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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सच नहीं मान सकते! राहुल गांधी, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण का प्रोपेगेंडा फेल

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अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जार्ज सोरोस, राहुल गांधी, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और लेफ्ट लिबरल गैंग का मोदी सरकार को बदनाम करने का मंसूबा फेल हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली है और सभी पक्षों को 27 नवंबर तक लिखित दलीलें जमा करवाने को कहा है। सुनवाई के दौरान जिस तरह से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया उससे साफ हो गया कि सुप्रीम कोर्ट ने अडानी को क्लीन चिट दे दी है। कोर्ट ने प्रशांत भूषण से पूछा कि आपके पास अडानी के खिलाफ क्या सबूत है। इस पर वह कोई सबूत नहीं दे सके। कोर्ट ने साफ कर दिया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सच नहीं मान सकते। कोर्ट ने सेबी और एक्सपर्ट कमेटी पर भरोसा नहीं जताने और आधी-अधूरी जानकारी देने के लिए प्रशांत भूषण को फटकार लगाई। जनहित याचिका की आड़ में अडानी समूह को बदनाम करने और अडानी के बहाने मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश रचते-रचते प्रशांत भूषण खुद ही हिंडनबर्ग केस में घिर गए।

सेबी पर संदेह करने की कोई वजह नहींः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने वाले बाजार नियामक सेबी पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि अब तक हमारे पास ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं दिया गया है कि हम इस जांच पर भरोसा नहीं करने की कोई वजह मानें। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए दावों को पूरी तरह तथ्यों पर आधारित नहीं मानकर चल रहा है। याचिकाकर्ताओं की ओर विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच कराने मांग करने पर पीठ ने कहा कि उसके समक्ष कोई तथ्य न होने पर अपने स्तर पर विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करना उचित नहीं होगा। अडानी-हिंडनबर्ग मामले से संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया। 

कोर्ट ने अडानी पर हिंडनबर्ग और OCCRP रिपोर्ट को खारिज किया
अडानी समूह को बदनाम करने के लिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट 24 जनवरी 2023 को लाई गई थी। इसके बाद राहुल गांधी, महुआ मोइत्रा से लेकर तमाम लेफ्ट लिबरल गैंग अडानी समूह पर निशाना साधने लगा। अडानी के बहाने देश को और मोदी सरकार को बदनाम करने का कोई मौका इन्होंने नहीं छोड़ा। इसके बाद अडानी मुद्दा को जिंदा रखने के लिए 31 अगस्त 2023 को जार्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट की रिपोर्ट को ही आगे बढ़ाते हुए अडानी समूह पर एक और आरोप लगा दिया। अदालत ने हिंडनबर्ग के साथ ही OCCRP रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया।

OCCRP रिपोर्ट और प्रशांत भूषण के NGO का है कनेक्शन?
याचिकाकर्ता की तरफ से खड़े हुए प्रशांत भूषण ने अपनी दलीलें पेश करते हुए OCCRP की जिस रिपोर्ट का जिक्र किया। मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने इस पर कहा कि हमने OCCRP से रिपोर्ट की जानकारी मांगी, तो OCCRP ने इनकार कर दिया। OCCRP ने प्रशांत भूषण से जुड़े एक NGO से बात करने को कहा, जो हितों का टकराव दिखाता है।

प्रशांत भूषण ने सुनवाई को भटकाने के लिए पुराना मामला उठाया
सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को भटकाने के लिए प्रशांत भूषण ने पुराना मामला खोद कर निकाल लिया जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। प्रशांत भूषण ने जनवरी 2014 में DRI से सेबी को लिखे एक पत्र का हवाला दिया था। इस पत्र में बताया गया था कि सेबी को अडानी समूह के गलत तरीके से पैसों की निकासी और फिर उन्हें लाने के बारे में जानकारी दी थी। अडानी पावर ने उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में अधिक बिलिंग करके पैसे निकालने, उन्हें मॉरीशस से दुबई भेजने और फिर शेयर बाजार के माध्यम से भारत में धन वापस भेजने के बारे में सूचित किया गया था। भूषण ने कहा कि इस चेतावनी के बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस पर कोर्ट ने पाया कि यह पुरानी रिपोर्ट है। इस पुरानी रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह तरीका ठीक नहीं है।

