ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का लक्ष्य न केवल पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को दुनियाभर के सामने बेनकाब करना है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाना और अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करना भी है। दरअसल, भारत ने जिन 33 देशों में डेलिगेशन भेजे हैं, उनमें से अधिकांश UNSC के वर्तमान या भविष्य के सदस्य हैं, या फिर भारत के साथ उनके आर्थिक, रक्षा, और सांस्कृतिक संबंध हैं। इस तरह देखा जाए तो भारत ने 33 देशों का रणनीतिक चयन इसलिए किया क्योंकि ये देश वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर प्रभावशाली हैं, UNSC के सदस्य हैं, या भारत के रणनीतिक साझेदार हैं। उदाहरण के लिए, गुयाना में भारतीय समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति है, और वह UNSC का अस्थायी सदस्य भी है। भारत की कोशिश है कि पूरी दुनिया पाकिस्तान का वह घृणित चेहरा देखे जिसे वह अपने भिखमंगेपन के नकाब में कई बार छिपा लेता है। भारत की कोशिशों के चलते ऑपरेशन सिंदूर की गूंज दूर-देशों में भी गूंजने लगी है। दुनिया के देश पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को समझने लगे हैं और भारत के समर्थन में आए हैं। ताजा उदाहरण कोलंबिया का भी है। भारत की ओर से पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए किए गए हमलों के बाद से कोलंबिया ने पाकिस्तान के प्रति संवेदना जताई थी, लेकिन जब हमारे डेलिगेशन ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई तो इसके सुर बदले हुए नजर आए। कोलंबिया ने ना सिर्फ आतंकवाद की खिलाफत की, बल्कि भारत के समर्थन में भी खड़ा हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर पर निबंध लिखने पर सरकार देगी इनाम भी देगी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों में भी डेलीगेशन
भारत ने उन देशों को प्राथमिकता दी जो वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी या अस्थायी सदस्य हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस (स्थायी सदस्य) और अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, दक्षिण कोरिया, सियरा लियोन, स्लोवेनिया (अस्थायी सदस्य) शामिल हैं। इन देशों का चयन इसलिए किया गया क्योंकि UNSC वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद से संबंधित मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत का उद्देश्य इन देशों को पाकिस्तान के आतंकवादी समर्थन के खिलाफ अपने सबूत और दृष्टिकोण से अवगत कराना है, खासकर जब पाकिस्तान अगले 17 महीनों तक UNSC का अस्थायी सदस्य रहेगा और वहां भारत विरोधी दावे पेश कर सकता है। भारत के 7 डेलिगेशन पचास से ज्यादा देशों में जा रहे हैं। एक तरह देखा जाए तो भारत के ये प्रतिनिधिमंडल ऑस्ट्रेलिया छोड़कर हर महाद्वीप के किसी न किसी देश जाएंगे।
अपनी स्थिति मजबूत कर पाक के चेहरे को बेनकाब कर रहा भारत
भारत ने उन देशों को चुना जो क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर प्रभाव रखते हैं, जैसे सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका। ये देश खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), आसियान (ASEAN), और अफ्रीकी संघ जैसे संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, मलेशिया 2025 में आसियान की अध्यक्षता करेगा, और भारत के साथ उसका मजबूत द्विपक्षीय संबंध है। इसी तरह, सऊदी अरब और UAE के साथ भारत के हाल के वर्षों में घनिष्ठ आर्थिक और रणनीतिक संबंध बने हैं। प्रतिनिधिमंडल ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ (EU) मुख्यालय का दौरा करेंगे, ताकि पाकिस्तान के घिनौने चेहरे को बेनकाब कर सकें। इसके अलावा, अफ्रीकी संघ और आसियान जैसे संगठनों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए भी इन देशों का चयन किया गया। EU और अफ्रीकी संघ जैसे संगठन आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारत ने उन देशों को चुना जहां पाकिस्तान का प्रभाव हो सकता है, जैसे खाड़ी देश (सऊदी अरब, कतर, बहरीन, कुवैत) और मलेशिया। इन देशों में भारत अपनी स्थिति स्पष्ट कर पाकिस्तान की पोल खोल रहा है।दक्षिण अफ्रीका आतंक के खिलाफ और भारत के साथ
दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहीं एनसीपी-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने जोहान्सबर्ग में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करते हुए कहा कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से दुनिया भर में हर भारतीय को गहरा आघात पहुंचा है। सुश्री सुले ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पड़ोसी देशों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, लेकिन हालिया हमले से पता चला है कि शांति प्रयासों का सम्मान नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में जब शपथ ली थी, तो उन्होंने अपने शपथ समारोह में हर पड़ोसी को आमंत्रित किया था ताकि यह संदेश दिया जा सके कि हम चाहते हैं कि उपमहाद्वीप शांतिपूर्ण और खुशहाल हो तथा सब एक साथ आगे बढ़ें। लेकिन पहलगाम की घटना के कारण ऐसा नहीं हुआ। इस घटना ने दुनिया भर में हर भारतीय को झकझोर दिया है। मुझे खुशी है कि दक्षिण अफ्रीका भारत के साथ खड़ा है।” सुश्री सुले ने कहा कि भारत की इच्छा है कि ऑपरेशन सिंदूर वैश्विक मंच पर पहुंचे, ताकि यह दिखाया जा सके कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और निर्दोष लोगों की जान लिए बिना हमेशा शांति के लिए खड़ा रहेगा।
मिली कूटनीतिक जीत, थरूर की नाराजगी के बाद कोलंबिया ने बदले सुर
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंक के चेहरे को बेनकाब करने के लिए शशि थरूर के नेतृत्व में जो डेलिगेशन कोलंबिया गया। उसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। बता दें भारत की ओर से पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए किए गए हमलों के बाद से कोलंबिया ने पाकिस्तान के प्रति संवेदना जताई थी, लेकिन जब डेलिगेशन ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई तो इसके सुर बदले हुए नजर आए और आधिकारिक तौर पर अपना बयान वापस ले लिया है। इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा था कि हम कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया से निराश हैं। वहीं, डेलीगेशन से मुलाकात के बाद कोलंबिया की उप विदेश मंत्री योलांडा विलाविसेनियो ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि आज हमें जो स्पष्टीकरण मिला है। कश्मीर में जो कुछ हुआ उसके बारे में अब हमारे पास जो जानकारी है, उसके बेस पर हम बातचीत जारी रखेंगे। इस दौरान शशि थरूर ने आगे कहा कि हमें अभी भी महात्मा गांधी की जमीन पर गर्व है। कोलंबिया के बयान वापस लेने के बाद ये संदेश गया है कि ये भारत की यह बड़ी कूटनीतिक जीत है।
देश में रह रहे अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का अभियान
ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने के बाद भारत सरकार ने देश में रह रहे अवैध प्रवासियों को वापस बांग्लादेश भेजने का अभियान चलाया है। अब तक लगभग 2000 से अधिक अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को सीमा पार कर उनके देश भेज दिया गया है। इसमें से अधिकतर अप्रवासी पुलिस कार्रवाई के डर से भारत- बांग्लादेश की सीमा के पास आए और अपने देश वापस लौट गए हैं। इस अभियान की शुरुआत गुजरात से हुई, जहां सबसे पहले बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा गया। इसके बाद दिल्ली, हरियाणा, असम, महाराष्ट्र और राजस्थान ने भी इस अभियान को आगे बढ़ाया। इन सभी राज्यों ने मिलकर बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजा। दिल्ली और हरियाणा ने भी अवैध प्रवासियों का खोज कर उन्हें वापस भेजा। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए कि अवैध प्रवासियों को निकालने के लिए सभी राज्य की सरकारें सहयोग करें।
ऑपरेशन सिंदूर पर सर्वश्रेष्ठ निबंध को मिलेगा 10 हजार का इनाम
