हिंदुओं के विरोध और मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारी हदें पार कर दी हैं। वह जब ऐलान कर रही हैं कि वक्फ कानून को उनके राज्य में वक्फ कानून लागू नहीं किया जाएगा, तो फिर राज्य में एक के बाद एक जगहों से हिंसा और आगजनी की खबरें क्यों आ रही हैं? जाहिर-सी बात है कि वक्फ कानून के विरोध में उठी आवाज को दबाने के बजाए उन्होंने और उनकी अफसरशाही ने ना सिर्फ हिंसा को उकसाने और प्रोत्साहित करने का काम किया, बल्कि उसका अपरोक्ष समर्थन भी किया। ताकि मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की यह आग और फैल सके। पश्चिम बंगाल में हिंसा और आगजनी का ऐसा तांडव मचा हुआ है कि हिंदुओं को भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ममता बनर्जी सरकार की गैरजिम्मेदारी और लापरवाही से पश्चिम बंगाल संकट के मुहाने पर है। शुक्रवार की नमाज के बाद भड़की हिंसक मुस्लिम भीड़, धूलियान, मालंचा फरक्का, मालदा में मंदिरों में तोड़फोड़ कर रही है और हिंदुओं के घरों में आग लगा रही है। यह सब एक ऐसे वक्फ संशोधन के लिए है जिसे ज्यादातर लोगों ने पढ़ा भी नहीं है। वोट बैंक की राजनीति के तहत कानून और व्यवस्था को कुचल दिया गया है। मेटियाब्रुज उबल रहा है। इंटरनेट बंद है। पुलिस चुप है। प्रशासनिक अधिकारी मौन हैं। हिंदुओं को जलने-मरने के लिए छोड़ दिया गया है। यह शासन नहीं, कुशासन और विश्वासघात है।
Lesson for Hindus : schemes like Lakshmi Bhandar Scheme will give your women Rs 1000 per month but know that it also amounts to sacrificing safety of women of your household – today it is this woman of Samserganj, tomorrow it could be anyone from your own districts- Save Hindu… pic.twitter.com/x4S5B0yTAx
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) April 12, 2025
ममता बनर्जी खुद गृह मंत्री, फिर भी राज्य में हिंसा का तांडव
तुष्टिकरण की आग में जल रहे पश्चिम बंगाल की स्थिति को समझने के लिए पहले परिदृश्यों पर नजर डालिए। पहला परिदृश्य राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले का है। ममता बनर्जी सरकार को इस घोटाले पर कोर्ट तक से फटकार लग चुकी है। इसके बावजूद जब शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने वाले शिक्षक अपने अधिकारों की मांग करते हैं, तो पश्चिम बंगाल की पुलिस इसका जवाब लाठीचार्ज, लात-घूंसे और मारपीट से देती है। बेकसूर शिक्षकों पर बिना किसी हिचकिचाहट के क्रूर बल का उपयोग करती है। दूसरा परिदृश्य है वक्फ कानून के विरोध का। चूंकि इसे केंद्र सरकार ने बनाया है, इसलिए ममता बनर्जी इसकी आग में अपने राजनीतिक हित साधने में लगी हैं। यह इससे साफ हो जाता है कि जब हिंसक भीड़ मुर्शिदाबाद, सूती और अमतला जैसी जगहों पर पुलिस वाहनों को आग लगाती है। हिंदुओं को मंदिरों पर तोड़फोड़ करती है। उपद्रव और हिंसा का माहौल बनाती है, तो ममता बनर्जी की सरकार और पुलिस चुपचाप खड़ी रहती है। वह अराजकता के तांडव को देखने लिए मात्र मूकदर्शक बनी रहती है। इसीलिए हिंसा बढ़ती जाती है। यह सब भी तब हो रहा है, जबकि गृह विभाग खुद ममता बनर्जी के ही पास है।
Double Standards in Policing under Mamata Banerjee’s Rule:
Scenario 1:
When peacefully protesting teachers demand their rights, the police respond with lathicharge, kicks, and punches — using brute force without hesitation.Scenario 2:
When violent mobs torch police vehicles in… pic.twitter.com/nTc4wRYbGi— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) April 12, 2025
अनदेखी से जल रहा बंगाल, आगजनी-पथराव, 4 को लगी गोली
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ के खिलाफ हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को फिर वक्फ कानून के खिलाफ सुती में हिंसा भड़क उठी। सरकारी बसों में आग लगा दी गई है। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। चार लोगों को गोली लगने की रिपोर्ट है। नवीनतम जानकारी के अनुसार, स्थिति अभी भी नियंत्रण से बाहर है। दूसरी ओर, हिंसा प्रभावित शमशेरगंज में बीएसएफ जवानों की तैनाती की गई है। इससे पहले रघुनाथगंज के उमरपुर में दो पुलिस वाहनों में आग लगा दी गई थी। भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 सूती में लागू होने के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदेश के मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली जिले में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी और सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके गए। इसके अलावा सड़कें भी अवरुद्ध की गई। वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा के बीच सीएम ममता बनर्जी का भड़काने वाला बयान सामने आया है। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वक्फ (संशोधन) कानून को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है और इस पर केंद्र से जवाब मांगा जाना चाहिए।
Bengal is on the brink — and Mamata Banerjee is to blame.