पुराने पत्र का हवाला देने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने पत्र को लेकर प्रशांत भूषण से सख्त सवाल किया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने प्रशांत भूषण से कहा आपने डीआरआई के जिस पत्र का हवाला दिया है क्या उसमें डीआरआई की जांच समाप्त हो गई है? CESTAT में एक न्यायिक निकाय के दिए फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है? इसका जवाब देते हुए वरिष्ठ वकील ने कहा कि यह सच है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दूसरे पक्ष ने तथ्यों को कोर्ट से छुपाया है।

विदेश में खबर छपवाइए और भारतीय नीतियों को प्रभावित कीजिए
SEBI की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि OCCRP रिपोर्ट विदेशी एनजीओ की है। हमें रिपोर्ट भेजी गई, लेकिन डिटेल नहीं दी गई। तो मैंने सुझाव दिया है कि इसका जवाब नहीं देंगे। ऐसी रिपोर्ट पर काम करने लगे, तो एक्सपर्ट कमेटी का काम ही बेकार हो जाएगा। “ऐसी रिपोर्ट पर काम करने लगे, तो हमारी एजेंसियों का क्या मतलब। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “ये नया ट्रेंड है, विदेश में खबर छपवाइए और भारतीय नीतियों को प्रभावित कीजिए।”

कैसे मानें, मीडिया ने सही रिपोर्ट छापी : SC ने किया सवाल
सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने मीडिया में छपी खबरों का भी जिक्र किया, तो कोर्ट ने कहा, “हम एक संवैधानिक बॉडी को यह नहीं कह सकते कि अख़बार में छपी ख़बर को ही सच मान लिया जाए। 24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर आरोप लगाए गए थे। इस केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर SEBI को भी जांच करने के लिए कहा था।

विशेषज्ञ समिति पहले ही दे चुकी सेबी को क्लीन चिट
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद देश भर में सवाल उठने लगे थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को इस मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करने के अलावा सेवानिवृत्त न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने को कहा था। विशेषज्ञ समिति ने मई में अपनी रिपोर्ट दे दी थी। इसमें कहा था कि प्रथम दृष्टया इस मामले में सेबी की ओर से कोई चूक नहीं पाई गई।

अडानी पर था शेल कंपनी के जरिये हेरफेर का आरोप
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियां मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडानी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडानी ग्रुप को कानून से बचने में मदद की। जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति और सेबी की जांच ऐसी कोई बात नहीं निकली।

अडानी के खिलाफ हिंडनबर्ग और OCCRP रिपोर्ट लाकर मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश रची गई। इस पर एक नजर-

महुआ मोइत्रा भी करती रही अडानी समूह पर बयानबाजी
राहुल गांधी के अलावा महुआ मोइत्रा भी अडानी मुद्दा उठाने के प्रति मुखर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त में ग्रीस का दौरा किया था। यह 40 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का दौरा था। तब भी महुआ ने इस दौरे को अडानी से जोड़ दिया था कि अडानी की नजरें यूरोप जाने वाले भारतीय निर्यात के लिए प्रवेश द्वार के रूप में ग्रीक बंदरगाहों पर है। इससे साफ होता है कि अडानी मुद्दा विदेशी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा उठाया गया था और उसका मकसद मोदी सरकार को बदनाम करना था, देश की विकास रफ्तार रोकना था और विदेशी निवेश को भी रोकना था। ऐसे में जब राहुल और महुआ अडानी मुद्दा उठाते हैं तो वो विदेशी ताकतों को ही लाभ पहुंचाते हैं और देशविरोधी काम करते हैं। महुआ ने रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछे। महुआ मोइत्रा के हालिया 61 सवालों में से 50 सवाल ऐसे हैं, जो दर्शन हीरानंदानी और उनकी कंपनी के व्यावसायिक हितों की रक्षा करने या उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए पूछे गए। मोइत्रा ने जिस तरह से अडानी समूह पर बयानबाजी की, वह स्पष्ट रूप से फंडिंग प्रेरित था। उपहार में दिए गए आईफोन मॉडल के नाम और उन स्थानों तक का विस्तृत विवरण है जहां बैठक हुई थी।


भारत में विकास की रफ्तार को रोकने का एक षडयंत्र
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को 2023 को रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था और अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप लगाया था। और अब देश में हो रहे जी-20 से पहले हिंडनबर्ग का दूसरा संस्करण 31 अगस्त 2023 को ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (OCCRP) द्वारा लाया गया। इसके वर्तमान संपादक आनंद मंगनाले हैं जो चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। इससे इसकी साजिश को समझा जा सकता है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट केवल मोदी सरकार की छवि खराब करने के लिए नहीं लाई गई थी बल्कि भारत में विकास की रफ्तार को रोकने का एक षडयंत्र था। OCCRP की रिपोर्ट भी उसी षडयंत्र का एक हिस्सा है। वे भारत में उद्योगों को ध्वस्त करना चाहते हैं, वे देश के छोटे निवेशकों के विश्वास को तोड़ना चाहते हैं, वे विदेशी निवेशकों के भारत में विश्वास को डिगाना चाहते हैं।