इस बीच रक्षा मंत्रालय ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आधारित एक निबंध प्रतियोगिता की घोषणा की। यह 30 जून तक आयोजित की जाएगी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ के जरिए बताया कि शीर्ष तीन विजेताओं को 10 हजार रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा और उन्हें दिल्ली के लाल किले में आयोजित होने वाले 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने का विशेष अवसर मिलेगा। मंत्रालय ने एक्स पर लिखा कि रक्षा मंत्रालय युवा प्रतिभाओं को अपनी आवाज बुलंद करने के लिए आमंत्रित करता है। ऑपरेशन सिंदूर – आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को पुनर्परिभाषित करना है। इस विषय पर रक्षा मंत्रालय की द्विभाषी (हिंदी और अंग्रेजी) निबंध प्रतियोगिता में हर कोई भाग ले सकता है। प्रतियोगिता की पूरी जानकारी @DefenceMinIndia और @mygovindia के सोशल मीडिया पर मिलेगी। इसके अलावा रील प्रतियोगिता के लिए, प्रतियोगियों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े किसी स्मारक या विरासत स्थल को प्रदर्शित करते हुए एक छोटा वीडियो या रील (45-60 सेकंड) बनाना होगा, जिसमें राष्ट्रीय गौरव में अपने या दूसरों के योगदान को दर्शाना है। इन रीलों को सोशल मीडिया पर #NewIndia #EmpoweredIndia #IndependenceDay2025 हैशटैग के साथ अपलोड करें।
A Grand #Final. A Grander Salute. 🫡
As the final chapter of #TATAIPL 2025 unfolds, we take a moment to applaud our nation’s true heroes, the Indian Armed Forces. 🇮🇳💙
Get ready to witness an unforgettable evening where patriotism takes centre stage and music moves the soul,… pic.twitter.com/QucxvMXhAW
— IndianPremierLeague (@IPL) June 2, 2025
आईपीएल क्लोजिंग सेरेमनी की थीम ‘ऑपरेशन सिंदूर’
IPL 2025 का फाइनल मंगलवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा। आईपीएल क्लोजिंग सेरेमनी की थीम ‘ऑपरेशन सिंदूर’है। इसमें सिंगर शंकर महादेवन परफॉर्म करेंगे। कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। हालांकि, अभी उनके शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है। पूरे स्टेडियम को तिरंगे की रोशनी से सजाया जाएगा और इस दौरान गायक शंकर महादेवन का लाइव कॉन्सर्ट होगा। क्लोजिंग सेरेमनी में मशहूर गायक शंकर महादेवन भारतीय सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि देते हुए गीत गाएंगे। कार्यक्रम में शंकर अपने बेटों सिद्धार्थ और शिवम महादेवन के साथ प्रस्तुति देंगे। शंकर की प्रस्तुति ऑपरेशन सिंदूर में शामिल बहादुर सैनिकों को सम्मानित करेगी और पहलगाम हमले में अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देगी।
अब PoK खाली किए बिना पाक से बातचीत संभव नहीं
एक ओर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार दोहरा रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर से घबराए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दुनियाभर में घूम-घूमकर गिड़गिड़ाने में लगे हुए हैं कि हम भारत से समझौता चाहते हैं। हम भारत के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं। दोनों पक्षों को बैठकर कश्मीर, जल संकट और आतंकवाद जैसे मुद्दों का समाधान निकालना चाहिए। भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की बातचीत की इस पेशकश पर दो टूक जवाब दे दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि आतंकवादियों को सौंपे बिना और PoK खाली किए बिना बातचीत संभव नहीं है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि तब तक सिंधु जल संधि भी निलंबित रहेगी। इस तीखी प्रतिक्रिया के पीछे हाल ही में शहबाज शरीफ का ईरान दौरे पर दिया गया वह बयान है जिसमें उन्होंने भारत से “पुराने मुद्दों” पर बात करने की इच्छा जताई। लेकिन भारत की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि सिर्फ बातें करने से कुछ नहीं होगा, जमीनी बदलाव जरूरी है। वह पीओके का भूगोल बदले बिना संभव नहीं है। इस बीच रामभद्राचार्य महाराज ने गुरु दक्षिणा में पीओके ही मांग लिया है।
