राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भले ही कांग्रेस की सरकारें हैं, लेकिन सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल के बीच कोयला खदान को मंजूरी न देने को लेकर ठन गई है। छत्तीसगढ़ के पारसा ईस्ट और एक दूसरे कोल ब्लॉक को केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद भी बघेल सरकार न तो अनुमति दे रही है और न ही गहलोत की चिट्ठी को कोई तवज्जो दे रही है। इससे नाराज गहलोत ने अब सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है और राजस्थान के कोल ब्लॉक को छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति दिलवाने में हस्तक्षेप करने की मांग की है। केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और वन व पर्यावरण मंत्रालय ने तो खनन के लिए क्लीयरेंस भी दे दी है। गहलोत अपनी ही कांग्रेस सरकार को मना नहीं पा रहे हैं।
सोनिया के कुछ बोलने से पहले ही बघेल ने स्पष्ट इंकार किया
सोनिया गांधी के हस्तक्षेप से पहले ही छत्तीसगढ़ सरकार ने कह दिया है कि राजस्थान को कोयला खनन की मंजूरी नहीं दे सकते। इससे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आमने-सामने हो गए हैं। दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन मुसीबत के दौर में एक परस्पर मदद को तैयार नहीं है। राजस्थान को छत्तीसगढ़ में अलॉट पारसा कोल ब्लॉक खान में माइनिंग के लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। पहले गहलोत ने बघेल को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ सीएम ने इस पर कोई तवज्जो नहीं दी। इस वजह से दोनों सरकारों के बीच तनाव बढ़ गया है।
केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और वन व पर्यावरण मंत्रालय ने तो क्लीयरेंस दे दी
सीएम भूपेश बघेल को गहलोत ने नवंबर में भी चिट्ठी लिखकर कोयला माइंस को जल्द मंजूरी देने के लिए कहा था। बघेल को चिट्ठी लिखने के महीने भर बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो अब सोनिया गांधी तक मामला पहुंचाया गया है. छत्तीसगढ़ में अलॉट परसा कोल ब्लॉक में अब तक हुए खनन से कोयला दस दिन का ही बचा है। इस महीने के अंत में पहली माइंस से कोयला नहीं मिलेगा। कोल ब्लॉक परसा से माइनिंग की केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने तो क्लीयरेंस दे दी, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अंतिम स्वीकृति अटका दी है। ऐसे में राजस्थान अपनी ही कोयला खान से अपनी पार्टी की सरकार के बावजूद माइनिंग नहीं कर पा रहा है। वोट बैंक को देखते हुए छत्तसीगढ़ सरकार मंजूरी नहीं दे रही है।
जयपुर रैली में मिले बघेल-गहलोत पर बात नहीं बनी
जयपुर में 12 दिसंबर को ही कांग्रेस की महंगाई के खिलाफ हुई रैली में छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान सीएम अशोक गहलोत के बीच मुलाकात हुई थी। इस रैली में सोनिया-गांधी और राहुल गांधी भी शामिल हुए थे। आपसी बातचीत में राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने कोल माइंस की मंजूरी का मुद्दा उठाया भी था। लेकिन तब बात नहीं बन पाई। दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद मामला फंसा हुआ है। दरअसल, बघेल स्थानीय सियासत के चलते नहीं दे रहे हैं मंजूरी। पारसा के सेकेंड ब्लॉक और एक दूसरे ब्लॉक में राजस्थान सरकार को माइंस अलॉट है। कोल माइंस का इलाका वन विभाग के अंडर आता है और वहां ग्रामीण-आदिवासी खनन का विरोध कर रहे हैं। स्थानीय हल्के-फुल्के विरोध के कारण छत्तीसगढ़ सीएम बघेल कोल माइंस का मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं।बिजली महंगी करना सियासी रूप से नुकसानदायक है
अब गहलोत ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर छत्तीसगढ़ सीएम की एक तरह से शिकायत की है। चिट्ठी में गहलोत ने कोल माइंस की मंजूरी अटकने से होने वाले सियासी नुकसान गिनाए हैं। चिट्ठी में लिखा है कि राजस्थान के 4,300 मेगावाट के पावर प्लांट्स के लिए दिसंबर अंत में कोयला संकट हो जाएगा। कोल माइंस की मंजूरी नहीं मिली तो प्रदेश को महंगे दामों पर कोयला खरीदना पड़ेगा, इससे लागत बढ़ेगी और उसका भार उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। बिजली महंगी करना सियासी रूप से नुकसानदायक है। पहले बिजली संकट पर गहलोत सरकार ने कोल इंडिया पर दोष मढ़ा था, लेकिन इस बार अपनी ही कांग्रेस सरकार को मना नहीं पा रहे हैं।छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के कारण गहराएगा बिजली संकट
गौरतलब है कि कोयला संकट के दौर में मुख्यमंत्री गहलोत ने हाईलेवल की बातचीत कर 2 नवंबर को कोल मिनिस्ट्री से इस खनन के लिए क्लीयरेंस जारी करवाई थीय इससे पहले वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 21 अक्टूबर को ही क्लीयरेंस ले ली गई। दो केंद्रीय मंत्रालयों से राजस्थान 15 दिनों में दो महत्वपूर्ण क्लीयरेंस लेने में सफल रहा, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने क्लीयरेंस फाइल अटका दी है। इस पर पिछले माह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर जरूरी स्वीकृतियां जारी करने का आग्रह भी किया। इस चिट्ठी पर अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ है। राजस्थान के एनर्जी डिपार्टमेंट के एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और एनर्जी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन के अफसर भी छत्तीसगढ़ सरकार के आला अफसरों से लगातार सम्पर्क कर जल्द स्वीकृति जारी करने की कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ सरकार टस से मस नहीं हुई है।
अगले 30 साल तक 150 मिलियन टन कोयले का भण्डार
कोयला की कमी से बिजली संकट झेल रहे राजस्थान के लिए यह माइन लाइफ लाइन की तरह है। इस कोल ब्लॉक से रोजाना 12 हजार टन यानी करीब 3 रैक कोयला मिलेगा। मोटे अनुमान के अनुसार यहां से 5 मिलियन टन कोयला हर साल निकाला जा सकेगा। इस नए ब्लॉक से सालाना 1 हजार रैक से ज्यादा कोयला मिलने की संभावना है। अगले 30 साल के लिए 150 मिलियन टन कोयले का भण्डार है। इससे राजस्थान केन्द्र की कोल इंडिया और सब्सिडियरी कंपनियों पर कम निर्भर रहेगा। इस खान के अलावा छत्तीसगढ़ में ही एक अन्य 1136 हेक्टेयर की फॉरेस्ट लैंड पर माइनिंग के लिए राजस्थान लगातार कोशिशों में जुटा है। केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों से क्लीयरेंस मिलने के बाद वहां भी माइनिंग शुरू हो सकेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने फेज-2 के लिए भी अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है।
मंत्री धारीवाल बोले- सोनिया की जानकारी के लिए लेटर लिखा है
कोल माइंस विवाद में सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने के सवाल पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा- कोयला संकट से उबरने की कोशिश चल रही है। इस बार पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कोयले की सप्लाई बनी रहे। छत्तीसगढ़ सरकार से बात चल रही है, कई बार कई तरह की अड़चनें आती हैं। सोनिया गांधी को जानकारी के लिए लेटर लिखा गया है।