देश को बदनाम करने के लिए जी-20 से पहले OCCRP रिपोर्ट
अडानी के खिलाफ OCCRP की रिपोर्ट देश में जी-20 की बैठक से करीब एक हफ्ते पहले 31 अगस्त 2023 को जारी की गई और मीडिया की सुर्खियां बनीं। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि कि गौतम अडानी ग्रुप द्वारा शेयरों के साथ गड़बड़ी का मामला हुआ है। OCCRP की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीकों से खुद अपने शेयर्स खरीद कर के स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर का निवेश कर रखा है। OCCRP के वर्तमान संपादक आनंद मंगनाले हैं जो चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। OCCRP को जार्ज सोरोस के OSF और फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। ऐसे आरोपों का अडानी ग्रुप द्वारा अपने मीडिया स्टेटमेंट में खंडन किया गया है।

OCCRP की रिपोर्ट के लेखक आनंद मंगनाले और रवि नायर
OCCRP की रिपोर्ट के लेखक आनंद मंगनाले और रवि नायर हैं। आनंद मंगनाले चीनी प्रचार आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे हैं। रवि नायर ने राफेल पर प्रजंय गुहा ठाकुरता के साथ मिलकर एक किताब लिखी है! इन्हीं लोगों का समूह हिंडनबर्ग रिपोर्ट और बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री लेकर आया था। इन दोनों ही रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा काफी सक्रिय थी। वजह जानना चाहते हैं?हिंडनबर्ग रिसर्च के मालिक नाथन एंडरसन और ANSON group के मालिक मोएज कसम के बीच क्या संबंध है यह जानने के लिए इस रिपोर्ट को पढ़िए- क्या अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में एन्सन फंड शामिल थे? मोएज कसम एक एनजीओ चलाते हैं जिसमें उनकी पत्नी एनजीओ की सह-संस्थापक हैं। Moez Kassam की पत्नी, Marissa Kassam 2013 से पहले JP Morgan के साथ काम कर रही थीं! Marissa Kassam जेपी मॉर्गन चेस के साथ उसी अवधि में काम कर रही थी जब महुआ मोइत्रा जेपी मॉर्गन चेज़ की उपाध्यक्ष थीं! इससे साफ होता है कि महुआ मोइत्रा हिंडनबर्ग रिपोर्ट को साझा करने के लिए इतनी लालायित क्यों थी।

अडानी समूह ने कहा- भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता पर हमला
अडानी समूह ने ऑर्गेनाइडज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) द्वारा लगाए गए छिपे विदेशी निवेशकों के ‘दोबारा थोपे गए’ आरोपों को कड़ाई से अस्वीकार किया। अडानी ग्रुप ने एक मीडिया स्टेटमेंट में कहा कि हम अडानी ग्रुप पर लगाए गए ऐसे आरोपों को अस्वीकार करते हैं। इस आशय की खबरें जो प्रकाशित हुई, वो हिंडनबर्ग रिपोर्ट के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित एक कोशिश है, जो कि अप्रत्याशित है। अडानी समूह ने इससे पहले हिंडनबर्ग के दावों को खारिज करते हुए इसे ‘भारत पर सुनियोजित हमला’ बताया था। इसने कहा कि फर्म की रिपोर्ट ‘भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता’ पर हमला थी। अडानी समूह ने कहा कि ऐसी खबरें हिंडनबर्ग की नाकारा रिपोर्ट को दोबारा हवा देने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग के समर्थन से जॉर्ज सोरोस-फंडेड OCCRP की एक और कोशिश है।

‘द गार्डियन’ ने अडानी को पीएम मोदी का करीबी बताकर प्रोपेगेंडा फैलाया
जॉर्ज सोरोस-फंडेड OCCRP ने पीएम मोदी की छवि को बदनाम करने के लिए एक प्रोपेगेंडा फैलाया और जॉर्ज सोरोस-फंडेड मीडिया को एक टूलकिट मिल गया। ‘द गार्डियन’ की खबर से समझा जा सकता है कि वे किस तरह इस मुद्दे को पीएम मोदी से जोड़कर हवा देना चाहते हैं। ‘द गार्डियन’ की खबर की शुरुआत देखिए- ”नए खुलासा किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी संबंधों वाले एक अरबपति भारतीय परिवार ने गुप्त रूप से अपने स्वयं के शेयर खरीदकर भारतीय शेयर बाजार में सैकड़ों मिलियन डॉलर का निवेश किया।” इस तरह उनका एक ही मकसद है “मोदी और अडानी कनेक्शन” का प्रोपेगेंडा फैलाना। लेकिन यह समझ से परे है कि अगर अडानी समूह पर रिपोर्ट है तो इसमें पीएम मोदी का नाम क्यों जोड़ा जा रहा? इससे साबित होता है उनकी मंशा कुछ और ही और यह सब एक षडयंत्र के तहत किया जा रहा।

