कांग्रेस पार्टी और घोटालों का चोली दामन का साथ है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता घोटाले करने के लिए ही बने हैं। सत्ता में रह कर आम जनता का गाढ़ी कमाई को लूटना और अपनी तिजोरी भरना, कांग्रेस पार्टी का यही काम है। करीब 200 करोड़ का एक ताजा घोटाला सामाना आया है, जिसमें पंजाब में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह की संलिप्पता सामने आई है। गुरपाल सिंह उत्तर प्रदेश के हापुड़ में स्थित सिंभावली चीनी मिल के उप महाप्रबंधक हैं और इसी चीनी मिल पर ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से लिए गए करोड़ों रुपये के लोन के गबन का आरोप है। इस मामले में सीबीआई ने गुरपाल सिंह समेत चीनी मिल के दूसरे निदेशकों और शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर छापेमारी की है।
हैरत की बात ये है कि कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार के विरोध में इतनी मशगूल है कि उसे अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के दामाद का घोटाला नहीं दिखाई दे रहा है, और वो इस घोटाले को केंद्र सरकार के मत्थे मढ़ रही है। जबकि सच्चाई यह है कि सिंभावली चीनी मिल को 2011 में लोन दिया गया था, और तब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी। दरअसल कांग्रेस पार्टी के नेताओं और उनके रिश्तेदारों को लगता है कि घोटाले कर जनता की गाढ़ी कमाई लूटना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। आपको सिलसिलेवार तरीके से कांग्रेसी नेताओं और उनके दामादों के घोटाले के बारे में बताएंगे, लेकिन पहले अमरिंदर सिंह के दामाद के काले कारनामे की चर्चा करते हैं।
अमरिंदर के दामाद ने किया 200 करोड़ का घोटाला
पंजाब में कांग्रेस के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह यूपी के हापुड़ में स्थित सिंभावली शुगर्स लिमिटेड में उप महाप्रबंधक हैं। इन पर आरोप है कि किसानों को गन्ना का भुगतान करने के लिए ओबीसी बैंक से 110 करोड़ रुपये लोन लेकर किसी अन्य काम में लगा दिया। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने इस मामले में गंभीर रुख अपनाया और सीबीआई से जांच की मांग की। सीबीआइ ने इनकी मांग पर हापुड़ की सिंभावली शुगर्स लिमिटेड मिल और उसके अधिकारियों के खिलाफ करीब 110 (109.08 करोड़) करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस कर्ज किया है। सीबीआई की इस एफआईआर में कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह समेत दूसरे निदेशक और शीर्ष अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
CBI registered case on complaint from Oriental Bank of Commerce against a pvt Sugar Company based at Simbhaoli, Ghaziabad in Uttar Pradesh for causing loss of Rs. 109.08 crore (approx.) to the Bank. Search being conducted at eight premises in Delhi, Hapur and Noida. Probe on.
— ANI (@ANI) 25 February 2018
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देश की सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक सिंभावली शुगर्स लिमटेड ने 2011 में 5700 गन्ना किसानों को पैसे देने के नाम पर ओरिएंटल बैंक से लगभग 150 करोड़ रुपये का लोन लिया। चीनी मिल ने इस पैसे को किसानों को देने की बजाए निजी इस्तेमाल में खर्च कर दिया। हालांकि करीब 60 करोड़ रुपये बैंक को किश्तों में लौटा दिए गए, लेकिन बकाया 90 करोड़ रुपये जो कि ब्याज मिलाकर करीब 110 करोड़ हो गया वो नहीं चुकाया। इसके बाद मार्च 2015 में यह लोन एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) में बदल गया। उसके बाद चीनी मिल ने पिछला बकाया चुकाने के नाम पर इसी बैंक से 110 करोड़ का कॉरपोरेट लोन लिया। नवंबर 2016 में यह लोन भी एनपीए में बदल गया। बैंक ने 17 नवंबर 2017 को इसके खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी। रिजर्व बैंक के निर्देश पर सीबीआई ने करीब 200 करोड़ के इस घोटाले में 25 फरवरी, 2018 रविवार को सिंभावली चीनी मिल के कार्यालय में छापा मारकर कई कंप्यूटर, सीडी और अन्य दस्तावेज जब्त किए हैं। इसके साथ कंपनी के निदेशकों के मेरठ, नोएडा, दिल्ली स्थित तमाम ठिकानों पर भी छापेमारी कर गहन जांच-पड़ताल की है।
अब आपको बताते हैं कांग्रेस पार्टी किस तरह अपने ही पाप को मोदी सरकार पर डालने की कोशिश में लगी है। सिंभावली चीनी मिल को जो 150 करोड़ का लोन दिया गया था वो 2011 में यूपीए सरकार के जमाने में दिया गया था, इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का दामाद इसमें फर्जीवाड़े में संलिप्त है। इसके बाद भी कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस पार्टी इस ट्वीट के लिए लोगों के निशाने पर आ गई है।
कांग्रेस के नेताओं या उनके रिश्तेदारों का सरकारी रकम हजम करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई कांग्रेसी नेताओं के दामाद और दूसरे रिश्तेदार हजारों करोड़ रुपये लूट चुके हैं।
