कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी लोकसभा में अपने बयान को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं। बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने ‘संघ एवं राज्य क्षेत्र’ से जुड़ी टिप्पणियों को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ गुरुवार (03-02-2022) को लोकसभा में सदन की अवमानना का नोटिस दिया। दुबे ने नोटिस में कहा है कि राहुल ने बुधवार (02-02-2022) को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जो बयान था, उसका एकमात्र उद्देश्य लोगों को देश के खिलाफ हिंसक गतिविधियों के लिए भड़काना था।
निशिकांत दुबे ने ट्वीट करके राहुल गांधी के खिलाफ नोटिस देने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट करके लिखा कि राहुल गांधी जी की मानसिकता जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धांत का है। कल लोकसभा में दिया उनका भाषण देश को टुकड़ों में बांटने की साज़िश है,आज उनके ख़िलाफ़ लोकसभा स्पीकर को विशेषाधिकार हनन व गलतबयानी का नोटिस दिया।
राहुल गाँधी जी की मानसिकता जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धांत का है।कल लोकसभा में दिया उनका भाषण देश को टुकड़ों में बॉंटने की साज़िश है,आज उनके ख़िलाफ़ @loksabhaspeaker जी को विशेषाधिकार हनन व ग़लतबयानी का नोटिस दिया @ANI @PTI_News @MathewLiz @payalmehta100 @awasthis @amitabhnews18 pic.twitter.com/MiOYfoT8Dz
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) February 3, 2022
निशिकांत ने अपने नोटिस में कहा कि राहुल ने संविधान की प्रस्तावना को भी नहीं पढ़ा है, जिसमें कहा गया है कि हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्त्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने का संकल्प लेते हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्तावना में गणतंत्र शब्द के प्रयोग से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत हर तरह से एक राष्ट्र है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये नॉर्मल फैक्ट राहुल गांधी जैसे अनुभवी सांसद को समझ नहीं आ रहा है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ कांग्रेस द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौते का जिक्र करते हुए निशिकांत दुबे ने केंद्र सरकार से राहुल गांधी की गतिविधियों पर नजर रखने की बात कही है। बीजेपी सांसद ने यह भी कहा कि उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस दिया है और कहा है कि सभी तथ्यों को ठीक से जानने के लिए उन्हें एक ट्यूटर या एक अच्छा टीचर रखने की जरूरत है।
गौरतलब है कि बीजेपी सांसद के नोटिस को लोकसभा के कामकाज, प्रक्रिया और आचार संबंधी नियमों के नियम 222 के तहत स्वीकार किया गया है। लोकसभा के इस नियम के तहत कोई भी सदस्य, अध्यक्ष या चेयरपर्सन की सहमति से किसी सदस्य या सदन या उससे संबंधित समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन के संबंध में सवाल उठा सकता है।