Violent Muslim mobs, stirred up after Friday prayers, are vandalizing temples and torching Hindu homes in Dhulian, Malancha Farraka, Malda. All over a WAQF Amendment most haven’t even read.This is the price of years of… pic.twitter.com/k6sSxxfkS6
— BJP West Bengal (@BJP4Bengal) April 11, 2025
बंगाल को बांग्लादेश बनाना चाहती हैं ममता बनर्जी’
बीजेपी ने सीएम ममता बनर्जी पर वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्य में हुई हिंसा की घटनाओं का “समर्थन करने, उकसाने और प्रोत्साहित करने” का आरोप लगाया। मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर बीजेपी ने ममता सरकार पर बड़ा हमला बोला है। अमित मालवीय ने सीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह बंगाल को “दूसरा बांग्लादेश” बनाना चाहती हैं। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी को सत्ता में बनाए रखने के लिए बंगाल को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। वह राज्य को दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहती हैं।” यह बयान उस समय आया है जब वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क गई।
तुष्टिकरण की राजनीति के कारण पश्चिम बंगाल में जंगलराज
बीजेपी का कहना है कि ममता सरकार की तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने राज्य की पुलिस और मंत्री को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विरोध करना सबका अधिकार है, लेकिन यह हिंसक तरीका बिल्कुल गलत है। सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “अगर कोई विरोध करना चाहता है तो शांतिपूर्ण तरीके से करे, लेकिन जो कुछ मुर्शिदाबाद में हुआ, वह सही नहीं है।” उन्होंने ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ” बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति के कारण जंगलराज बन गया है। यहां पुलिस कार्रवाई नहीं करती, जबकि दूसरे राज्यों में कानून के तहत सख्त कदम उठाए जाते हैं।” सुवेंदु अधिकारी का कहना है कि कुछ लोग बंगाल में माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें दूसरे राज्यों में ऐसा करने का मौका नहीं मिल रहा।
हिंदुओं की आस्था पर लगातार प्रहार करती हैं ममता बनर्जी
यह पहला मौका नहीं है, जबकि सीएम ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं। वे इससे पहले भी कई बार हिंदुओं की आस्था पर लगातार प्रहार करती रहती हैं। ममता राज में राज्य में पूरी तरह से तालिबानी शासन है। पश्चिम बंगाल में प्रभु श्रीराम ही नहीं, अन्य हिंदू देवी-देवताओं का नाम लेना अपराध बन गया है। यहां हिन्दुओं को न तो मंदिरों में पूजा करने की आजादी है और न ही सार्वजनिक रूप से जय श्री राम बोलने की। यहां तक कि पश्चिम बंगाल में राम नाम मास्क बांटने वाले बीजेपी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। अब एक बार फिर वक्फ कानून की आड़ लेकर ममता बनर्जी ने तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ाव दिया है।
Cong-WA Journalists – Why TV Reports/Debates Hindu-Muslim!
