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PM MODI भरोसे का दूसरा नाम, पहले फांसी की सजा मिली थी, अब Qatar ने 8 नौसैनिकों को किया रिहा, भारत की बड़ी राजनयिक जीत, मोदी सरकार पहले भी कई देशों से भारतीयों को सुरक्षित लाई

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दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाले भारतीयों का पीएम मोदी पर लगातार भरोसा यूं ही नहीं बढ़ रहा है। पीएम मोदी की सरकार ने एक नहीं, कई बार दूर देशों में मुश्किल में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकाला है। इस बार तो पीएम मोदी के चलते कल्पनातीत उपलब्धि हासिल हुई है। कतर ने जिन 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को सजा-ए-मौत का ऐलान कर दिया था, उसमें भारत को शानदार राजनयिक सफलता मिला है। कतर से पहले सभी भारतीयों को उम्रकैद से जमानत मिली और अब उन्हें सुरक्षित रिहा कर दिया है। इनमें से 7 तो सोमवार सुबह भारत वापस भी आ गए हैं और उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। उनका कहना है यह सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी के चलते ही संभव हो पाया है। यह पहला मौका नहीं है, जबकि पीएम मोदी सरकार ने विदेशों से भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की है।भावुक पूर्व नौसैनिक बोले- पीएम मोदी के बिना रिहाई संभव नहीं थी
भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार (12 फरवरी) को देर रात कहा- भारत सरकार कतर में गिरफ्तार किए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले 8 भारतीयों की रिहाई का स्वागत करती है। हम इनकी घर वापसी के लिए कतर के फैसले की सराहना करते हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर लौटने के बाद कुछ पूर्व नौसैनिकों ने मीडिया से बात की। घर वापसी से खुश और भावुक पूर्व नौसैनिकों ने कहा- PM मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारे लिए भारत लौटना बिल्कुल संभव नहीं था। भारत सरकार के लगातार प्रयासों के बाद ही हम वापस आ सके हैं। एक अन्य पूर्व नौसैनिक ने कहा- हम 18 महीने बाद भारत आ सके हैं। हम PM मोदी और भारत सरकार को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हैं। क्योंकि उनके प्रयासों से हमें एक तरह से नई जिंदगी मिली है। हमें घर लौटकर अच्छा लग रहा है।

 

भारत के दखल के बाद 45 दिन पहले मौत की सजा को उम्रकैद में बदला था
कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने 30 अगस्त 2022 को 8 पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार किया था। भारतीय दूतावास को सितंबर 2022 के मध्य में पहली बार भारतीय नौसैनिकों की गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था। इनकी पहचान कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश के रूप में की गई। ये कतर में कथित रूप से जासूसी के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। पहले इन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। ये सभी अफसर और कर्मी कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली एक निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी में काम करते थे। दहरा ग्लोबल डिफेंस सर्विस प्रोवाइड करती है। ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमिस अल अजमी इसके प्रमुख हैं। उन्हें भी 8 भारतीय नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में उन्हें छोड़ दिया गया। गिरफ्तारी से करीब 14 महीने बाद, 26 अक्टूबर 2023 को इन सभी पूर्व नेवी अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई। पीएम मोदी के दिशानिर्देशन में भारत सरकार के दखल देने के बाद 28 दिसंबर 2023 को इनकी मौत की सजा कैद में बदली गई थी।

भारत कतर से साल 2048 तक लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) खरीदेगा
BBC के मुताबिक ये रिहाई ऐसे समय हुई है जब भारत और कतर के बीच गैस को लेकर एक अहम समझौता हुआ है। 6 फरवरी को हुए इस समझौते के तहत भारत कतर से साल 2048 तक लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) खरीदेगा। यह समझौता अगले 20 सालों के लिए हुआ है और इसकी कुल लागत 78 अरब डॉलर की है। भारत की सबसे बड़ी LNG आयात करने वाली कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (PLL) ने कतर की सरकारी कंपनी कतर एनर्जी के साथ ये समझौता किया है। इस समझौते के तहत कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस एक्सपोर्ट करेगा। इस गैस का इस्तेमाल बिजली, फर्टिलाइजर बनाने और इसे CNG में बदलने के लिए किया जाता है।

भारत की पहल- तुक्रिये से कराई मध्यस्थता, अमेरिका से भी की बातचीत
गिरफ्तारी के एक साल बाद मिली परिवार से फोन पर बातचीत की अनुमति
इन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ 30 सितंबर 2023 को थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की मंजूरी दी गई थी। पहली बार काउंसलर एक्सेस 3 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया था। 3 दिसंबर 2023 को कतर में मौजूद भारत के ऐंबैस्डर निपुल ने आठों पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की थी। 30 अक्टूबर 2023 को इन नौसैनिकों के परिवारों ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। तब भारत ने कतर को मनाने के लिए तुर्किये की मदद लेने की कोशिश की। तुर्किये के कतर के शाही परिवार के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए भारत सरकार ने उसे मध्यस्थता के लिए अप्रोच किया। भारत सरकार ने अमेरिका से भी बात की, क्योंकि रणनीतिक तौर पर अमेरिका की भी कतर पर मजबूत पकड़ है।

