नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग जोर पकड़ रही है। सोशल मीडिया पर इन दो जजों के खिलाफ तो काफी कुछ कहा ही जा रहा है अब उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। हिंदू आईटी सेल के विकास पांडे ने इस अभियान के बारे में जानकारी देते हुए ट्वीट किया कि मैंने एक याचिका बनाई है जो सांसदों को दी जाएगी। ये जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग कार्रवाई शुरू करवाने की ओर एक कदम है। याचिका पर हस्ताक्षर करें!
I just made a petition which shall be given to MPs. It’s for the Initiation of Impeachment Proceedings against Justice Surya Kant & Justice J. B. Pardiwala – Sign the Petition! https://t.co/exBxgaYnn5
— Vikas Pandey (@MODIfiedVikas) July 5, 2022
इस याचिका में कहा गया कि किस तरह से जान पर खतरा होने के कारण विभिन्न राज्यों में हो रही शिकायतों को एक जगह करने के लिए नुपूर शर्मा ने सुप्रीम का दरवाजा खटखटाया, लेकिन जब सुनवाई की बारी आई तो न्यायधीशों ने मामला सुने बिना ही उन्हें देश में हिंसा भड़काने और उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की हत्या का अकेला जिम्मेदार ठहरा दिया। ऐसे मामलों में सिर्फ इस्लामी कट्टरपंथी और तालिबान जैसी भारत विरेधी ताकतों को शह मिलती है और हिंदुओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिए बुरा दिखाया जाता है। इस मामले ने सुप्रीम कोर्ट ने गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार दिखाया। साथ ही बिना किसी तथ्य के इस तरह गैरकानूनी टिप्पणी की। ये देश के मूल्यों और नैतिकता के खिलाफ है। इसलिए दोनों जस्टिसों पर महाभियोग चलाने की मांग इस याचिका में की गई है। इस अभियान को आमलोगों के बीच भारी समर्थन मिल रहा है। www.change.org प्लेटफॉर्म पर चलाए जा रहे इस अभियान में कुछ देर पहले तक 58 हजार से ज्यादा लोग साइन कर चुके थे। आप भी इस लिंक को क्लिक कर साइन कर सकते हैं- www.change.org
जस्टिस ढींगरा ने टिप्पणी को बताया गैरजिम्मेदाराना, गैरकानूनी और ‘अनुचित
दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने India TV को दिए एक इंटरव्यू में नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट के जज की टिप्पणी को गैरजिम्मेदाराना, गैरकानूनी और अनुचित बताया। जस्टिस ढींगरा ने कहा कि मेरे हिसाब से यह टिप्पणी अपने आप में बहुत गैर-जिम्मेदाराना है। सुप्रीम कोर्ट को कोई अधिकार नहीं है कि वह इस प्रकार की कोई टिप्पणी करे जिससे जो व्यक्ति उससे न्याय मांगने आया है उसका पूरा करियर चौपट हो जाए या उसके खिलाफ सभी अदालतें पूर्वाग्रहित हो जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकार से नूपुर शर्मा को बिना सुने उनके ऊपर चार्ज भी लगा दिया और फैसला भी दे दिया। न तो गवाही हुई, न जांच हुई और न ही उन्हें कोई मौका दिया कि वह अपनी सफाई पेश कर सकें।
क्या था मामला?
