29 राज्यों में 18 राज्यों में एनडीए की सरकार है। इनमें से 13 ऐसे राज्य हैं जहां भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। भाजपा का लगातार विस्तार हो रहा है और लगभग देश की 68 प्रतिशत आबादी पर या तो भाजपा या फिर एनडीए का नेतृत्व है। विरोधी दल भाजपा के बढ़ते जनाधार से सन्न हैं तो कमजोर विरोधियों के भाजपा में शामिल होने की होड़ है। जाहिर तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने भाजपा को अपराजेय बना दिया है। ऐसे कैसे हुआ? क्यों हुआ? इस पर लगातार मंथन जारी है।
सर्वसमावेशी नीति से बढ़ी भाजपा
‘किसी का तुष्टिकरण नहीं, सबका सशक्तिकरण’ भारतीय जनता पार्टी की इस नीति को देशव्यापी समर्थन मिल रहा है और कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति को लोग दुत्कारते चले जा रहे हैं। आज भाजपा के फैलाव के पीछे पार्टी कार्यकर्ताओं का जहां समर्पण है वहीं पार्टी के सिद्धांतों का प्रभाव देश के जनमानस पर है। देश में जहां-जहां भी भाजपा की सरकारें हैं वहां विकास की गति और सर्वसमावेशी नीति ने भाजपा को विस्तार के साथ स्थिरता दी है। कई राज्यों में तो लगभग डेढ़ दशक से भाजपा की सरकारें हैं। जाहिर तौर पर यह जनता के विश्वास के बिना संभव नहीं हो सकता है।
कांग्रेस का अस्तित्व खतरे में
”कांग्रेस पार्टी ने 1977 में भी चुनावी संकट का सामना किया था जब वह आपातकाल के ठीक बाद चुनाव हार गयी थी। लेकिन आज, मैं कहूंगा कि कांग्रेस अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है, यह चुनावी संकट नहीं है। सचमुच में पार्टी गंभीर संकट में है।” कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस बयान से समझा जा सकता है कि एक वक्त में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कहां पहुंच गई है। भाजपा के उभार ने कांग्रेस को गर्त में धकेल दिया है। कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति और भाजपा की सकारत्मक सोच ने इतना बड़ा अंतर पैदा किया है।
मोदी-शाह की जोड़ी का कमाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व कौशल और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति ने बीजेपी को आज उस मुकाम पर खड़ा कर दिया है जहां विरोधी दल पानी मांग रहे हैं। मोदी-शाह की जोड़ी ने भाजपा को सर्वसमावेशी राजनीति का केंद्र बना दिया है जिसके प्रभाव में समाज का सभी तबका है। दरअसल भाजपा ने अगड़ों, पिछड़ों और दलितों का अभेद्य समीकरण बनाया है जिसने यह संदेश दिया है कि बीजेपी किसी एक वर्ग या जाति की पार्टी नहीं है बल्कि वह देश की सवा सौ करोड़ लोगों की आकांक्षाओं की पार्टी है।
सबसे बड़ी पार्टी है भाजपा
भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। इसकी सदस्यता का आंकड़ा करीब 10.5 करोड़ से ज्यादा है। अब तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी माना जाता था। लेकिन 2015 में ही भाजपा ने साढ़े दस करोड़ का आंकड़ा पार कर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ से अधिक सदस्य बना लिए। जाहिर तौर पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी पार्टी बनने का गौरव मोदी-शाह की जोड़ी के आकर्षण के कारण संभव हो पाया है।
देश के कोने-कोने में भाजपा
फिलहाल देश के कोने-कोने में भाजपा का दबदबा है। उत्तर से लेकर मध्य-दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर से लेकर पश्चिम भारत तक भाजपा की सरकारें हैं। दक्षिण के राज्यों में भी भाजपा अपना जनाधार बढ़ाने में सफल हो रही है। आंध्र के अलावा कर्नाटक में भी भाजपा की सरकार रह चुकी है। जाहिर है उत्तर भारत की पार्टी कहलाने वाली भाजपा का विस्तान पैन इंडिया है। बीते विधानसभा चुनाव में केरल और तमिलनाडु में भाजपा के मत प्रतिशत में हुई वृद्धि इन दोनों राज्यों में भी भाजपा के लिए उम्मीदें जगाता है।
एनडीए के कुनबे में बढ़ोतरी