मोदी सरकार के इन चौतरफा प्रयासों का कतर पर दबाव बना और पहले फांसी की सजा उम्रकैद में बदली और अब उन्हें रिहाई भी मिल गई। आइये जानते हैं नेवी के उन 8 पूर्व अफसरों के बारे में, जिन्हें कतर ने रिहा किया है…1. कैप्टन नवतेज सिंह गिल: हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार कैप्टन नवतेज सिंह गिल चंडीगढ़ के हैं। उनके पिता आर्मी के रिटायर्ड अफसर हैं। वे देश के फेमस डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, तमिलनाडु में इंस्ट्रक्टर रह चुके हैं। उन्हें बेस्ट कैडट रहने पर राष्ट्रपति अवॉर्ड दिया जा चुका है।
2. कमांडर पूर्णेंदु तिवारी: नेवी के टॉप ऑफिसर रह चुके हैं। नेविगेशन के एक्सपर्ट हैं। युद्धपोत INS ‘मगर’ को कमांड करते थे। दहरा कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर रिटायर्ड कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए साल 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था। वह यह पुरस्कार पाने वाले आर्म्ड फोर्सेज के एक मात्र शख्स हैं।
3. कमांडर सुगुनाकर पकाला: टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार 54 साल के सुगुनाकर पकाला विशाखापट्‌टनम के रहने वाले हैं। नौसैनिक के तौर पर उनका कार्यकाल शानदार रहा है। उन्होंने 18 साल की उम्र में ही नेवी जॉइन की थी। वे नवंबर 2013 में इंडियन नेवी से रिटायर हुए थे। इसे बाद उन्होंने कतर की कंपनी अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी को जॉइन किया था।
4. कमांडर संजीव गुप्ता को गनरी स्पेशलिस्ट के तौर जाना जाता है।
5. कमांडर अमित नागपाल नौसेना में कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक वॉर सिस्टम के एक्सपर्ट हैं।
6 .कैप्टन सौरभ वशिष्ठ की पहचान तेज-तर्रार टेक्निकल ऑफिसर के तौर पर होती है। उन्होंने कई मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दिया है।
7. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा को उनके नेविगेशनल एक्सपर्टीज के लिए पहचाना जाता है।
8. नाविक रागेश नौसेना में मेनटेनेंस और हेल्पिंग हैंड के रूप में काम करते थे।

सूडान संकट, रूस- यूक्रेन युद्ध, कोरोना महामारी समेत ऐसे कितने ही मौके आए, जबकि पीएम मोदी विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए संकटमोचक के रूप में सामने आए…

दुनिया में कहीं भी संकट आया हो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी में कोई कमी नहीं छोड़ी है। उम्मीद की जा रही है कि इन नौसैनिकों की भी जल्द स्वदेश वापसी होगी। दुनिया के किसी भी कोने में कोई भारतीय मुश्किल में फंसा हो तो मोदी सरकार उस व्यक्ति के सुरक्षित वापसी तक चैन की सांस नहीं लेती है। युद्ध और अन्य संकट के समय भी मोदी सरकार लोगों के लिए संकटमोचक बनकर सामने आई है। हाल ही में ऑपरेशन अजय चलाकर इजरायल से भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराई। साथ ही जब उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर 2023 को मिट्टी धंसने से 41 मजदूर फंस गए तो उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने में मोदी सरकार ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

ऑपरेशन अजय: जुबां पर मोदी और भारत माता की जय के नारे
इजरायल में फंसे 18 हजार भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2023 को ‘ऑपरेशन अजय’की शुरुआत की। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हमारी प्राथमिकता उन्हीं भारतीयों को सकुशल वापस लाने की है, जो लौटना चाहते हैं। जैसे-जैसे लौटने के आग्रह मिलते रहेंगे, उसी हिसाब से उड़ानें तय की जाएंगी। इजरायल पर हमास के हमले के बाद पहले दिन से ही भारतीयों को सुरक्षित निकालने की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। अडवाइजरी जारी करने के साथ ही भारतीय दूतावास को सक्रिय कर दिया गया था। इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया था। दूतावास ने भारतीयों से संपर्क स्थापित किया और हर तरह से सहयोग करने का भरोसा दिया भारतीयों का पहला जत्था जब विमान में सवार हुआ, तो उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। विमान में सवार भारतीयों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए। साथ ही इस ऑपरेशन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।

उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया
ऑपरेशन अजय शुरू करने के ठीक एक महीने बाद 12 नवंबर 2023 को उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान शुरू किया गया। 17 दिन की मशक्कत के बाद इन कामगारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इसके लिए मोदी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ से लेकर टनल के अन्य विशेषज्ञों को इस काम लगाया। इसके साथ ही अत्याधुनिक औजार और उपकरण भी मंगाए जिससे जल्द-जल्द उन्हें कुशलतापूर्वक बाहर निकाला जा सके। 17वें दिन इसमें सफलता मिली।

पीएम मोदी ने कहा- कितना खुश हूं ये शब्दों में बयां नहीं कर सकता’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल से बाहर आए 41 मजदूरों से फोन पर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि आप लोगों के बाहर आने पर मैं कितना खुश हूं ये शब्दों में बयां नहीं कर सकता। आपने इतने दिन बड़ी हिम्मत दिखाई है और एक दूसरे का हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाने वाले जवानों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।

ऑपरेशन कावेरी : सूडान से लौटे भारतीयों ने कहा, ‘मोदी है तो भरोसा है’
भारत के 130 करोड़ लोगों के भरोसे का नाम नरेन्द्र मोदी हैं। इसकी झलक गृहयुद्ध से जूझ रहे सूडान में भी देखने को मिला था। जहां फंसे भारतीयों ने प्रधानमंत्री मोदी से बचाने की गुहार लगाई थी। इसके बाद तुरंत प्रधानमंत्री संकटमोचक बनकर सामने आए और फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी की शुरुआत की थी। सूडान से सकुशल अपने वतन लौटें लोगों ने जहां ऑपरेशन कावेरी को लेकर मोदी सरकार की जय-जयकार की थी, वहीं महिलाएं प्रधानमंत्री मोदी को दीर्घायु होने की कामना कर रही थी। 

दरअसल ऑपरेशन कावेरी के तहत भारतीयों को सूडान से सऊदी के शहर जेद्दाह होते हुए भारत लाया गया था। सूडानी आर्मी और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेस के बीच 72 घंटे का सीजफायर बढ़ाने पर सहमति बनने के बाद भारत ने वहां फंसे अपने नागरिकों को बाहर निकालने के प्रयास तेज कर दिए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक भारतीय वायुसेना के सी-130जे विमान पोर्ट सूडान से जेद्दाह के लिए उड़ान भर रहे थे। भारतीयों के 11 जत्थों को सूडान से सुरक्षित जेद्दाह पहुंचाया गया था,जहां भारतीयों के स्वागत के लिए केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन जेद्दाह में मौजूद थे। 

सूडान से अपने वतन पहुंचने पर भारतवासियों ने राहत की सांस ली थी और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया था। भारत लौटे निशा मेहता ने प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया किया था। उन्होंने कहा था कि हम अपने देश में लौटकर बहुत खुश है। एक अन्य व्यक्ति अवतार सिंह ने कहा था कि हिंदुस्तान वापस लौटकर उन्हें बेहद खुशी हो रही हैं। वहीं भारत लौटी एक बुजुर्ग महिला यात्री ने भावुक होते हुए कहा था, “भारत देश महान है। प्रधानमंत्री मोदी हजार साल जिएं।” 

ऑपरेशन गंगा : 2022 में युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए चलाया गया 
रूस – यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के मामले में भारत सबसे आगे दिखाई दिया। मोदी सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘ऑपरेशन गंगा’ काफी सफल रहा। 20000 के करीब भारतीय छात्रों और नागरिकों को वतन वापस लाया गया। यूक्रेन संकट पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 28 फरवरी, 2022 की शाम को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इसमें ‘ऑपरेशन गंगा’ को तेज करने पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया। ‘ऑपरेशन गंगा’को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के काम को पूरी गंभीरता से लिया और तत्काल फैसले लेकर अधिकारियों और मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी।

ऑपरेशन देवी शक्ति : 2021 में अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाया गया
हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर चलाए गए राहत और बचाव अभियान को ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ऑपरेशन देवी शक्ति रखा था। अफगानिस्तान में फंसे हजारों भारतीय नागरिकों सहित वहां के हिन्दुओं और सिखों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देवदूत बनकर सामने आए थे। एयर फोर्स और एअर इंडिया की फ्लाइट के जरिये काबुल एयरपोर्ट से 23 अगस्त, 2021 तक 700 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के प्रयासों की बदौलत श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 3 प्रतियों को सुरक्षित काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया। इसके बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 3 प्रतियों के साथ 46 अफगान सिख और हिंदुओं को भी भारतीय वायुसेना के विमान से सुरक्षित भारत रवाना किया गया।