Meanwhile in Bengal Izlamist Mobs are burning shops, hotels, burning buses, trucks, vandalising railway stations, attacking Police over Waqf Bill. These thugs are attacking Hindus but they’re mum pic.twitter.com/lL2AGBT9V9— Mihir Jha (@MihirkJha) April 12, 2025
आइए, हिंदू विरोधी ममता बनर्जी के शासनकाल की अराजकता, तानाशाही और हिंदू विरोधी मानसिकता पर एक नजर डालते हैं…
सबूत नंबर-21
राम नाम मास्क बांटने पर बीजेपी नेता गिरफ्तार
पश्चिम बंगाल के हुगली में जय श्रीराम मास्क बांटना ममता बनर्जी की पुलिस को रास नहीं आया। पुलिस मास्क बांटने वाले बीजेपी नेताओं को पकड़कर ले गई। हुगली के सेरामपुर में बीजेपी नेता अमनिश अय्यर लोगों को ‘जय श्रीराम’ लिखा मास्क बांट रहे थे। इसी दौरान पुलिस वहां पहुंची और बीजेपी नेता को गिरफ्तार करके ले गई। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने विरोध जताते हुए जमकर जय श्रीराम के नारे लगाए। बीजेपी ने मास्क बांटने पर पार्टी नेता को गिरफ्तार करने को पूर्ण तानाशाही करार दिया है।
Absolute Dictatorship!
BJP worker arrested by Serampore, Hooghly police. His ‘grave crime’ was that he dared to wear & distribute “Jai Shri Ram” masks.
This is Pishi’s Bengal where Democracy has died a thousand deaths! pic.twitter.com/k4OzZNW5Aa
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) February 10, 2021
ममताजी की दमनकारी नीति के खिलाफ शेरदिल कार्यकर्ताओं का आंदोलन…
राम नाम के मास्क बाँटना भी अपराध है। pic.twitter.com/2rtVX8knyN
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) February 10, 2021
सबूत नंबर-20
भगवा टीशर्ट पहनने और जय श्रीराम बोलने से रोका
इसके पहले 7 फरवरी, 2021 को भगवा टीशर्ट पहनने और जय श्रीराम बोलने वालों को धमकाया गया। कोलकाता के इको पार्क में पुलिस के एक अधिकारी ने लोगों से साफ कहा कि आप लोग यहां जय श्री राम का नारा नहीं लगा सकते हैं।
Are we in Pakistan?
Is there any democracy left in Bengal?
Sad to see that the public of Bengal can’t say “Jai Shri Ram” nor they can wear “bhagwa” t-shirt in bengal.
We DO NOT want this bengal?@TajinderBagga @KapilMishra_IND @TheShaktiSpeaks @KailashOnline @MenonArvindBJP pic.twitter.com/Y1Tra2xPkG— Manish Sharma (@idigitalmanish) February 7, 2021
सबूत नंबर-19
पार्टी नेता ने जय श्रीराम बोलने वालों को धमकाया
हाल ही में उनकी पार्टी के एक नेता ने जय श्रीराम बोलने वालों को धमकाया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक नेता ने लोगों को धमकाते हुए कहा कि अगर बंगाल में रहना चाहते हो तो यहां ‘जय श्री राम’ के नारे नहीं लगा सकते। वीडियो में किसी सभा को संबोधित करते हुए टीएमसी नेता ने बंगाली में कहा कि राज्य में जय श्री राम बोलने की अनुमति नहीं है। यहां इन सब चीजों की अनुमति नहीं दी जाएगी। जो लोग इसका जाप करना चाहते हैं वे मोदी के राज्य गुजरात में जाकर ये कर सकते हैं।
One cannot even utter “Jai Shree Ram” in Mamata’s Bengal! TMC leader openly threatening and asking people to move to Gujarat, if they want to chant Jai Shri Ram… pic.twitter.com/xiNEFg9yEE
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) November 19, 2020
सबूत नंबर-18
मुर्शिदाबाद में काली मां की मूर्ति जला डाला
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण और वोटबैंक को लेकर इतनी अंधी हो चुकी है कि राज्य में हिन्दू विरोधी हरकतों पर कुछ भी एक्शन नहीं लेती हैं। कभी मंदिर में पूजा करने पर पिटाई की जाती है तो कभी हिन्दुओं के घर और मंदिर जला दिए जाते हैं। कभी रामनवमी और दुर्गापूजा पर तो कभी सरस्वती पूजा पर रोक लगा दी जाती है। इससे राज्य को मुसलमानों का हौसला बुलंद है और जब भी मौका मिलता है हिंदुओं को प्रताड़ित करते रहते हैं। हाल ही में 1 सितंबर, 2020 को मुर्शिदाबाद के एक मंदिर में काली मां की मूर्ति जला दिया गया। बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने एक ट्वीट कर आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके के एक मंदिर पर हमला कर मां काली की मूर्ति जला दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि दीदी की राजनीति का जिहादी स्वरूप अब हिंदू धर्म और संस्कृति को नष्ट करने पर तुला हुआ है।
The jihadi nature of Didi’s politics is now hell bent on destroying Hindu religion and culture.