ऑपरेशन सिंदूर ने पाक को ऐसा तबाह किया कि थर-थर कांपने लगा
पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से जो रौद्र रूप अपनाया उसकी पाकिस्तान को कल्पना तक नहीं थी। भारतीय जल, थल और नभ तीनों सेनाओं के रणबांकुरों ने युद्ध में जो पराक्रम दिखाया, उससे पाकिस्तान इतना नुकसान हुआ कि वो थर-थर कांपने लगा। मिसाइल स्ट्राइक में भारत सेना ने ना सिर्फ पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के नौ बड़े अड्डों को तबाह किया, बल्कि 100 से ज्यादा आतंकी भी मार गिराए। इसके बाद चीन और तुर्की के जिन हथियारों के दम पर पाकिस्तान ने जंग में उतरने का फैसला लिया, वो हथियार भारतीय शूरवीरों और सुदर्शन चक्र के आगे बेहद बौने और फेल साबित हुए। भारतीय सेना के इन तेज हमलों को देख रहे पाकिस्तान का खौफ तब बहुत ज्यादा बढ़ गया, जबकि भारतीय हमले की जद में पाकिस्तान का परमाणु जखीरा भी आ गया। जिन परमाणु बम पर पाकिस्तान को नाज था और भारत को बार-बार गीदड़ भभकी देता था, वह भारतीय मिसाइलों की जद में आ गया था। इससे घबराया पाकिस्तान अमेरिका शरण में जाकर सीजफायर करवाने की गुहार लगाने लगा। अमेरिकी मदद से भले ही पाक सीजफायर कराने में सफल रहा हो, लेकिन उसके लिए आगे की राह आसान नहीं है।
अजरबैजान : हम बातचीत को तैयार, ताकि जरूरी मुद्दों पर समाधान हो
भारतीय सेना का पराक्रम और आक्रमण ने पाकिस्तान को इतना नुकसान पहुंचाया है कि वो सालों पीछे पहुंच चुका है। सीजफायर के बाद भी भारत की ओर से सिंधु जल समझौते को निलंबित करने से लेकर लंबे समय तक कूटनीतिक और आर्थिक नाकेबंदी पाकिस्तान के लिए घातक साबित हो रही है। यही वजह है कि अब पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख मुनीर कई देशों में घूम-घूम कर समझौते के लिए मिमिया रहे हैं। पाक प्रधानमंत्री शहबाज ने अजरबैजान के लाचिन में आयोजित पाकिस्तान-तुर्की-अजरबैजान त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान हर सूरत में भारत से समझौता वार्ता करने को तैयार है। उन्होंने कहा है कि हमें क्षेत्र में शांति चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि उन मुद्दों पर बातचीत हो जो तत्काल समाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं जैसे कि कश्मीर का मुद्दा, जो संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार और कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुसार हल होना चाहिए।
सैयद खामनेई का रूखा सा जवाब सुन शहबाज का मुंह लटका
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ईरान के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने तेहरान में ईरानी नेतृत्व से मुलाकात की है। पाकिस्तान का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व का ये दौरा भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई पिटाई के बाद हो रहा है, जिसका उद्देश्य भारत के खिलाफ समर्थन जुटाना है। हालांकि, इस मामले में ईरान में पाकिस्तान को मायूसी हाथ लगी है। शहबाज शरीफ ने ईरान दौर पर भारत के साथ अपने हालिया संघर्ष और कश्मीर का मुद्दा उठाया, लेकिन ईरान ने इस पर बेहद ठंडी प्रतिक्रिया दी है। शहबाज शरीफ ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सैयद अली खामेनेई के साथ मुलाकात की। इस दौरान भारत के साथ सैन्य टकराव को कश्मीर के मुद्दे का जिक्र किया, लेकिन खामेनेई की टिप्पणी ने बता दिया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बात को उन्होंने कितनी तवज्जो दी है। खामेनेई की तरफ से आई सार्वजनिक टिप्पणी में केवल इतना कहा गया कि ईरान को उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद सुलझ जाएगा।
तेहरान: इस क्षेत्र में शांति की खातिर हम बातचीत को तैयार – शहबाज
