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कांग्रेस-चीन संबंध: चिदंबरम के कई ठिकानों पर सीबीआई छापा, 50 लाख रुपये लेकर 250 चीनी नागरिकों का वीजा बनवाने का आरोप

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कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के कई ठिकानों पर सीबीआई ने छापा मारा है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम पर 250 चीनी नागरिकों से 50 लाख रुपये लेकर 250 चीनी नागरिकों का वीजा बनवाने का आरोप है। बताया जा रहा है कि अपने पिता के केंद्रीय गृहमंत्री रहते कार्ति चिदंबरम ने चीनी कंपनी के लोगों को अपने प्रभाव से वीजा दिलवाया था। कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित रूप से तलवंडी साबो पावर लिमिटेड प्रोजेक्ट के लिए काम कर रहे चीनी इंजीनियर्स से रिश्वत लेकर उनका वीजा इश्यू कराया। वीजा दिलवाने के बदले उनपर 50 लाख रुपए लेने का आरोप है। यह मामला साल 2011 का है।

सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम और उनके सहयोगियों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इस सिलसिले में सीबीआई ने मंगलवार, 17 मई को देश के कई शहरों में 9 ठिकानों पर छापेमारी की। कार्ति चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी पाने के लिए पहले से ही जांच के दायरे में हैं। एयरसेल-मैक्सिस समझौते और विदेशी निवेश सवंर्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने की मंजूरी दिलाने से जुड़े कई आपराधिक मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यह विदेशी धन अपने पिता पी चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते प्राप्त किया गया था। सीबीआई को आईएनएक्स मीडिया मामले से जुड़ी जांच के दौरान वीजा मामले की जानकारी मिली।

चीनी नागरिकों को पैसे लेकर वीजा जारी करने का मामला इसलिए भी काफी संगीन है क्योंकि यूपीए शासन काल में कांग्रेस और चीन के संबंध काफी संदेहास्पद रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे का चीनी राजनयिक से गुपचुप मिलना हो या पार्टी का एमओयू पर दस्तखत करना और राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी चंदा मिलना… ये सब जांच के विषय हैं।

एक नजर डालते हैं कि आखिर कांग्रेस के चीनी संबंधों पर-

गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बीच इस खुलासा से सनसनी फैल गई थी कि राजीव गांधी फाउंडेशन को दान के नाम पर चीन से काफी ज्यादा वित्तीय मदद मिली थी। कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एमओयू के बाद अब यह खबर भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी थी।

टाइम्स नाउ न्यूज चैनल ने अपनी खास खबर में बताया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को यह वित्तीय मदद करोड़ों रुपये में दी गई।

टाइम्स नाउ के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।

चीनी दूतावास के अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।

कांग्रेस के थिंक-टैंक ने की FTA की पैरवी, व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ा
कांग्रेस पार्टी के थिंक-टैंक ने चीन के साथ एफटीए की पैरवी की, जिसके बाद 2003-04 और 2013-14 के बीच व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ गया। इसके अलावा 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) का RGF के साथ संबंध बताते हुए लगातार कांग्रेस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।

राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी का चीनी कन्युनिस्ट पार्टी के साथ एमओयू, डोकलाम विवाद के समय राहुल का चोरी-छिपे चीनी दूतावास के अधिकारियों से मिलना, चीनी झड़प के दौरान सरकार-सेना पर सवाल उठाना, सरकार की जगह पार्टी से परिवार के लोगों का चीन जाना, कैलास मानसरोवर की यात्रा के दौरान चीनी अधिकारियों से गुपचुप मुलाकात करना यह सब कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को संदेह के घेरे में खड़ा करता रहा है।

राहुल गांधी का चीन से चोरी-चोरी मिलने का क्या है राज
6 जून 2017 को डोकलाम पर भारतीय सेना ने चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया, पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी की त्वरित कार्रवाई से हैरत में थी और हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा था। लेकिन एक तरफ भारत के सैनिक डोकलाम में चीनी सैनिकों को रोक रहे थे और दूसरी तरफ राहुल गांधी दिल्ली में चीनी राजदूत से गुपचुप मिल रहे थे। राहुल गांधी ने 8 जुलाई 2017 को सरकार और जनता से छुपकर, चोरी-चोरी चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। राहुल की चीनी राजदूत से हुई मुलाकात के रहस्य का पर्दा 17 मार्च 2018 को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पत्र से उठा था।

राहुल गांधी: चोरी-चोरी, चुपके-चुपके  एक तरफ डोकलाम में चीनी सेना के सामने भारतीय सेना आंखों में आंखे डाले खड़ी थी, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने कूटनीति से विश्व मंच पर चीन की घेराबंदी कर रखी थी। ऐसे नाजुक और पल-पल बदलते घटनाक्रम में भारत के प्रधानमंत्री जो फैसले ले रहे थे देश की जनता उनके साथ खड़ी थी, लेकिन राहुल गांधी ने इस मौके पर भी अपनी राजनीति चमकाने से बाज नहीं आए। राजनीतिक चमकाने के लिए राहुल गांधी ने 7 जुलाई 2017 को Tweet कर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने Tweet में लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी डोकलाम पर शांत क्यों हैं, कुछ बोलते क्यों नहीं?