See how one religious group has attacked and destroyed a temple and burned the idol of Maa Kali in Murshidabad area of West Bengal.Shameful. pic.twitter.com/lTnyiV9ctV
— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) September 1, 2020
सबूत नंबर-17
मंदिर में पूजा करने पर पुलिस ने की पिटाई
ममता राज में तो हिन्दुओं को मंदिरों में भी पूजा करने की आजादी नहीं है। 5 अगस्त, 2020 को जब पूरे विश्व के हिन्दू अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर उत्साहित थे। वहीं पश्चिम बंगाल की पुलिस लॉकडाउन के बहाने हिन्दुओं पर जुल्म ढा रही थी। मंदिर में पूजा कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया।
ममता दीदी तेरे दिन लद गए। पश्चिम बंगाल की सबसे शर्मनाक तस्वीरें आज की।@myogiadityanath @AmitShah @AMISHDEVGAN pic.twitter.com/Sa2kJs8QOE
— Ravi Yadav (@MODIfied_ravi) August 5, 2020
खड़गपुर में स्थानीय लोग राम मंदिर शिलान्यास के उत्सव में मंदिर में पूजा कर रहे थे। लेकिन ममता की पुलिस को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। इससे सार्वजनिक व्यावस्था और लॉकडाउन का उल्लंघन नहीं हो रहा था। फिर भी शांतिपूर्वक पूजा कर रहे लोगों को पुलिस ने घसिटकर मंदिर से बाहर निकाला। लोग पुलिस से पूजा करने का आग्रह करते रहे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पूजा करने की अनुमति नहीं दी।
#WATCH पश्चिम बंगाल, खड़गपुर: राम मंदिर शिलान्यास के उत्सव में मंदिर में पूजा कर रहे भाजपा कार्यकर्ता और समर्थकों को पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने की वजह से हिरासत में लिया।
आज वेस्ट मिदनापुर जिले में कुल 258 लोगों और भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। pic.twitter.com/Rp3SdyVB5O
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 5, 2020
बीजेपी कार्यकर्ता ने नारायणपुर इलाके में ‘यज्ञ’ आयोजित करने का प्रयास किया लेकिन ममता के गुंडों ने उन्हें रोक दिया। हिन्दुओं और ममता के गुंडों के बीच झड़प हो गई। जिसके बाद पुलिस ने लोगों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। जिसमें कई लोगों को चोटें आईं। उधर खड़गपुर में श्री राम मंदिर के लिए पूजा का आयोजन किया गया था। लेकिन ममता बनर्जी की पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, महिलाओं को भी नहीं छोड़ा।
बंगाल के खड़गपुर में श्री राम मंदिर के लिए पूजा का आयोजन किया गया था। लेकिन ममता दीदी की पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया, महिलाओं को भी नहीं बख़्सा। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण। pic.twitter.com/NcwVmtj7sU
— Friends of RSS (@friendsofrss) August 5, 2020
सबूत नंबर-16
तेलिनीपाड़ा में जला दिए गए हिन्दुओं के घर और मंदिर
राज्य के हुगली जिले के चंदर नगर के तेलिनीपाड़ा में मई, 2020 के महीने में कई दिनों तक हिंदुओं के खिलाफ खुलकर हिंसा हुई। हिंदुओं के घर जलाए गए। जिले के तेलिनीपाड़ा के तांतीपारा, महात्मा गांधी स्कूल के पास शगुनबागान और फैज स्कूल के पास जमकर हिंसा, आगजनी और लूटपाट की गई। प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। मालदा के शीतला माता मंदिर में भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई।
हुगली के तेलिनीपाड़ा से एक और वीडियो सामने आया।
लोग मुझे ऐसे वीडियो निरंतर भेज रहे हैं। साफ -साफ दिख रहा है कि पुलिस के होते हुए यह दशा है। मंदिर पर हमले की भी खबर है। प्रशासन से आग्रह है कि यदि मंदिर को क्षति हुई है तो तुरंत मरम्मत हो। पुलिस निष्पक्ष होकर अपना कर्तव्य निभाये। pic.twitter.com/cCAFq2AM2E— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) May 12, 2020
बंगाल के हुगली जिले के तेलिनीपाड़ा का वीडियो।
