नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा से आए हजारों किसान पिछले 5 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसानों ने बुराड़ी जाने से मना कर दिया और वो दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करना चाहते हैं। इसी दौरान दिल्ली के गाजीपुर में आंदोलनकारी किसानों के बीच बिरयानी बांटे जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए लोगों ने कहा कि किसानों का विरोध शाहीन बाग़ प्रदर्शन का सीज़न-2 है।
Biryani time at Ghazipur farmers protest spot#DelhiChalo #DelhiFarmersProtest pic.twitter.com/iziM5Q3vWE
— TOI Delhi (@TOIDelhi) November 30, 2020
टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी इस वीडियो के साथ कैप्शन भी लिखा हुआ है, “गाजीपुर में किसानों के विरोध-प्रदर्शन की जगह पर बिरयानी का समय हो चुका है।” इस वीडियो ने शाहीन बाग़ की यादें ताज़ा कर दी हैं, क्योंकि दिल्ली की सीमाओं पर जारी ‘किसानों’ के विरोध-प्रदर्शन और शाहीन बाग में हुए विरोध-प्रदर्शन के बीच समानताएं देखी जा सकती हैं। पिछले साल दिसंबर महीने में ही सीएए और एनआरसी के विरोध में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को बिरयानी परोशी गई थी।
वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर प्रतिक्रियाएं दी हैं। ट्विटर यूज़र्स ने आरोप लगाया है कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन, कांग्रेस, वामपंथी दल और आम आदमी पार्टी शाहीन बाग़ ‘विरोध-प्रदर्शन’ को बढ़ावा दिया, वही इस तथाकथित किसान आंदोलन के पीछे हैं। वहीं कुछ ट्विटर यूजर्स का कहना है कि जिसने शाहीन बाग की स्क्रिप्ट लिखी थी, उसने ही इस किसान आंदोलन की स्क्रिप्ट लिखी है।
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लोग किसान आंदोलन और सीएए विरोध प्रदर्शन के बीच समानता इस लिए स्थापित कर रहे हैं, क्योंकि सीएए में देश के किसी नागरिक का जिक्र न था, लेकिन भ्रम फैलाने वालों ने इसे मुसलमानों का विरोधी बताया और लोगों को सड़कों पर उतार दिया। अब उसी तर्ज पर कृषि सुधार अधिनियम को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, इसमें न तो फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करने की बात कही गई है और न ही मंडी व्यवस्था खत्म करने की परंतु इसके बावजूद आंदोलनकारी इस मुद्दे को जीवन मरन का प्रश्न बनाए हुए हैं।
नए कृषि कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद से ही पंजाब में चला आ रहा किसान आंदोलन बीच में कमजोर पड़ने ने लगा था, जिसमें जान डालने के लिए सुनियोजित तरीके से ‘दिल्ली चलो’ की अपील की गई। इस आंदोलन को दिल्ली शिफ्ट करने के लिए शाहीन बाग की तरह तैयारी की गई, जिसका नतीजा है कि आज दिल्ली में शाहीन बाग जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। इस आंदोलन में बिरयानी, पीएम मोदी और देश विरोधी आवाजें सुनाई दे रही हैं।
गौरतलब है कि पुलिस जांच में दिसंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक चलने वाले सीएए विरोध प्रदर्शन और दिल्ली में हुए दंगों में PFI की भूमिका स्पष्ट रही है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य दानिश अली को गिरफ्तार किया था। दानिश से जुड़ी कई अहम बातें सामने आईं। पुलिस पूछताछ में सामने आय कि शाहीन बाग में ‘बिरयानी’ परोशने वाला दानिश ही था।
दानिश के बारे में जानकारी मिली कि वह शाहीन बाग में खाना और पैसे देता था। दंगों में भी उसने पैसा और लोग मुहैया कराए। हालांकि वह खुद दंगे में शामिल नहीं रहा। जांच में सामने आ रहा है कि दंगे अचानक नहीं हुए। ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दंगा फिक्स था। जिसकी स्क्रिपट पीएफआई और ISIS मॉड्यूल ने लिखी थी।