports Authority of India) could well mean ‘Adani Airports of India’!
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 20, 2020
तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट की बोली प्रक्रिया से पहले केंद्र और केरल सरकार के बीच यह सहमति बनी थी कि केरल की बोली और जीतने वाली बोली के 10 प्रतिशत अंतर रहने पर हवाईअड्डे का पट्टा उसे दिया जाएगा। लेकिन अडानी एंटरप्राइजेज की बोली केरल की बोली में 19 प्रतिशत से अधिक का अंतर अंतर था, इसलिए पट्टा अडानी को मिल गया। अब बोली हारने पर केरल सरकार और कांग्रेसी नेता सवाल उठा रहे हैं।