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पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की कुर्सी खतरे में, चार मंत्रियों सहित 21 विधायकों ने की बगावत, सिद्धू खेमे की सीएम बदलने की मांग

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पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच खींचतान अब चरम पर पहुंच गयी है। सिद्धू खेमे ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ अब आखिरी दांव चलते हुए बगावत का बिगुल बजा दिया है। चार मंत्रियों सहित 21 विधायकों ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने की मांग की है। इससे मुख्यमंत्री अमरिंंदर सिंह की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। उधर पंजाब कांग्रेस की उठापटक ने कांग्रेस आलाकमान को भी मुश्किल में डाल दिया है। 

कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के घर चार कैबिनेट मंत्री समेत 21 विधायक और तकरीबन आधा दर्जन पूर्व विधायक एकत्रित हुए। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री चरणजीत चन्‍नी ने कहा कि अब मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह में हमारा भरोसा नहीं रहा है। हम केंद्रीय नेतृत्‍व से मुख्‍यमंत्री को बदलने की मांग करेंगे। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री से पंजाब के मसले हल नहीं होने वाले है। इसलिए प्रदेश कांग्रेस का पांच सदस्यीय एक शिष्टमंडल आज ही दिल्ली जाकर हाईकमान से मिलेगा। इस प्रतिनिधिमंडल में तृप्‍त राजेंद्र सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखविंदर सिंह सरकारिया, परगट सिंह और वह खुद होंगे।

तृप्‍त राजेंद्र सिंह बाजवा ने अमरिंदर सिंह पर अकाली दल से मिले होने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अगर कांग्रेस पंजाब में दोबारा आती है तो नेशनल लेवल पर भी पार्टी का रिवाइवल कर सकती है। कैप्टन चाहते हैं कि मैं (कैप्टन) जाऊं वो (अकाली) आ जाएं। वहीं सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि क्या कारण है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अमृतसर में जाकर 1000 लोगों की बैठक कर सकते हैं, विधायकों के साथ बैठक कर सकते हैं, लेकिन कैबिनेट बैठक वर्चुअल होती है। रंधावा का इशारा था कि मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह मंत्रियों के सवालों से बचना चाहते हैं, इसीलिए वर्चुअल कैबिनेट बैठक कर रहे हैं।

माना जा रहा है कि इस बागवत के पीछे पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का हाथ है। वे चुनाव से पहले कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को पूरी तरह से कमजोर कर देना चाहते हैं। इस लिए उन्होंने बगावत करने वाले चारों कैबिनेट मंत्रियों को बैठक के लिए बुलाया। इन मंत्रियों को नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का समझा जाता है। बताया जाता है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री बदलने के लिए कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार की जाएगी। कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के वर्चस्व की लड़ाई अब कांग्रेस अलाकमान के लिए गले की फांस बन गई है। चुनाव को देखते हुए उसे दोनों में किसी एक को नाराज करना मुश्किल होगा।

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