‘वंदे भारत’ मिशन :  मई 2020 में लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए चलाया गया
प्रधामनमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने मई 2020 में लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन चलाया था। इस दौरान एयर इंडिया के दो विमान यूएई में फंसे 363 भारतीयों को वापस लेकर आए। दूसरे दिन यानी शुक्रवार को सिंगापुर, लंदन, ढाका, रियाद और सैन फ्रांसिस्को से एयर इंडिया की फ्लाइट्स बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को दिल्ली और मुंबई के एयरपोर्ट पर लेकर आईं। वंदे भारत मिशन के तहत एयर इंडिया के विमानों से 12 देशों में फंसे करीब एक लाख 93 हजार भारतीय नागरिकों को वापस लाया गया था। 

ऑपरेशन संकट मोचन : 2016 में साउथ सूडान में फंसे 600 भारतीयों को निकाला गया
साउथ सूडान में फंसे अपने 600 नागिरकों को निकालने के लिए मोदी सरकार ने दो C-17 विमान जुबा भेजा था। भारत सरकार ने इसे ऑपरेशन संकटमोचन का नाम दिया था और इस अभियान का नेतृत्व तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने किया था। साउथ सूडान के जूबा शहर के कई हिस्सों में पूर्व विद्रोही और सैनिकों के बीच भारी संघर्ष हुआ था। भारतीय वायुसेना का विमान युद्धग्रस्त दक्षिणी सूडान से सैकड़ों लोगों को लेकर वापस देश पहुंचा था। दक्षिण सूडान से लाए गए लोगों में 600 भारतीय नागरिकों के अलावा नेपाली नागरिक भी शामिल थे। उस समय वीके सिंह ने यह भी कहा था कि वे दक्षिण सूडान के विदेश मंत्री और उप-राष्ट्रपति से मिलकर बात की तो उन्हें वादा किया गया कि स्थिति खराब होने की हालत में हर संभव मदद की जाएगी।

ऑपरेशन राहत : 2015 के यमन संकट के दौरान 41 देशों के नागरिकों के साथ 4640 भारतीयों को निकाला गया
तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के नेतृत्व में यमन में ‘ऑपरेशन राहत’ चलाया गया था। यमन के ‘वार जोन’ से 4640 भारतीय निकाले गए थे। 10 दिन चले ऑपरेशन में भारतीय सेना के जांबाजों ने 5600 लोगों को बाहर निकाला था, जिनमें 41 देशों के 960 नागरिक भी शामिल थे। सिर्फ सना से ही भारतीय वायुसेना ने 2900 लोगों की एयर लिफ्ट किया था और 18 स्पेशल विमानों से स्वदेश लाया था। 9 अप्रैल को आखिरी दिन 630 लोगों को सना से एयरलिफ्ट किया गया था। भारतीय नेवी ने कुल 1670 लोगों को अदन, अलहुदायदाह और अल-मुकाला से लोगों को निकाला था आखिरी दिन 9 अप्रैल को INS सुमित्रा ने 349 लोगों की नई जिंदगी दी थी। इनमें 46 भारतीय और 303 विदेशी थे। 1 अप्रैल से 9 अप्रैल, 2015 की सुबह तक भारतीय वायुसेना के विमानों ने तकरीबन 18 उड़ानों के जरिए ऑरपेशन राहत को सफलता के अंजाम तक पहुंचाया था।

ऑपरेशन मैत्री : 2015 में नेपाल भूकंप के दौरान भारतीयों को बाहर निकालने के लिए चलाया गया
मोदी सरकार ने 2015 में पड़ोसी देश नेपाल में आए भूकंप के दौरान ‘ऑपरेशन मैत्री’ चलाया था। दो दिनों तक आए लगातार भूकंप को देखते हुए भारत ने वहां मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की तत्परता से भूकंप आने के मात्र छह घंटे बाद ही नेपाल पहुंचकर भारतीय सेना ने राहत कार्य की मुहिम शुरू कर दी थी। भारतीय वायु सेना के सी-130 जे और सी-17 ग्लोबमास्टर-3 जैसे बड़े विमान ना सिर्फ बड़ी मात्रा में राहत सामग्री और बचाव व राहत दल के लोगों के साथ पहुंचे थे, बल्कि वहां फंसे हिंदुस्तानियों को वापस लाने में भी जुटे थे। इसी तरह नेपाल में मुस्तैद भारतीय दल घायलों को निकालने, अस्पताल पहुंचाने और प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने से लेकर इस आपदा से हुए नुकसान का हवाई सर्वे करने तक नेपाल की लगातार मदद की थी। भारत के मौजूदा विदेश मंत्री और विदेश मंत्रालय के तत्कालीन सचिव एस. जयशंकर ने बताया था कि भूकंप से तबाह नेपाल में राहत कार्य के लिए 13 सैन्य विमान और तीन नागरिक विमान भेजे गए थे। 

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