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Gehlot Vs Pilot : मंत्रिमंडल फेरबदल से मतभेद खत्म होने के बजाए कांग्रेस विधायकों में नाराजगी और बढ़ी : जानिए कांग्रेस के 15 नाराज चेहरों की पीड़ा की दास्तान

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राजस्थान में सरकार और कांग्रेस के हालात खराब ही होते जा रहे हैं। यहां स्थिति ‘एक को मनाते हैं तो दूजा रूठ जाता है’…वाली हो रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे में कलह टालने के लिए लंबे समय तक मंत्रिमंडल फेरबदल नहीं किया गया। न ही राजनीतिक नियुक्तियों की पहल की गई। अब काफी सियासी नौटंकी के बाद फेरबदल तो हुआ है, लेकिन यह फेरबदल कई कांग्रेस विधायकों को रास नहीं आया है। एक दर्जन से ज्यादा विधायक खुलेआम तो कुछ दबी जुबान से नाराजगी जता चुके हैं। विवाद और विवादित बयान थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। मुख्यमंत्री, पायलट गुट की चुटकियां ले रहे हैं तो पायलट भी अपरोक्ष रूप से वार कर रहे हैं।एससी और एसटी के कई वरिष्ठ विधायक गहलोत से नाराज
राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल कुछ विधायकों की नाराजगी अभी बाकी है। मंत्रिमंडल बदलाव के बाद विधायक देख रहे हैं कि राजनीतिक नियुक्तियों में किसे, कहां पर ‘सेट’ किया जाता है। यदि उसमें भी मनमाफिक जगह नहीं मिली तो दबे स्वर मुखर हो सकते हैं। नाराज विधायकों को ससंदीय सचिव और राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार है। इसके बाद वंचित विधायक खुलकर बोलेंगे। एससी और एसटी के कुछ मंत्री बनाए जाने के बावजूद इन वर्गों के कई वरिष्ठ विधायक गहलोत से नाराज हैं।

अशोक गहलोत-पायलट खेमों के बीच खटास बरकरार
मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद भी गहलोत और पायलट कैंप के बीच मतभेद कम नहीं हुए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी सात दिन में दो बार पायलट कैंप की बगावत पर चुटकी ले चुके हैं। सीएम ने मंत्रिपरिषद की बैठक में पायलट कैंप के मंत्रियों पर नाम लेकर बगावत पर तंज कसे। इस पर मंत्री मुरारीलाल मीणा ने भी कह दिया कि मुख्यमंत्री जी अब 19-19 विधायक कहना बंद कर दीजिए। इधर, बसपा से कांग्रेस में आने वाले 6 में से 4 विधायक भी खासे नाराज हैं।

साफिया जुबैर : प्रियंका यूपी में 40% दे रही हैं और यहां सिर्फ 10% क्यों ?
रामगढ़ के कांग्रेस विधायक साफिया जुबैर ने बयान दिया है कि अलवर में अल्पसंख्यक और मीणा समाज ने पार्टी को जिताया, लेकिन मंत्रिमंडल में उनको ही जगह नहीं मिली है। टिकट से लेकर मंत्री बनाने में महिलाओं को 10 फीसदी तक सीमित कर दिया गया है। कथनी और करनी में यह अंतर क्यों है ? प्रियंका गांधी तो उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 40 प्रतिशत आरक्षण की बात करती हैं। राजस्थान में ऐसा क्यों नहीं है ?

जौहरी लाल मीणा : जूली को हटाने की जगह प्रमोशन करके कैबिनेट मंत्री बना दिया
राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से विधायक जौहरी लाल मीणा का कहना है कि अलवर में जिसे कैबिनेट मंत्री बनाया है, उसके खिलाफ पूरे जिले के विधायक हैं। टीकाराम जूली को हटाने की जगह प्रमोशन करके कैबिनेट मंत्री बना दिया। क्योंकि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार खूब बढ़ा है। दलाल संस्कृति ज्यादा पनपी है। इससे अलवर में कांग्रेस को नुकसान होगा।

दयाराम परमार : मुख्यमंत्रीजी मुझे बताएं कि मंत्री बनने की योग्यताएं क्या हैं ?
खेरवाड़ा के कांग्रेस विधायक दयाराम परमार ने मुख्यमंत्री को चिठ्ठी लिखी कि मेरा शिष्य सुखराम मंत्री है और मैं बाहर हूं। ऐसा लगता है कि मंत्री बनने के लिए कुछ विशेष योग्यताओं की आवश्यकता होता है। कृपया मुझे बताएं कि वे योग्यताएं क्या हैं ताकि मैं उन्हें हासिल कर सकूं।

रामनारायण मीणा : आदिवासी के अपमान का अधिकार कांग्रेस को किसने दिया ?
पांचवीं बार के विधायक राम नारायण मीणा मंत्री न बनाए जाने के सख्त नाराज हैं। वे कहते हैं कि अब वह समय आ गया है जबकि कांग्रेस में आदिवासी समाज और वरिष्ठता की कोई कद्र ही नहीं है। मीणा ने कहा कि एक वह भी समय था, जबकि आदिवासी स्टूडेंट के तौर पर मुझे पंडित नेहरू ने अपने हाथ से चाय पिलाई थी। मेरे अपमान का अधिकार कांग्रेस को किसने दिया ?