बीते राष्ट्रपति चुनाव पर गौर करें तो एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को चालीस दलों का समर्थन हासिल हुआ। हालांकि ये सभी दल एनडीए का हिस्सा नहीं हैं लेकिन एनडीए की नीतियों और सिद्धांतों से सहमत दिखते हैं। पीडीपी, टीडीपी, जेडीयू, एनपीएफ, सिक्रिम डेमोक्रेटिक फ्रंट जैसे 29 दल एनडीए के साथ हैं। साफ है कि बीजेपी ने अपनी कार्यनीति ऐसी बनाई है कि सरकार में समन्वय बना रहे।
68 प्रतिशत आबादी पर एनडीए
देश के 18 राज्यों में एनडीए की सरकार है। जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी, हरियाणा में बीजेपी, गुजरात में बीजेपी, राजस्थान में बीजेपी, महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना, मध्यप्रदेश में बीजेपी, आंध्र प्रदेश में बीजेपी-टीडीपी, छत्तीसगढ़ में बीजेपी, झारखंड में बीजेपी, बिहार में जेडीयू-बीजेपी, नागालैंड में बीजेपी-एनपीएफ, असम में बीजेपी-एजीपी, सिक्किम में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट-बीजेपी, अरुणाचल प्रदेश में एनडीए, मणिपुर में बीजेपी, उत्तर प्रदेश में बीजेपी, उत्तराखंड में बीजेपी, गोवा में बीजेपी की सरकार है। इस तरह देश की करीब 68 प्रतिशत आबादी पर एनडीए की सरकारें काबिज हैं।
13 राज्यों में भाजपा के सीएम
- अरुणाचल प्रदेश-पेमा खांडू
- असम-सर्बानंद सोनोवाल
- छत्तीसगढ़ रमन सिंह
- गोवा- मनोहर पर्रिकर
- गुजरात- विजय रूपानी
- हरियाणा -मनोहर लाल खट्टर
- झारखंड-रघुवर दास
- मध्य प्रदेश-शिवराज सिंह चौहान
- महाराष्ट्र-देवेंद्र फड़णवीस
- मणिपुर-एन बीरेन सिंह
- राजस्थान-वसुंधरा राजे सिंधिया
- उत्तर प्रदेश-योगी आदित्यनाथ
- उत्तराखंड- त्रिवेंद्र सिंह रावत
पांच राज्यों में एनडीए के मुख्यमंत्री
- जम्मू-कश्मीर-महबूबा मुफ्ती (पीडीपी)
- बिहार-नीतीश कुमार (जेडीयू)
- नागालैंड- शुरहोजेलि लियोजित्सु(एनपीएफ)
- आंध्र प्रदेश -चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी)
- सिक्किम-पवन कुमार चामलिंग (एसडीएफ)
ओडिशा में भी जय-जयकार
ओडिशा में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी बीजेपी ने परचम लहरा दिया। कोई खास जनाधार नहीं होने के बाद भी बीजेपी को यहां 270 सीटों का फायदा हुआ है। बीजेपी को यहां 2012 में 36 सीटें मिली थीं जो अब बढ़कर 306 हो गई हैं। बीजेपी यहां सत्ताधारी बीजू जनता दल के बाद दूसरे नंबर पर आई है। बीजेपी ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है।
चंडीगढ़ में बल्ले-बल्ले
नोटबंदी के बाद 18 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां भाजपा को जबर्दस्त बहुमत मिला। इस चुनाव में 26 में से 20 सीट भाजपा की झोली में गई जबकि सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल को एक सीट मिला। कांग्रेस पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वह मात्र 4 सीट पर सिमट गई। भाजपा का वोटिंग शेयर यहां 56 फीसदी हो गया है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं की जमानत जब्त हो गई।
महाराष्ट्र निकाय चुनाव में बीजेपी अव्वल
महाराष्ट्र में पहली बार म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष पद के लिए डायरेक्ट चुनाव हुए। इसमें बीजेपी ने 51 सीटें जीतीं जो कि कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना से दोगुनी है। शिवसेना को 25 और कांग्रेस को महज 23 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यानी 2011 में जो पार्टी चौथे नंबर पर थी, वो नोटबंदी के फैसले के बाद 2016 में पहले नंबर पर आ गई, वो भी ग्रामीण इलाके में।
गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत
गुजरात में हुए स्थानीय चुनावों में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं। 126 में से 109 सीटें जीती। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की।
उपचुनाव में भी जीत
प्रधानमंत्री मोदी के जलवे के चलते पंजाब और गोवा के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में भी जोरदार झटका लगा। दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की। इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही है और उसकी जमानत तक जब्त हो गई। भाजपा असम, अरुणाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश की सभी उपचुनाव जीतने में सफल रही