बंगाल की गलियों में लोग तलवार लेकर और अल्लाहु अकबर का नारा लगाकर निकल आये हैं। हिंदुओं के रामनवमी पर तलवार निकालने पर मनाही और लोगों का कत्लेआम करने पर सिर्फ निन्दा? @BJP4Bengal @KailashOnline @shivprakashbjp @DilipGhoshBJP @me_locket pic.twitter.com/nygDf23wfJ— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) May 12, 2020
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के टेलनीपारा में हिन्दुओं के घरों को जलाया जा रहा है। pic.twitter.com/FryAqHw0Cw
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
पश्चिम बंगाल के हुगली के टेलनिपारा में हिंसा लगातार बढ़ रही है। वहां के प्रशासन की तरफ से हिंसा रोकने के कोई कदम नहीं उठाए जा रहे है।
ममताजी आपके राज्य में हिंसा फैल रही है और आप मौन है! pic.twitter.com/G7m72RAjBa
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
पश्चिम बंगाल के हुगली में अब हिंदुओं के खिलाफ खुलकर हिंसा शुरू हो गई। घर जलाए जा रहे हैं, हमले हो रहे हैं। पर, प्रशासन और ममता सरकार आंख मूंदकर बैठा है।
ये @MamataOfficial की तुष्टिकरण की राजनीति है, जो वोटों के लिए हो रही है। pic.twitter.com/7hUkGzquXs
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
अजमेर शरीफ़ से मालदा लौटे समुदाय विशेष के कुछ लोग कोरोना संक्रमित निकले। फिर भी उन्होंने अपनी दुकाने खोली,जिसका हिन्दूओं ने विरोध किया और अपने इलाके की घेराबंदी कर ली,जिससे चिढ़कर समुदाय विशेष द्वारा मंदिर और हिन्दुओं के घरों पर हमला किया।
ममताजी,क्या ये रोका नहीं जा सकता था? pic.twitter.com/zFmnPpUYma— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 11, 2020
धर्म विशेष समुदाय ने आज मालदा में हिन्दू मंदिर पर हमला किया और देवी की मूर्ति खंडित कर दी।
वहाँ का प्रशासन मूकदर्शक क्यों बना हुआ है ?#KothayAcheMamata pic.twitter.com/7R9SkvewNj
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 11, 2020
सबूत नंबर-15
पुस्तक मेले में हनुमान चालीसा के वितरण पर लगाया प्रतिबंध
पश्चिम बंगाल में ममता की पुलिस ने कोलकाता में 44वें अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा बांटी जा रही हनुमान चालीसा की पुस्तकों पर रोक लगा दी। पुलिस ने बताया कि हनुमान चालीसा के वितरण से शहर में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है और पुस्तक मेले में आने वाले लोग भावनाओं में बह सकते हैं।
Kolkata: Police Stop VHP From Handing Out Hanuman Chalisa; Later Allow After They Ask Why Bible, Quran Are Being Distributedhttps://t.co/zMB7TMiLId
— Swarajya (@SwarajyaMag) February 10, 2020
विहिप के अधिकारियों ने पुलिस के इस कार्रवाई का विरोध किया। साथ ही पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब मेले में कुरान और बाइबिल की पुस्तकें बांटी जा सकती हैं तो हनुमान चालीसा की क्यों नहीं? बढ़ते विरोध को देखते हुए कोलकाता पुलिस बैकफुट पर आ गई और हनुमान चालीसा के वितरण से रोक को हटा लिया। विहिप ने कहा कि हनुमान चालीसा धार्मिक पुस्तक है और इसमें किसी भी तरह की आपत्तिपूर्ण सामग्री नहीं है। लेकिन ममता राज में हिंदुओं की धार्मिक पुस्तक का विरोध किया जा रहा है।
सबूत नंबर-14
ममता बनर्जी ने स्कूली बच्चों को धर्म के नाम पर बांटा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों गंभीर हताशा और निराशा में हैं। लोकसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में भी भयानक हार पहले से ही दिखाई देने लगी है। यही वजह है कि ममता बनर्जी अपना वोट बैंक बचाने के लिए जोरशोर से मुस्लिम तुष्टिकरण में जुट गई हैं।
