मोदी सरकार ने देशभर के 63,000 प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज (पैक्स) को हाइटेक बनाने का बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत प्रत्येक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण पर करीब चार लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 75 प्रतिशत हिस्सा केंद्र वहन करेगा जबकि बाकी खर्च राज्य और नाबार्ड उठाएंगे। इससे जहां कोऑपरेटिव सेक्टर में पारदर्शिता आएगी, वहीं देश में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे करीब 13 करोड़ किसानों को फायदा होगा। इसमें अधिकांश छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं।
पैक्स में सुधार के लिए बड़ा फैसला
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (29 जून, 2022) को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने पैक्स के कम्प्यूटरीकरण को मंजूरी दी। कुल 2516 करोड़ रुपये के बजट के साथ 63,000 कार्यरत पैक्स को कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सभी पैक्स को कंप्यूटरीकृत करने और उनके रोजमर्रा के कार्य-व्यवहार के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक साझा मंच पर लाने और एक सामान्य लेखा प्रणाली (सीएएस) के तहत रखने का प्रस्ताव रखा गया है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक निर्णय और बड़ा सुधार बताया।
Under this project, the main components will be Cloud-based unified software with data storage, Cyber Security, digitization of existing records, Hardware, Maintenance & Training
3.5 lakh will be the cost of computerizing one PACS: Union Min. @ianuragthakur #DigitalPACS
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— PIB India (@PIB_India) June 29, 2022
करोड़ों छोटे और सीमांत किसानों को लाभ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कंप्यूटरीकरण के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले से करोड़ों किसानों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला खासकर छोटे और सीमान्त किसानों को लाभ पहुंचाएगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और सेवाओं की आपूर्ति बेहतर हो सकेगी।
Today’s Cabinet decision on computerization of Primary Agriculture Credit Societies (PACS) will benefit crores of farmers, particularly small and marginal farmers. It will also enhance transparency and lead to better service delivery. https://t.co/QZLWgAgGDX
— Narendra Modi (@narendramodi) June 29, 2022
कंप्यूटरीकरण का फैसला पैक्स के लिए वरदान साबित होगा- अमित शाह
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सहकारिता से जुड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है और केंद्रीय मंत्रिमंडल का 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कंप्यूटरीकरण करने का फैसला इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। अमित शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय का गठन हो या उसके बाद इस क्षेत्र को सशक्त करने की दिशा में लिए गये सभी निर्णय, इनसे पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी का ‘सहकार से समृद्धि’ मात्र एक वाक्य नहीं है बल्कि यह सहकारिता से जुड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का अटूट संकल्प है।
फाइनेंशियल इनक्लूजन के साथ कृषि और ग्रामीण विकास
पैक्स का कम्प्यूटरीकरण फाइनेंशियल इनक्लूजन के उद्देश्यों को पूरा करने और किसानों दी जाने वाली सेवाओं की आपूर्ति को मजबूत करने के अलावा विभिन्न सेवाओं एवं उर्वरक, बीज आदि जैसे इनपुट के प्रावधान के लिए नोडल सेवा वितरण बिंदु बन जाएगा। यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को बेहतर बनाने के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के केन्द्र के रूप में पैक्स की पहुंच को बेहतर बनाने में मदद करेगी।
पैक्स की दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि
इस परियोजना में साइबर सुरक्षा एवं आंकड़ों के संग्रहण के साथ-साथ क्लाउड आधारित साझा सॉफ्टवेयर का विकास, पैक्स को हार्डवेयर संबंधी सहायता प्रदान करना, रख-रखाव संबंधी सहायता एवं प्रशिक्षण सहित मौजूदा रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शामिल है। इससे पैक्स की दक्षता बढ़ाने तथा उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा पैक्स को अपने बिजनस में विविधता लाने और विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा मिलेगी।
इस समय ज्यादातर पैक्स कंप्यूटरीकृत नहीं
गौरतलब है कि पैक्स देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) की त्रि-स्तरीय व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर अपनी भूमिका निभाती हैं। इस समय ज्यादातर पैक्स कंप्यूटरीकृत नहीं हैं। इससे इन समितियों की दक्षता प्रभावित होती है और इनको लेकर भरोसा कम होता है। कुछ राज्यों में पैक्स का कहीं-कहीं और आंशिक आधार पर कंप्यूटरीकरण किया गया है। उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयर में कोई समानता नहीं है और वे राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के साथ जुड़े हुए नहीं हैं। करीब 13 करोड़ किसान इसके सदस्य हैं। ऐसे में पैक्स का डिजिटलीकरण किसानों के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।