Home केजरीवाल विशेष दिल्ली वालों को फिर ‘धोखा’ देंगे अरविंद केजरीवाल!

दिल्ली वालों को फिर ‘धोखा’ देंगे अरविंद केजरीवाल!

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 10 दिनों के लिए विपश्यना करने जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है 10 सितंबर से 20 सितंबर तक महाराष्ट्र में प्रवास के दौरान वे मौन रहेंगे और इस दौरान वो किसी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे। भले ही केजरीवाल कुछ दिनों की मौन पर चले जाएं लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा एक बार फिर कुलांचें मारने लगी है। दिल्ली के बवाना उपचुनाव में मिली जीत से पार्टी इतनी उत्साहित हो गई है कि वो दिल्ली की जनता को भूल एक बार फिर ‘पैन इंडिया’ पार्टी बनने के ख्वाब देखने लगी है।

दिल्ली वालों को फिर ‘झांसा’ देने की तैयारी
आम आदमी पार्टी भले ही इस समय मीडिया की सुर्खियों और बयानबाजियों से दूर है। शायद यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि अब उनका पूरा ध्यान सिर्फ दिल्ली पर है। लेकिन वास्तविकता इससे इतर है। पार्टी गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी में है। खबर है कि 5 नवंबर को पार्टी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बड़ी जनसभा की तैयारी कर रही है, जिसे अरविंद केजरीवाल संबोधित करेंगे। दरअसल ये वही केजरीवाल हैं जिन्होंने दिल्ली छोड़ पंजाब का सीएम बनने का भ्रम फैलाया था। इस भ्रमजाल का परिणाम तो वे भुगत चुके हैं लेकिन इस बार दिल्ली की जनता के साथ अगर छल किया तो कहीं उन्हें लेने के देने न पड़ जाए।

‘पैन इंडिया’ पार्टी बनने की AAP की तमन्ना
दरअसल 5 नवंबर को भोपाल में होने वाली रैली के मंच से अरविंद केजरीवाल ठीक उसके 1 साल बाद होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले हैं। यानि गोवा और पंजाब में हार का सबक आम आदमी पार्टी बवाना उपचुनाव की एक मात्र जीत से भूल गई है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान के नेताओं को बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। आम आदमी पार्टी ने बवाना उपचुनाव जीतने के बाद इसी साल गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में ज्यादातर सीटों पर लड़ने की घोषणा भी कर दी है। जाहिर है अरविंद केजरीवाल अब तक दिल्ली के लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए हैं ऐसे में देश में हाथ पांव फैलाना क्या दिल्ली की जनता के साथ धोखा नहीं है?

बवाना की जीत से ‘बौरा’ गए केजरीवाल!
दरअसल अप्रैल 2017 में राजौरी गार्डन उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद अप्रैल में ही दिल्ली नगर निगम में भाजपा को 36.18 प्रतिशत मत मिले तो आप एक बार फिर चित हो गई थी। लेकिन बवाना उपचुनाव में AAP की जीत के स्थानीय कारण रहे हैं। हालांकि यह जीत आम आदमी पार्टी के लिए संजीवनी जरूर है, लेकिन अब अगर केजरीवाल फिर से अपनी ‘हद’ को नहीं पहचानेंगे तो हो सकता है कि इन राज्यों में गोवा और पंजाब से भी बुरे हालात हो जाएं। ऐसे में अंदेशा यह है कि व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर सत्ता में आई AAP भविष्य की राजनीति में कहीं अप्रासंगिक न हो जाए।

सवाल पूछने से कतराते हैं AAP विधायक
दिल्ली सरकार के कामकाज पर प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि विधायकों के कामकाज का स्‍तर बहुत गिर गया है। पिछले साल 2016 में विधानसभा में सवाल पूछने के मामले में बीजेपी विधायकों का प्रदर्शन बेहतर रहा, जबकि आप विधायक अलका लांबा तीसरे नंबर पर रहीं। AAP के सात विधायकों ने 2017 के सत्र में एक भी सवाल नहीं पूछा। जबकि दो विधायकों रघुबिंदर शौकीन और मो इशराक ने 2016 और 2017 में एक भी सवाल नहीं पूछा। सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में आम आदमी पार्टी के सहीराम, रितुराज गोविंद और दिनेश मोहानिया शामिल हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल आप विधायकों के प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली। साल 2015 में विधायकों का औसत प्रदर्शन 58.8 प्रतिशत था, जो कि साल 2016 में घटकर 53.4 प्रतिशत पर पहुंच गया।

AAP में दागी विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी
प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार आप दागी विधायकों की संख्‍या बढ़ी है। पिछले साल दागी विधायकों की संख्‍या 14 थी जो इस साल बढ़कर 39 (लगभग 56 प्रतिशत) हो गई है। इन विधायकों पर ना सिर्फ मुकदमे दायर किए गए हैं। बल्कि, 70 में से 25 विधायकों के खिलाफ चार्जशीट भी दायर हैं। पार्टी के कई विधायकों पर संगीन आरोप लग चुके हैं और कई तो जेल की हवा भी खा चुके हैं। समय के साथ केजरीवाल के साथी असीम अहमद, राखी बिड़लान, अमानतुल्ला, दिनेश मोहनिया, अलका लांबा, अखिलेश त्रिपाठी, संजीव झा, शरद चौहान, नरेश यादव, करतार सिंह तंवर, महेन्द्र यादव, सुरिंदर सिंह, जगदीप सिंह, नरेश बल्यान, प्रकाश जरावल, सहीराम पहलवान, फतेह सिंह, ऋतुराज गोविंद, जरनैल सिंह, दुर्गेश पाठक, धर्मेन्द्र कोली और रमन स्वामी जैसे आप विधायक और नेताओं पर आरोपों की लिस्ट लंबी होती गई है।

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