शहबाज शरीफ ने एक सप्ताह यह दूसरी बार मिमियाकर कहा है कि वह चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता होनी चाहिए। इससे पहले सोमवार को तेहरान में दिए गए बयान में उन्होंने कहा था कि सभी विवादों को सुलझाने के लिए वे भारत के साथ बात करने के लिए तैयार हैं। भारत की तरफ से स्पष्ट किया जा चुका है कि बात होगी तो सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर पर होगी। तुर्किए से ईरान की राजधानी तेहरान पहुंचने के बाद शहबाज ने राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने मुलाकात की। बाद में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में शहबाज ने कहा कि वह शांति की खातिर भारत के साथ बातचीत को तैयार हैं। हालांकि शांति की बात करते-करते ही वे असलियत पर उतर आए। एक सवाल के जवाब में शहबाज इस धमकी पर भी उतर आए कि भारत द्वारा युद्ध का रास्ता चुनने पर जवाबी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
VIDEO | In response to a media query on deportation of Indian nationals from the US, Ministry of External Affairs spokesperson Randhir Jaiswal (@MEAIndia) says, “We have close cooperation between Indian and the US over migration issue. On deportation of Indian nationals who have… pic.twitter.com/Q2yZ1pIwIL
— Press Trust of India (@PTI_News) May 29, 2025
आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, बात पीओके पर होगी- भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो टूक लहजे में कहा कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ किसी भी सूरत में नहीं चल सकते। भारत का रुख शुरू से ही साफ और एक जैसा रहा है। पीएम मोदी ने भी कहा है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। पाकिस्तान को पहले उन आतंकवादियों को सौंपना होगा जिनकी सूची हमने वर्षों पहले सौंपी थी। उन्होंने आगे कहा कि यदि कश्मीर पर कोई बातचीत होनी है तो वह सिर्फ इस मुद्दे पर होगी कि पाकिस्तान कब और कैसे PoK को खाली करेगा। भारत ने साफ कर दिया है कि सिंधु जल संधि भी फिलहाल निलंबित रहेगी। जायसवाल ने कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से बंद नहीं करता तब तक सिंधु जल संधि पर कोई प्रगति नहीं होगी। प्रधानमंत्री मोदी के पुराने कथन को दोहराते हुए उन्होंने कहा, आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते। आतंक और व्यापार साथ नहीं चल सकते। और पानी और खून साथ नहीं बह सकते।
रामभद्राचार्य ने गुरु दक्षिणा में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र मांगा पीओके
इधर एक दिलचस्प घटनाक्रम में पीओके को दक्षिणा में मांग लिया गया। दरअसल, जिस तरह महाभारत में एकलव्य ने द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा में अपने दाएं हाथ का अंगूठा दिया था। उसी तर्ज पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से गुरु दक्षिणा में पाक अधिकृत कश्मीर (पोओके) की मांग की है। सेना प्रमुख ने चित्रकूट में जगद्गुरु से गुरु दीक्षा ग्रहण की। जगद्गुरु ने गुरुवार को इसका खुलासा करते हुए कहा, मैंने सेना प्रमुख को गुरु मंत्र दिया। उसकी दक्षिणा के तौर पर उनके सामने पीओके की मांग रखी है। जगद्गुरु ने कहा, सेना प्रमुख ने उन्हें पीओके देने का आश्वासन दिया है।
उसी मंत्र की दीक्षा, जो सीता ने हनुमान को लंका विजय के लिए दिया
उन्होंने कहा कि विजयी सेना प्रमुख का सम्मान करने में मुझे बहुत गौरव की अनुभूति हुई। उन्होंने मुझसे उसी मंत्र की दीक्षा ली, जो सीता जी ने हनुमान जी को लंका विजय के लिए दिया था। मैंने उनसे पीओके की दक्षिणा मांगी तो उन्होंने कहा कि निश्चित ही आपको दक्षिणा मिलेगी। सेना प्रमुख पत्नी के साथ चित्रकूट पहुंचे थे। उन्होंने तुलसी पीठ में जगद्गुरु से मुलाकात की। पद्म विभूषण से सम्मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, माता सीता का मंत्र लेने के बाद हनुमान ने लंका दहन किया था। मैं भी चाहता हूं कि हमारी सेना पाक अधिकृत कश्मीर को भारत के कब्जे में लेकर आए। अगर पाकिस्तान दोबारा भारत पर हमला करता है तो उसे दुनिया के नक्शे से मिटा दिया जाए। उन्होंने कहा, मुझे पाकिस्तान को कोई संदेश नहीं देना है, क्योंकि श्वान की दुम कभी सीधी नहीं होती।