दरअसल नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि उनकी जान को खतरा है, ऐसे में वह देश के अलग-अलग हिस्सों में केसों की सुनवाई के लिए नहीं जा सकतीं। इसलिए सभी केसों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए। इस पर 1 जुलाई 2022 को मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक तो उन्हें कोई राहत तो नहीं दी, उलटे फटकार लगाते हुए कहा कि उनके एक बयान के चलते माहौल खराब हो गया। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि नुपूर की जुबान फिसलने से पूरा देश जल रहा है। कोर्ट में जस्टिस परदीवाला ने नुपूर के लिए ये भी कहा कि उनके गुस्से का ही नतीजा था कि उदयपुर में अनहोनी हुई और टेलर की हत्या की गई। अदालत ने यह भी कहा कि उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के लिए भी उनका ही बयान जिम्मेदार है। देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए केवल यह महिला ही जिम्मेदार है। इसके लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
जबकि नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान वहीं कहा था जो मुस्लिम धर्मगुरू जाकिर नाइक इस शांतिप्रिय समुदाय के सामने कह चुका है और यह किताबों में भी लिखा है। इसको लेकर आम लोगों में यह संदेश जा रहा है कि अगर नूपुर शर्मा गलत तो फिर किताब या जाकिर नाइक सही कैसे? नूपुर शर्मा ने एक न्यूज चैनल पर चर्चा के दौरान वाराणसी के ज्ञानवापी शिवलिंग को फव्वारा बताए जाने पर सवाल किया कि जैसे लोग बार-बार उनके भगवान का मजाक उड़ा रहे हैं, वैसे ही वो भी दूसरे धर्मों का भी मजाक उड़ा सकती हैं। इसके बाद नूपुर ने जो कुछ भी कहा, उसे मुस्लिम मौलाना जाकिर नाइक भी कह चुका है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने जाकिर नाइक का वो वीडियो भी शेयर किया, जिसमें वो हदीस के हवाले से मुसलमानों के बीच कहता दिख रहा है कि पैगंबर ने 6 साल की बच्ची से शादी की थी और 9 साल की उम्र में उससे शारीरिक संबंध बनाए थे। लेकिन यही बात जब नूपुर शर्मा ने कही तो दुनिया भर में बवाल हो गया। यहां आप सुनिए कि जाकिर नाइक ने क्या कहा था।
Nupur Sharma said exactly what your leader Zakir Nail said. If its hate mongering then call out your leader 1st. And if he is right, time for ghar wapsi. https://t.co/e1MRA3ky4B pic.twitter.com/a1uN5tnfOF
— Facts (@BefittingFacts) May 27, 2022
नूपुर शर्मा ने जो कहा वही बात मुस्लिम धर्म के अन्य लोग भी कह रहे हैं, देखिए वीडियो-
नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद दुनिया भर के इस्लामी देशों ने विरोध करना शुरू कर दिया। इन मुस्लिम देशों में जहां ना तो सही मायने में लोकतंत्र है ना दूसरे धर्म को मानने की पूरी आजादी, दूसरों से धर्मनिरपेक्षता की बात करने लगे। इससे उन्होंने एक बात फिर साबित करने की कोशिश की कि कोई गैर-मुसलमान इस्लाम के बारे में कुछ नहीं बोल सकता, चाहे वो सही हो या गलत। जबकि हिंदू धर्म के बारे में चाहे कुछ भी बोल लो। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो नूपुर शर्मा को बयान को अपने धर्म का अपमान बता रहे थे वो खुद दूसरे की आस्था और धर्म का मजाक उड़ा रहे थे। ऐसे में कन्हैया लाल की हत्या के बीच नुपूर शर्मा को मिल रही धमकियों के बाद भी सुप्रीम कोर्ट की ऐसी टिप्पणियां सुन लोग अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से कट्टरपंथियों के हौंसले बुंलद होंगे। सोशल मीडिया पर तो दोनों जजों की निंदा हो ही रही है अब उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है।
जस्टिस पारदीवाला के खिलाफ कांग्रेस और वामपंथी सांसदों ने की थी महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग
जस्टिस पारदीवाला इससे पहले भी अपने विवादित बयान को लेकर चर्चा में आ चुके हैं। आरक्षण को लेकर बेतुका बयान देने पर 58 सांसदों ने राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की थी। जस्टिस जेबी पारदीवाला जब गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे। उस वक्त उन्होंने कहा था कि आरक्षण ने देश को बर्बाद किया है। उनके इस बयान को लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखा गया था। दिसंबर 2015 में, राज्यसभा में 58 सांसदों ने सभापति हामिद अंसारी को एक याचिका सौंपी थी, जिसमें उन्होंने जेबी पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की थी। अपने खिलाफ बढ़ते आक्रोश और सांसदों की नाराजगी को देखते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने अपनी टिप्पणी को ‘अप्रासंगिक और अनावश्यक’ बताते हुए वापस ले लिया था।