Home केजरीवाल विशेष ‘माफी’ मैन अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी से बाहर निकालो…

‘माफी’ मैन अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी से बाहर निकालो…

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विवादों से पुराना नाता है। झूठे आरोप लगाना, गलत आंकडेबाजी से विरोधियों पर निशाना साधना, हर चीज के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना और जब कानूनी दांवपेंच में फंस जाओ तो बेशर्मों की तरह माफी मांग लेना आरविंद केजरीवाल की फितरत है। पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से माफी मांगी है। केजरीवाल की इन हरकतों से पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों में गुस्सा है। ऑनलाइन कराए गए एक सर्वे में 93 प्रतिशत लोगों ने अरविंद केजरीवाल को पार्टी से बाहर निकालने की मांग की है। इस सर्वे में 11 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था। इस सर्वे में पूछा गया था कि क्या झूठ बोलने और वोटर्स तथा कार्यकताओं के साथ चीटिंग करने पर केजरीवाल को आम आदमी पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए?

अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बने हुए तीन साल का वक्त हुआ है, और दिल्ली की जनता ने उन्हें नकार दिया है। आखिर क्या वजह है कि केजरीवाल दिल्ली की जनता के दिलो-दिमाग से उतर चुके हैं और उन्हें पार्टी से ही बाहर निकालने की मांग की जाने लगी है। डालते हैं नौटंकीबाज केजरीवाल के कारनामों पर नजर।–

मजीठिया, गडकरी और सिब्बल से मांगी माफी
कभी ‘मफलर’ मैन के रूप में चर्चित रहने वाले अरविंद केजरीवाल इन दिनों ‘माफी’ मैन के तौर पर पहचान बना रहे हैं। वजह है कि वो रोजना किसी न किसी नेता से माफी मांग रहे हैं। केजरीवाल पहले जिन नेताओं को पानी पी पी कर कोसते थे, जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार और देश को लूटने का आरोप लगाते थे, आज उन्हीं नेताओं के पैरों में गिरे जा रहे हैं। एक हफ्ते के भीतर केजरीवाल पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से माफी मांग चुके हैं। केजरीवाल पहले इन्हीं नेताओं पर आरोपों की झड़ी लगाकर लोगों की तालियां बटोरते थे। अब केजरीवाल के माफी मांगने से उनका समर्थन करने वाली जनता का दिल टूट गया है। यही वजह कि दिल्ली के लोग अब केजरीवाल को ही पार्टी से बाहर करने की मांग करने लगे हैं। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि केजरीवाल जल्द ही बाकी बचे लोगों से भी माफी मांग सकते हैं।

 

पार्टी गठन के लिए अन्ना के कंधे का किया इस्तेमाल
दिल्ली के रामलीला मैदान में जन लोकपाल के लिए अन्ना के आंदोलन में आगे रहने वाले अरविंद केजरीवाल के जेहन में शुरू से ही अपनी अलग पार्टी बनाने की बात थी। अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने कई बार कहा कि वह राजनीति करने नहीं आए हैं, उन्हें ना सीएम-पीएम बनना है और न ही संसद में जाना है। अन्ना भी राजनीति में जाने के विरोधी थे। बाद में केजरीवाल की महात्वाकांक्षा ने जोर पकड़ा और अन्ना का इस्तेमाल कर अपना असली मकसद पूरा करने के लिए 26 नवंबर 2016 को आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया। अरविंद केजरीवाल ने अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया।

जिन नेताओं ने पार्टी को खड़ा किया, उन्हें बाहर निकाला
अरविंद केजरीवाल बेहद की स्वार्थी प्रवृत्ति के नेता है। तानाशाही में यकीन रखने वाले केजरीवाल का एक ही फलसफा है व्यक्तियों का इस्तेमाल करो और फिर फेंक दो। केजरीवाल की यूज एंड थ्रो की राजनीति का शिकार कई नेता हो चुके हैं। सबसे ताजा शिकार हुए हैं आम आदमी पार्टी के संस्थापक कुमार विश्वास। कुमार विश्वास का उम्मीद थी कि उन्हें राज्यसभा का टिकट मिलेगा, लेकिन केजरीवाल ने उनकी जगह कांग्रेस और बीजेपी से आने वाले नेताओं को टिकट दे दिया। इससे पहले वह अन्ना हजारे, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, शांति भूषण, अरुणा राय, योगेंद्र यादव, किरण बेदी, प्रो. आनंद कुमार, मेधा पाटकर, जस्टिस हेगड़ जैसे कई लोगों से किनारा कर चुके हैं।

वोट पाने के लिए जनता से किए झूठे वादे
झूठ और मक्कारी केजरीवाल की रग-रग में बसी हुई है। केजरीवाल का बस एक ही मकसद था, किसी तरह दिल्ली में सरकार बनाई जाए। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए केजरीवाल ने हर हथकंडा अपनाया, जिनमें जनता से झूठे वादे करना भी शामिल था। चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल ने हमेशा कहा कि कांग्रेस और बीजेपी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और वो कभी भी इनके साथ नहीं जाएंगे। नई संभावनाओं को देखते हुए 2015 में दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को जिताया, लेकिन बहुमत नहीं मिला। सत्ता के लोभ में केजरीवाल अपना वादा भूल गए और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाकर खुद मुख्यमंत्री बन बैठे। जनलोकपाल, पूर्व सीएम शीला दीक्षित के खिलाफ जांच, दिल्ली के बाहर चुनाव नहीं लड़ने, जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति नहीं करने, भ्रष्टाचारियों का साथ नहीं देने, ठेका कर्मचारियों को पक्की नौकरी देने जैसे तमाम वादे केजरीवाल ने जनता से किए, लेकिन सरकार बनाने के बाद सभी वादे भूल गए।

दिल्ली के बाहर कहीं भी नहीं गली केजरीवाल की दाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वो दिल्ली की ही राजनीति करेंगे,दिल्ली के बाहर नहीं जाएंगे। सत्ता में आने के बाद केजरीवाल की महात्वाकांक्षा हिलोरे मारने लगीं और वो लोकसभा के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव में हाथ आजमाने लगे। हालांकि पंजाब को छोड़ कर कहीं भी केजरीवाल की दाल नहीं गली। अभी हाल ही में नॉर्थ ईस्ठ के तीन राज्यों त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में तो आम आदमी पार्टी का एक भी प्रत्याशी जमानत भी नहीं बचा पाया। कहा जा सकता है कि केजरीवाल की पूरे देश में अपनी पार्टी की पैठ बनाने की योजना ध्वस्त हो गई है।

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