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अब चीन को मिलेगी कड़ी चुनौती, पीएम मोदी ने दिया संकेत, कहा- भारत को लोकल के लिए वोकल बनना होगा

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मुश्किल वक्त में अपना सामर्थ्य ही काम आता है। कोरोना संकट ने इस बात को फिर साबित कर दिया है। जिस समय कोरोना वायरस ने भारत को अपनी चपेट में लेना शुरू किया, उस समय पीपीई किट के लिए भारत चीन पर निर्भर था। लेकिन भारत के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और विशेषज्ञों ने कम समय में स्वदेशी पीपीई किट निर्माण कर फिर साबित कर दिया कि भारत किसी देश से कम नहीं है। वह खुद के प्रयास से चुनौती को अवसर में बदल सकता है। इसी विश्वास की झलक मंगलवार को पांचवीं बार प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन में देखने को मिली। उन्होंने कोरोना वायरस की वजह से बनी विश्व की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को लोकल के लिए वोकल बनना होगा।

“लोकल सिर्फ जरूरत नहीं, जिम्मेदारी भी”    

लोकल यानि स्थानीय उत्पादों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘संकट के इस समय में इसी लोकल ने हमारी मांग पूरी की, इसी लोकल ने हमें बचाया है। लोकल बस जरूरत नहीं है, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी है। इसलिए लोकल के साथ हमें अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना होगा। सिर्फ रफ्तार नहीं बढ़ानी है, बल्कि क्वांटम जंप भी लगाना है।’

“आत्मनिर्भरता, आत्मबल से ही संभव होगा”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाना है। यह सब आत्मनिर्भरता, आत्मबल से ही संभव होगा। उन्होंने कहा, ‘‘समय की मांग है कि भारत हर प्रतिस्पर्धा में जीते, सरकार जो आर्थिक पैकेज घोषित कर रही है उसमें अनेक प्रावधान किये गये हैं, इससे क्षमता बढ़ेगी, गुणवत्ता बेहतर होगी।’’

डिमांड क्षेत्र का इस्तेमाल करने की जरूरत

लोकल पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत दुनिया के लिए एक बाजार के साथ साथ बड़ी डिमांड का क्षेत्र भी है। हमें इसका सही इस्तेमाल करने की जरूरत है।

“लोकल प्रोडक्ट को ग्लोबल बनाना है” 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ग्लोबल ब्रांड भी कभी इसी तरह लोकल थे। जब लोगों ने उनका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, वे उन्हें बढ़ावा देने लगे, उनकी ब्रांडिंग करने लगे और उन पर गर्व महसूस करने लगे, वे लोकल प्रोडक्ट से ग्लोबल हो गए। भारत को भी यही करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि देश ऐसा कर सकता है।’

खादी पर दिया जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘जब मैंने आपसे खादी खरीदने का अनुरोध किया… तो आपने मेरा साथ दिया। खादी और हैंडलूम की मांग और बिक्री कुछ ही समय में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। आपने उसे बड़ा ब्रांड बना दिया है। बस छोटी सी कोशिश थी और परिणाम अच्छा रहा। आगे भी हम ऐसा करेंगे इसकी उम्मीद करता हूं।’

दूसरे देशों पर निर्भरता होगी कम

प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का मतलब ये है कि भारत अब दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को कम करेगा। इसे खासतौर पर चीन के संदर्भ में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से साफ है कि अब सरकार स्थानीय स्तर पर लोगों को स्वरोजगार के लिए मौके देने जा रही है। उस क्षेत्र में निर्मित सामानों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि चीन पर हमारी निर्भरता को पहले के मुकाबले कम किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विप्मेंट्स (PPE) किट से इसका उदाहरण भी दिया।

सीक्रेट मिशन को अंजाम देने में जुटा चीन

प्रधानमंत्री मोदी के देश में निर्मित उत्पादों के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर देने का प्रमुख कारण चीन के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते हैं। एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है और अपनी अर्थव्यवस्था बचाने में जुटी हुई है तो वहीं चीन दूसरे देशों में भारी पैमाने में निर्यात से कमाए गए पैसे से ही अपने सीक्रेट मिशन को अंजाम देने में जुटा हुआ है। बता दें कि भारत में मोबाइल, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स, साज-सज्जा, लाइटिंग, समेत कई घरेलू उत्पाद भी चीन से बनकर आते हैं जिसका हम इस्तेमाल करते हैं। चीन भारत में अपना उत्पाद बेचकर मोटा पैसा कमाता है जिसका इस्तेमाल वो अपने देश के विकास और एशिया सहित पूरी दुनिया में वर्चस्व बनाए रखने के लिए करता है।

चीन के बढ़ते दबदबे को कम करने की कोशिश

कोरोना से जंग के बीच चीनी सेना एक तरफ मिलिट्री ड्रिल कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ पड़ोसी देशों के ऊपर लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर उड़ाकर संबंधों में तनाव पैदा करने की भी कोशिश कर रहा है। लद्दाख और सिक्किम में भी चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच तनाव बना हुआ है। चीन कभी एवरेस्ट पर 5जी तकनीक इंस्टॉल करने लगता है। ऐसे में एशिया में चीन के बढ़ते दबदबे को कम करने की क्षमता सिर्फ भारत में ही है क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया तो इससे भारत के सामरिक हितों का नुकसान होगा।

चीन के खिलाफ एकजुट हो रहे देश

कोरोना संकट फैलाने के बाद चीन लगातार ऐसी हिमाकत कर रहा है, जिससे एशियाई देशों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई है। सबसे ज्यादा परेशानी भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे पड़ोसी देशों को हो रही है। ऐसे में भारत समेत बाकी देश एकजुट हो रहे हैं।

 

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