विमुद्रीकरण या नोटबंदी के फायदे अब दिखने लगे हैं। जैसे-जैसे आंकड़े उपलब्ध हुए हैं, उससे साफ हो गया है कि जहां इस एक निर्णय ने 5 लाख करोड़ रुपये के छिपे हुए धन को उजागर कर दिया। वहीं कैशलेस ट्रांजेक्शन के जोड़ पकड़ने से भ्रष्टाचार के स्रोतों में पलीता लग है। इसके साथ ही टैक्स की जिम्मेदारियों के प्रति लोग अधिक अनुशासित भी हुए हैं।
नोटबंदी के लाभ:
• अर्थव्यवस्था में कैश की आवश्यकता कम हुई – नोटबंदी के समय देश में 17.77 लाख करोड़ करेंसी नोट प्रचल में थे। इसमें से 15.44 लाख करोड़ 500 और 1000 रुपये के नोट थे, जिन्हें विमुद्रीकरण में अर्थव्यवस्था से बाहर निकाल दिया गया। अगर नोटबंदी नहीं होती तो मई, 2017 तक देश की अर्थव्यवस्था में कुल 19.25 लाख करोड़ रुपये प्रचलन में होते।
• आरबीआई के अनुसार अप्रैल, 2017 तक कुल 14.2 लाख करोड़ रुपये अर्थव्यवस्था में वापस आ चुके थे।
• नोटबंदी के चलते अर्थव्यवस्था से अलग 5 लाख करोड़ रुपये के दबे हुए नोट बाहर आ गये। कैश की जमाखोरी से अर्थव्यवस्था बिगड़ने लगती है।
• टैक्स देने वालों का दायरा बढ़ा- 2016-17 के लिए इनकम टैक्स जमा करने वालों की संख्या में 23.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसमें से कम से कम 10 प्रतिशत की वृद्धि अकेली नोटबंदी के कारण हुई।
• 2016-17 में 91 लाख नये लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया। पहले, यह वृद्धि मामूली 20-25 लाख के बीच ही होती थी। यानी सरकार लोगों को समझाने में सफल रही कि आय छुपाने से कोई फायदा नहीं होगा।
• पैनकार्ड धारकों की संख्या बढ़ी – नोटबंदी से पहले मोटे तौर पर प्रतिदिन एक लाख पैनकार्ड जारी होते थे। नोटबंदी के बाद हर रोज लगभग 2-3 लाख पैन कार्ड जारी हो रहे हैं।
• डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज – कार्ड के जरिये लेन-देन वाली पीओएस मशीनों की बिक्री में तेजी आई। 2016-17 में 300 करोड़ डिजिटल लेन-देन हुए।
• 2017-18 में 2500 करोड़ से अधिक डिजिटल लेन-देन होने का अनुमान है।
• मोबाइल वॉलेट से प्रतिदिन 200 करोड़ का लेन- देन होता है। पांच महीनों के अंदर ‘भीम’ एप को 2 करोड़ से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया। भीम एप और यूपीआई पेमेंट गेटवे के माध्यम से 140 करोड़ रुपये प्रतिदिन लेन-देन होता है।
• नोटबंदी के बाद डेबिड कार्ड के प्रयोग तेजी आई है। 2015-16 में डेबिट कार्ड से कुल 117 करोड़ ट्रांजेक्शन में 1.58 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था। 2016-17 में ये संख्या बढ़ कर 240 करोड़ तक पहुंच गई और 3.3 लाख करोड़ मूल्य का लेन देन हुआ।
• बैंकों के खातों में अधिक पैसा जमा- नोटबंदी के बाद बैकों के खातों में 4.5 लाख करोड़ रुपये अधिक जमा हुए।
• ब्याज दरों में गिरावट- नोटबंदी के बाद बैंकों ने ब्याज दरों में गिरावट करने शुरू कर दिए।
• लघु और मझोले उघोगों को ब्याज दरों में गिरावट का लाभ मिला।
• होम लोन पर ब्याज दर 8.2% तक गिरने के चलते रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी।
• पीएफ एकाउंट धारकों की संख्या में वृद्धि – नोटबंदी के पहले यह संख्या 3.7 करोड़ थी जो मार्च, 2017 में बढ़ीकर 4.5 करोड़ हो गई।
• Discomes का घाटा कम हुआ- नोटबंदी के दौरान Discomes को 25,000 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त हुए। ये रकम 2015 में जमा धन से 4,500 करोड़ रुपये अधिक था।
• नगर निकायों को फायदा- नगर निकायों ने नवबंर 2015 में 1000 करोड़ रुपये एकत्र किये थे। जबकि नवबंर 2016 में 3,500 करोड़ रुपये एकत्र किये, जो लगभग 245 प्रतिशत अधिक रहा।
• टोल नाकों पर कैशलेस लेन-देन बढ़ा- NHAI के टोल पर पहले 3 प्रतिशत कैशलेस पेमेंट होता था। लेकिन नोटबंदी के बाद ये बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच गया।
• पेट्रोल पंप पर नोटबंदी के पहले 4,500 करोड़ रुपये का कैशलेश लेन-देन होता था। अब ये बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
• नोटबंदी से पहले रेलवे की वेबसाइटपर कुल बुकिंग की 50 प्रतिशत बुकिंग होती थी, जो अब बढ़कर 68 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।