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कंगना मामले में फंसी बीएमसी और शिवसेना, बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा सवाल, क्या अन्य मामलों में भी इतनी तेजी से एक्शन लिया?

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बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले के हिस्से को ध्वस्त करने के मामले में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और शिवसेना घिरती नजर आ रही है। इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बीएमसी से पूछा कि क्या उसने अनधिकृत निर्माण के अन्य मामलों में भी इतनी ही तेजी से कार्रवाई की जितनी कि कंगना रनौत के बंगले के मामले की गई।

कंगना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सर्राफ ने अदालत को बताया कि बीएमसी ने नोटिस का जवाब देने के लिए केवल 24 घंटे का समय दिया था। उन्होंने कहा कि बीएमसी ने जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिए बिना ही कार्रवाई शुरू कर दी।

सर्राफ ने कहा कि कंगना के बंगले में कथित अवैध निर्माण का ब्यौरा बीएमसी की रिपोर्ट में नहीं है जबकि यह बताना अनिवार्य है। वकील ने कार्रवाई के समय पर भी सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि संजय राउत ने आठ सितंबर को एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि कानून क्या है ? कंगना को सबक सिखाने की जरूरत है।

नौ सितंबर को ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया गया और संबंधित प्रति 10 बजकर 34 मिनट पर बंगले के प्रवेश द्वार पर चस्पा की गई जबकि बीएमसी के अधिकारी ध्वस्तीकरण के उपकरणों के साथ 10 बजकर 19 मिनट पर ही बंगले के बाहर उपस्थित थे।

न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला की पीठ बीएमसी की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनोय से पूछा कि क्या पहचान रजिस्टर पर कथित अनियमितता दर्ज की गई है। बीएमसी के वकील ने स्वीकारोक्ति में जवाब दिया तब पीठ ने कहा, ” हमें यह जानना हैं कि क्या अन्य मामलों में (पहचान रजिस्टर) में इतनी ही तेजी से कार्रवाई हुई।” न्यायमूर्ति कथावाला ने इसके बाद टिप्पणी की कि क्या ध्वस्तीकरण वैसे ही हुआ जैसे अधिवक्ता प्रदीप थोराट के मुवक्किल (संजय राउत) चाहते थे।

उल्लेखनीय है कि नौ सितंबर को जब कंगना ने ध्वस्तीकरण के खिलाफ पहली बार बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था तब कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और न्यायमूर्ति कथावाला ने बीएमसी की त्वरित कार्रवाई पर सवाल उठाया था। अदालत ने कहा था कि अगर नगर निकाय ने इतनी ही तेजी अन्य मामलों में दिखाई होती तो शहर बहुत अलग होता।

कंगना के दफ्तर पर बीएमसी की कार्रवाई को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि कंगना कोई राजनेता नहीं है और उनके मुद्दे को शिवसेना ने ही हवा दी है। आप कभी दाऊद इब्राहिम के घर को तोड़ने नहीं गए लेकिन कंगना का ऑफिस तोड़ने के लिए पहुंच गए।

बाता दें कि इससे पहले बीएमसी को भिंडी बाजार इलाके में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की प्रोपर्टी न तोड़ने पर हाईकोर्ट की कड़ी फटकार लगी थी। इसके बाद कंगना खुलकर सामने आ गई। उन्होंने सीधे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निशाने पर लिया।

जून 2020 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी और महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए पूछा था कि उन्होंने भिंडी बाजार में स्थित जीर्ण-शीर्ण इमारत को क्यों नहीं ध्वस्त किया? हाईकोर्ट की एकल पीठ ने तभी चेताया था कि मानसून आने पर अगर ये इमारत या इसका कोई हिस्सा गिरता है तो इससे जानमाल की क्षति हो सकती है।

दाऊद इब्राहिम की मुंबई के भिंडी बाजार में अवैध संपत्ति है। हाजी इस्माइल मुसाफिरखाना नाम की इमारत को लेकर बीएमसी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। दाउद इब्राहिम 1986 में इस इमारत के दूसरे प्लोर पर रहा करता था। उसने पूरे फ्लोर पर कब्जा किया था। उसके बाद उसकी अम्मी अमीनाबाई ने यहां कब्जा किया। इमारत की जर्जर हालत को देखते हुए दिसंबर 2019 में ही हाईकोर्ट ने इस इमारत को ध्वस्त करने की अनुमति दी थी। ये इमारत 80 साल पुराना है।

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