7 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने वाला ट्वीट कर राहुल गांधी स्वयं 8 जुलाई को चीन के राजदूत से मिलने के लिए चले गए। राहुल गांधी द्वारा चोरी छिपे की गई इस मुलाकात की जानकारी देश को 10 जुलाई को चीनी दूतावास की वेबसाइट पर जारी की गई फोटो से हुई। इसी फोटो ने मुलाकात को नकारने वाली राहुल गांधी और कांग्रेस की चोरी पकड़वा दी। 

राहुल गांधी के मुलाकात वाली फोटो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही  इसको लेकर सवाल पूछे जाने लगे, लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता ने राहुल गांधी की ऐसी किसी भी मुलाकात से साफ इंकार कर दिया।

लेकिन सच्चाई तो सामने आ चुकी थी और सोशल मीडिया पर सवालों की बौछार रुकने का नाम नहीं ले रही थी। झूठ से अपने को बचा पाने में उलझ चुके कांग्रेस प्रवक्ता को आखिर राहुल गांधी की मुलाकात की घटना को स्वीकार करना पड़ा। कांग्रेस ने फिर भी यह नहीं बताया कि राहुल गांधी की इस मुलाकात का मकसद क्या था?

राहुल गांधी को मिला चीन का बधाई संदेश – गुजरात चुनाव में हार के बाद, राहुल गांधी को साल 2018 में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद मिला। इस वर्ष 17-18 मार्च को कांग्रेस का 84वां महाधिवेशन राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुआ, जो राहुल गांधी और देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए उत्सव का अवसर था। इस उत्सव में उनके खास राजनीतिक संगी साथियों ने उनको देश-विदेश से बधाई संदेश भेजे। सबसे महत्वपूर्ण संदेश चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से आया। इस पत्र में लिखा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी माननीय राहुल गांधी को बधाई और शुभकामना देती है। आगे इस पत्र में लिखा है कि The INC plays an important role in the political life of India and has made positive contribution to the development of China-India relation. The CPC is willing to work together with the INC to explore, through increased communication and exchange, a new type of party-to-party relation that seeks to expand common ground।बधाई संदेश ने डोकलाम का रहस्य खोला– चीन के कम्युनिस्ट पार्टी से राहुल गांधी को आए इस संदेश ने यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच चोली दामन का साथ है, जिसे इस पत्र में स्वीकार किया गया है। इसी मित्रता को निभाने के लिए 8 जुलाई 2017 को चोरी-चोरी राहुल गांधी ने चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का मकसद था कि प्रधानमंत्री मोदी पर डोकलाम को लेकर जनता की तरफ से दबाव बनाया जाए, जिसका फायदा चीन उठा सके, लेकिन राहुल की लाख कोशिशों के बाबजूद, जनता प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ी रही और चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

चीन और राहुल गांधी की चाल- 16 जून को शुरु हुआ डोकलाम  तनाव 28 अगस्त 2017 को चीनी सेना के पीछे हट जाने और 16 जून के पूर्व की स्थिति के लौट आने के बाद समाप्त हुआ। अक्टूबर 2017 में कुछ पत्रकारों की खोखली रिपोर्टस के आधार पर राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बनाना शुरु किया कि डोकलाम में अभी भी चीन के 500 सैनिक जमे हुए हैं और भारत ने डोकलाम से अपनी सेना हटा ली है। वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं था, सच्चाई यह थी कि भारत ने चीन को पीछे खडे रहने के लिए मजबूर कर दिया था। राहुल गांधी इस राजनीतिक दबाव से अपने परम मित्र चीन की मदद करना चाहते थे।

अब अगर कार्ति चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम के कांग्रेसी कार्यकाल को देखे तो…

यूपीए शासन के दस वर्षों के शासन में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर अपने पद का दुरुपयोग कर दोनों हाथों से देश को लूटने का आरोप है। हाल ही में उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने खुलासा किया है कि दुनियाभर में उनकी 6 लाख करोड़ के अधिक की संपत्ति है। एक नजर डालते हैं चिदंबर एंड फैमिली के घोटालों की लिस्ट पर-

