संकट के समय सभी देश अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर हर संभव कदम उठाते हैं। विदेशों में फंसे अपने नागरिकों को निकालने की कोशिश करते हैं। कोरोना संकट के समय अमेरिका भी विदेशों में फंसे अपने नागरिकों को निकाल रहा है। उसने भारत से अब तक 1300 अमेरिकियों को निकालने में कामयाबी पा ली है। लेकिन अब भी बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक भारत में रह रहे हैं। ये अमरिकी नागरिक अब भारत से वापस जाना नहीं चाहते। आज इन्हें अमेरिका की तुलना में भारत सबसे सुरक्षित लग रहा है।
कोरोना का संकट यहां भी है और अमेरिका में भी है। लेकिन ये ज़रूर सच है कि भारत के मुकाबले कोरोना का कहर अमेरिका में ज्यादा है। फिर भी घर तो घर है लेकिन इंडिया में रह रहे इन अमेरिकियों का मानना है कि होम इज़ व्हेअर दी हार्ट इज़ और इनका हार्ट अब इण्डिया में है क्योंकि इंडिया में कोरोना तो है लेकिन इण्डिया ज्यादा सेफ है।
अमेरिका की दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की कार्यवाहक उप सचिव एलिस जी वेल्स ने बताया कि अब तक करीब 1300 अमेरिकी नागरिकों को अमेरिका वापस लाया गया है। अभी इस हफ्ते अमेरिका के लिए भारत से पांच अतिरिक्त उड़ानें निर्धारित की गई हैं। किन्तु फिलहाल सही संख्या बता पाना मुश्किल है कि कितने अमेरिकी भारत से स्वदेश लौटने के लिए सहायता चाहते हैं। वैसे पंजीकृत अमरिकियों की संख्या की बात करें तो अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास में सात हजार से ज्यादा लोगों ने पंजीकरण कराया है।
हालांकि वेल्स ने यह स्पष्ट तौर पर नहीं बताया कि अमेरिकी क्यों स्वदेश लौटना नहीं चाहते हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह से अमेरिका में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है, उससे अमेरिका कोरोना वायरस के हॉट स्पॉट के रूप में उभर कर सामने आया है।
11 अप्रैल तक अमेरिका में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 4 लाख 75 हजार से ज्यादा थी, जो दुनिया के किसी देश की तुलना में सबसे ज्यादा है। हालांकि कोरोना वायरस से मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या इटली में हैं। कोरोना से मौत के मामले में अमेरिका दूसरे नंबर पर है। इटली में कोरोना से 18 हजार 848 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जबकि अमेरिका में अब तक 18 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है। इसके बाद मौत के मामले में तीसरे नंबर पर स्पेन है, जहां 15 हजार 970 से ज्यादा लोगों की कोरोना वायरस जान ले चुका है।

