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त्रिपुरा निकाय चुनावों में बीजेपी का क्लीन स्वीप, बंगाल से बाहर टीएमसी का सूपड़ा साफ

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त्रिपुरा निकाय चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की है। दरअसल, त्रिपुरा में अगरतला निगर निगम और 13 नगर निकाय की 334 सीटों पर मतदान हुआ था, जिनमें से बीजेपी ने 329 सीटों पर जीत दर्ज की है। चुनाव में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन से पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। वहीं इस चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी की टीएमसी के साथ अन्य विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया।

अगरतला में तो सभी 51 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की। कुल 334 सीटों में से 222 पर 25 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसमें 81.54 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। कुल 222 में से 217 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की, जबकि 112 पर उसके प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए। मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने इसके लिए राज्य की जनता का आभार जताया। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में हम राज्य के 37 लाख लोगों के भले के लिए कार्य कर रहे हैं।

त्रिपुरा निकाय चुनावों में जबरदस्त जीत का जश्न मनाने के लिए बीजेपी के समर्थक अगरतला की सड़कों पर उतर आए। पार्टी की बंपर जीत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘मैं त्रिपुरा के बीजेपी कार्यकर्ताओं की सराहना करना चाहता हूं जिन्होंने जमीन पर अथक परिश्रम किया और लोगों की सेवा की। बिप्लब देब के नेतृत्व में राज्य सरकार कई पहलों में सबसे आगे रही है, जिसका जनता ने जबर्दस्त आशीर्वाद दिया है।’

इस चुनाव में जहां कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला, वहीं टीएमसी को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा। निकाय चुनाव से पहले त्रिपुरा में हिंसा और प्रदेश की बीजेपी सरकार के खिलाफ जिस तरह से टीएमसी ने मोर्चा खोला था, उसको देखते हुए बीजेपी उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने तृणमूल कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव के नतीजों ने पूर्वोत्तर राज्यों में पैठ जमाने का टीएमसी के खोखले दावों को उजागर कर दिया है। इससे साबित हो गया है कि राज्य के लोग टीएमसी के बारे में क्या सोचते हैं और उनपर कितना भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा कि चुनावी नतीजे जनता का बीजेपी पर विश्वास का प्रमाण हैं।

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव जीत कर वर्ष 2018 में सत्ता में आई बीजेपी पहली बार निकाय चुनावों में भाग्य आजमा रही थी। निकाय चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ। इस मामले को लेकर जिस प्रकार की रिपोर्ट आई, उसने तमाम लोगों को परेशान किया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए शांतिपूर्ण चुनाव कराने का आदेश दिया। वहीं, किसान आंदोलन और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी को लेकर कई प्रकार के सवाल खड़े किए जा रहे थे। इन तमाम मुद्दों पर बीजेपी लहर हावी रही। 

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