West Bengal Government seeks names of Government & aided schools having more than 70% minority students, to send a proposal for the construction of dining hall for mid-day meal in schools. pic.twitter.com/2u5i2aHsBE
— ANI (@ANI) 28 June 2019
ममता बनर्जी ने राजनीतिक निर्लज्जता की सभी सीमाओं को पार करते हुए स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी मजहब के नाम पर बांट दिया। ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य के स्कूलों को निर्देश दिया कि वे मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए अलग से मिड-डे मील हॉल रिजर्व करें। यह आदेश राज्य के उन सरकारी स्कूलों पर लागू होगा जहां पर 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा मुस्लिम छात्र हैं। राज्य अल्पसंख्यक और मदरसा शिक्षा विभाग की ओर उन सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों का नाम मांगा, जहां पर 70 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं। इन सरकारी स्कूलों में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए अलग से मिड-डे मील डायनिंग हॉल बनाया जाएगा।
सबूत नंबर-13
ममता बनर्जी ने ‘जय श्रीराम’ बोलने वालों को दी धमकी
मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली ममता बनर्जी को जय श्रीराम का उद्घोष अब गाली की तरह लगने लगा है। राज्य के 24 परगना जिले में ममता बनर्जी का काफिला गुजर रहा था तभी रास्ते में भीड़ में खड़े लोगों ने जय श्रीराम का उदघोष कर दिया। जय श्रीराम सुनते ही ममता बनर्जी को गुस्सा आ गया और गाड़ी से उतरकर उन्होंने लोगों को धमकाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं ममता बनर्जी ने जय श्रीराम कहने वालों को गिरफ्तार करने की धमकी भी दी और उन्हें दूसरे प्रदेश का बता दिया। यह कोई पहली बार नहीं है, इससे पहले चुनाव के दौरान भी ममता बनर्जी ने इसी तरह जय श्रीराम कहने वालों को जेल में डालने की धमकी दी थी।
सबूत नंबर-12
ममता बनर्जी का जय श्रीराम बोलने से इंकार, बताया गाली
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा कि वे किसी हाल में जय श्रीराम नहीं बोलेंगी। ममता का कहना है कि जय श्रीराम बीजेपी का नारा है लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी लोगों को यह बोलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। सच्चाई यह है कि देश में जय श्रीराम बोलने की सदियों पुरानी परंपरा है। इसके एक दिन पहले ही बंगाल में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें तृणमूल कार्यकर्ता जय श्रीराम का नारा लगा रही भीड़ को खदेड़ रहे हैं। पूरे राज्य में हिंदुओं को इसी तरह प्रताड़ित किया जा रहा है। ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के इस रवैये से बंगाल के लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। राज्य में जगह-जगह पर इसका विरोध हो रहा है और इसका असर वोटिंग पर भी पड़ना तय है। दरअसल, राज्य में अपनी पार्टी की खिसकती जमीन से ममता परेशान हो गई हैं। इससे घबराई ममता अब राज्य में धार्मिक आधार पर वोटों को बांटने की कोशिश कर रही हैं। हिंदुओं के खिलाफ बयानबाजी कर मुसलमान वोटर्स को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं।
सबूत नंबर-11
मुस्लिम प्रेम और हिंदू विरोध में देवताओं को बांटने पर तुली ममता बनर्जी
हिंदुओं के धार्मिक रीति-रिवाज, पूजा-पद्धति और पर्व-त्योहार पर लगाम लगाने के बाद ममता बनर्जी हिंदू देवी-देवताओं को बांटने में भी लग गई। हिंदुओं को बांटने के लिए ममता बनर्जी ने कहा कि हम दुर्गा की पूजा करते हैं, राम की पूजा क्यों करें? झरगाम की एक सभा में ममता ने कहा कि, ‘बीजेपी राम मंदिर बनाने की बात करती है, वे राम की नहीं रावण की पूजा करती है। लेकिन हमारे पास हमारी अपनी देवी दुर्गा है। हम मां काली और गणपति की पूजा करते हैं। हम राम की पूजा नहीं करते।’