ED का खुलासा- हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले कंपनियों ने कमा लिए अरबों रुपये
अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी तब हिंडनबर्ग ने यह स्वीकार किया था कि वह शेयर बाजार में शार्ट सेलिंग करती है। यानि हिंडनबर्ग रिपोर्ट का दो मकसद था। पहला- भारत और पीएम मोदी की छवि खराब करना और दूसरा शार्ट सेलिंग के जरिये अरबों रुपये कमाना और उन रुपयों को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पीएम मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने में इस्तेमाल करना। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED ) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले 12 कंपनियों ने अरबों रुपये कमा लिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने से दो-तीन दिन पहले ही कुछ FPI (Foreign portfolio investment) ने शॉर्ट पोजीशन ली थी। उनके बेनिफिशियल ऑनरशिप का पता लगाने के लिए उनकी जांच की जा रही है। इनमें से अधिकांश यूनिट्स ने कभी भी अडानी के शेयरों की डील नहीं की थी और कुछ पहली बार ट्रेड कर रहे थे।

कंपनियों ने चंद महीनों में हजारों करोड़ कमाए
ED की रिपोर्ट के अनुसार, एक कंपनी जुलाई 2020 में आधिकारिक रूप से शुरू हुई। सितंबर 2021 तक कंपनी कोई बिज़नेस नहीं कर रही थी और सितंबर 2021 से मार्च 2022 तक सिर्फ 6 महीने में इस कंपनी का कारोबार 31 हजार करोड़ रुपये का हो गया, जिससे कंपनी ने 1,100 करोड़ रुपये की कमाई की। इसी तरह एक और फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाले ग्रुप ने 122 करोड़ रुपये कमाए। ये ग्रुप भारत में एक कंपनी की तरह काम करता है, जबकि एक और फॉरेन इन्वेस्टर कंपनी ने 9 हजार 700 करोड़ रुपये कमाए।

12 कंपनियों ने शॉर्ट सेलिंग से कमाए करोड़ों रुपये
केमैन आइलैंड्स वाली इन्वेस्टर कंपनी, अडानी के शेयर्स की शॉर्ट सेलिंग से फायदा कमाने वाली 12 कंपनियों में से एक है। इस कंपनी का मालिकाना हक़ रखने वाली कंपनी को अंदरूनी शेयर ट्रेडिंग (इनसाइडर ट्रेडिंग) का दोषी पाया गया था। इसने अमेरिका में 14 हजार 880 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना भी दिया था। केमैन आइलैंड्स वाली कंपनी ने 20 जनवरी को अडानी ग्रुप के शेयर्स में शॉर्ट पोजिशन ली और 23 जनवरी को इसे और बढ़ा दिया। वहीं मॉरीशस वाली कंपनी ने पहली बार 10 जनवरी को शॉर्ट पोजिशन ली थी।

ये नया भारत है, झुकना नहीं जनता
वे भूल गए, ये नया भारत है। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है जिनपर देश की जनता अटूट विश्वास करती है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में छोटे निवेशकों को कुछ नुकसान भी पहुंचा लेकिन पीएम मोदी पर उनका भरोसा कायम रहा। इससे तिलमिलाए राहुल गांधी, लेफ्ट लिबरल गैंग और अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस ने जी-20 की बैठक से पहले फिर से अडानी का जिन्न बोतल से निकाला लेकिन उसे भी लोगों ने नकार दिया। पीएम मोदी के देश के समग्र विकास के संकल्प की वजह से विपक्षी पार्टियों को कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है इसीलिए वे ले-देकर अडानी मामले पर आ जाते हैं। क्या वजह है कि देश में लेफ्ट लिबरल और राहुल गांधी और विदेश में जार्ज सोरोस की फंडिंग से चलने वाली संस्थाएं लगातार अडानी मुद्दा उठाकर देश को विकास की पटरी से उतारना चाहती हैं। 

 

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