राहुल के जीजा और सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का घोटाला
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ वर्ष 2012 में डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा, जो अब भी चल रहा है। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं।
बीकानेर में वाड्रा ने किया जमीन घोटाला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।
दिग्विजय के दामाद पर धोखाधड़ी का केस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के दामाद भवानी सिंह के खिलाफ बैंगलुरू की एक अदालत में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। पिछले वर्ष अक्टूबर में बैंगलुरू की बालाजी इलेक्ट्रिकल्स नाम की कंपनी ने आरोप लगाया था कि जिस समय दिग्विजय सिंह कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी थे, उस समय उनके दामाद भवानी सिंह ने ठेका दिलाने का भरोसा दिलाया था। ठेका दिलाने के एवज में भवानी सिंह ने 1.15 करोड़ रुपए घूस लिया था, लेकिन बालाजी इलेक्ट्रिकल्स को न काम मिला और न ही पैसा वापस मिला।
शीला दीक्षित के दामाद पर चोरी का आरोप
दिल्ली में कांग्रेस सरकार के दौरान पंद्रह वर्षों तक मुख्यमंत्री रहीं वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित के दामाद पर भी चोरी का आरोप लग चुका है। यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि शीला दीक्षित की बेटी ने ही लगाया था। नवंबर 2016 में शीला के दामाद मोहम्मद इमरान को न्यायिक हिरासत में भी भेजा गया था। शीला दीक्षित की बेटी लतिका ने आरोप लगाया था कि उसके पति मोहम्मद इमरान ने घरेलू हिंसा की और उसके आवास से गहने व दूसरी कीमती चीजें उठा ले गए। इमरान के खिलाफ पुलिस ने संपत्ति के गबन, आपराधिक षड्यंत्र, सबूत मिटाने और जालसाजी और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
अहमद पटेल के दामाद पर रिश्वत देने का आरोप
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी राज्यसभा सांसद अहमद पटेल के दामाम इरफान सिद्दीकी पर आयकर विभाग के अधिकारी को एक करोड़ रुपये रिश्वत देने का आरोप लगा था। पिछले वर्ष सितंबर के महीने में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने इरफान सिद्दीकी के खिलाफ केस दर्ज किया था। दरअसल, इनकम टैक्स ने स्टर्लिंग बायोटेक कंपनी पर छापा मारा था और इस दौरान आयकर विभाग के हाथ बड़ी रकम लगी थी। आरोप है कि इसी दौरान इरफान सिद्दीकी ने इनकम टैक्स अफसरों को घूस दी थी।
CBI FIR names son-in-law of Ahmed Patel (Irfan) of bribing Income Tax officials https://t.co/H29IUgocI3 via @PGurus1
— Subramanian Swamy (@Swamy39) 25 September 2017
अब आपको बताते हैं गांधी परिवार के घोटालों के बारे में, नेहरू के समय से लेकर आज के राहुल के वक्त तक किन-किन घोटालों को अंजाम दे चुका है देश का सबसे भ्रष्ट राजनीतिक परिवार पढ़िए-
मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। जब तक एलआईसी को पता चला, उसे कई करोड़ का नुकसान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।
मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।
बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने बतौर कमीशन 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।
नेशनल हेराल्ड मामले में करोड़ की हेराफेरी
गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप है। वर्ष 1938 में कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार प्रकाशित करती थी। एक अप्रैल, 2008 को ये अखबार बंद हो गए। मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली और एजेएल को 90 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन दिया। एजेएल यंग इंडिया कंपनी को लोन नहीं चुका पाई। इस सौदे की वजह से सोनिया और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एजेएल की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया। इस कंपनी में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के 12-12 प्रतिशत शेयर हैं, जबकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76 प्रतिशत शेयर हैं। गांधी परिवार पर अवैध रूप से इस संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा। इस मामले में सोनिया और राहुल के विरुद्ध संपत्ति के बेजा इस्तेमाल का केस दर्ज कराया गया। अब इसी मामले में आयकर विभाग ने प्रियंका गांधी की संलिप्तता भी पाई है।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।
एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-
कोयला घोटाला (2012) | 1.86 लाख करोड़ रुपये |
2जी घोटाला (2008) | 1.76 लाख करोड़ रुपये |
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला | 70,000करोड़ रुपये |
कामनवेल्थ घोटाला (2010) | 35,000 करोड़ रुपये |
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला | 1,100 करोड़ रुपये |
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला | 3,600 करोड़ रुपये |
टाट्रा ट्रक घोटाला (2012) | 14 करोड़ रुपये |