देश की जनता अब जान चुकी है कि किसान आंदोलन की पूरी स्क्रिप्ट कांग्रेस ने लिखी है। कांग्रेस का मकसद किसान आंदोलन की आड़ में मोदी सरकार के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनना है। लेकिन कांग्रेस ने जिस चक्रव्यूह को मोदी सरकार के लिए तैयार किया था, उसमें वो खुद फंसती नजर आ रही है। पंजाब के किसान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अपील के बावजूद कोरोना के प्रबंधन में विफल रहने के विरोध में प्रदर्शन और रैली निकालने पर अड़े हुए हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 23 मई, 2021 को ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU उगराहां)’ से अपील की कि वो अपने प्रस्तावित तीन दिवसीय प्रदर्शन को रोक दे, नहीं तो ये कोरोना का ‘सुपर स्प्रेडर’ बन सकता है। गौरतलब है कि शुक्रवार से किसानों का विरोध प्रदर्शन दक्षिण-पूर्वी पंजाब के पटियाला से आरम्भ होगा।
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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) से प्रस्तावित धरने को रद्द करने की अपील की और कहा कि धरना बड़े स्तर पर कोरोना फैलने का कारण बन सकता है।@prashantchurhe @amitabhnews18 #KisanAndolan pic.twitter.com/bZZ1f9Hgks— News18 India (@News18India) May 23, 2021
किसानों ने अमरिंदर सरकार पर कोरोना को रोकने में नाकाम होने का आरोप लगाया है। इस आरोप को नकारते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब का हाल दिल्ली, महाराष्ट्र और यहां तक कि उत्तर प्रदेश जैसा न हो, इसके लिए उन्होंने पूरी कोशिश की है। उन्होंने किसानों से गैर-जिम्मेदाराना हरकतें कर के अपने जीवन को खतरे में नहीं डालने की अपील की।
अमरिंदर सिंह ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे ‘किसान आंदोलन’ के समर्थन का हवाला दिया। साथ ही उन्होंने ध्यान दिलाया कि कैसे सबसे पहले पंजाब सरकार ने ही विधानसभा में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जब किसान विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे तो ज्यादातर लोग गांवों से ही आएंगे, जो पहले से ही इस महामारी से पीड़ित हैं और उनका जीवन बेहाल है। इस लिए किसानों के प्रस्तावित धरना प्रदर्शन अनुचित है।
गौरतलब है कि मई 2021 के पहले हफ्ते में ही पंजाब में किसानों ने वहां लगे वीकेंड लॉकडाउन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। किसानों ने दुकानदारों पर दबाव बनाया कि वो अपनी दुकाने खोलें और सरकार का आदेश नहीं मानें। संगठन के कार्यकर्ताओं ने नेचर पार्क में एकत्रित होकर राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ जम कर नारेबाजी की थी। किसान नेताओं ने अपने भाषण में कहा था कि हम लॉकडाउन को नहीं मानेंगे।