पूरा देश चीन के नाम पर धधक रहा है। सीमा पर जवाब देने के साथ ही चीन को आर्थिक मोर्चे पर भी चौतरफा घेरने की कवायद शुरू हो गई है। इस बीच, मोदी सरकार ने एक बड़ा और कड़ा फैसला लेते हुए टिक-टॉक समेत चीन के 59 एप पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार के इस निर्णय से सभी लोग बेहद खुश और संतुष्ट हैं, लेकिन देशहित के विरोध की सीमा तक मोदी विरोध में सने चंद पत्रकारों और राजनेताओं को यह बात नागवार गुजरी है। ऐसे लोगों की पत्रकारिता और राजनीति की पोल खुलने लगी है। वे अटपटे किस्म के बहाने बनाकर सरकार के इस फैसले को गलत बता रहे हैं। इनमें राजदीप सरदेसाई, तवलीन सिंह, संयुक्ता बसु, सुहेल सेठ जैसे नामी-गिरामी पत्रकार और बुद्धिजीवी हैं तो राहुल गांधी जैसे देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के नेता भी हैं, जो सरकार का समर्थन करने की बजाय उस पर आरोप लगा रहे हैं। दरअसल, उनके ट्वीट को देखकर समझा जा सकता है कि चीन की जड़ें हमारे देश में कितनी गहरी हैं। अच्छी बात यह है कि ऐसे लोगों को छोटे शहरों और कस्बों के वेलोग ही जवाब दे रहे हैं जो टिक-टॉक जैसे एप पर बेहद सक्रिय रहे हैं। पोर्ट ब्लेयर के अनीश नामक एक टिक-टॉक स्टार ने लिखा कि इस एप पर उनके 14 हजार फॉलोअर हैं, इसने उन्हें प्लेटफॉर्म दिया, लेकिन उनके लिए देश सर्वोपरी है। कृपया मेरे जैसे लोगों का प्रतिनिधि बनकर बोलना बंद करें।
इन सबके ट्वीट देखिए और गौर कीजिए कि ऐसे लोगों ने चीनी एप पर प्रतिबंध के बाद कैसी प्रतिक्रिया दी। क्या उनकी प्रतिक्रिया को देशहित में की गई टिप्पणी की संज्ञा दी जा सकती है? कतई नहीं!
संजुक्ता बसु
Govt has taken away the subalterns right to expression, right to fun and pleasure. They do it again and again. Trust me this generation is not going to be fooled by Modi’s hollow chest beating. They’ll avenge these excesses when they get voting rights. https://t.co/M5Ll9yUIZU
— Sanjukta Basu (@sanjukta) June 29, 2020
सरकार ने लोगों की अभिव्यक्ति, मनोरंजन और आनंद के अधिकार को छीन लिया है। वे इसे बार-बार बाधित करते हैं। मेरा विश्वास कीजिए, इस पीढ़ी को मोदी के छाती ठोंकने की नकली कार्रवाइयों से बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है। उन्हें जैसे ही मताधिकार प्राप्त होगा, वे इन अत्याचारों का बदला लेंगे।
राजदीप सरदेसाई
Reality check:Tik Tok ban: in US, app downloaded 165 million times, with revenues of over Rs 650 crore in 2019. China, with nearly 197 million users, contributed Rs 2,500 crore. India did not feature among top revenue generators, recording Rs 25 crore for quarter-ended Dec 2019
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) June 30, 2020
रियलिटी चेक: टिक-टॉक बैन: 2019 में अमेरिका में एप को 165 मिलियन बार डाउनलोड किया गया, जिससे 650 करोड़ रेवेन्यू आया। चीन ने 197 मिलियन यूजर के साथ 2,500 करोड़ का योगदान किया। रेवेन्यू में योगदान करने वाले टॉप देशों में भारत का स्थान नहीं है। भारत ने 2019 की अंतिम तिमाही में 25 करोड़ की रेवेन्यू पैदा की।
संकर्षण ठाकुर
Serious Question: If these apps were a risk to national security, what were the nation’s gatekeepers doing all this time? Or were they asleep on the watch, waiting to be rattled awake from eastern Ladakh? (And: why were they facilitating funds to PMCares?) https://t.co/p9DCpsxhBP
— Sankarshan Thakur (@SankarshanT) June 29, 2020
गंभीर प्रश्न: अगर ये एप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थे, तो इतने दिनों तक देश के चौकादार क्या कर रहे थे? क्या वे पहरा देते हुए सो रहे थे और पूर्व लद्दाख से चीनी घुसपैठ का इंतजार कर रहे थे?
मिलिंद खांडेकर
भारत का बाज़ार पर क़ब्ज़े के लिए अमेरिका और चीन की सोशल मीडिया कंपनियों पिछले दो-तीन साल से लड़ाई चल रही थी.
TikTok ने फ़ेसबुक के नाक में दम कर रखा था.
59 चीनी एप पर बैन के बाद फिलहाल ये राउंड अमेरिकी कंपनियों ने जीत लिया है
— Milind Khandekar (@milindkhandekar) June 29, 2020
भारत का बाजार पर कब्जे के लिए अमेरिका और चीन की सोशल मीडिया कंपनियों में पिछले दो-तीन सालों से लड़ाई चल रही थी। टिक-टॉक ने फेसबुक के नाम के दम कर रखा था, 59 चीनी एप पर बैन के बाद फिलहाल ये राउंड अमेरिकी कंपनियों ने जीत लिया है।
तवलीन सिंह
Now that Chinese apps have been banned will it scare Chinese soldiers into retreating from our territory?
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) June 30, 2020
अब जबकि चीनी एप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो क्या चीनी सैनिक हमारी क्षेत्र से वापस जाएंगे?