सनातन संस्कृति में शस्त्रों का विशेष महत्त्व है। अलग-अलग पर्व त्योहारों पर धार्मिक यात्राओं में तलवार, गदा लेकर चलने की परंपरा रही है, लेकिन ममता बनर्जी ने धार्मिक यात्राओं और शस्त्र को भी साम्प्रदायिक और सेक्युलर करार दिया। गौरतलब है कि जब यही शस्त्र प्रदर्शन मोहर्रम के जुलूस में निकलते हैं तो सेक्युलर होते हैं, लेकिन रामनवमी में निकलते ही साम्प्रदायिक हो जाते हैं।
सबूत नंबर-10
राम के नाम से नफरत कई बार हो चुकी है जाहिर
ममता बनर्जी कई बार हिंदू धर्म और भगवान राम के प्रति अपनी असहिष्णुता जाहिर करती रही हैं। हालांकि कई बार कोर्ट ने उनकी इस कुत्सित कोशिश को सफल नहीं होने दिया। वर्ष 2017 में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ ने 22 मार्च को रामनवमी पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया तो राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद जब समिति ने कानून का दरवाजा खटखटाया तो कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।
सबूत नंबर-9
बंगाल सरकार ने पाठ्यक्रम में रामधनु को कर दिया रंगधनु
भगवान राम के प्रति ममता बनर्जी की घृणा का अंदाजा इस बात से भी जाहिर हो गई, जब तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब ‘अमादेर पोरिबेस’ (हमारा परिवेश) ‘रामधनु’ (इंद्रधनुष) का नाम बदल कर ‘रंगधनु’ कर दिया गया। साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। दरअसल साहित्यकार राजशेखर बसु ने सबसे पहले ‘रामधनु’ का प्रयोग किया था, लेकिन मुस्लिमों को खुश करने के लिए किताब में इसका नाम ‘रामधनु’ से बदलकर ‘रंगधनु’ कर दिया गया।
सबूत नंबर-8
हिंदुओं के हर पर्व के साथ भेदभाव करती हैं ममता बनर्जी
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ कि ममता बनर्जी ने हिंदुओं के साथ भेदभाव किया। कई ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने अपना मुस्लिम प्रेम जाहिर किया है और हिंदुओं के साथ भेदभाव किया है। सितंबर, 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से ममता बनर्जी का हिंदुओं से नफरत जाहिर होता है। कोर्ट ने तब कहा था, ”आप दो समुदायों के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं। दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है। उन्हें साथ रहने दीजिए।”
सबूत नंबर-7
दशहरे पर शस्त्र जुलूस निकालने की नहीं दी थी अनुमति
हिंदू धर्म में दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। लेकिन मुस्लिम प्रेम में ममता बनर्जी हिंदुओं की धार्मिक आजादी छीनने की हर कोशिश करती रही हैं। सितंबर, 2017 में ममता सरकार ने आदेश दिया कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। हालांकि कोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी की इस कोशिश पर भी पानी फिर गया।
सबूत नंबर-6
कई गांवों में दुर्गा पूजा पर ममता बनर्जी ने लगा रखी है रोक
10 अक्टूबर, 2016 को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश से ये बात साबित होती है ममता बनर्जी ने हिंदुओं को अपने ही देश में बेगाने करने के लिए ठान रखी है। बीरभूम जिले का कांगलापहाड़ी गांव ममता बनर्जी के दमन का भुक्तभोगी है। गांव में 300 घर हिंदुओं के हैं और 25 परिवार मुसलमानों के हैं, लेकिन इस गांव में चार साल से दुर्गा पूजा पर पाबंदी है। मुसलमान परिवारों ने जिला प्रशासन से लिखित में शिकायत की कि गांव में दुर्गा पूजा होने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, क्योंकि दुर्गा पूजा में बुतपरस्ती होती है। शिकायत मिलते ही जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा पर बैन लगा दिया, जो अब तक कायम है।
सबूत नंबर-5
छठ पूजा मनाने पर लगा दी रोक
