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तेलंगाना जाति सर्वेक्षण जारी कर फंस गए राहुल के करीबी सीएम रेवंत रेड्डी, लोग पूछ रहे हैं कब छोड़ेंगे कुर्सी…

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तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आने के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार राज्य की कुल आबादी 3.70 करोड़ में पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी 46.25 प्रतिशत है। अगर इसमें 10.08 प्रतिशत मुस्लिम पिछड़े वर्ग को शामिल कर लिया जाए तो राज्य की 56.33 प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग से हो जाती है। इसके साथ ही जाति सर्वे के अनुसार इसमें 17.43 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 10.45 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 13.31 प्रतिशत अन्य जातियां शामिल हैं। सर्वे जारी होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इसका श्रेय लेने की कोशिश की।

हालांकि तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने भी सर्वे को लेकर अपनी पीठ ठोकने की कोशिश की, लेकिन इसमें उनकी कुर्सी जाती दिख रही है। सीएम रेड्डी के ट्वीट के बाद लोग सवाल कर रहे हैं कि जाति सर्वेक्षण जारी कर मुख्यमंत्री खुद फंस गए क्या? लोग कह रहे हैं कि आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व देने की बात करने वाली पार्टी खुद इसमें घिर गई है। लोग सवाल कर रहे हैं कि तेलंगाना में हुई जाति जनगणना में करीब 90 प्रतिशत आबादी एससी, एसटी, ओबीसी और माइनॉरिटी की है, तो फिर ऐसे में राज्य में अपर कास्ट के सवर्ण सीएम रेवंत रेड्डी क्यों हैं? वो अपनी कुर्सी कब छोड़ रहे हैं? 56.33 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने पर भी रेवंत रेड्डी कैबिनेट में ओबीसी के सिर्फ सिर्फ 2 मंत्री ही क्यों हैं? एससी से 2 और एसटी से सिर्फ 1 मंत्री ही क्यों हैं? इसके साथ ही कम हिस्सेदारी होने के बाद भी रेड्डी मंत्रिमंडल में सात सवर्ण मंत्री क्यों हैं? सोशल मीडिया पर उठ रहे इन सवालों से लग रहा है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने काफी मेहनत करके जिस जाति सर्वे जाल को बीजेपी को फंसाने के लिए फेंकी, आज उसी जाल में खुद कांग्रेस फंस गई है। ये कांग्रेस के लिए गले की हड्डी भी बन गई है। जाति सर्वे को लेकर लोग कांग्रेस पर तंज भी कस रहे हैं। देखिए सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है…

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