6 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का मालिक है चिदंबरम परिवार!
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम और उनके परिवार ने गैरकानूनी तरीके से अकूत दौलत कमाई है। दुनिया भर में चिदंबरम परिवार की हजारों करोड़ नहीं बल्कि लाखों करोड़ रुपये की संपत्ति फैली हुई है। जी हां, पहले इस तरह के सिर्फ आरोप लगते थे, लेकिन अब पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने खुद यह बात कबूल की है। कार्ति चिदंबरम ने एक व्हाट्सएप चैट के दौरान यह खुलासा किया है कि उसकी छह लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की संपत्ति पूरी दुनिया में फैली हुई है। इतना ही नहीं उसने यह भी बताया है कि इस संपत्ति की वजह से दुनिया के ज्यादातर देशों में वीजा की जरूरत तक नहीं होती। वह अपनी इच्छा के मुताबिक जब चाहें तब दुनिया के किसी भी देश में जा सकता है और वहां रह भी सकता है।

जाहिर है कि इनकम टैक्स की घोषणा में इस अकूत दौलत का खुलासा चिदंबरम एंड फैमिली ने नहीं किया है, इसलिए आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह सारा कालाधन है, जो दशकों से लूट कर चिदंबरम एंड फैमिली ने जमा किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस वाट्सएप चैट में कार्ति चिदंबरण लिखता है कि “मुझे पासपोर्ट की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि मेरे पास 6 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो मुझे ग्लोबल एचएनआई की श्रेणी प्रदान करता है। मैं अपनी इच्छा के अनुरूप दुनिया के अधिकांश देशों में जा सकता हूं और वहां रह भी सकता हूं।”

कार्ति चिदंबरम के खुलासे पर www.pgurus.com ने विश्लेषण किया है और पी चिदंबरम द्वारा जुटाई गई संपत्ति का आकलन किया है। पीगुरु के मुताबिक पी चिदंबरम ने स्टॉक मार्केट घोटाला, बेनामी संपत्ति, विदेशी खाते और लोन मंजूरी के बदले कमीशन से यह अकूत दौलत एकत्र की है। आरोप है कि इन्हीं चार स्रोतों से चिदंबरम ने इतनी अकूत संपत्ति बनाई है। पीगुरु ने कहा है कि जिस प्रकार देश के बड़े से बड़े घोटाले में पी चिदंबरम और उनका परिवार शामिल है और जितनी घोटाले की राशि सामने आई है अगर उसे जोड़ दिया जाए तो निश्चित रूप से कार्ति चिदंबरम का दावा सही बैठता है। 

सत्ता की मदहोशी में चिदंबरम एंड फैमिली ने लोकतंत्र को बना डाला लूटतंत्र!
कहा जाता है कि लोकतंत्र लोकलाज से चलता है, लेकिन केंद्र में यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्ट कार्यसंस्कृति ने अपनी जड़ें जमा ली थीं। लोकलाज को ताक पर रख कर लूटतंत्र का बोलबाला हो गया था। कोयला घोटाला, टू जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला… जैसे महाघोटालों की लंबी फेहरिस्त है। दरअसल सत्ता के दंभ में कांग्रेसियों ने सिर्फ यही सीखा कि अमीर पूंजीपतियों के साथ मिल कर देश के संसाधनों को कैसे लूटा जाए?

मोदी सरकार की सख्ती से खुल रही चिदंबरम एंड फैमिली के लूटतंत्र की पोल
यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए पी चिदंबरम ने फर्जीवाड़ों और घोटालों के जो खेल किए हैं, उसके लगातार खुलासे हो रहे हैं। पिछले साल आयकर विभाग ने पी चिदंबरम के परिवार के तीन सदस्यों के खिलाफ काला धन कानून के तहत चार चार्जशीट दायर की। ये चार्जशीट चिदंबरम की पत्नी नलिनी, बेटे कार्ति और बहू श्रीनिधि के खिलाफ हैं। दरअसल पूर्व वित्त मंत्री अनेकों घोटालों के सूत्रधार रहे हैं, क्योंकि उन्होंने जानकारी होने के बावजूद ऐसे कई काम किए जो देश के खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले थे।

