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केजरीवाल के डर की खुली पोल, अब समझ में आया क्यों कर रहे थे विरोध

राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी-अकाली दल की जीत

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पंजाब और गोवा के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में भी जोरदार झटका लगा है। दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही है। पहले यह सीट आम आदमी पार्टी के पास थी। यह सीट उनके ही विधायक के इस्तीफे के बाद खाली हुई और केजरीवाल अपनी पार्टी की सीट बचा नहीं सके। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के प्रति यहां की जनता के गुस्से के अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उनकी पार्टी यहां जमानत भी बचा नहीं सकी।

राजौरी गार्डन की सीट आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह के पंजाब में चुनाव लड़ने की वजह से खाली हुई थी। यहां कांग्रेस की मीनाक्षी चंदीला, आप के हरजीत सिंह और अकाली दल-बीजेपी के मनजिंदर सिंह सिरसा के बीच मुकाबला था।

बीजेपी के मनजिंदर सिंह सिरसा को 40602 वोट मिले जबकि कांग्रेस को 25950 वोट मिले और आप को सिर्फ 10243 वोट मिले। राजौरी गार्डन में पड़े कुल 78091 वोट में से 51.99 प्रतिशत वोट बीजेपी को जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 33.23 प्रतिशत और आप उम्मीदवार को सिर्फ 13.11 प्रतिशत वोट मिले।

दिल्ली में 23 अप्रैल को एमसीडी चुनाव है। इस सीट पर जीत से बीजेपी का मनोबल और बढ़ गया है।

नोटबंदी के बाद हर चुनाव में मोदी-मोदी
वैसे भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ चलाए गए नोटबंदी अभियान के बाद हुए तमाम चुनावों में बीजेपी को भारी कामयाबी मिली है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में ही नहीं इसके पहले देशभर में कई जगहों पर हुए स्थानीय चुनावों में भी बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत ने साबित कर दिया है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के पक्ष में हैं। लोगों ने नोटबंदी का विरोध करने वाली सभी पार्टियों को चित्त कर दिया। नोटबंदी के बाद ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनावों में और चंडीगढ़ में हुए नगर निगम चुनाव में भी बीजेपी को पहले से काफी ज्यादा सीटें मिलीं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश, राजस्थान के उप चुनावों में भी पार्टी ने बाजी मारी।

महाराष्ट्र में महानगरपालिकाओं और जिला परिषदों के लिए हुए चुनावों में बीजेपी ने भारी जीत दर्ज की। बीएमसी की 227 सीटों में बीजेपी को 82 सीटें मिली। पुणे में बीजेपी को 74, नागपुर में 70, नासिक में 33, पिंपरी चिंचवाड़ में 70, इसी तरह उल्हासनगर में 34, सोलापुर में 49, अकोला में बीजेपी को 48 और अमरावती मे 45 सीटें मिली। 1514 जिला परिषद चुनाव में बीजेपी को 403, शिवसेना को 269, कांग्रेस को 300, एनसीपी को 344 सीटें मिली।

कांग्रेस का सफाया

लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार खराब चल रहा है। विधानसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र नगर निगम और जिला परिषद चुनाव में भी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। जो पार्टी कभी पहले पायदान पर रहती थी, अब तीसरे और चौथे स्थान के लिए संघर्ष करती दिख रही है। पार्टी का कई इलाकों में सफाया हो गया है।

ओडिशा में भी जय-जयकार
ओडिशा में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी बीजेपी ने परचम लहरा दिया। कोई खास जनाधार नहीं होने के बाद भी बीजेपी को यहां 270 सीटों का फायदा हुआ है। बीजेपी को यहां 2012 में 36 सीटें मिली थीं जो अब बढ़कर 306 हो गई हैं। बीजेपी यहां सत्ताधारी बीजू जनता दल के बाद दूसरे नंबर पर आई है। बीजेपी ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है।

चंडीगढ़ में बल्ले-बल्ले

नोटबंदी के बाद 18 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां भाजपा को जबर्दस्त बहुमत मिला। इस चुनाव में 26 में से 20 सीट भाजपा की झोली में गई जबकि सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल को एक सीट मिला। कांग्रेस पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वह मात्र 4 सीट पर सिमट गई। भाजपा का वोटिंग शेयर यहां 56 फीसदी हो गया है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं की जमानत जब्त हो गई।

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में बीजेपी अव्वल

महाराष्ट्र में पहली बार म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष पद के लिए डायरेक्ट चुनाव हुए। इसमें बीजेपी ने 51 सीटें जीतीं जो कि कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना से दोगुनी है। शिवसेना को 25 और कांग्रेस को महज 23 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यानी 2011 में जो पार्टी चौथे नंबर पर थी, वो नोटबंदी के फैसले के बाद 2016 में पहले नंबर पर आ गई, वो भी ग्रामीण इलाके में।

गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत

गुजरात में हुए स्थानीय चुनावों में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं। 126 में से 109 सीटें जीती। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की।

उपचुनाव में भी जीत

नोटबंदी के बाद पहली बार 19 नवंबर को देशभर के विभिन्न राज्यों में 10 विधानसभा और चार लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव हुए। भाजपा असम, अरुणाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश की सभी उपचुनाव जीतने में सफल रही।

असम- नोटबंदी के बाद लखीमपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रधान बरुआ को जीत मिली। बैथालांगसो विधानसभा सीट पर भाजपा के ही मानसिंह रोंगपी ने जीत हासिल की।

मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट और नेपानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह और नेपानगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मंजू दादू ने जीत दर्ज की।

अरुणाचल प्रदेश- नोटबंदी के बाद अरुणाचल प्रदेश में भी भाजपा की लहर देखने को मिली। भाजपा प्रत्याशी देसिंगू पुल को हायूलियांग विधानसभा सीट से जीत मिली।

त्रिपुरा- यहां उपचुनाव के बाद भाजपा का वोट शेयर 1% से बढ़कर पूरे 21% तक पहुंच गया है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 41% से घट कर मात्र 2% हो गया है।

पश्चिम बंगाल- नोटबंदी के बाद पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और तामलुक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। कूचबिहार लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 16.4 से बढ़कर 28.5 फीसदी हो गया। वहीं तामलुक लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 6.4 से बढ़कर 15.25 फीसदी तक पहुंच गया। दोनों लोकसभा सीट पर भाजपा तृणमूल कांग्रेस के सामने खतरा बनकर उभरी है।

नोटबंदी के फैसले के बाद ज्यादातर नतीजे बीजेपी के पक्ष में गए हैं। सारे परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। ये सारे परिणाम पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले पर जनता की सहमति का मुहर है।

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