ममता राज में साल 2017 में राज्य के सिलीगुड़ी में महानंदा नदी में छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी गई। जनसत्ता अखबार की खबर के अनुसार दार्जिलिंग की डीएम ने एनजीटी के आदेश का हवाला देकर महानंदा नदी में छठ पूजा मनाने पर बैन कर दिया। दार्जिलिंग की जिलाधिकारी ने नदी में छठ के लिए अस्थायी घाट बनवाने से भी इनकार कर दिया और कहा कि जो कोई भी यहां छट मनाते देखा गया उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एनजीटी ने एक अजीबोगरीब तर्क दिया कि छठ के कारण नदी में प्रदूषण हो रहा है। जबकि छठ में ऐसा कुछ भी नहीं होता जिससे नदी प्रदूषित हो। भगवान सूर्य को अर्घ्य के रूप में नदी का ही पानी अर्पित किया जाता है उसमें थोड़े से फूल और पत्ते और चावल के दाने होते हैं। ये सब प्राकृतिक चीजे हैं जिन्हें नदी में पलने वाली मछलियां और दूसरे जीव खाते हैं। ये सारी चीजें सूप में रखकर चढ़ाई जाती हैं, यानी पॉलीथिन फेंके जाने की भी आशंका नहीं होती।
सबूत नंबर-4
ममता बनर्जी ने सरस्वती पूजा पर भी लगाया प्रतिबंध
एक तरफ बंगाल के पुस्तकालयों में नबी दिवस और ईद मनाना अनिवार्य किया गया तो एक सरकारी स्कूल में कई दशकों से चली आ रही सरस्वती पूजा ही बैन कर दी गई। ये मामला हावड़ा के एक सरकारी स्कूल का है, जहां पिछले 65 साल से सरस्वती पूजा मनायी जा रही थी, लेकिन मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता सरकार ने इसी साल फरवरी में रोक लगा दी। जब स्कूल के छात्रों ने सरस्वती पूजा मनाने को लेकर प्रदर्शन किया, तो मासूम बच्चों पर डंडे बरसाए गए। इसमें कई बच्चे घायल हो गए।
सबूत नंबर-3
हनुमान जयंती पर निर्दोषों को किया गिरफ्तार, लाठी चार्ज
11 अप्रैल, 2017 को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवड़ी में हनुमान जयंती के जुलूस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ममता सरकार से हिन्दू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हम इस आयोजन की अनुमति को लेकर बार-बार पुलिस के पास गए, लेकिन पुलिस ने मना कर दिया। धार्मिक आस्था के कारण निकाले गए जुलूस पर पुलिस ने बर्बता से लाठीचार्ज किया। इसमें कई लोग घायल हो गए। जुलूस में शामिल होने पर पुलिस ने 12 हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आर्म्स एक्ट समेत कई गैर जमानती धाराएं लगा दीं।
सबूत नंबर-2
ममता राज के 8000 गांवों में एक भी हिंदू नहीं
पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं का उत्पीड़न जारी है। दरअसल ममता राज में हिंदुओं पर अत्याचार और उनके धार्मिक क्रियाकलापों पर रोक के पीछे तुष्टिकरण की नीति है। लेकिन इस नीति के कारण राज्य में अलार्मिंग परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। प. बंगाल के 38,000 गांवों में 8000 गांव अब इस स्थिति में हैं कि वहां एक भी हिन्दू नहीं रहता, या यूं कहना चाहिए कि उन्हें वहां से भगा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां 47 लाख मुस्लिम और 23 लाख हिन्दू, मालदा 20 लाख मुस्लिम और 19 लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर 15 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिन्दू। दरअसल बंगलादेश से आए घुसपैठिए प. बंगाल के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोड़कर शहरों में आकर बस रहे हैं।
सबूत नंबर-1
ममता राज में घटती जा रही हिंदुओं की संख्या
पश्चिम बंगाल में 1951 की जनसंख्या के हिसाब से 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी कमी आयी है। 2011 की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू आबादी 0.7 प्रतिशत कम हुई है तो वहीं सिर्फ बंगाल में ही हिन्दुओं की आबादी में 1.94 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि सिर्फ बंगाल में मुसलमानों की आबादी 1.77 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं ज्यादा दर से बढ़ी है।