चिदंबरम एंड फैमिली ने आयकर विभाग को अधेरे में रखा
आयकर विभाग की चार्जशीट के अनुसार पी चिदंबरम एंड फैमिली ने अपने निवेश की जानकारी टैक्स अधिकारियों को नहीं दी थी। चिदंबरम के बेटे कार्ति के सह स्वामित्व वाली कंपनी चेस ग्लोबल एडवाइजरी ने भी इस बारे में नहीं बताया, जो नियमों का उल्लंघन है। गौरतलब है कि चिदंबरम के परिवार के इन सदस्यों की यूनाइटेड किंगडम के कैंब्रिज में 5.37 करोड़ की संपत्ति है। ब्रिटेन में ही 80 लाख की एक और संपत्ति है, वहीं अमेरिका में 3.28 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति भी है।

चिदंबरम एंड फैमिली ने 14 देशों में छिपाई काली कमाई
आयकर विभाग के अनुसार चिदंबरम और उनके परिवार ने 14 देशों में 3 अरब डॉलर यानि लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति गैरकानूनी तरीके से कमाई है। इसके अलावा विदेशी बैंकों में कुल 21 अकाउंट का भी अब तक पता चल चुका है। गौरतलब है कि चिदंबरम एंड फैमिली की लूट का पता तब चला था, जब दिसंबर 2015 में एयरसेल मैक्सिस घोटाले में छापेमारी हुई थी। तब उनकी बेनामी संपत्तियों से जुड़े कई दस्तावेज पकड़े गए थे।

भारत के नवाज शरीफ हैं चिदंबरम– निर्मला सीतारमण
चिदंबरम और उनके परिवार पर करीब 9 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति का खुलासा न करने को लेकर यह चार्जशीट दाखिल की गई है। यह चार्जशीट इंपोजिशन ऑफ टैक्स ऐक्ट, 2015 के तहत चेन्नई की स्पेशल कोर्ट में फाइल की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चिदंबरम के लूटतंत्र की तुलना पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के घोटालों से की थी। गौरतलब है कि नवाज शरीफ को विदेशी संपत्ति के मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।

नीरव मोदी-मेहुल चोकसी से चिदंबरम के ‘अनैतिक’ रिश्ते
2013 में लॉन्च की गई 80:20 गोल्ड आयात स्कीम को लेकर राजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरआई) ने आपत्ति की थी, लेकिन पी चिदंबरम ने उसे लागू कर दिया। गौरतलब है कि 80:20 स्कीम के तहत जिन 7 कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया, उनके भगोड़े घोटालेबाज नीरव मोदी और मेहुल चोकसी से संबंध हैं। दरअसल इस योजना का इस्तेमाल चोकसी सहित अन्य जूलर्स ने ब्लैक मनी की राउंड ट्रिपिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया। राउंड ट्रिपिंग के तहत कालाधन देश के बाहर जाता है और व्हाइट बनकर वापस लौटता है।

सात अन्य मामलों में भी जांच के घेरे में है पी चिदंबरम
पी चिदंबरम यूपीए सरकार में मई 2004 से 2009 और अगस्त 2012 से मई 2014 के बीच दो बार वित्तमंत्री थे। ईडी ने पी चिदंबरम के वित्तमंत्री रहते हुए दिए गए कुल 2721 एफआइपीबी क्लीयरेंस की पड़ताल की थी, इनमें 54 मामले संदेहास्पद पाए थे। ईडी ने इन सभी मामले की फाइल एफआइपीबी से तलब की और उनकी गहन पड़ताल की। कुल आठ ऐसे मामले मिले जिनमें सीधे तौर पर गड़बड़ी के सबूत मिले। गौरतलब है कि इन सभी मामलों में एफआइपीबी क्लीयरेंस पाने वाली कंपनियों की ओर से कार्ति चिदंबरम और उनकी सहयोगी की कंपनियों में निवेश किया गया था।

पत्नी नलिनी के खिलाफ भी चार्जशीट
सारदा चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई ने जनवरी, 2019 में पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया। नलिनी चिदंबरम पर सारदा ग्रुप ऑफ कंपनी के प्रोप्राइटर सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। पूर्व वित्तमंत्री की पत्नी पर सारदा घोटाले में 1.4 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है। चार्जशीट में कहा गया है कि नलिनी ने 2010 से 2014 के बीच यह रिश्वत ली थी। सीबीआई ने आरोप लगाया कि सारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन और अन्य आरोपियों के साथ कंपनी के धन की धोखाधड़ी और हेराफेरी करने के इरादे से साजिश रचने में नलिनी शामिल थीं। सीबीआई ने कोलकाता की बारासात कोर्ट में चार्जशीट दायर की। नलिनी सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल अप्रैल में उन्हें नोटिस भेजा था। समन को उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती भी दी थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।

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