इन कांग्रेस विधायकों की खामोशी भी बहुत कुछ कह रही है
राजेंद्र पारीक : पिछले कार्यकाल में उद्योग मंत्री रह चुके हैं। पारीक पांचवी बार विधायक बने हैं। रघु शर्मा के हटने के बाद ब्राह्मण चेहरे के तौर पर कैबिनेट मंत्री के दावेदार थे। सीएम के खास होने के बावजूद मंत्री न बनाए जाने से नाराज होते हुए भी नाराजगी सार्वजनिक नहीं की।

दीपेंद्र सिंह शेखावत : पायलट खूब पैरवी के बावजूद मंत्री नहीं बनवा पाए
पिछले कांग्रेस राज में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। शेखावत 5 बार के विधायक हैं। सचिन पायलट समर्थक हैं। कैबिनेट मंत्री बनना तय था, लेकिन ऐनवक्त पर इनका नाम काट दिया गया। पायलट ने खूब पैरवी की लेकिन बात नहीं बनी.
अमीन खां : गहलोत के पिछले कार्यकाल में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रहे हैं। अमीन खां कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में हैं और 5 बार के विधायक हैं। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बारे में टिप्पणी को लेकर चर्चा में आए थे। अमीन खां मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं.

खिलाड़ीलाल बैरवा : दलित चेहरों को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली
पंजाब में दलित मुख्यमंत्री बनाने वाली कांग्रेस यहां दलित विधायकों के ही खिलाफ है। खिलाड़ी लाल बैरवा डांग क्षेत्र में कांग्रेस का प्रमुख दलित चेहरा हैं। करौली-धौलपुर से सांसद रह चुके हैं। पहली बार विधायक बने हैं। पायलट खेमे से गहलोत खेमे में आने का भी उनको फायदा नहीं मिला। अब मंत्री नहीं बनने से नाराज हैं। प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मिलकर नाराजगी जता चुके हैं।
मंजू मेघवाल : गहलोत के पिछले कार्यकाल में महिला बाल विकास मंत्री रहीं। महिला दलित चेहरे के तौर पर इस बार भी नाम चला, पर बात नहीं बनी। मंजू मेघवाल नागौर के जायल से दूसरी बार विधायक हैं। अंदरूनी तौर पर नाराज हैं, लेकिन अभी कोई बयान देने से बच रही हैं।

परसराम मोरदिया : हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष रह चुके, अभी रणनीतिक चुप्पी
बड़े कारोबारी और छह बार के विधायक मोरदिया की कांग्रेस में प्रमुख दलित नेताओं में गिनती होती है। हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष रह चुके हैं। इस बार मंत्री बनने के दावेदार थे, लेकिन सीकर के समीकरणों के चलते रह गए। फिलहाल रणनीतिक चुप्पी साध रखी है।
अशोक बैरवा: कांग्रेस के प्रमुख दलित नेताओं में गिनती होती है। सवाईमाधोपुर क्षेत्र में प्रभाव है। चौथी बार के विधायक हैं। पिछली बार सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थे। इस बार मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं।

विनोद लीलावाली : बलराम जाखड़ के भांजे का मंत्रियों की सूची से नाम कटा
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और दिग्गज नेता रहे बलराम जाखड़ के भांजे विनोद कुमार चार बार के विधायक हैं। नहरी क्षेत्र श्रीगंगानगर में पकड़ है। पिछली बार राज्य मंत्री रहे। इस बार भी दावेदार थे, लेकिन जातीय समीकरणों के फेर में इनका नाम कट गया।
गुरमीत कुनर: नहरी क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिनती होती है। मंत्री नहीं बनाने पर मन में टीस है। तीसरी बार के विधायक हैं। गहलोत के पिछले राज में निर्दलीय जीते थे, सरकार को समर्थन देने पर कृषि राज्य मंत्री बनाया था। गहलोत के नजदीकी हैं।

गिरिराज सिंह मलिंगा : मंत्री नहीं बनने से नाराज हैं
तीसरी बार के विधायक मलिंगा मंत्री नहीं बनने से नाराज हैं। मलिंगा गहलोत के पिछले राज में बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे। उस वक्त उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया था. मोदी लहर में मलिंगा बाड़ी से कांग्रेस से जीते।
नरेंद्र बुडानिया: लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। दूसरी बार विधायक हैं । चूरू जिले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में गिनती होती है। मंत्री बनने के दावेदार थे और दिल्ली तक भी खूब लॉबिंग की लेकिन मंत्री नहीं बन सके।

राजेंद्र विधूडी : अहमद पटेल के नजदीक रहे हैं
चित्तौड़गढ के बेगूं से दूसरी बार विधायक हैं। कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के नजदीक रहे हैं। गहलोत के पिछले राज में संसदीय सचिव रहे थे। इस बार मंत्री बनने के दावेदार थे, लेकिन गुर्जर वर्ग से उनकी जगह शकुंतला रावत को कैबिनेट मंत्री बना दिया.
मदन प्रजापत: कुमावत समाज से कांग्रेस में प्रमुख नेता के तौर पर उनकी पहचान है। बाड़मेर से दूसरी बार विधायक हैं। गहलोत समर्थक प्रजापत मंत्री बनने के दावेदार थे लेकिन स्थानीय समीकरणों की वजह से नहीं बन पाए। अनदेखी से नाराज हैं। इनके अलावा महेंद्र चौधरी, गिरिराज मलिंगा, रीटा चौधरी व हरिश्चंद्र मीणा भी मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं।

 

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